hindi Best Fiction Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Fiction Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • नक़ल या अक्ल - 23

    23 आग   किशोर घर पहुँचा तो देखा कि अम्मा शाम के खाने की तैयारी कर रही है और उसकी...

  • बड़ी माँ - भाग 7

    7 लाला दीवान चन्द और कौशल्या ने कुछ जरूरी सामान और कपड़े वगैरह साथ लिए और मकान को...

  • तू भी सताया जायेगा ! - भाग - 2

    जय श्री कृष्णा ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत क्लेश नाशाय गोविंदाय नम...

जेहादन - भाग 4 By Pradeep Shrivastava

भाग -4 वह ऐसे बोलती चली जा रही थी, जैसे बहुत दिन से भरी बैठी थी और उसे छेड़ दिया गया। निखत और खुदेजा ने कल्पना भी नहीं की थी कि वह इतना कुछ जानती ही नहीं बल्कि बोलेगी भी। दोनों अंदर...

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ताश का आशियाना - भाग 42 By Rajshree

तीनों का समय समाप्त होने को आया था सजक हो गए तिन्हो|बाकी दो तो बाहर आ गए लेकिन तुषार वही कुछ देर अपने भाई के साथ बिताना चाहता था।जो भी चीजे गंगा ने मेल नर्स को दी थी वह कोई सिद्धार...

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रुबिका के दायरे - भाग 3 By Pradeep Shrivastava

भाग -3 रुबिका को महबूबा का आवेश भरा लहजा बहुत ही नागवार गुज़रा। उसने कहा, “मैं किसी ऐरे-ग़ैरे की बात नहीं कर रही हूँ, मैं इतिहास से सबक़ लेने की बात कर रही हूँ। कितना अफ़सोसनाक ह...

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गैंगस्टर का सनकी इश्क - 6 By Sanju

मुंबई......हेडकॉटर पुलिस स्टेसन......एक बड़े से रुम के अंदर प्रोजेक्टर चल रहे थे तस्वीर.... 'एक पुलिस ऑफिस था जिसका नाम आकाश मितल था' वो अपने साथियो से कह रहा था आप देख सकते...

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Shadow Of The Packs - 4 By Vijay Sanga

जिन दो पुलिस वालो पर उस जानवर ने हमला किया था, उनमे से एक पुलिस वाला जिंदा बच गया था। उस पुलिस वाले की सारी बात सुन लेने के बाद, जोसेफ गोम्स ने वॉकी टॉकी पर सभी लोगों को सावधान करत...

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स्वयंवधू - 9 By Sayant

मैं इतना भयभीत हो गयी थी कि, "क..क-क...ब...", मेरे शब्द निकल नहीं रहे थे। ऐसा था जैसे किसीने मेरी ज़बान सिल दी थी।"चिंता मत करो हमने पूरी रात जाँच-पड़ताल की। यह कैमरे और माइक्रोफोन...

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शोहरत का घमंड - 88 By shama parveen

आलिया कोर्ट से बाहर आ कर बैंच पर बैठ जाती हैं। तभी आर्यन वहा पर आ कर बोलता है, "अब क्या हुआ तुम्हे, अब किस बात का मातम मना रही हो ??????तब आलिया बोलती है, "अपनी शादी का मातम मना रह...

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नक़ल या अक्ल - 23 By Swati

23 आग   किशोर घर पहुँचा तो देखा कि अम्मा शाम के खाने की तैयारी कर रही है और उसकी बहन काजल  पढ़ाई में लगी हुई हैI  वह अम्मा के पास बैठते हुए बोला,  “अम्मा आज राधा के बापू मिलें थेंI”...

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बड़ी माँ - भाग 7 By Kishore Sharma Saraswat

7 लाला दीवान चन्द और कौशल्या ने कुछ जरूरी सामान और कपड़े वगैरह साथ लिए और मकान को ताला लगाकर तथा पड़ोसियों  को निगरानी रखने के लिए कहकर, अम्बाला शहर के लिए चल पड़े। कौशल्या की मौसी जी...

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द्वारावती - 37 By Vrajesh Shashikant Dave

37“अंतत: तुमने उन पंखियों को मित्र भी बना लिया, शाकाहारी भी।” केशव ने मौन तोड़ा। “यह अर्ध सत्य है, केशव।” गुल ने प्रतिभाव दिया। “तो कहो पूर्ण सत्य क्या है?”“पूर्ण सत्य यह है कि पंखी...

