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आप एक नदी में दोबारा नही जा सकते।। By ANKIT YADAV

प्रसिध्द ग्रीक दार्शनिक Heraclitus की ये पंक्तियाँ आज भी बेहद प्रासंगिक है | उपरोक्त कथन दर्शाता है कि इस दुनिया में केवल एक चीज़ हमेसा से वर्तमान /available है और वह है बदलाब | हमे...

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सबा - 3 By Prabodh Kumar Govil

दोनों की घनिष्ठता बढ़ने लगी और अब उनकी यही कोशिश रहती कि जब भी मौक़ा मिले, वो कहीं न कहीं मिलने की योजना बनाएं। लड़की ने एक अकेली महिला का खाना बनाने का जो काम लिया था वो इसी तरफ़...

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चुप्पियों का कथाकार - अर्नेस्ट हेमिंग्वे By Dr Jaya Shankar Shukla

चुप्पियों का कथाकार – अर्नेस्ट हेमिंग्वे 21 जुलाई 1899 को जन्मे अर्नेस्ट हेमिंग्वे उन कालजयी लेखकों में शामिल रहे जिन्होंने ताजिन्दगी युद्ध की विभीषिका को जिया और जो जिया उसे अपने...

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About Shruprra Psychology By Rudra S. Sharma

To,meet@sandeepmaheshwari.comमहत्वपूर्ण पहले मैं नहीं बल्कि मेरा दर्शन और मानसिकता का विज्ञान यानी सुसंगठित और सुव्यवस्थित सभी नश्वर इंद्रियों के स्थान पर शाश्वत ज्ञान या अनुभूति क...

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जागृति आवाहन By Rudra S. Sharma

।। पत्र ।। बात मन के भावनात्मक दायरें से निकली हैं, बुद्धि आदि के आयाम से, बिना भावनात्मक आयाम के, समझ नहीं आ सकती। कृष्ण की कृष्ण से सामंजस्य की गुहार हैं। कृष्ण वह बीज हैं, जो आक...

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Reality Of So Called Reality By Rudra S. Sharma

।। पत्र ।।क्या किसी के भी प्रति पूरी तरह जाने बिना उसके लियें राय बना लेना सही हैं, तुम्हारे लियें यदि कोई ऐसा करें तो क्या तुम्हें ठीक महसूस होयेगा? यदि नहीं तो ऐसा मत करों, हाँ!...

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चित्तानुभूति आत्मानुभूति की परिणामस्वरूपितता हैं। By Rudra S. Sharma

(), () ()रिक्तत्व की सन्निकट प्रकटता हैं शरुप्ररा अर्थात् मेरी प्रत्येक शब्द प्राकट्यता, सत्य मतलब की मुमुक्षा ही जिसके प्रति जागरूकता को आकार दें सकती हैं अतः मुक्ति की योग्य इच्छ...

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जीवन कैसे जिएं? - 2 By Priyanshu Jha

  जैसा कि आपने पहले संत श्री दयानंद जी के साथ माया की मुलाकात के बारे में पढ़ा था और इसका उन पर गहरा प्रभाव पड़ा था, आइए हम इस बात पर ध्यान दें कि माया ने उत्तर खोजने और अपनी आध्या...

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जैस्पर की दुनिया By ANKIT YADAV

एक बार एलिसिया की जादुई भूमि में, जैस्पर नाम का एक शरारती प्रेत रहता था। जैस्पर में परेशानी में पड़ने की आदत थी, लेकिन वह अपनी बुद्धि और आकर्षण के लिए भी जाना जाता था।एक सुनहरी सुब...

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आधुनिकता Vs आध्यात्मिकता By ANKIT YADAV

विषय -: आधुनिकता vs आध्यात्मिकता " पूरी तरह से अस्तित्व में रहने के लिए आपको वास्तव में आधुनिकता की आवश्यकता नहीं है। आपको आधुनिकता और आध्यात्मिकता के मिश्रण की जरूरत मात्र है। " :...

