hindi Best Fiction Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Fiction Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


Languages
Categories
Featured Books
  • मैं तो ओढ चुनरिया - 59

      मैं तो ओढ चुनरिया    59       एक तो नया शहर , ऊपर से नया घर , नया माहौल , नये...

  • पथरीले कंटीले रास्ते - 18

    पथरीले कंटीले रास्ते    18   बग्गा सिंह पिछले दस दिन से गवाह जुटाने के लिए कोशिश...

  • वंश - भाग 5

    पाँच गर्मी की उमस भरी दोपहर थी, लेकिन गाड़ी के चलते रहने के कारण हवा भी लग रही थी...

रिबर्थ ऑफ़ डेविल - 5 By Sanju

दिल्ली का सबसे फेमस याँ यू कहे पुरे वल्ड में नाम आता था ---** **सपनों का मंच विश्वविद्यालय** काल्पनिक कॉलेज**एक ऐसा कॉलेज जहां कोई पढ़ाई के नियम नहीं होते। यहां पर सिर्फ वह जो सीखन...

Read Free

जेहादन - भाग 1 By Pradeep Shrivastava

भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव  वह चार साल बाद अपने घर पहुँची लेकिन गेट पर लगी कॉल-बेल का स्विच दबाने का साहस नहीं कर पाई। क़रीब दस मिनट तक खड़ी रही। उसके हाथ कई बार स्विच तक जा-जा क...

Read Free

लाश किसकी By anurag kumar Genius

लाश किसकी28 वर्षीय श्याम हफ्ता हुआ एक दरवाजे पर पहुंचा और दरवाजे को पागलों की तरह पीटने लगा।"रुस्तम, रुस्तम!"जब दरवाजा ना खुला तो वह चीखने लगा,"दरवाजा खोल रुस्तम!"तत्काल ही दरवाजा...

Read Free

मैं तो ओढ चुनरिया - 59 By Sneh Goswami

  मैं तो ओढ चुनरिया    59       एक तो नया शहर , ऊपर से नया घर , नया माहौल , नये लोग और इस तरह का अकेलापन । मन बुरी तरह से घबरा रहा था । कोई तो आए जिसकी आवाज कानों में सुनाई पङे । ब...

Read Free

शोहरत का घमंड - 87 By shama parveen

आर्यन की बाते सुन कर आलिया बोलती है, "आज मेरी ज़िंदगी का सबसे बुरा दिन है, तो मुझे तो यहीं पहन कर आना था"।तब आर्यन बोलता है, "मेरी ना अभी तुम से बहस करने का बिल्कुल भी मूड नहीं है,...

Read Free

बड़ी माँ - भाग 5 By Kishore Sharma Saraswat

5 मुरली के चले जाने के दो दिन बाद तक राम आसरी को आस रही कि शायद वह वापस आ जाए। यदि पुलिस वालों ने उसे पकड़ रखा है तो वह इसकी सूचना घर वालों को पहुँचाएंगे ही और यदि वह कहीं शराब पीकर...

Read Free

प्यार हुआ चुपके से - भाग 27 By Kavita Verma

शिव रति का पल्लू पकड़े हुए उसके पास आया और उसे अपनी बांहों में भरकर बोला- रति आज हमारी शादी को पूरे तीन महीने हो गए है और इन तीन महीनों में, मैं अपने काम की वजह से तुम्हें बिल्कुल...

Read Free

पथरीले कंटीले रास्ते - 18 By Sneh Goswami

पथरीले कंटीले रास्ते    18   बग्गा सिंह पिछले दस दिन से गवाह जुटाने के लिए कोशिश कर रहा था पर इकबाल सिंह का आतंक बिना कहे ही इतना था कि कोई भी गवाही के लिए तैयार नहीं हो रहा था । ज...

Read Free

फागुन के मौसम - भाग 28 By शिखा श्रीवास्तव

रिसॉर्ट के रेस्टोरेंट में जब राघव और जानकी ने अपना नाश्ता खत्म कर लिया तब राघव ने कहा, "तो अब हमें कब निकलना है?" "अभी नहीं, एक घंटे बाद। फ़िलहाल तुम मेरे साथ कमरे में चलो और अपना ल...

Read Free

वंश - भाग 5 By Prabodh Kumar Govil

पाँच गर्मी की उमस भरी दोपहर थी, लेकिन गाड़ी के चलते रहने के कारण हवा भी लग रही थी। असहनीय उष्णता तो नहीं ही थी। मीलों दूर तक फैले हुए पर्वतीय एवं मैदानी बीहड़ों के बाद इस लाइन पर कुछ...

Read Free

Shadow Of The Packs - 2 By Vijay Sanga

अगले दिन कॉलेज में खबर आती है की रोहन की मौत हो गई है। लोगों का कहना था की किसी जानवर ने उस पर हमला करके उसे मार दिया। ये रोहन वही लड़का था जिसने एक दिन पहले विक्रांत पर हाथ उठाया...

