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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Magazine in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultures....Read More


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  • जाने देने का अभ्यास।

    ऐसा समय होता हैं जब हमारा दिमाग किसी चीज से कसकर चिपक जाता है, और यह शायद ही कभी...

  • अलविदा 2018

    बचपन से साल के अंत में 31 दिसंबर को आने वाली साल की मुख्य खबरे मेरा सबसे पसंदीदा...

  • भावनाओं का बाज़ारीकरण

    भावनाओं का बाजारीकरणभावनाओं का मानव जीवन में बड़ा ही महत्व है । भाव या इमोशन्स जी...

जाने देने का अभ्यास। By Rakesh Sharma

ऐसा समय होता हैं जब हमारा दिमाग किसी चीज से कसकर चिपक जाता है, और यह शायद ही कभी मददगार होता है: मैं सही हूं, दूसरा व्यक्ति गलत है।वह व्यक्ति अपना जीवन गलत तरीके से जी रहा है, उसे...

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बेचारे पुरुषों का दर्द कौन समझे ? By Mangi

मैं जैसे ही ऑफिस में लंच के लिए बैठा तो फोन रनकने लगा ! देखा तो, " बॉस का कॉल "। अरे, उसे कॉल क्यो कहु ? आफ़त की पुड़िया कहु तो ही बेहतर होगा । सुबह में कॉलेज और घर की भागमदौड़ी...

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मैं... By Harshad Molishree

इंसानियत की बस्ती जल रही थी, चारों तरफ आग लगी थी... जहा तक नजर जाती थी, सिर्फ खून में सनी लाशें दिख रही थी, लोग जो जिंदा थे वो खौफ मै यहा से वहां भाग रहे थे, काले रास्तों पर खून की...

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लेखक कौन होता है? - लेखक कौन है? By Author Pawan Singh

लेखक कौन हो सकता है या लेखक कौन बन सकता है? ऐसे सवाल अक्सर हर लेखक और पाठक के मन मे जरूर उभरता है। लेकिन इससे पहले यह जानना शायद ज्यादा जरूरी है कि लेखक कौन है? और इसका जबाब ह...

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अलविदा 2018 By Neetu Routela

बचपन से साल के अंत में 31 दिसंबर को आने वाली साल की मुख्य खबरे मेरा सबसे पसंदीदा कार्यकर्म रहा है! छोटे से समय में देश-दुनिया का साल भर का लेखा-जोखा आँखों के सामने तैर जाता है! कुछ...

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भावनाओं का बाज़ारीकरण By Lakshmi Narayan Panna

भावनाओं का बाजारीकरणभावनाओं का मानव जीवन में बड़ा ही महत्व है । भाव या इमोशन्स जीवन के वे अंग हैं जिनके बग़ैर जीवन ब्लैक एंड व्हाइट चलचित्र मात्र रह जाता है । मनुष्य के इमोशन ही हैं...

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समीक्षा - स्वाभिमान By BALRAM AGARWAL

हिन्दी लघुकथा के क्षेत्र में विषय केन्द्रित लघुकथा लिखने को प्रेरित करना और उन्हें प्रश्रय देना मुख्यत: इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक के प्रथमार्द्ध की देन है। विषय-केन्द्रित लघुकथा ल...

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साहित्य और फिल्मे By ARYAN Suvada

हॉलीवुड एवं भारतिय सिनेमा में समय समय पर साहित्य की रचनाओ पर फिल्मे बनी है । भारतिय सिनेमा में शुरुआती दौर में साहित्यक कृति पर कई फिल्में बनी पर कुछ ही फिल्मे सफल हुई और बाकियो का...

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अनमोल जीवन और शिकायत By Rudra

Book Author – Rudra Presented by – IMRudra – The Life Coach Content Writer – Rudra Book Title - अनमोल जीवन और शिकायत Disclaimer – This is a work of fiction. Names, characters, bu...

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२१मी सदी की औरत की मन की बात By Shaimee oza Lafj

21मी सदी स्त्री से जुडी समस्याएं     स्त्रीओका स्थान हंमेशा पूजनीय रहा है. स्त्रीओ की गिनती काली, सरस्वती, दुर्गा  साथ की जाती है. हमारे भारत के सिवा कहीै और &...

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प्रेम और अकेलापन By Rudra

Book Author – Rudra Presented by – IMRudra – The Life Coach Content Writer – Rudra Disclaimer – This is a work of fiction. Names, characters, businesses, places, events, locales, a...