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जीवन का फलसफा By S Sinha

                                                           जीवन का फलसफा    अक्सर लोग नैतिक मूल्यों की बाते करते हैं  . जब पेट भरा रहता है और लाइफ  कंफर्टेबल होती  है तभी ऐसी बातें...

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एक छोटा सा गांव अजीब घटनाओं की एक श्रृंखला से ग्रस्त है By Deepak Singh

एक छोटा सा गांव अजीब घटनाओं की एक श्रृंखला से ग्रस्त है उत्तर भारत की सुदूर पहाड़ियों में कदम का गाँव अपनी प्राकृतिक सुंदरता, उपजाऊ भूमि और मेहमानन उत्तर भारत की सुदूर पहाड़ियों मे...

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बदरंग जीवन के उजले रंग By bhagirath

वह अक्सर उन लोगों की रिक्वेस्ट मंजूर करता है जो पत्रकार हो, साहित्य से जुड़े कवि, कथाकार या व्यंग्यकार हो। कलाकार हो तो उनकी रिक्वेस्ट भी स्वीकार कर लेता था। इसी तरह के लोगों को वह...

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वैल्यू समय की होती है By Mohit Rajak

वैल्यू समय की होती है समय निकल जाने पर केवल पछतावे के अलावा कुछ नहीं रहता।26 जनवरी के दिन तिरंगे को लोग खरीदते हैं 27 जनवरी को कोई नहीं खरीदा उसी प्रकार आप की वैल्यू समय पर ही होती...

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निशा By ANKIT YADAV

मौसम शाम की सुनहरी अंगडाईयां ले रहा था। पानी दीवार काटते हुए पास के खेतों में घुसा जा रहा था। किसान को इसकी भनक न थी, नही तो वह कब का इसे रोक चुका होता, कबका पानी किसान के निशिचत क...

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मन की अद्भुत शक्तियां By Mohit Rajak

साधारण लोग शरीर की शक्ति को ही सर्वोपरि मानते हैं उनकी समझ में जो आदमी जितना हट्टा कट्टा पोस्ट और मजबूत शरीर वाला होता है वह उतना ही शक्तिशाली होता है जो मनुष्य 40-50 किलो भजन आसान...

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रजिस्टर मैरिज By Priya Vachhani

यह कहानी बाल मनोविज्ञान पर आधारित कहानी है . इस कहानी में पिता की दूसरी शादी करने पर बच्चे के मन मे किस तरह के सवाल उपजते हैं , वह कैसा महसूस करता है व किस तरह से सवालों का जवाब खो...

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VIRUS By ANKIT YADAV

हाय राम, ये क्या हो गया, कैसे हो गया। सब के सब यूं क्यों पड़े हैं। मम्मी पापा उठो ना, उठते क्यों नहीं, भैया उठ क्यों नहीं रहे, ओ माय गॉड, ये सब क्या हो गया। आंटी जी, देखिए ना, गेट...

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अदिति By ANKIT YADAV

घने बादल छाए हुए थे। सूर्य उनसे निकलने की चेष्टा कर रहा था। रोशनी न होने के बावजूद सतगढ़ वासी बड़े जोश में थे। होली जो थी आज। घने बादलों की वजह से बच्चों के चेहरे पर भी चमक न थी। ब...

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दार्शनिक दृष्टि - भाग -8 - समुद्रमंथन भाग ३ (समुद्रमंथन का अंतिम भाग) By बिट्टू श्री दार्शनिक

दोस्तों ! हमने आगे के भाग में देखा की संसाधनों का भी व्यय होता है। फिर चाहे वह मानव संसाधन हो, धन हो, समय हो अथवा किसी वस्तु विशेष का हो।दोस्तों,जब किसी कार्य के लिए लोग एक साथ इकठ...