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तू भी सताया जायेगा ! - भाग - 2 By Shalini Chaudhary

जय श्री कृष्णा ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।हे फैमिली कैसे है आप सब ? आशा है की आप सबको कहानी पसंद आ रही होगी, अपनी विचारों की टिप्पणी अवश...

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रिबर्थ ऑफ़ डेविल - 6 By Sanju

मंदिर - बूढ़ी साधु महिला फूल का हार बनाते हूए आसमान को देखी ... मुस्कराकर 'उनका मिलने का समय आ गया है हवाओं का रुख भी बदला गया है जो उनके मिलने का अंदेशा है ..'.अब देखना होग...

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कहन - सुनन By Deepak sharma

सितम्बर का दूसरा शनिवार है। माँ और बाबूजी के कमरे में बिस्तर के बगल में बैठी बहन माँ से कह रही है, ’’इस मालिश और व्यायाम से आप बहुत जल्दी फिर से पहले की तरह नहाने लगेंग...

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फागुन के मौसम - भाग 30 By शिखा श्रीवास्तव

लुंबिनी बाज़ार पहुँचकर राघव ने अपनी माँ, दिव्या मौसी, तारा और यश के साथ-साथ दफ़्तर के बाकी सभी लोगों के लिए उपहारस्वरूप भगवान बुद्ध की मूर्तियां और दूसरे स्मृति चिन्ह खरीदे, साथ ही उ...

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उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 19 By Neerja Hemendra

भाग 19 आज लगभग एक माह के पश्चात् अनिमा कार्यालय में मुझे मिली । " तुम इतने लम्बे अवकाश पर थी। क्या हुआ सब ठीक तो है? " मैंने अनिमा से पूछा। " कई दिन-और रातें उसकी यादों में रो-रो क...

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वंश - भाग 7 By Prabodh Kumar Govil

सात जयकुमार एक नितान्त सुनसान-सी सड़क पर चलते-चलते शहर से लगभग बाहर ही आ गये थे। रात के इस चढ़ते पहर में वह लौटने का विचार बना ही रहे थे कि अचानक उनका ध्यान सामने कुछ दूर तक अँधेरे म...

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प्यार हुआ चुपके से - भाग 28 By Kavita Verma

अरूण की बातें सुनकर उनका एक आदमी आगे आया और बोला- पर बॉस ये कैसे हो सकता है? हमने तो अपना काम बहुत अच्छे से किया था। उस रात हमने शिव और शक्ति दोनो को ख़त्म करने की पूरी प्लानिंग की...

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बेदर्दी तेरे प्यार की - भाग 2 By Aarushi Thakur

जय श्री राम अब आगेरोते रोते अमयारा वही बेड पर सिकुड कर भारी भरकम लहंगे में ही सो जाती है थोड़ी देर के बाद सिद्धार्थ फ्रेश हो कर बाहर आता है। तब तक अमयरा सो गई थी।सिद्धार्थ जब भी अम...

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फादर्स डे - 79 By Praful Shah

लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 79 मंगलवार 14/02/2017 डॉक्यू-नॉवेल ‘दृश्यम अदृश्यम’ प्रकरण अंतिम चरण में है। इसके वास्तविक पात्रो की जीवन यात्रा निरंतर बढ़ती रहेगी। कथा-प्रवाह को...

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मैं तो ओढ चुनरिया - 59 By Sneh Goswami

  मैं तो ओढ चुनरिया    59       एक तो नया शहर , ऊपर से नया घर , नया माहौल , नये लोग और इस तरह का अकेलापन । मन बुरी तरह से घबरा रहा था । कोई तो आए जिसकी आवाज कानों में सुनाई पङे । ब...

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लाश किसकी By anurag kumar Genius

लाश किसकी28 वर्षीय श्याम हफ्ता हुआ एक दरवाजे पर पहुंचा और दरवाजे को पागलों की तरह पीटने लगा।"रुस्तम, रुस्तम!"जब दरवाजा ना खुला तो वह चीखने लगा,"दरवाजा खोल रुस्तम!"तत्काल ही दरवाजा...

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पथरीले कंटीले रास्ते - 18 By Sneh Goswami

पथरीले कंटीले रास्ते    18   बग्गा सिंह पिछले दस दिन से गवाह जुटाने के लिए कोशिश कर रहा था पर इकबाल सिंह का आतंक बिना कहे ही इतना था कि कोई भी गवाही के लिए तैयार नहीं हो रहा था । ज...