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वो मेरा शहर.... By Neelima Kumar

सुना है दिल के दो हिस्से होते हैं। मेरे दिल में भी एक हिस्से में हिन्दी बसती है, तो दूसरे हिस्से में उर्दू ने भी अपनी जगह मुकम्मल कर रक्खी है। हिन्दी के हिस्से में अगर हरदुआगंज...

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शब्द By Ajay Amitabh Suman

शब्द अजीब विरोधाभास है शब्दों में। अजीब द्वंद्व है शब्द भरोसे में, विश्वास में, आस्था में, घृणा में, प्रेम में। दरअसल शब्दों का कार्य है एक खास तरह के विचार को प्रस्तुत करना। किसी...

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वीर सावरकर - क्यों कुछ लोग वीर सावरकर को गलत समझते हैं ? By Ritesh kashyap

अब आप ही बताइए मित्रों , इस दया याचिका से एक साधारण व्यक्ति को क्या समझना चाहिए यही कि वीर सावरकर अंग्रेजों के चाटुकार थे या फिर उन्होंने माफी मांग कर अपने आपको जेल से बाहर निकालने...

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व्यंगात्मक कहानी का दूसरा प्रकार By Rudra S. Sharma

लेखक -रुद्र संजय शर्मा 【ध्यान से पढ़े तत्पश्चाय ही टिप्पणी करें】यह व्यंग रचना अभी जो व्यंग रचनाएँ होती है उनसे पूर्णतः अलग है I इसी लिए मैं इसे व्यंगात्मक कहानी का दूसरा प्रकार कह...

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भगवान राम पर यह कैसी सियासत ? By Ritesh kashyap

जिस देश ने सभी को सहर्ष स्वीकारा चाहे वह शक हो या हूण हो, चाहे केरल में कोई व्यापारी जो व्यापार करने के दृष्टिकोण से भारत आया हो उसका धर्म इस्लाम ही क्यों ना हो उसकी पूजा पद्धति अल...

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क्या गलत है मायथोलॉजी शब्दमें By Leena Mehendale

भारतीय वाङ्मयमें एक गलत शब्द घुस गया है मायथोलॉजी या मिथक। आज उसीका परामर्श लेना है। विश्वभरकी सारी सभ्यताओंका ब्यौरा लें तो हम पाते हैं कि निर्गुणकी उपासना और सगुणसे प्रीत ये दो ब...

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उत्तेजना (व्यंग्य) By प्रिन्शु लोकेश तिवारी

उत्त्तेजन एक बीमारी है। लग गई सो लग गई।जो व्यक्ति उत्तेजना से वाकिफ़ रहते हैं वो उसका प्रयोग समय आने पर ही करते हैं और उत्तेजित व्यक्ति से व्यर्थ में बहस नही किया करते है। वे तकलुफ़्...

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असफलता सफल व्यक्ति की पहली शुभचिन्तक होती है .. By Rudra

* असफलता सफल व्यक्ति की पहली शुभचिन्तक होती है || * *ज़िंदगी में सफल होने का एक ही मंत्र है हर बार की असफलता के बाद उस असफलता के कारण को पूर्ण रूप से खत्म कर दो... क्यूंकि अगर आप आज...

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जो भी कहूँगा - पंडालों से पनपता (अ)धर्म By Manoj Tiwari

धर्म की समकालीन परिभाषा कहाँ से कहाँ पहुँच गयी है| सितम्बर अक्टूबर माह में पहले गणपति के लिए और फिर दुर्गा-पूजा के नाम पर जो आयोजन हो रहे हैं उनमें कितना धर्म है और कितना अधर्म यह...

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विश्व बंधुत्व आज की आवश्यक्ता By Ashish Kumar Trivedi

आज दुनिया भर में चारों तरफ अशांति का माहौल है। कहीं युद्ध तो कहीं आतंकी हमला, हत्या, बलात्कार, एक दूसरे के अधिकारों का हनन। इन सब के कारण वातावरण दूषित होता जा रहा है।
आने वाला भ...

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डाकिया अब डाक नहीं लाता By Anant Dhish Aman

ई मेइल, फेसबुक और वाट्स अप का संसार कुछ ऐसा है जिसने हमे बहुआयामी व्यक्ति तो बना दिया है कुछ उसी प्रकार कुछ व्यापारी वर्ग और राजनीती वर्ग और नंगेपन का फैलाव करने वाला वर्ग जिसने हम...