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अंतर्मन By ANKIT YADAV

मुझसे कही अच्छी जिंदगी तो इन मक्का बेचने वालो की है। कम से कम इन्हें इज्जत, प्यार तो अपने घर मिलता है। दिनभर कड़ी धूप में यहां मक्का भुनते रहते हैं, पर घर जाकर जो दुलार इन्हें मिलत...

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Thoughts Of Dec. 2022 By Rudra S. Sharma

लेखक और लेखक के संबंध में :-सही गलत दों हैं और वास्तविकता एक मात्रता का नाम, इसका मतलब हैं जहाँ सही और गलत हों सकता हैं वहाँ भृम या सत्य की ओर इशारे हों सकतें हैं.. सत्य नहीं! और ज...

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मेरा स्वभाव By Rudra S. Sharma

मन का जीना ही सात चक्रों में होश अर्थात् जीवन का होना हैं और मन की अंतिम मृत्यु ही एक मात्र यथार्थ मुक्ति।होश का मन में वहाँ होना जहाँ भौतिक शारीरिक इच्छायें रखी हुयी हैं इस बात को...

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करियर (किसका?) By Priya Vachhani

"हेलो माँ ! कैसी हो, आपकी तबीयत कैसी है?""सब ठीक है बेटा! तुम कैसे हो ?""मैं भी ठीक हूं माँ! एक खुशखबरी बतानी थी आपको " "क्या ? जल्दी बताओ " "आपको पोता हुआ है, रितु माँ बन गई" "बहु...

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खामोश है तो कहते है उदासी इतनी अच्छी नही। By Anand Tripathi

मेरे अंतरमन के उद्गार का शांत हो जाना भी तो कोई खामोशी ही है। किसी को भूख लगी हो और सहसा उसको कोई अप्रिय या अग्नि वेग जैसी खबर मिले तो वह पल भी खामोशी में परिवर्तित हो जायेगा। किसी...

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श्रीमत् अष्टावक्रगीता का हिन्दी अनुवाद - भाग 1 By JUGAL KISHORE SHARMA

अष्टावक्र गीता अद्वैत वेदान्त का ग्रन्थ है जो ऋषि अष्टावक्र और राजा जनक के संवाद के रूप में है। भगवद्गीता, उपनिषद और ब्रह्मसूत्र के सामान अष्टावक्र गीता अमूल्य ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ...

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शंकर का अद्वैत वेदांत By JUGAL KISHORE SHARMA

अद्वैत वेदांत   ---- ** शंकर ने इस ब्रह्मांड के मूल में केवल ब्रह्म की सत्ता स्वीकार की है। उनकी दृष्टि से ब्रह्म ही अंतिम सत्य है। उनका यह ब्रह्म अनादि, अनंत और निराकार है। यही ब्...

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कामसूत्र प्रेम है ? By Amanat Malik

आचार्य वात्स्यायन रचित कामसूत्र भारतीय ज्ञान संपदा की एक ऐसी अनमोल और अनूठी विरासत है, जिसकी प्रासंगिकता और उपयोगिता इसके सृजन के शताब्दियों बाद भी बनी हुई है। इसकी रचना कब हुई, इस...

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युथनेसिया - (द प्रोसेस ऑफ डाईंग फ्रॉम सेल्फ विल) By गायत्री शर्मा गुँजन

युथनेसिया (द प्रोसेस ऑफ डाइंग फ्रॉम सेल्फ विल ) स्वैच्छिक मृत्यु अर्थात मैं समाधिष्ट प्राण त्यागने के आध्यात्मिक प्रक्रिया की बात नहीं कर रही हूं यहां मसला है कानूनी तौर पर जीवन को...

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प्रकाण्ड विद्वान थे अष्टावक्र By Jatin Tyagi

प्रकाण्ड विद्वान #अष्टावक्र#अष्टावक्र इतने प्रकाण्ड विद्वान थे कि माँ के गर्भ से ही अपने पिताजी "कहोड़" को अशुद्ध वेद पाठ करने के लिये टोंक दिए जिससे क्रुद्ध होकर पिताजी ने आठ जगह स...