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साँसत में काँटे - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 उसके अब्बू कुछ देर सोचने के बाद बोले, “हमारी यही तो ग़लती, ग़लतफ़हमी है कि, हम जिन दहशतगर्दों को अपना फ़रिश्ता समझते रहे, वो एक दरिंदे से ज़्यादा और कुछ भी नहीं हैं, जो अपन...

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फ़ाइनल डिसीज़न - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 गार्गी खाने-पीने के बाद एक भारतीय न्यूज़ चैनल पर समाचार देख रही थी। यह उसका रोज़ का नियम था। इसके ज़रिए वह स्वयं को अपने देश से जुड़ा हुआ महसूस करती है। वहाँ की स्थितियों से अ...

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जेहादन - भाग 4 By Pradeep Shrivastava

भाग -4 वह ऐसे बोलती चली जा रही थी, जैसे बहुत दिन से भरी बैठी थी और उसे छेड़ दिया गया। निखत और खुदेजा ने कल्पना भी नहीं की थी कि वह इतना कुछ जानती ही नहीं बल्कि बोलेगी भी। दोनों अंदर...

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ताश का आशियाना - भाग 42 By Rajshree

तीनों का समय समाप्त होने को आया था सजक हो गए तिन्हो|बाकी दो तो बाहर आ गए लेकिन तुषार वही कुछ देर अपने भाई के साथ बिताना चाहता था।जो भी चीजे गंगा ने मेल नर्स को दी थी वह कोई सिद्धार...

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रुबिका के दायरे - भाग 3 By Pradeep Shrivastava

भाग -3 रुबिका को महबूबा का आवेश भरा लहजा बहुत ही नागवार गुज़रा। उसने कहा, “मैं किसी ऐरे-ग़ैरे की बात नहीं कर रही हूँ, मैं इतिहास से सबक़ लेने की बात कर रही हूँ। कितना अफ़सोसनाक ह...

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गैंगस्टर का सनकी इश्क - 6 By Sanju

मुंबई......हेडकॉटर पुलिस स्टेसन......एक बड़े से रुम के अंदर प्रोजेक्टर चल रहे थे तस्वीर.... 'एक पुलिस ऑफिस था जिसका नाम आकाश मितल था' वो अपने साथियो से कह रहा था आप देख सकते...

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Shadow Of The Packs - 4 By Vijay Sanga

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स्वयंवधू - 9 By Sayant

मैं इतना भयभीत हो गयी थी कि, "क..क-क...ब...", मेरे शब्द निकल नहीं रहे थे। ऐसा था जैसे किसीने मेरी ज़बान सिल दी थी।"चिंता मत करो हमने पूरी रात जाँच-पड़ताल की। यह कैमरे और माइक्रोफोन...

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शोहरत का घमंड - 88 By shama parveen

आलिया कोर्ट से बाहर आ कर बैंच पर बैठ जाती हैं। तभी आर्यन वहा पर आ कर बोलता है, "अब क्या हुआ तुम्हे, अब किस बात का मातम मना रही हो ??????तब आलिया बोलती है, "अपनी शादी का मातम मना रह...

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नक़ल या अक्ल - 23 By Swati

23 आग   किशोर घर पहुँचा तो देखा कि अम्मा शाम के खाने की तैयारी कर रही है और उसकी बहन काजल  पढ़ाई में लगी हुई हैI  वह अम्मा के पास बैठते हुए बोला,  “अम्मा आज राधा के बापू मिलें थेंI”...

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बड़ी माँ - भाग 7 By Kishore Sharma Saraswat

7 लाला दीवान चन्द और कौशल्या ने कुछ जरूरी सामान और कपड़े वगैरह साथ लिए और मकान को ताला लगाकर तथा पड़ोसियों  को निगरानी रखने के लिए कहकर, अम्बाला शहर के लिए चल पड़े। कौशल्या की मौसी जी...

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द्वारावती - 37 By Vrajesh Shashikant Dave

37“अंतत: तुमने उन पंखियों को मित्र भी बना लिया, शाकाहारी भी।” केशव ने मौन तोड़ा। “यह अर्ध सत्य है, केशव।” गुल ने प्रतिभाव दिया। “तो कहो पूर्ण सत्य क्या है?”“पूर्ण सत्य यह है कि पंखी...