Read Free

उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 17 By Neerja Hemendra

भाग 17 शालिनी ने इन्द्रेश के समय चुनाव का प्रचार तो नही देखा था। चुनाव के समय में वह कभी भी इन्द्रेश के साथ नही जाती थी। किन्तु राजेश्वर इन्दे्रश के चुनाव का काम देखता था अतः उसने...

Read Free

साँसत में काँटे - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 उसके अब्बू कुछ देर सोचने के बाद बोले, “हमारी यही तो ग़लती, ग़लतफ़हमी है कि, हम जिन दहशतगर्दों को अपना फ़रिश्ता समझते रहे, वो एक दरिंदे से ज़्यादा और कुछ भी नहीं हैं, जो अपन...

Read Free

द्वारावती - 34 By Vrajesh Shashikant Dave

34घर से जब गुल निकली तो रात्रि का अंतिम प्रहर अपने अंतकाल में था। “इतने अंधकार में कहाँ जा रही हो? प्रतिदिन जिस समय तुम समुद्र तट पर जाती हो वह समय आने में अभी समय है।” गुल के पिता...

Read Free

फ़ाइनल डिसीज़न - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 गार्गी खाने-पीने के बाद एक भारतीय न्यूज़ चैनल पर समाचार देख रही थी। यह उसका रोज़ का नियम था। इसके ज़रिए वह स्वयं को अपने देश से जुड़ा हुआ महसूस करती है। वहाँ की स्थितियों से अ...

Read Free

स्वयंवधू - 8 By Sayant

कैसा लगेगा जब तुम्हें पता चलेगा कि तुम्हारे कमरे में कैमरे लगाए गए हो? यही हुआ मेरे साथ। मेरे कमरे में कैमरा कब लगा, कैसे लगा पता नहीं। पूल में लगभग धकेले के बाद कैमरे में कैद होना...

Read Free

फादर्स डे - 78 By Praful Shah

लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 78 सोमवार 13/02/2017 सूर्यकान्त भांडेपाटील की सुबह रोज की आदत के मुताबिक अखबार और चाय के कप के साथ हुई। उसकी खोजी नजरें खबरों के महासागर में से कोने में दबी छ...

Read Free

नक़ल या अक्ल - 20 By Swati

20 सच   राधा ने जब देखा कि दोपहर को सब सोए हुए हैं तो उसने एक सेकंड भी बर्बाद करना ठीक नहीं समझा और अपनी  छोटी  बहन  सुमित्रा को  किसी सहली से मिलने का बोलकर घर से निकल गई।  बड़ी  स...

Read Free

वो मस्ताना बादल By Pradeep Shrivastava

प्रदीप श्रीवास्तव कोविड-१९ महामारी से दुनिया में लाखों की संख्या में हो रही मौतें भी उन्हें नहीं डरा पाईं थीं। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी-टेक थे। नौकरी में रुचि नहीं थी। आर्ट्स कॉ...

Read Free

रिबर्थ ऑफ़ डेविल - 5 By Sanju

दिल्ली का सबसे फेमस याँ यू कहे पुरे वल्ड में नाम आता था ---** **सपनों का मंच विश्वविद्यालय** काल्पनिक कॉलेज**एक ऐसा कॉलेज जहां कोई पढ़ाई के नियम नहीं होते। यहां पर सिर्फ वह जो सीखन...

Read Free

जेहादन - भाग 1 By Pradeep Shrivastava

भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव  वह चार साल बाद अपने घर पहुँची लेकिन गेट पर लगी कॉल-बेल का स्विच दबाने का साहस नहीं कर पाई। क़रीब दस मिनट तक खड़ी रही। उसके हाथ कई बार स्विच तक जा-जा क...

Read Free

लाश किसकी By anurag kumar Genius

लाश किसकी28 वर्षीय श्याम हफ्ता हुआ एक दरवाजे पर पहुंचा और दरवाजे को पागलों की तरह पीटने लगा।"रुस्तम, रुस्तम!"जब दरवाजा ना खुला तो वह चीखने लगा,"दरवाजा खोल रुस्तम!"तत्काल ही दरवाजा...

Read Free

मैं तो ओढ चुनरिया - 59 By Sneh Goswami

  मैं तो ओढ चुनरिया    59       एक तो नया शहर , ऊपर से नया घर , नया माहौल , नये लोग और इस तरह का अकेलापन । मन बुरी तरह से घबरा रहा था । कोई तो आए जिसकी आवाज कानों में सुनाई पङे । ब...

Read Free

शोहरत का घमंड - 87 By shama parveen

आर्यन की बाते सुन कर आलिया बोलती है, "आज मेरी ज़िंदगी का सबसे बुरा दिन है, तो मुझे तो यहीं पहन कर आना था"।तब आर्यन बोलता है, "मेरी ना अभी तुम से बहस करने का बिल्कुल भी मूड नहीं है,...

Read Free

बड़ी माँ - भाग 5 By Kishore Sharma Saraswat

5 मुरली के चले जाने के दो दिन बाद तक राम आसरी को आस रही कि शायद वह वापस आ जाए। यदि पुलिस वालों ने उसे पकड़ रखा है तो वह इसकी सूचना घर वालों को पहुँचाएंगे ही और यदि वह कहीं शराब पीकर...

