Shanu is too big for Ammi to carry. And too small to go to school alone. Are you too small to read this story on your own? Or are you too big to have someone read it aloud with you? Watch it and find out! बहुत बड़ी! बहुत छोटी! लेखिका - लावण्या कार्तिक “मैं तुम्हे नहीं उठा सकती शानू,” अम्मी कहती हैं, “तुम बहुत बड़ी हो!” “अभी तुम स्कूल अकेले नहीं जा सकती,” अब्बू कहते हैं, “तुम बहुत छोटी हो!” “छोटी के बिस्तर में तुम नहीं सो सकती शानू,” दादू कहते हैं! “तुम बहुत बड़ी हो!” “तुम छोटी को उठाकर पार्क में नहीं ले जा सकती,” दादी कहती हैं, “अभी तुम बहुत छोटी हो!” शानू हैरान है। बहुत बड़ी! बहुत छोटी! एक ही समय में वह एक साथ बहुत बड़ी और बहुत छोटी कैसे हो सकती है? पुरानी गुलाबी फ्राक पहनने के लिए बहुत बड़ी, लेकिन स्टोव पर डोसा बनाने के लिए बहुत छोटी! दादू की पीठ पर चढ़ने के लिए बहुत बड़ी? और छोटी को गोद में उठाने के लिए बहुत छोटी? “तो मैं क्या करने के लिए एकदम सही हूँ?” शानू सोचती है। अम्मी ने मुस्करा कर कहा, “तुम इतनी बड़ी हो कि बड़े स्कूल जा सको!” “और इतनी छोटी हो कि मैं तुम्हें अपने कंधों पर बिठा सकूँ,” अब्बू ने कहा! “तुम बस इतनी बड़ी हो कि मुझे सुबह की सैर पर ले चलो,” दादू ने कहा! “और तुम बस इतनी छोटी हो कि मैं तुम्हें कहानियाँ सुना सकूँ,” दादी ने कहा! “और तुम हमेशा, हमेशा इसके लिए एकदम सही उम्र की रहोगी,” सब ने कहा ओर उसे सुखद, अद्भुत आलिंगन में भर लिया। Story: Lavanya Karthik Illustrations: Lavanya Karthik Animation: BookBox Translation: Poonam S. Kudesia Narration: Neha Gargava Music: Rajesh Gilbert
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