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तू भी सताया जायेगा ! - भाग - 2 By Shalini Chaudhary

जय श्री कृष्णा ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।हे फैमिली कैसे है आप सब ? आशा है की आप सबको कहानी पसंद आ रही होगी, अपनी विचारों की टिप्पणी अवश...

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कहन - सुनन By Deepak sharma

सितम्बर का दूसरा शनिवार है। माँ और बाबूजी के कमरे में बिस्तर के बगल में बैठी बहन माँ से कह रही है, ’’इस मालिश और व्यायाम से आप बहुत जल्दी फिर से पहले की तरह नहाने लगेंग...

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फागुन के मौसम - भाग 30 By शिखा श्रीवास्तव

लुंबिनी बाज़ार पहुँचकर राघव ने अपनी माँ, दिव्या मौसी, तारा और यश के साथ-साथ दफ़्तर के बाकी सभी लोगों के लिए उपहारस्वरूप भगवान बुद्ध की मूर्तियां और दूसरे स्मृति चिन्ह खरीदे, साथ ही उ...

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भाग 19 आज लगभग एक माह के पश्चात् अनिमा कार्यालय में मुझे मिली । " तुम इतने लम्बे अवकाश पर थी। क्या हुआ सब ठीक तो है? " मैंने अनिमा से पूछा। " कई दिन-और रातें उसकी यादों में रो-रो क...

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वंश - भाग 7 By Prabodh Kumar Govil

सात जयकुमार एक नितान्त सुनसान-सी सड़क पर चलते-चलते शहर से लगभग बाहर ही आ गये थे। रात के इस चढ़ते पहर में वह लौटने का विचार बना ही रहे थे कि अचानक उनका ध्यान सामने कुछ दूर तक अँधेरे म...

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अरूण की बातें सुनकर उनका एक आदमी आगे आया और बोला- पर बॉस ये कैसे हो सकता है? हमने तो अपना काम बहुत अच्छे से किया था। उस रात हमने शिव और शक्ति दोनो को ख़त्म करने की पूरी प्लानिंग की...

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बेदर्दी तेरे प्यार की - भाग 2 By Aarushi Thakur

जय श्री राम अब आगेरोते रोते अमयारा वही बेड पर सिकुड कर भारी भरकम लहंगे में ही सो जाती है थोड़ी देर के बाद सिद्धार्थ फ्रेश हो कर बाहर आता है। तब तक अमयरा सो गई थी।सिद्धार्थ जब भी अम...

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लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 79 मंगलवार 14/02/2017 डॉक्यू-नॉवेल ‘दृश्यम अदृश्यम’ प्रकरण अंतिम चरण में है। इसके वास्तविक पात्रो की जीवन यात्रा निरंतर बढ़ती रहेगी। कथा-प्रवाह को...

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लाश किसकी By anurag kumar Genius

लाश किसकी28 वर्षीय श्याम हफ्ता हुआ एक दरवाजे पर पहुंचा और दरवाजे को पागलों की तरह पीटने लगा।"रुस्तम, रुस्तम!"जब दरवाजा ना खुला तो वह चीखने लगा,"दरवाजा खोल रुस्तम!"तत्काल ही दरवाजा...

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पथरीले कंटीले रास्ते - 18 By Sneh Goswami

पथरीले कंटीले रास्ते    18   बग्गा सिंह पिछले दस दिन से गवाह जुटाने के लिए कोशिश कर रहा था पर इकबाल सिंह का आतंक बिना कहे ही इतना था कि कोई भी गवाही के लिए तैयार नहीं हो रहा था । ज...

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साँसत में काँटे - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 उसके अब्बू कुछ देर सोचने के बाद बोले, “हमारी यही तो ग़लती, ग़लतफ़हमी है कि, हम जिन दहशतगर्दों को अपना फ़रिश्ता समझते रहे, वो एक दरिंदे से ज़्यादा और कुछ भी नहीं हैं, जो अपन...

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फ़ाइनल डिसीज़न - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 गार्गी खाने-पीने के बाद एक भारतीय न्यूज़ चैनल पर समाचार देख रही थी। यह उसका रोज़ का नियम था। इसके ज़रिए वह स्वयं को अपने देश से जुड़ा हुआ महसूस करती है। वहाँ की स्थितियों से अ...

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