किरण बेदी, शुक्रिया सेक्रेटरी साहब Learn Hindi - Story for Children
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05m 07s
The Secretary of the Tennis Association used his power unfairly. Kiran Bedi ended up thanking him. For what?
शुक्रिया सेक्रेटरी साहब
मेरा पालन पोषण
एक खेल प्रेमी परिवार में हुआ।
मेरे डैडी को टेनिस से बहुत लगाव था।
वो टेनिस के राष्ट्रीय चैम्पियन थे
और मम्मी, बैडमिन्टन की खिलाड़ी।
स्कूल की छुट्टी के बाद,
हमारा परिवार,
टेनिस कोचिंग सैन्टर पर मिलता था।
मम्मी, एक बड़े से बैग में
हमारी ज़रूरत की सभी चीज़ें लेकर आतीं,
गर्म दूध, फल
और टेनिस की पोशाक वगैरह।
स्कूल के फ़ौरन बाद
मैं और मेरी छोटी बहन रीता,
टेनिस कोर्ट पर पहुंच जाते।
अपनी बारी के इन्तज़ार में
समय बरबाद न करते हुए
हम कोर्ट के किनारे लगी
बैंच पर बैठकर,
अपना होमवर्क पूरा करने की
कोशिश करते।
14-15 बरस की उम्र में,
टेनिस-प्रतियोगिताओं में
हिस्सा लेने के लिए,
मुझे देश भर में घूमना पड़ता था।
उन दिनों
हमारे पास ज़्यादा पैसे भी नहीं होते थे,
इसलिए मैं बिना रिज़र्वेशन के ही
रेल में सफ़र किया करती थी।
वैसे थर्ड क्लास में
सफ़र करने का फ़ायदा
यह होता था
कि मेरे जैसे विद्यार्थियों को
रेल टिकट
आधी क़ीमत पर मिलता था।
लेकिन,
आधी क़ीमत पर
टिकट दिलवाने वाला फ़ॉर्म
हासिल करना आसान नहीं था।
यह फ़ॉर्म
टेनिस एसोसिएशन के
सेक्रेटरी से मिलता था
और वो बहुत ही
इम्पोर्ट्नट व्यक्ति थे।
अपनी महत्ता जताने के लिए
वो फ़ॉर्म हासिल करने वालों को
काफ़ी इन्तज़ार करवाते थे।
उनसे मिलने के चक्कर में
कभी-कभी मेरा पूरा दिन
बरबाद हो जाता था।
मुझे होमवर्क, परीक्षा की तैयारी,
टेनिस और कसरत वगौरह के लिए
समय ही नहीं मिलता था...
लेकिन
सेक्रेटरी साहब से मिलने के लिए
लाईन में खड़े होना भी ज़रूरी था
और लाईन थी
कि बस रेंगती सी नज़र आती थी।
परेशान होकर मैं अपना गुस्सा,
बैंच पर मुक्के मार-मार कर निकालती।
ऐसे ही एक दिन,
घंटों इंतज़ार के बाद,
जब सेक्रेटरी साहब से मिलने की
मेरी बारी आई
तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाई।
मैंने उनसे कहा,
सर, मैंने आपसे यह सीखा है
कि मुझे हमेशा दूसरों की ज़रूरतों का
आदर करना चाहिए।
बड़ी होकर मैं कभी भी किसी से
इस तरह इन्तज़ार नहीं करवाऊंगी।
मैं दूसरों के समय की कीमत समझूंगी।
सेक्रेटरी साहब बहुत नाराज़ हुए,
जानते हैं उन्होंने क्या किया?
मैं टेनिस की नैशनल जूनियर चैम्पियन
बन चुकी थी
और जैसे कि परम्परा थी,
मुझे इंतज़ार था,
विम्बल्डन में खेलने के लिए
अपना नाम भेजे जाने का।
विम्बल्डन जैसी
जानी मानी चैम्पियनषिप में खेलना
मेरा सपना था,
लेकिन सेक्रेटरी साहब ने
मेरी जगह
किसी और का नाम भेज दिया।
अपना सपना टूट जाने पर
मैं बहुत दु:खी हुई,
लेकिन मैंने तय किया
कि अब मैं पढ़ाई में
और भी ज़्यादा मेहनत करूंगी।
नतीजा जल्दी ही सामने आया
और मैं क्लास में फ़स्र्ट आई।
आज जब मैं अतीत में झांकती हूं,
तो ऐसा कीमती सबक सिखाने के लिए
सेक्रेटरी साहब को धन्यवाद देती हूं।
उन्होंने
मुझे लोगों के समय का आदर करने वाली
पुलिस अफ़सर बनने की प्रेरणा दी।
Story: Kiran Bedi
Story Adaptation: Ananya Parthibhan
Illustrations: M Kathiravan
Music: Acoustrics (Students of AR Rahaman)
Translation: Madhu B Joshi
Narration: Kiran Bedi