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कलर्स ओफ लाईफ By anshul

हम खुद का निर्माण स्वयं करते हैं. और हमेशा यह हम पर निर्भर करता है कि हमारा भविष्य कैसा हो, कोई और हमारा जीवन निर्माण नहीं कर सकता है! इसलिए अपना लक्ष्य चुने और उसे प्राप्त करने के...

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प्रोत्साहन एक शक्ति By Ashish Kumar Trivedi

शब्दों में बहुत शक्ति होती है। उनका प्रयोग बहुत सोंच समझ कर करना चाहिए। शब्द बाण की तरह होते हैं जो लक्ष्य को भेदते हैं। किसी को कहे गए कड़वे तथा अपमान जनक शब्द उस व्यक्ति को दुख प...

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उदासीनता एक सामाजिक अभिशाप By Ashish Kumar Trivedi

अधिकांश सामाजिक समस्याओं का प्रमुख कारण उनके प्रति हमारी उदासीनता है। हम हमारे चारों तरफ घटने वाली घटनाओं से कोई सरोकार नहीं रखते हैं। हम अपने व्यक्तिगत जीवन में इस प्रकार उलझे रहत...

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भारतीय वाद्य यंत्र By Ashish Kumar Trivedi

संगीत हो या नृत्य कला दोनों का ही वाद्य यंत्रों से बहुत गहरा संबंध है। जब कोई गायक मंच पर अपनी प्रस्तुति देता है तब सितार, तबला या हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्रों का साथ उसकी गायकी को...

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संगीत ईश्वर का एक रूप By Ashish Kumar Trivedi

ब्रह्म संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है। सभी कुछ इससे उपजता है और इसी में लीन हो जाता है।
संगीत को नाद ब्रह्म भी कहते हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत में आत्मा को भिगो देने की शक्ति है। इ...

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खेलना ज़रूरी है.... By Ashish Kumar Trivedi

खेल बच्चों को ना सिर्फ शारीरिक रूप से सक्षम बनाते हैं बल्कि उनमें अनुशासन, एकजुटता एवं निर्णय लेने की क्षमता का विकास करते हैं। अधिकांश खेल जो बाहर खेले जाते हैं में दौड़ना भागना क...

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भारत के सच्चे रत्नों की कथा - राजीव दीक्षित (भारत के अनकहे नायक की कथा) By Yogesh varma

# GREAT INDIAN STORIES राजीव दीक्षित(भारत के अनकहे नायक की कथा) ये विषय है भारत का गौरव बढ़ाने वाले सच्चे रत्नों की सत्य कथाओ का । वास्तव में जिस किसी का भी जन्म भारत मे हो जाता है...

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अटलजी : मेरी दृष्टि से... By Arjun Gadhiya

                    "अटल बिहारी बाजपेई", यह नाम कोई साधारण नाम या तो साधारण व्यक्ति का नाम नहि की जिसकी व्याख्या हो सके । यह अपने...

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लौह पुरुष By Sonu Kasana

A story about a person we should be grateful. He is the real hero. This is a different type of story then you heard before but real incidents.

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Airbnb By Bharti Bhayani

Airbnbकिसी भी सफल कहानी के पीछे बहोत सारी मेहनत छीपी हुइ होती है।आज हम एक ऐसी ही सच्ची कहानी के बारे मे बात करेंगे।एक ऐसी कहानी जीसकी छोटी सी शुरुआत आज 25 बीलीयन डोलर तक पहोच चूकी...

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छतीसगढ़ के विस्मृत कवि, स्व. शिशुपाल बलदेव यादव मुकुंद दुर्ग By sushil yadav

22 नवम्बर , १९३३ को दुर्ग में राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी का आगमन हुआ मोती-तालाब मैदान में एक विशाल जन-सभा का आयोजन किया गया था गांधी जी के भाषण के पूर्व गांधी जी के स्वागत...

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घर लौट चलो... By Shruti Mehrotra

पाठकों ने मुझे और मेरे काम को इतना सराहया इसलिए आज मै अपनी तीसरी किताब लिख पाई हूं। इस बार मैंने कुछ अलग लिखा है जो आज कल हमारे सामने हो रहा है और हम उस जाल में धीरे धीरे फसते चले...