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दहेज प्रथा और दार्शनिक दृष्टि By बिट्टू श्री दार्शनिक

जुगाड़ू: दार्शनिक! यहां अकेले खड़े क्या सोच रहे हो ?वो भी इतनी रात गए !?दार्शनिक: देख रहा हूं।जुगाड़ू: क्या ?दार्शनिक: शादी के वक्त दहेज वाले हालात।जुगाड़ू: अच्छा !? एसा क्या देख र...

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त्रिशूल By મહેશ ઠાકર

#त्रिशूलजिसे पश्चिम में कहा गया '#ट्राइडेंट'। ग्रीक पौराणिक इतिहास के अनुसार यह ग्रीक देवता '#पोसाइडन' का हथियार है जो हिंदुओं के वरुण देव के तुल्य देवता है। लेकिन...

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THOUGHTS OF APR. 2022 By Rudra S. Sharma

22 FEB. 2022 AT 15:21“मेरी अभिव्यक्ति केवल मेरे लियें हैं यानी मेरी जितनी समझ के स्तर के लियें और यह मेरे अतिरिक्त उनके लियें भी हो सकती हैं जो मुझ जितनी समझ वाले स्तर पर हों अतः य...

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THOUGHTS OF MAR. 2022 By Rudra S. Sharma

01 MAR. 2022 AT 13:24“ जब चैतन्य के द्वारा तर्क कर्ता मन से न कोई विचार होगा और भावनात्मक मन से न कोई भाव होगा यानी कल्पना पर लेश मात्र भी नहीं ध्यान होगा, अचेतन में भी भावों और वि...

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THOUGHTS OF FEB. 2022 By Rudra S. Sharma

1 FEB. 2022 AT 01:35“एक समय था जब मैं आत्म अनुभूति नहीं होने पर परमात्मा को जानता नहीं था वरन इसके उसे मानता ही था क्योंकि यह सिद्ध नहीं हुआ था कि परमात्मा हैं कि नहीं परंतु हाँ! य...

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समानता   By amit kumar mall

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र से एम 0 ए 0 करते करते इतना आत्म विश्वास आ गया कि अब हमने समाज के बारे में , बहुत कुछ जान लिया है। भारतीय समाज के द्वापर , त्रेता , सतयुग ,...

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THOUGHTS OF JAN. 2022 By Rudra S. Sharma

3 JAN. 2022 AT 11:32 कोई किसी अन्य के महत्व की पूर्ति नहीं कर सकता। यदि अपना कोई प्रियजन भौतिक शरीर छोड़ देता हैं तो इस बात की तो संतुष्टि रहती हैं कि वह पूर्णतः खत्म नहीं हुआ; उसका...

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THOUGHTS OF DEC. 2021 By Rudra S. Sharma

1 DEC. 2021 AT 19/20

परम् या सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क वही हैं या उसी आत्मा का हैं जो सभी मस्तिष्क को समान महत्व दें; वह आत्मा का मस्तिष्क अपना कर्म करें, अन्य को भी अपना कर्म करने की...

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मनोभाव-रामगोपाल भावुक By ramgopal bhavuk

आलेख मनोभाव रामगोपाल भावुक हम साहित्यकार, भावुक, मनमस्त जैसे उपनाम अपनाकर साहित्य के क्षेत्र में कार्य...

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दिव्य पुरुष कैसे बने ? - 2 By Mohit Rajak

दोस्तों दिव्य पुरुष कैसे बने ? एक बहुत ही रहस्यमय पुस्तक है इसका भाग 1 अगर आपने नहीं पढ़ा है तो वह जरूर पढ़ें अन्यथा आपको यह पुस्तक समझ नहीं आएगी।दोस्तों संकल्प जो भाग-1 में दिया ग...

