hindi Best Human Science Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Human Science in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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और वो चला गया By Pallavi Saxena

एक और सितारा खो गया। अभी उम्र ही क्या थी उसकी अभी जीवन चलना शुरू ही हुआ था। अभी इतनी जल्दी कैसे हार मान सकता था वो...? इतना भी आसान नही होता जीवन को छोड़कर मृत्यु का चुनाव करना। ना...

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घर वापसी By Narendra

घर-वापसी माँ कितनी देर बाद हम खाना खाएंगे, छविया की गोद में सवार चार साल की गुड्डो ने पूछा। बस थोड़ी दूर ओर, बच्ची मुस्कुराकर शांत हो गय...

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भारतीय गोरैया पक्षी By Sadanand Paul

भारतीय गोरैया पक्षी (Indian Sparrow Birds) : डॉ. सदानंद पॉल हे फुतकी गोरैया ! गोरैया पक्षी (Sparrow Birds) की एक युगल जोड़ी सप्ताह में एक दिन कहीं से उड़ मेरे आंगन आती हैं । मेरे यह...

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हरामी By Kumar Gourav

हरामीसर्दी के मौसम में बस यात्रा में बदन सिकोड़े चुपचाप लघुशंका दबाए बैठा था । ड्राइवर ने ठेके पर दारू के लिए बस रोकी और मैं जल्दी से शंका निवारण हेतू उतर गया। अभी शंका निवारण हुआ भ...

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प्रवाह - छुआइन By Yasho Vardhan Ojha

-:छुआइन:-"एगो रहे बुढ़िया, एगो ओकर बेटा अउर बेटा के मेहरारू। गांव के बहिरे ओखनी के एगो झोपड़ी बना के रहत रहले सन। मजूरी कऽ के दूनों सांझि के खाए के...

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सोशल मीडिया प्रदूषण (सोशल साइटों से प्रभावित मानव जीवन) By RAM NIVAS VERMA

S.M. POLLUTION राइटर - राम निवास वर्मा विषय - सोशल मीडिया विचार, हिंदी आर्टिकल वातावरण में अचानक परिवर्तन होने से मनुष्य और जीव – जंतुओं का जीवन बहुत प्रभावित होता है, यह परिवर्तन...

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लाश By Devendra Prasad

इस संसार में अगर को सत्य बात है तो वह है मृत्यु / एक न एक दिन सभी की मृत्यु आनी ही है चाहे कोई पशु हो पक्षी हो या इंसान हो सभी प्राणियों की मृत्यु निश्चित है जो भी प्राणी इस संसार...

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अश्लीलता By Rajesh Kumar

सामाजिक तौर पर अश्लील शब्द नकारात्मकता का सूचक है अश्लील शब्द उस व्यक्ति के लिए प्रयोग होता है जिस का चरित्र काम वृत्ति प्रधान हो वह भी सामाजिक माहौल में खुले तौर पर। जिसका आचरण...

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हाँ... नपुंसक हूँ मैं By राजीव तनेजा

“हाँ...नपुंसक हूँ मैं”बचाओ...बचाओ...की आवाज़ सुन अचानक मैं नींद से हड़बड़ा कर उठ बैठा। देखा तो आस-पास कहीं कोई नहीं था। माथे पर उभर आई पसीने की बूँदें चुहचुहा कर टपकने के मूड में थी।...

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मानो न मानो By Shobhana Shyam

हम पढ़े लिखे लोग हर चीज को विज्ञान और तर्क के तराजू पर तोले बिना किसी बात पर विश्वास नहीं करते | यही हाल सुगंधा का था , वह टोने-टोटकों पर विश्वास तो दूर उनका मखौल उड़ाना उसकी आदत म...

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मरना भी एक कला है By Satish Sardana Kumar

मरना भी एक कला है।भग्गू मरा तो पता चला।जैसे वह खामख्वाह जी रहा था वैसे ही एक दिन खामख्वाह मर गया।वरना मैंने इस तरह से आदमी मरते देखें हैं मानो किसी कला की सरंचना हुई हो।लोग पचास स...