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प्यासी धरती प्यासे लोग By S Sinha

यह एक संक्षिप्त लेख है जिसके द्वारा पूरे विश्व में जल, विशेष कर पेय जल, के संकट के बारे में चर्चा की गयी है। साथ ही हमें भविष्य में जल की भीषण समस्या से निपटने के लिए तैयार रहना...

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अखबार की कहानी By Ashish Kumar Trivedi

आप यदि किसी से पूँछें कि एक दिन की अच्छी शुरुआत कैसे करना चाहेंगे तो जवाब मिलेगा कि चाय की चुस्कियों के साथ अखबार पढ़ते हुए समय बिताना उन्हें अच्छा लगेगा।
अखबार आज हमारे जीवन का अ...

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यह आकाशवाणी है By Ashish Kumar Trivedi

क्रिकेट की कमेंट्री, समाचार, गोष्ठियां, संगीत सब कुछ हम तक रेडियो के माध्यम से ही पहुँचा। एक लंबे समय तक सूचनाओं के प्रसारण का सबसे अच्छा साधन रेडियो ही था। रेडियो देश के लोगों को...

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बच्चों पर केंद्रित फिल्में By Ashish Kumar Trivedi

हमारे समाज में मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं जिनमें सबसे प्रमुख साधन है फिल्म। अमीर गरीब, साक्षर निरक्षर हर कोई फिल्में देख कर अपना मनोरंजन कर सकता है।
बच्चे किसी भी समाज का एक...

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भारत के प्रति विश्‍व का ऋण By vivekanand rai

सम्पूसर्ण दक्षिण-पूर्व एशिया को अपनी अधिकांश संस्कृसति भारत से प्राप्तु हुई। ईसा पूर्व पॉचवीं शताब्दी। के प्रारंभ में पश्चिमी भारत के उपनिवेशी लंका में बस गये, जिन्होंेने अन्तय में...

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दलित साहित्य: एक हुंकार By Ashish Kumar Trivedi

दलित साहित्य का अर्थ दलित समाज से संबंध रखने वाले व्यक्तियों की लेखनी से निकली शब्दों की वह धारा है जिसमें उनकी व्यथा, घुटन तथा आक्रोश के दर्शन होते हैं। दलित साहित्य वह हुंकार है...

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ध्यान By Suresh Kumar Patel

We every body motivating and suggesting our fellows and every one who deals with us on a full day. We are just talking with every one for the success, planning of our actions and m...

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समय By Suresh Kumar Patel

Samay (Time) is very important aspect in this fast life.
समय से डरना चाहिए या समय से मित्रता करनी चाहिए यह एक बात पर एक रौशनी डालता हुआ मेरा एक प्रयाश है की आपको समय के बारे में...

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ईश्वर रे, मेरे बेचारे...! By Phanishwar Nath Renu

ईश्वर रे, मेरे बेचारे...! फणीश्वरनाथ रेणु अपने संबंध में कुछ लिखने की बात मन में आते ही मन के पर्दे पर एक ही छवि 'फेड इन' हो जाया करती है : एक महान महीरुह... एक विशाल वटवृक...

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‘जय हिन्द’: जोशीले नारे का क्रांतिकारी इतिहास By Kandarp Patel

जय घोष ‘जय हिन्द’: जोशीले नारे का क्रांतिकारी इतिहास

शायद ही कोई जानता होगा की आप जिस भी फिल्म, डॉक्युमेन्ट्री, संवाद, व्याख्यान, होर्डिंग्स, बेनर... जैसे तमाम दृश्य-श्राव्य...

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क्षितिज के उस पार से By Bharatiya Jnanpith

क्षितिज के उस पार से
मेधा के अनगिनत चेहरे होते हैं – चाहे वह विज्ञान में हो, गणित में हो, कला में हो अथवा साहित्य में हो। प्रतिभाशाली स्त्री-पुरुष विरले ही सीधा रास्ता तय करते हैं...

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नया ज्ञानोदय By Bharatiya Jnanpith

भारतीय ज्ञानपीठ की मासिक साहित्यिक पत्रिका.
भवदीय 5

विश्व कविता के परिसर से
साक्षात्कार—केरेलिन फोर्शे- आज सन्दर्भ कविता की विश्व बिरादरी का है 10
अफ्रीकी—अल सादिक अल रद...