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आप एक नदी में दोबारा नही जा सकते।। By ANKIT YADAV

प्रसिध्द ग्रीक दार्शनिक Heraclitus की ये पंक्तियाँ आज भी बेहद प्रासंगिक है | उपरोक्त कथन दर्शाता है कि इस दुनिया में केवल एक चीज़ हमेसा से वर्तमान /available है और वह है बदलाब | हमे...

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सबा - 3 By Prabodh Kumar Govil

दोनों की घनिष्ठता बढ़ने लगी और अब उनकी यही कोशिश रहती कि जब भी मौक़ा मिले, वो कहीं न कहीं मिलने की योजना बनाएं। लड़की ने एक अकेली महिला का खाना बनाने का जो काम लिया था वो इसी तरफ़...

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चुप्पियों का कथाकार - अर्नेस्ट हेमिंग्वे By Dr Jaya Shankar Shukla

चुप्पियों का कथाकार – अर्नेस्ट हेमिंग्वे 21 जुलाई 1899 को जन्मे अर्नेस्ट हेमिंग्वे उन कालजयी लेखकों में शामिल रहे जिन्होंने ताजिन्दगी युद्ध की विभीषिका को जिया और जो जिया उसे अपने...

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About Shruprra Psychology By Rudra S. Sharma

To,meet@sandeepmaheshwari.comमहत्वपूर्ण पहले मैं नहीं बल्कि मेरा दर्शन और मानसिकता का विज्ञान यानी सुसंगठित और सुव्यवस्थित सभी नश्वर इंद्रियों के स्थान पर शाश्वत ज्ञान या अनुभूति क...

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जागृति आवाहन By Rudra S. Sharma

।। पत्र ।। बात मन के भावनात्मक दायरें से निकली हैं, बुद्धि आदि के आयाम से, बिना भावनात्मक आयाम के, समझ नहीं आ सकती। कृष्ण की कृष्ण से सामंजस्य की गुहार हैं। कृष्ण वह बीज हैं, जो आक...

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Reality Of So Called Reality By Rudra S. Sharma

।। पत्र ।।क्या किसी के भी प्रति पूरी तरह जाने बिना उसके लियें राय बना लेना सही हैं, तुम्हारे लियें यदि कोई ऐसा करें तो क्या तुम्हें ठीक महसूस होयेगा? यदि नहीं तो ऐसा मत करों, हाँ!...

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चित्तानुभूति आत्मानुभूति की परिणामस्वरूपितता हैं। By Rudra S. Sharma

(), () ()रिक्तत्व की सन्निकट प्रकटता हैं शरुप्ररा अर्थात् मेरी प्रत्येक शब्द प्राकट्यता, सत्य मतलब की मुमुक्षा ही जिसके प्रति जागरूकता को आकार दें सकती हैं अतः मुक्ति की योग्य इच्छ...

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जीवन कैसे जिएं? - 2 By Priyanshu Jha

  जैसा कि आपने पहले संत श्री दयानंद जी के साथ माया की मुलाकात के बारे में पढ़ा था और इसका उन पर गहरा प्रभाव पड़ा था, आइए हम इस बात पर ध्यान दें कि माया ने उत्तर खोजने और अपनी आध्या...

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जैस्पर की दुनिया By ANKIT YADAV

एक बार एलिसिया की जादुई भूमि में, जैस्पर नाम का एक शरारती प्रेत रहता था। जैस्पर में परेशानी में पड़ने की आदत थी, लेकिन वह अपनी बुद्धि और आकर्षण के लिए भी जाना जाता था।एक सुनहरी सुब...

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आधुनिकता Vs आध्यात्मिकता By ANKIT YADAV

विषय -: आधुनिकता vs आध्यात्मिकता " पूरी तरह से अस्तित्व में रहने के लिए आपको वास्तव में आधुनिकता की आवश्यकता नहीं है। आपको आधुनिकता और आध्यात्मिकता के मिश्रण की जरूरत मात्र है। " :...