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क्यूं मुश्किल में जान फसाये है By Ajay Kumar Awasthi

चमगादड़ एक ऐसा जीव है,जो रात के अंधेरे में उड़ता है,और जब सब जानवर सो रहे होते हैं, वो चुपके से उनके किसी नाजुक जगह को अपनी लार से शून्य कर देता है फिर वहाँ हल्का सा जख्म कर देत...

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नाकामयाब शादियों के बढ़ते मामले चिंतनीय By Dr Monika Sharma

नाकामयाब शादियों के बढ़ते मामले चिंतनीय कुछ समय पहले आई संयुक्त राष्ट्र की "प्रोग्रेस ऑफ द वर्ल्ड्स विमेन 2019-2020 ­ फेमिलीज इन ए चेंजिंग वर्ल्ड" रिपोर्ट के मुताबिक हमारे यहाँ नाका...

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चरित्र का चरित्रचित्रण By S Sinha

आलेख - चरित्र का चरित्रचित्रण किसी भी शब्दकोष में चरित्र के अनेकों अर्थ मिलेंगे - विशेषता , स्वरूप , अक्षर , पात्र , कीर्ति , ख्याति ,लक्षण,...

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एक पाती दामाद के नाम By Dr. Vandana Gupta

प्रिय क्षितिज, असीम स्नेहाशीष तुम अवश्य ही आश्चर्यचकित हो रहे हो कि अभी हमारे साथ जन्मदिन का केक काटकर गये हो और मोबाइल क्रांति...

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सुंदरता क्या है By S Sinha

आलेख - सुंदरता क्या है सुंदरता सबको अच्छी लगती है और उसकी ओर सबका ध्यान आकृष्ट होना स्व...

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दुष्कर्म के लिए बदला या इंसाफ By Ajay Kumar Awasthi

मारियो फुजो का सुप्रसिद्ध उपन्यास गाडफादर पर हालीवुड में सन 72 में गाडफादर के नाम से फिल्म बनी, जो सुपर डुपर हिट हुई . इस फिल्म के बाद इसके दो पार्ट और बने . पर पहली फिल्म जबर...

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सास भी कभी बहू थी By Dr. Vandana Gupta

आज सरू जितनी खुश है उतनी ही उदास भी... जितनी उत्साहित है उतनी ही हताश भी... जितनी अतीत में गोते लगा रही है उतनी ही भविष्य में विचर रही है। वजह कोई खास न होते हुए भी बेहद खास...

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लो फिर से चांडाल आ गया By Ajay Amitabh Suman

(१) ये एक नकारात्मक व्यक्ति के बारे में एक नकारात्मक कविता है। चाहे ऑफिस हो या घर , हर जगह नकारात्मक प्रवृति के लोग मिल जाते है जो अपनी मौजूदगी मात्र से लोगो में नकारात्मक भावना क...

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वैज्ञानिक साहित्य By Shailendra Chauhan

शैलेन्द्र चौहान यथार्थ का चित्रण, वैज्ञानिक साहित्य का एक महत्वपूर्ण पक्ष है और उसका वैचारिक प्रतिफलन हमें रिपोर्ताज, डायरी, लेख, राजनीतिक आलेख इत्यादि में देखने को मिलता है। हिन्द...

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क्या है मतलब का मतलब? By Ajay Amitabh Suman

अजीब विरोधाभास है शब्दों में। अजीब द्वंद्व है शब्द भरोसे में, विश्वास में, आस्था में, घृणा में, प्रेम में। दरअसल शब्दों का कार्य है एक खास तरह के विचार को प्रस्तुत करना। किसी मनःस्...

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गलतफहमी By Dr. Vandana Gupta

सर्दी की दोपहर सिया को हमेशा ही अनोखे अहसास कराती है, पहले सिर्फ गुदगुदाती थी, अब कभी कभी उदास कर देती है। आज सुबह से ही कुछ बेचैनी सी महसूस हो रही थी। आज वैसे भी इतवार है,...