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अपनी तो ये आदत है By sushil yadav

हमारी जुबान को एक धमकी में कोई भी, किसी भी वक्त बंद करवा सकता था
एक बार बंद हो जाने के बाद हमारी जुबान ,बंद करने वाले ‘आका’ की हो जाती थी आका जब तक न चाहे नही खुलती थी
सैकड़...

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जाने देने का अभ्यास। By Rakesh Sharma

ऐसा समय होता हैं जब हमारा दिमाग किसी चीज से कसकर चिपक जाता है, और यह शायद ही कभी मददगार होता है: मैं सही हूं, दूसरा व्यक्ति गलत है।वह व्यक्ति अपना जीवन गलत तरीके से जी रहा है, उसे...

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बेचारे पुरुषों का दर्द कौन समझे ? By Mangi

मैं जैसे ही ऑफिस में लंच के लिए बैठा तो फोन रनकने लगा ! देखा तो, " बॉस का कॉल "। अरे, उसे कॉल क्यो कहु ? आफ़त की पुड़िया कहु तो ही बेहतर होगा । सुबह में कॉलेज और घर की भागमदौड़ी...

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मैं... By Harshad Molishree

इंसानियत की बस्ती जल रही थी, चारों तरफ आग लगी थी... जहा तक नजर जाती थी, सिर्फ खून में सनी लाशें दिख रही थी, लोग जो जिंदा थे वो खौफ मै यहा से वहां भाग रहे थे, काले रास्तों पर खून की...

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लेखक कौन होता है? - लेखक कौन है? By Author Pawan Singh

लेखक कौन हो सकता है या लेखक कौन बन सकता है? ऐसे सवाल अक्सर हर लेखक और पाठक के मन मे जरूर उभरता है। लेकिन इससे पहले यह जानना शायद ज्यादा जरूरी है कि लेखक कौन है? और इसका जबाब ह...

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अलविदा 2018 By Neetu Routela

बचपन से साल के अंत में 31 दिसंबर को आने वाली साल की मुख्य खबरे मेरा सबसे पसंदीदा कार्यकर्म रहा है! छोटे से समय में देश-दुनिया का साल भर का लेखा-जोखा आँखों के सामने तैर जाता है! कुछ...

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भावनाओं का बाज़ारीकरण By Lakshmi Narayan Panna

भावनाओं का बाजारीकरणभावनाओं का मानव जीवन में बड़ा ही महत्व है । भाव या इमोशन्स जीवन के वे अंग हैं जिनके बग़ैर जीवन ब्लैक एंड व्हाइट चलचित्र मात्र रह जाता है । मनुष्य के इमोशन ही हैं...

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समीक्षा - स्वाभिमान By BALRAM AGARWAL

हिन्दी लघुकथा के क्षेत्र में विषय केन्द्रित लघुकथा लिखने को प्रेरित करना और उन्हें प्रश्रय देना मुख्यत: इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक के प्रथमार्द्ध की देन है। विषय-केन्द्रित लघुकथा ल...

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साहित्य और फिल्मे By ARYAN Suvada

हॉलीवुड एवं भारतिय सिनेमा में समय समय पर साहित्य की रचनाओ पर फिल्मे बनी है । भारतिय सिनेमा में शुरुआती दौर में साहित्यक कृति पर कई फिल्में बनी पर कुछ ही फिल्मे सफल हुई और बाकियो का...

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अनमोल जीवन और शिकायत By Rudra

Book Author – Rudra Presented by – IMRudra – The Life Coach Content Writer – Rudra Book Title - अनमोल जीवन और शिकायत Disclaimer – This is a work of fiction. Names, characters, bu...

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२१मी सदी की औरत की मन की बात By Shaimee oza Lafj

21मी सदी स्त्री से जुडी समस्याएं     स्त्रीओका स्थान हंमेशा पूजनीय रहा है. स्त्रीओ की गिनती काली, सरस्वती, दुर्गा  साथ की जाती है. हमारे भारत के सिवा कहीै और &...

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प्रेम और अकेलापन By Rudra

Book Author – Rudra Presented by – IMRudra – The Life Coach Content Writer – Rudra Disclaimer – This is a work of fiction. Names, characters, businesses, places, events, locales, a...

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वो मेरा शहर.... By Neelima Kumar

सुना है दिल के दो हिस्से होते हैं। मेरे दिल में भी एक हिस्से में हिन्दी बसती है, तो दूसरे हिस्से में उर्दू ने भी अपनी जगह मुकम्मल कर रक्खी है। हिन्दी के हिस्से में अगर हरदुआगंज...