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जीवन का फलसफा By S Sinha

                                                           जीवन का फलसफा    अक्सर लोग नैतिक मूल्यों की बाते करते हैं  . जब पेट भरा रहता है और लाइफ  कंफर्टेबल होती  है तभी ऐसी बातें...

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एक छोटा सा गांव अजीब घटनाओं की एक श्रृंखला से ग्रस्त है By Deepak Singh

एक छोटा सा गांव अजीब घटनाओं की एक श्रृंखला से ग्रस्त है उत्तर भारत की सुदूर पहाड़ियों में कदम का गाँव अपनी प्राकृतिक सुंदरता, उपजाऊ भूमि और मेहमानन उत्तर भारत की सुदूर पहाड़ियों मे...

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बदरंग जीवन के उजले रंग By bhagirath

वह अक्सर उन लोगों की रिक्वेस्ट मंजूर करता है जो पत्रकार हो, साहित्य से जुड़े कवि, कथाकार या व्यंग्यकार हो। कलाकार हो तो उनकी रिक्वेस्ट भी स्वीकार कर लेता था। इसी तरह के लोगों को वह...

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वैल्यू समय की होती है By Mohit Rajak

वैल्यू समय की होती है समय निकल जाने पर केवल पछतावे के अलावा कुछ नहीं रहता।26 जनवरी के दिन तिरंगे को लोग खरीदते हैं 27 जनवरी को कोई नहीं खरीदा उसी प्रकार आप की वैल्यू समय पर ही होती...

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निशा By ANKIT YADAV

मौसम शाम की सुनहरी अंगडाईयां ले रहा था। पानी दीवार काटते हुए पास के खेतों में घुसा जा रहा था। किसान को इसकी भनक न थी, नही तो वह कब का इसे रोक चुका होता, कबका पानी किसान के निशिचत क...

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मन की अद्भुत शक्तियां By Mohit Rajak

साधारण लोग शरीर की शक्ति को ही सर्वोपरि मानते हैं उनकी समझ में जो आदमी जितना हट्टा कट्टा पोस्ट और मजबूत शरीर वाला होता है वह उतना ही शक्तिशाली होता है जो मनुष्य 40-50 किलो भजन आसान...

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रजिस्टर मैरिज By Priya Vachhani

यह कहानी बाल मनोविज्ञान पर आधारित कहानी है . इस कहानी में पिता की दूसरी शादी करने पर बच्चे के मन मे किस तरह के सवाल उपजते हैं , वह कैसा महसूस करता है व किस तरह से सवालों का जवाब खो...

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हाय राम, ये क्या हो गया, कैसे हो गया। सब के सब यूं क्यों पड़े हैं। मम्मी पापा उठो ना, उठते क्यों नहीं, भैया उठ क्यों नहीं रहे, ओ माय गॉड, ये सब क्या हो गया। आंटी जी, देखिए ना, गेट...

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अदिति By ANKIT YADAV

घने बादल छाए हुए थे। सूर्य उनसे निकलने की चेष्टा कर रहा था। रोशनी न होने के बावजूद सतगढ़ वासी बड़े जोश में थे। होली जो थी आज। घने बादलों की वजह से बच्चों के चेहरे पर भी चमक न थी। ब...

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दार्शनिक दृष्टि - भाग -8 - समुद्रमंथन भाग ३ (समुद्रमंथन का अंतिम भाग) By बिट्टू श्री दार्शनिक

दोस्तों ! हमने आगे के भाग में देखा की संसाधनों का भी व्यय होता है। फिर चाहे वह मानव संसाधन हो, धन हो, समय हो अथवा किसी वस्तु विशेष का हो।दोस्तों,जब किसी कार्य के लिए लोग एक साथ इकठ...