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गूंगा, बहरा, अंधा By Manjeet Singh Gauhar

ये कहानी हमारे राष्ट्रीय पिता श्री महात्मा गॉंधी जी की और उनके तीन बन्दरों से मिली शिक्षा की है। वे बन्दर जिनका जैसचर(बॉडी स्टाइल) हमें बहुत अच्छा ज्ञान सिखा-कर चला गया।एक बन्दर मु...

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अफवाह, भय और आक्रामकता By Ajay Kumar Awasthi

*अफ़वाह,भय और आक्रामकता* इन दिनों मॉब लिचिंग की चर्चा है भीड़ द्वारा हिंसा । यह बहुत भयावह है कि किसी अजनबी पर सन्देह हो जाय और उसे भीड़ के द्वारा पीट पीट कर मार दिया जाय । सिर्फ इस...

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इतने बूढ़े भी नहीं कि न समझे By r k lal

इतने बूढ़े भी नहीं कि न समझे आर 0 के 0 लाल एक बेटे ने अपने पिता को निर्देश दिया कि उसके कुछ दोस्त आज उससे मिलने घर आ रहे हैं। जब तक उसके दोस्त...

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प्रकृति के प्रति मानवी संघर्ष By ALOK SHARMA

पृथ्वी पर समस्त जीवों मे मानव प्राणी सबसे ज्ञानी और उत्तम प्रकृति का है तथा मनुष्य मानव सभ्यता के शुरूआत से ही अपने जीवन जीने से संबंधित साधनो को जुटाने के लिये संघर्ष करता चला आ...

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सपने और ख़्वाब By Manjeet Singh Gauhar

' सपने 'इस संसार में ना जाने कितने एेसे काम हैं, जो आज तक शायद किसी भी व्यक्ति नही किए होगें।जैसे एक काम ये भी है कि कोई भी अाज तक आसमान में तारों को नही गिन सका है।लेकिन स...

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टूटते सामाजिक रिश्ते By Rajesh Kumar

अगर इस सृष्टि की सबसे सुंदर रचना है तो वो है मनुष्य!मनुष्य का विवेकी होना, तथा आत्मज्ञान की ओर बढ़ना  ये कुछ गुण मनुष्य को बाकी जीवों से अलग होना दर्शाते हैं। हम सभी एक सामाजिक...

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वो बेकसूर.. By Satyendra prajapati

ये खुदा तेरे बनाए इंसान से, अब इंसानियत बहुत दूर है।अब इन्हें इंसानियत पर नहीं, हैवानियत पर गुरूर है।बचे हैं जो कुछ इंसा यहां, क्या उनका इंसान होना कुसूर है।फिर क्यों मिला है दर्द...

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सिक्षा - Update education system By Sachin Ahir

बात ये ऐसी है थोड़ी गहराई से समझना,पहले परिस्थतिया जुदी थी अब जुदी है।थोड़ा नजरिया तो बदलो की,आज  जो रट रहे हो वो कल की रदी है ।।पुराने फूलों को खुशबू  देकर बेचना छोड़ दो...

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कुचक् By Vk Sinha

          ? कुचक्र ?  अजय श्रीवास्तव अपनी ही धुन के पक्के पर सरल स्वभाव के एक स्वाभिमानी इंसान थे। परिवार में दो बेटियां इंदू और सुधा और एक बेटा मुकुल...

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मां बाप की सेवा - अपने कर्मों का फल By Surya Pratap Ball Ji

देहरादून नामक एक शहर की बस्ती में एक चंदा नामक व्यक्ति रहते थे  फुल्के दो लड़के थे एक का नाम उज्ज्वल था और दूसरे का नाम छविराम था कुछ दिनों बाद  चंदा के दोनों लड़के पढ़ने...