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शब्द By Ajay Amitabh Suman

शब्द अजीब विरोधाभास है शब्दों में। अजीब द्वंद्व है शब्द भरोसे में, विश्वास में, आस्था में, घृणा में, प्रेम में। दरअसल शब्दों का कार्य है एक खास तरह के विचार को प्रस्तुत करना। किसी...

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वीर सावरकर - क्यों कुछ लोग वीर सावरकर को गलत समझते हैं ? By Ritesh kashyap

अब आप ही बताइए मित्रों , इस दया याचिका से एक साधारण व्यक्ति को क्या समझना चाहिए यही कि वीर सावरकर अंग्रेजों के चाटुकार थे या फिर उन्होंने माफी मांग कर अपने आपको जेल से बाहर निकालने...

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व्यंगात्मक कहानी का दूसरा प्रकार By Rudra S. Sharma

लेखक -रुद्र संजय शर्मा 【ध्यान से पढ़े तत्पश्चाय ही टिप्पणी करें】यह व्यंग रचना अभी जो व्यंग रचनाएँ होती है उनसे पूर्णतः अलग है I इसी लिए मैं इसे व्यंगात्मक कहानी का दूसरा प्रकार कह...

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भगवान राम पर यह कैसी सियासत ? By Ritesh kashyap

जिस देश ने सभी को सहर्ष स्वीकारा चाहे वह शक हो या हूण हो, चाहे केरल में कोई व्यापारी जो व्यापार करने के दृष्टिकोण से भारत आया हो उसका धर्म इस्लाम ही क्यों ना हो उसकी पूजा पद्धति अल...

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क्या गलत है मायथोलॉजी शब्दमें By Leena Mehendale

भारतीय वाङ्मयमें एक गलत शब्द घुस गया है मायथोलॉजी या मिथक। आज उसीका परामर्श लेना है। विश्वभरकी सारी सभ्यताओंका ब्यौरा लें तो हम पाते हैं कि निर्गुणकी उपासना और सगुणसे प्रीत ये दो ब...

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उत्तेजना (व्यंग्य) By प्रिन्शु लोकेश तिवारी

उत्त्तेजन एक बीमारी है। लग गई सो लग गई।जो व्यक्ति उत्तेजना से वाकिफ़ रहते हैं वो उसका प्रयोग समय आने पर ही करते हैं और उत्तेजित व्यक्ति से व्यर्थ में बहस नही किया करते है। वे तकलुफ़्...

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असफलता सफल व्यक्ति की पहली शुभचिन्तक होती है .. By Rudra

* असफलता सफल व्यक्ति की पहली शुभचिन्तक होती है || * *ज़िंदगी में सफल होने का एक ही मंत्र है हर बार की असफलता के बाद उस असफलता के कारण को पूर्ण रूप से खत्म कर दो... क्यूंकि अगर आप आज...

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जो भी कहूँगा - पंडालों से पनपता (अ)धर्म By Manoj Tiwari

धर्म की समकालीन परिभाषा कहाँ से कहाँ पहुँच गयी है| सितम्बर अक्टूबर माह में पहले गणपति के लिए और फिर दुर्गा-पूजा के नाम पर जो आयोजन हो रहे हैं उनमें कितना धर्म है और कितना अधर्म यह...

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विश्व बंधुत्व आज की आवश्यक्ता By Ashish Kumar Trivedi

आज दुनिया भर में चारों तरफ अशांति का माहौल है। कहीं युद्ध तो कहीं आतंकी हमला, हत्या, बलात्कार, एक दूसरे के अधिकारों का हनन। इन सब के कारण वातावरण दूषित होता जा रहा है।
आने वाला भ...

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डाकिया अब डाक नहीं लाता By Anant Dhish Aman

ई मेइल, फेसबुक और वाट्स अप का संसार कुछ ऐसा है जिसने हमे बहुआयामी व्यक्ति तो बना दिया है कुछ उसी प्रकार कुछ व्यापारी वर्ग और राजनीती वर्ग और नंगेपन का फैलाव करने वाला वर्ग जिसने हम...