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अंतर्मन By ANKIT YADAV

मुझसे कही अच्छी जिंदगी तो इन मक्का बेचने वालो की है। कम से कम इन्हें इज्जत, प्यार तो अपने घर मिलता है। दिनभर कड़ी धूप में यहां मक्का भुनते रहते हैं, पर घर जाकर जो दुलार इन्हें मिलत...

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Thoughts Of Dec. 2022 By Rudra S. Sharma

लेखक और लेखक के संबंध में :-सही गलत दों हैं और वास्तविकता एक मात्रता का नाम, इसका मतलब हैं जहाँ सही और गलत हों सकता हैं वहाँ भृम या सत्य की ओर इशारे हों सकतें हैं.. सत्य नहीं! और ज...

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मेरा स्वभाव By Rudra S. Sharma

मन का जीना ही सात चक्रों में होश अर्थात् जीवन का होना हैं और मन की अंतिम मृत्यु ही एक मात्र यथार्थ मुक्ति।होश का मन में वहाँ होना जहाँ भौतिक शारीरिक इच्छायें रखी हुयी हैं इस बात को...

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करियर (किसका?) By Priya Vachhani

"हेलो माँ ! कैसी हो, आपकी तबीयत कैसी है?""सब ठीक है बेटा! तुम कैसे हो ?""मैं भी ठीक हूं माँ! एक खुशखबरी बतानी थी आपको " "क्या ? जल्दी बताओ " "आपको पोता हुआ है, रितु माँ बन गई" "बहु...

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खामोश है तो कहते है उदासी इतनी अच्छी नही। By Anand Tripathi

मेरे अंतरमन के उद्गार का शांत हो जाना भी तो कोई खामोशी ही है। किसी को भूख लगी हो और सहसा उसको कोई अप्रिय या अग्नि वेग जैसी खबर मिले तो वह पल भी खामोशी में परिवर्तित हो जायेगा। किसी...

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श्रीमत् अष्टावक्रगीता का हिन्दी अनुवाद - भाग 1 By JUGAL KISHORE SHARMA

अष्टावक्र गीता अद्वैत वेदान्त का ग्रन्थ है जो ऋषि अष्टावक्र और राजा जनक के संवाद के रूप में है। भगवद्गीता, उपनिषद और ब्रह्मसूत्र के सामान अष्टावक्र गीता अमूल्य ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ...

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शंकर का अद्वैत वेदांत By JUGAL KISHORE SHARMA

अद्वैत वेदांत   ---- ** शंकर ने इस ब्रह्मांड के मूल में केवल ब्रह्म की सत्ता स्वीकार की है। उनकी दृष्टि से ब्रह्म ही अंतिम सत्य है। उनका यह ब्रह्म अनादि, अनंत और निराकार है। यही ब्...

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कामसूत्र प्रेम है ? By Amanat Malik

आचार्य वात्स्यायन रचित कामसूत्र भारतीय ज्ञान संपदा की एक ऐसी अनमोल और अनूठी विरासत है, जिसकी प्रासंगिकता और उपयोगिता इसके सृजन के शताब्दियों बाद भी बनी हुई है। इसकी रचना कब हुई, इस...

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युथनेसिया - (द प्रोसेस ऑफ डाईंग फ्रॉम सेल्फ विल) By गायत्री शर्मा गुँजन

युथनेसिया (द प्रोसेस ऑफ डाइंग फ्रॉम सेल्फ विल ) स्वैच्छिक मृत्यु अर्थात मैं समाधिष्ट प्राण त्यागने के आध्यात्मिक प्रक्रिया की बात नहीं कर रही हूं यहां मसला है कानूनी तौर पर जीवन को...

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प्रकाण्ड विद्वान थे अष्टावक्र By Jatin Tyagi

प्रकाण्ड विद्वान #अष्टावक्र#अष्टावक्र इतने प्रकाण्ड विद्वान थे कि माँ के गर्भ से ही अपने पिताजी "कहोड़" को अशुद्ध वेद पाठ करने के लिये टोंक दिए जिससे क्रुद्ध होकर पिताजी ने आठ जगह स...