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नशा करना एक गलत आदत है - नो स्मोकिंग By Surya Pratap Ball Ji

एक बड़े से शहर के पास एक गांव था उस गांव के चार परिवार एक गली मे रहते थे चारों परिवार के मुखिया जागेश्वर भोलानाथ शंभू नाथ और कन्हैया लाल चारों मुखिया बच्चे भी थे दो दो बच्चे थे जाग...

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एक कदम स्वच्छता की ओर By Surya Pratap Ball Ji

एक बड़े से शहर के पास थोड़ी दूर पर एक गांव बसता था उस गांव का नाम सुंदरनगर था उस गांव में लगभग दो हजार से ज्यादा आबादी वाले लोग रहते थे और वह बहुत ही अच्छा गांव था उस गांव में एक ग...

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क्या ये सच है By RAKESH RATHOD

अलौकिक शक्ति जिसे माननेसे लगभग सभी लोग इनकार करते है। लेकिन फिरभी ये सच है। हमारे ना माननेसे उसे जुटलाया नही जा सकता। क्योकि सच तो हमेशा सच ही होता है भले ही आप मानो या ना मानो।...

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भारत : अतुल्य देश, अतुल्य इतिहास By Abhishek Sharma

भारत की शिक्षा प्रणाली हमे वो नही पढ़ाती जो पढ़ाना चाहिए। कुछ खास और अविश्वसनीय बातें।

एक युद्ध जहाँ सिर्फ 40 सिक्खो ने 10 लाख मुगलो को नाकोचने चबाने पर मजबूर कर दिया।

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भाषायी विविधत का उत्सव By kaushlendra prapanna

हर अकादमिक सत्र के लिए आर्थिक सहायकता राशि का प्रावधान होता ही है। इसी के तहत विभिन्न गोष्ठियों और सम्मेलनों का आयोजन विभाग करते हैं। उन्हीं मदों में भाषोत्सव नाम कुछ और भी सोचा जा...

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The Power of Good Habit By Chaitali Parekh

this book about human s habit. how to increased our good habit.and what are following step to improve that... all points are mention in this book. it is a part -1

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हिन्दी शिक्षा और शिक्षण By kaushlendra prapanna

हिन्दी शिक्षा और शिक्षण की वर्तमान स्थिति को बिना समझे हम हिन्दी शिक्षा कैसी दे रहे है इसका इल्म नहीं होगा। हमें इस बात की भी तहकीकात करनी होगी कि हिन्दी के विकास और संवर्धन में हि...

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भाषायी विस्थापन By kaushlendra prapanna

भाषायी विस्थापन के दौर में
कौशलेंद्र प्रपन्न
व्यक्ति के साथ भाषा भी विस्थापित होती है। व्यक्ति जीवन यापन के लिए या फिर बेहतर जिंदगी के लिए गांव,देहात,जेवार छोड़ कर शहरों, महानगर...

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बस्ते का बोझ या समझ By kaushlendra prapanna

बस्ते का बोझ या समझ का बोझा
कौशलेंद्र प्रपन्न
बच्चों पर बस्ते के बोझ से ज्यादा समझ और पढ़ने का बोझा है। समझने से अर्थ लिखे हुए टेक्स्ट को पढ़कर समझना है। प्रो यशपाल ने 1992 में अ...

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और वो चला गया By Pallavi Saxena

एक और सितारा खो गया। अभी उम्र ही क्या थी उसकी अभी जीवन चलना शुरू ही हुआ था। अभी इतनी जल्दी कैसे हार मान सकता था वो...? इतना भी आसान नही होता जीवन को छोड़कर मृत्यु का चुनाव करना। ना...

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घर वापसी By Narendra

घर-वापसी माँ कितनी देर बाद हम खाना खाएंगे, छविया की गोद में सवार चार साल की गुड्डो ने पूछा। बस थोड़ी दूर ओर, बच्ची मुस्कुराकर शांत हो गय...

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भारतीय गोरैया पक्षी By Sadanand Paul

भारतीय गोरैया पक्षी (Indian Sparrow Birds) : डॉ. सदानंद पॉल हे फुतकी गोरैया ! गोरैया पक्षी (Sparrow Birds) की एक युगल जोड़ी सप्ताह में एक दिन कहीं से उड़ मेरे आंगन आती हैं । मेरे यह...