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कलर्स ओफ लाईफ By anshul

हम खुद का निर्माण स्वयं करते हैं. और हमेशा यह हम पर निर्भर करता है कि हमारा भविष्य कैसा हो, कोई और हमारा जीवन निर्माण नहीं कर सकता है! इसलिए अपना लक्ष्य चुने और उसे प्राप्त करने के...

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प्रोत्साहन एक शक्ति By Ashish Kumar Trivedi

शब्दों में बहुत शक्ति होती है। उनका प्रयोग बहुत सोंच समझ कर करना चाहिए। शब्द बाण की तरह होते हैं जो लक्ष्य को भेदते हैं। किसी को कहे गए कड़वे तथा अपमान जनक शब्द उस व्यक्ति को दुख प...

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उदासीनता एक सामाजिक अभिशाप By Ashish Kumar Trivedi

अधिकांश सामाजिक समस्याओं का प्रमुख कारण उनके प्रति हमारी उदासीनता है। हम हमारे चारों तरफ घटने वाली घटनाओं से कोई सरोकार नहीं रखते हैं। हम अपने व्यक्तिगत जीवन में इस प्रकार उलझे रहत...

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भारतीय वाद्य यंत्र By Ashish Kumar Trivedi

संगीत हो या नृत्य कला दोनों का ही वाद्य यंत्रों से बहुत गहरा संबंध है। जब कोई गायक मंच पर अपनी प्रस्तुति देता है तब सितार, तबला या हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्रों का साथ उसकी गायकी को...

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संगीत ईश्वर का एक रूप By Ashish Kumar Trivedi

ब्रह्म संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है। सभी कुछ इससे उपजता है और इसी में लीन हो जाता है।
संगीत को नाद ब्रह्म भी कहते हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत में आत्मा को भिगो देने की शक्ति है। इ...

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खेलना ज़रूरी है.... By Ashish Kumar Trivedi

खेल बच्चों को ना सिर्फ शारीरिक रूप से सक्षम बनाते हैं बल्कि उनमें अनुशासन, एकजुटता एवं निर्णय लेने की क्षमता का विकास करते हैं। अधिकांश खेल जो बाहर खेले जाते हैं में दौड़ना भागना क...

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भारत के सच्चे रत्नों की कथा - राजीव दीक्षित (भारत के अनकहे नायक की कथा) By Yogesh varma

# GREAT INDIAN STORIES राजीव दीक्षित(भारत के अनकहे नायक की कथा) ये विषय है भारत का गौरव बढ़ाने वाले सच्चे रत्नों की सत्य कथाओ का । वास्तव में जिस किसी का भी जन्म भारत मे हो जाता है...

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अटलजी : मेरी दृष्टि से... By Arjun Gadhiya

                    "अटल बिहारी बाजपेई", यह नाम कोई साधारण नाम या तो साधारण व्यक्ति का नाम नहि की जिसकी व्याख्या हो सके । यह अपने...

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लौह पुरुष By Sonu Kasana

A story about a person we should be grateful. He is the real hero. This is a different type of story then you heard before but real incidents.

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Airbnb By Bharti Bhayani

Airbnbकिसी भी सफल कहानी के पीछे बहोत सारी मेहनत छीपी हुइ होती है।आज हम एक ऐसी ही सच्ची कहानी के बारे मे बात करेंगे।एक ऐसी कहानी जीसकी छोटी सी शुरुआत आज 25 बीलीयन डोलर तक पहोच चूकी...

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छतीसगढ़ के विस्मृत कवि, स्व. शिशुपाल बलदेव यादव मुकुंद दुर्ग By sushil yadav

22 नवम्बर , १९३३ को दुर्ग में राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी का आगमन हुआ मोती-तालाब मैदान में एक विशाल जन-सभा का आयोजन किया गया था गांधी जी के भाषण के पूर्व गांधी जी के स्वागत...

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घर लौट चलो... By Shruti Mehrotra

पाठकों ने मुझे और मेरे काम को इतना सराहया इसलिए आज मै अपनी तीसरी किताब लिख पाई हूं। इस बार मैंने कुछ अलग लिखा है जो आज कल हमारे सामने हो रहा है और हम उस जाल में धीरे धीरे फसते चले...

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प्यासी धरती प्यासे लोग By S Sinha

यह एक संक्षिप्त लेख है जिसके द्वारा पूरे विश्व में जल, विशेष कर पेय जल, के संकट के बारे में चर्चा की गयी है। साथ ही हमें भविष्य में जल की भीषण समस्या से निपटने के लिए तैयार रहना...