Read Free

प्यार हुआ चुपके से - भाग 27 By Kavita Verma

शिव रति का पल्लू पकड़े हुए उसके पास आया और उसे अपनी बांहों में भरकर बोला- रति आज हमारी शादी को पूरे तीन महीने हो गए है और इन तीन महीनों में, मैं अपने काम की वजह से तुम्हें बिल्कुल...

Read Free

पथरीले कंटीले रास्ते - 18 By Sneh Goswami

पथरीले कंटीले रास्ते    18   बग्गा सिंह पिछले दस दिन से गवाह जुटाने के लिए कोशिश कर रहा था पर इकबाल सिंह का आतंक बिना कहे ही इतना था कि कोई भी गवाही के लिए तैयार नहीं हो रहा था । ज...

Read Free

फागुन के मौसम - भाग 28 By शिखा श्रीवास्तव

रिसॉर्ट के रेस्टोरेंट में जब राघव और जानकी ने अपना नाश्ता खत्म कर लिया तब राघव ने कहा, "तो अब हमें कब निकलना है?" "अभी नहीं, एक घंटे बाद। फ़िलहाल तुम मेरे साथ कमरे में चलो और अपना ल...

Read Free

वंश - भाग 5 By Prabodh Kumar Govil

पाँच गर्मी की उमस भरी दोपहर थी, लेकिन गाड़ी के चलते रहने के कारण हवा भी लग रही थी। असहनीय उष्णता तो नहीं ही थी। मीलों दूर तक फैले हुए पर्वतीय एवं मैदानी बीहड़ों के बाद इस लाइन पर कुछ...

Read Free

Shadow Of The Packs - 2 By Vijay Sanga

अगले दिन कॉलेज में खबर आती है की रोहन की मौत हो गई है। लोगों का कहना था की किसी जानवर ने उस पर हमला करके उसे मार दिया। ये रोहन वही लड़का था जिसने एक दिन पहले विक्रांत पर हाथ उठाया...

Read Free

उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 17 By Neerja Hemendra

भाग 17 शालिनी ने इन्द्रेश के समय चुनाव का प्रचार तो नही देखा था। चुनाव के समय में वह कभी भी इन्द्रेश के साथ नही जाती थी। किन्तु राजेश्वर इन्दे्रश के चुनाव का काम देखता था अतः उसने...

Read Free

साँसत में काँटे - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 उसके अब्बू कुछ देर सोचने के बाद बोले, “हमारी यही तो ग़लती, ग़लतफ़हमी है कि, हम जिन दहशतगर्दों को अपना फ़रिश्ता समझते रहे, वो एक दरिंदे से ज़्यादा और कुछ भी नहीं हैं, जो अपन...

Read Free

द्वारावती - 34 By Vrajesh Shashikant Dave

34घर से जब गुल निकली तो रात्रि का अंतिम प्रहर अपने अंतकाल में था। “इतने अंधकार में कहाँ जा रही हो? प्रतिदिन जिस समय तुम समुद्र तट पर जाती हो वह समय आने में अभी समय है।” गुल के पिता...

Read Free

फ़ाइनल डिसीज़न - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 गार्गी खाने-पीने के बाद एक भारतीय न्यूज़ चैनल पर समाचार देख रही थी। यह उसका रोज़ का नियम था। इसके ज़रिए वह स्वयं को अपने देश से जुड़ा हुआ महसूस करती है। वहाँ की स्थितियों से अ...

Read Free

स्वयंवधू - 8 By Sayant

कैसा लगेगा जब तुम्हें पता चलेगा कि तुम्हारे कमरे में कैमरे लगाए गए हो? यही हुआ मेरे साथ। मेरे कमरे में कैमरा कब लगा, कैसे लगा पता नहीं। पूल में लगभग धकेले के बाद कैमरे में कैद होना...

Read Free

फादर्स डे - 78 By Praful Shah

लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 78 सोमवार 13/02/2017 सूर्यकान्त भांडेपाटील की सुबह रोज की आदत के मुताबिक अखबार और चाय के कप के साथ हुई। उसकी खोजी नजरें खबरों के महासागर में से कोने में दबी छ...

Read Free

नक़ल या अक्ल - 20 By Swati

20 सच   राधा ने जब देखा कि दोपहर को सब सोए हुए हैं तो उसने एक सेकंड भी बर्बाद करना ठीक नहीं समझा और अपनी  छोटी  बहन  सुमित्रा को  किसी सहली से मिलने का बोलकर घर से निकल गई।  बड़ी  स...

Read Free

वो मस्ताना बादल By Pradeep Shrivastava

प्रदीप श्रीवास्तव कोविड-१९ महामारी से दुनिया में लाखों की संख्या में हो रही मौतें भी उन्हें नहीं डरा पाईं थीं। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी-टेक थे। नौकरी में रुचि नहीं थी। आर्ट्स कॉ...

Read Free