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दहेज प्रथा और दार्शनिक दृष्टि By बिट्टू श्री दार्शनिक

जुगाड़ू: दार्शनिक! यहां अकेले खड़े क्या सोच रहे हो ?वो भी इतनी रात गए !?दार्शनिक: देख रहा हूं।जुगाड़ू: क्या ?दार्शनिक: शादी के वक्त दहेज वाले हालात।जुगाड़ू: अच्छा !? एसा क्या देख र...

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त्रिशूल By મહેશ ઠાકર

#त्रिशूलजिसे पश्चिम में कहा गया '#ट्राइडेंट'। ग्रीक पौराणिक इतिहास के अनुसार यह ग्रीक देवता '#पोसाइडन' का हथियार है जो हिंदुओं के वरुण देव के तुल्य देवता है। लेकिन...

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THOUGHTS OF APR. 2022 By Rudra S. Sharma

22 FEB. 2022 AT 15:21“मेरी अभिव्यक्ति केवल मेरे लियें हैं यानी मेरी जितनी समझ के स्तर के लियें और यह मेरे अतिरिक्त उनके लियें भी हो सकती हैं जो मुझ जितनी समझ वाले स्तर पर हों अतः य...

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THOUGHTS OF MAR. 2022 By Rudra S. Sharma

01 MAR. 2022 AT 13:24“ जब चैतन्य के द्वारा तर्क कर्ता मन से न कोई विचार होगा और भावनात्मक मन से न कोई भाव होगा यानी कल्पना पर लेश मात्र भी नहीं ध्यान होगा, अचेतन में भी भावों और वि...

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1 FEB. 2022 AT 01:35“एक समय था जब मैं आत्म अनुभूति नहीं होने पर परमात्मा को जानता नहीं था वरन इसके उसे मानता ही था क्योंकि यह सिद्ध नहीं हुआ था कि परमात्मा हैं कि नहीं परंतु हाँ! य...

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समानता   By amit kumar mall

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र से एम 0 ए 0 करते करते इतना आत्म विश्वास आ गया कि अब हमने समाज के बारे में , बहुत कुछ जान लिया है। भारतीय समाज के द्वापर , त्रेता , सतयुग ,...

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THOUGHTS OF JAN. 2022 By Rudra S. Sharma

3 JAN. 2022 AT 11:32 कोई किसी अन्य के महत्व की पूर्ति नहीं कर सकता। यदि अपना कोई प्रियजन भौतिक शरीर छोड़ देता हैं तो इस बात की तो संतुष्टि रहती हैं कि वह पूर्णतः खत्म नहीं हुआ; उसका...

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THOUGHTS OF DEC. 2021 By Rudra S. Sharma

1 DEC. 2021 AT 19/20

परम् या सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क वही हैं या उसी आत्मा का हैं जो सभी मस्तिष्क को समान महत्व दें; वह आत्मा का मस्तिष्क अपना कर्म करें, अन्य को भी अपना कर्म करने की...

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मनोभाव-रामगोपाल भावुक By ramgopal bhavuk

आलेख मनोभाव रामगोपाल भावुक हम साहित्यकार, भावुक, मनमस्त जैसे उपनाम अपनाकर साहित्य के क्षेत्र में कार्य...

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दिव्य पुरुष कैसे बने ? - 2 By Mohit Rajak

दोस्तों दिव्य पुरुष कैसे बने ? एक बहुत ही रहस्यमय पुस्तक है इसका भाग 1 अगर आपने नहीं पढ़ा है तो वह जरूर पढ़ें अन्यथा आपको यह पुस्तक समझ नहीं आएगी।दोस्तों संकल्प जो भाग-1 में दिया ग...

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