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अखबार की कहानी By Ashish Kumar Trivedi

आप यदि किसी से पूँछें कि एक दिन की अच्छी शुरुआत कैसे करना चाहेंगे तो जवाब मिलेगा कि चाय की चुस्कियों के साथ अखबार पढ़ते हुए समय बिताना उन्हें अच्छा लगेगा।
अखबार आज हमारे जीवन का अ...

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यह आकाशवाणी है By Ashish Kumar Trivedi

क्रिकेट की कमेंट्री, समाचार, गोष्ठियां, संगीत सब कुछ हम तक रेडियो के माध्यम से ही पहुँचा। एक लंबे समय तक सूचनाओं के प्रसारण का सबसे अच्छा साधन रेडियो ही था। रेडियो देश के लोगों को...

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बच्चों पर केंद्रित फिल्में By Ashish Kumar Trivedi

हमारे समाज में मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं जिनमें सबसे प्रमुख साधन है फिल्म। अमीर गरीब, साक्षर निरक्षर हर कोई फिल्में देख कर अपना मनोरंजन कर सकता है।
बच्चे किसी भी समाज का एक...

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भारत के प्रति विश्‍व का ऋण By vivekanand rai

सम्पूसर्ण दक्षिण-पूर्व एशिया को अपनी अधिकांश संस्कृसति भारत से प्राप्तु हुई। ईसा पूर्व पॉचवीं शताब्दी। के प्रारंभ में पश्चिमी भारत के उपनिवेशी लंका में बस गये, जिन्होंेने अन्तय में...

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दलित साहित्य: एक हुंकार By Ashish Kumar Trivedi

दलित साहित्य का अर्थ दलित समाज से संबंध रखने वाले व्यक्तियों की लेखनी से निकली शब्दों की वह धारा है जिसमें उनकी व्यथा, घुटन तथा आक्रोश के दर्शन होते हैं। दलित साहित्य वह हुंकार है...

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ध्यान By Suresh Kumar Patel

We every body motivating and suggesting our fellows and every one who deals with us on a full day. We are just talking with every one for the success, planning of our actions and m...

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समय By Suresh Kumar Patel

Samay (Time) is very important aspect in this fast life.
समय से डरना चाहिए या समय से मित्रता करनी चाहिए यह एक बात पर एक रौशनी डालता हुआ मेरा एक प्रयाश है की आपको समय के बारे में...

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ईश्वर रे, मेरे बेचारे...! By Phanishwar Nath Renu

ईश्वर रे, मेरे बेचारे...! फणीश्वरनाथ रेणु अपने संबंध में कुछ लिखने की बात मन में आते ही मन के पर्दे पर एक ही छवि 'फेड इन' हो जाया करती है : एक महान महीरुह... एक विशाल वटवृक...

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‘जय हिन्द’: जोशीले नारे का क्रांतिकारी इतिहास By Kandarp Patel

जय घोष ‘जय हिन्द’: जोशीले नारे का क्रांतिकारी इतिहास

शायद ही कोई जानता होगा की आप जिस भी फिल्म, डॉक्युमेन्ट्री, संवाद, व्याख्यान, होर्डिंग्स, बेनर... जैसे तमाम दृश्य-श्राव्य...

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क्षितिज के उस पार से By Bharatiya Jnanpith

क्षितिज के उस पार से
मेधा के अनगिनत चेहरे होते हैं – चाहे वह विज्ञान में हो, गणित में हो, कला में हो अथवा साहित्य में हो। प्रतिभाशाली स्त्री-पुरुष विरले ही सीधा रास्ता तय करते हैं...

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नया ज्ञानोदय By Bharatiya Jnanpith

भारतीय ज्ञानपीठ की मासिक साहित्यिक पत्रिका.
भवदीय 5

विश्व कविता के परिसर से
साक्षात्कार—केरेलिन फोर्शे- आज सन्दर्भ कविता की विश्व बिरादरी का है 10
अफ्रीकी—अल सादिक अल रद...

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अपनी तो ये आदत है By sushil yadav

हमारी जुबान को एक धमकी में कोई भी, किसी भी वक्त बंद करवा सकता था
एक बार बंद हो जाने के बाद हमारी जुबान ,बंद करने वाले ‘आका’ की हो जाती थी आका जब तक न चाहे नही खुलती थी
सैकड़...

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