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हरामी By Kumar Gourav

हरामीसर्दी के मौसम में बस यात्रा में बदन सिकोड़े चुपचाप लघुशंका दबाए बैठा था । ड्राइवर ने ठेके पर दारू के लिए बस रोकी और मैं जल्दी से शंका निवारण हेतू उतर गया। अभी शंका निवारण हुआ भ...

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प्रवाह - छुआइन By Yasho Vardhan Ojha

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सोशल मीडिया प्रदूषण (सोशल साइटों से प्रभावित मानव जीवन) By RAM NIVAS VERMA

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लाश By Devendra Prasad

इस संसार में अगर को सत्य बात है तो वह है मृत्यु / एक न एक दिन सभी की मृत्यु आनी ही है चाहे कोई पशु हो पक्षी हो या इंसान हो सभी प्राणियों की मृत्यु निश्चित है जो भी प्राणी इस संसार...

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अश्लीलता By Rajesh Kumar

सामाजिक तौर पर अश्लील शब्द नकारात्मकता का सूचक है अश्लील शब्द उस व्यक्ति के लिए प्रयोग होता है जिस का चरित्र काम वृत्ति प्रधान हो वह भी सामाजिक माहौल में खुले तौर पर। जिसका आचरण...

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हाँ... नपुंसक हूँ मैं By राजीव तनेजा

“हाँ...नपुंसक हूँ मैं”बचाओ...बचाओ...की आवाज़ सुन अचानक मैं नींद से हड़बड़ा कर उठ बैठा। देखा तो आस-पास कहीं कोई नहीं था। माथे पर उभर आई पसीने की बूँदें चुहचुहा कर टपकने के मूड में थी।...

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मरना भी एक कला है By Satish Sardana Kumar

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क्यूं मुश्किल में जान फसाये है By Ajay Kumar Awasthi

चमगादड़ एक ऐसा जीव है,जो रात के अंधेरे में उड़ता है,और जब सब जानवर सो रहे होते हैं, वो चुपके से उनके किसी नाजुक जगह को अपनी लार से शून्य कर देता है फिर वहाँ हल्का सा जख्म कर देत...

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चरित्र का चरित्रचित्रण By S Sinha

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लो फिर से चांडाल आ गया By Ajay Amitabh Suman

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वैज्ञानिक साहित्य By Shailendra Chauhan

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गूंगा, बहरा, अंधा By Manjeet Singh Gauhar

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देहरादून नामक एक शहर की बस्ती में एक चंदा नामक व्यक्ति रहते थे  फुल्के दो लड़के थे एक का नाम उज्ज्वल था और दूसरे का नाम छविराम था कुछ दिनों बाद  चंदा के दोनों लड़के पढ़ने...

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एक कदम स्वच्छता की ओर By Surya Pratap Ball Ji

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क्या ये सच है By RAKESH RATHOD

अलौकिक शक्ति जिसे माननेसे लगभग सभी लोग इनकार करते है। लेकिन फिरभी ये सच है। हमारे ना माननेसे उसे जुटलाया नही जा सकता। क्योकि सच तो हमेशा सच ही होता है भले ही आप मानो या ना मानो।...

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भारत : अतुल्य देश, अतुल्य इतिहास By Abhishek Sharma

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भाषायी विविधत का उत्सव By kaushlendra prapanna

हर अकादमिक सत्र के लिए आर्थिक सहायकता राशि का प्रावधान होता ही है। इसी के तहत विभिन्न गोष्ठियों और सम्मेलनों का आयोजन विभाग करते हैं। उन्हीं मदों में भाषोत्सव नाम कुछ और भी सोचा जा...

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हिन्दी शिक्षा और शिक्षण By kaushlendra prapanna

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बस्ते का बोझ या समझ By kaushlendra prapanna

बस्ते का बोझ या समझ का बोझा
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