hindi Best Fiction Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Fiction Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • एक पुरानी हवेली ...

    भाग 1: प्राचीन हवेलीहरिद्वार के पास बसे छोटे से गांव गंगापुर में एक पुरानी हवेली...

  • नक़ल या अक्ल - 39

    39 बेचैन   “अरे ! भाई ! मेरी बात तो सुनो।“ “अगर बापू को पता चल गया तो मेरी पिक्च...

  • अंगद - एक योद्धा। - 8

    जंगली जानवरों से अंगद का सामना पहले भी हो चुका था। जानवरों से उसे भय तो कभी महसू...

स्वयंवधू - 14 By Sayant

उस दिन सुबह...सब कुछ सामान्य था। हम उस समय गायब होने और राज द्वारा उसकी कलाई पर छोड़े गए निशानों के से सवालों से बचने में कामयाब रहे।"मैं फिसल गयी और उन्होंने मुझे गिरने से बचाने क...

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रावी की लहरें - भाग 2 By Sureshbabu Mishra

अनोखी आभा   नवम्बर का महीना था। रात के दस बजे थे। मैदानी इलाकों में नवम्बर में हल्की सर्दी का महीना माना जाता है। दिन में गुनगुनी धूप निकलती है और शाम होते-होते मौसम हल्का ठंड...

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एक पुरानी हवेली ... By Abhishek Chaturvedi

भाग 1: प्राचीन हवेलीहरिद्वार के पास बसे छोटे से गांव गंगापुर में एक पुरानी हवेली थी, जिसे लोग 'प्रेत की हवेली' के नाम से जानते थे। हवेली के बारे में कई कहानियां प्रचलित थीं...

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नक़ल या अक्ल - 39 By Swati

39 बेचैन   “अरे ! भाई ! मेरी बात तो सुनो।“ “अगर बापू को पता चल गया तो मेरी पिक्चर ही खत्म कर देंगे। पता नहीं, यह किसकी हरकत की और वो सोनाली मुझे छोड़कर भाग गई।“ वो लोग उसे खींचते हु...

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Shadow Of The Packs - 15 By Vijay Sanga

देवदत्त वर्मा ने फिर एक बार जयराज की तरफ देखा और पूछा–“क्या तुम्हे किसी मानव भेड़िये की पहचान का पता चला है?” “नही सर , मैं अभी पहचान तो नही कर पाया हूं, पर जंगल में मिली लाशों पर...

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अंगद - एक योद्धा। - 8 By Utpal Tomar

जंगली जानवरों से अंगद का सामना पहले भी हो चुका था। जानवरों से उसे भय तो कभी महसूस ना हुआ, जब भी उसका सामना किसी जंगली जानवर से होता तो वह या तो जानवर को डरा कर वहां से भगा देता या...

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सुनहरी तितलियों का वाटरलू - भाग 5 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग-5 जितनी देर वह तेल लगाती रही उतनी देर उसके आँसू निकलते रहे। वह सोचती रही कि, क्या यह अपनी इस विचित्र स्थिति के कारण कई दिन से सो नहीं रही थी, और जैसे ही मन की बात हुई, सैटिस्फ़ै...

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फागुन के मौसम - भाग 45 By शिखा श्रीवास्तव

दिवाली की वो शाम आ चुकी थी जब अमावस्या होने के बावजूद पूरे शहर में कहीं अँधकार का नामों-निशान भी नज़र नहीं आ रहा था।जानकी ने लीजा और मार्क के साथ मिलकर विधिवत अपने घर में लक्ष्मी-गण...

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पथरीले कंटीले रास्ते - 20 By Sneh Goswami

  पथरीले कंटीले रास्ते    20     रविंद्र का दुनिया में आना बङी धूमधाम से मनाया गया था । बेबे ने आँगन में सुमंगला औरतों को बुलाकर सोहर और घोङियाँ पूरे इक्कीस दिन गँवाई थी । सबको हर...

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दो बूँद आँसू - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 क्या उन्हें यह बताऊँगी कि शौहर ने अपनी जिन कमज़र्फ़ औलादों को मज़हबी तालीम देने के लिए, अपने जिस सबसे क़रीबी हाफ़िज़ को लगाया था, उसकी पहले दिन से ही मुझ पर ग़लत नज़र थी। मुक़द्दर ने...

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उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 31 (अंतिम भाग) By Neerja Hemendra

भाग 31 सचमुच अभय ने तथागत् के शब्दों के सही अर्थों को समझा है। मैं समझ नही पा रही थी कि अभय की सोच में, उसके व्यक्तित्व में इतनी विशिष्टतायें हैं तो विवाह के प्रारम्भिक कुछ वर्षों...

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सपनों की परछाईं By Dr Atmin D Limbachiya

सपनों की परछाईंआर्या की जिंदगी एक आदर्श चित्र थी। वह पढ़ाई में अव्‍वल, परिवार में प्यारी और दोस्तों में आदर्श मानी जाती थी। उसकी मां, सुमिता, ने अपने जीवन की हर कठिनाई को पार करते...

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नानक दुखिया सब संसार By dilip kumar

-“नानक दुखिया सब संसार” शहर की झोपड़पट्टी माने वाले इलाके का नाम इंद्र पुरी था । अपने नाम के उलट मुर्गी के दड़बों की तरह बेतरतीब बसी हुई इंद्रपुरी झोपड़पट्टी की एक झोपड़ी से निब्बर रोज...

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My Devil Hubby Rebirth Love - 21 By Naaz Zehra

थोड़ी देर बादरुद्र का केबिन रुद्र चेयर  पर बैठा हुआ था और असिस्टेंट और बॉडीगार्ड सब रुद्र के सामने सर झुका के खड़े थे रुद्रा ने अपने मैनेजर को बुलाया और वोला वाइफी यहां कब से काम क...

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सदी की शादी By dilip kumar

“सदी की शादी” “जय श्रीराम शुक्लाजी, कहाँ से लौट रहे हैं इतनी गर्मी में ? आसमान स आग बरस रही है और आप स्कूटर घर में रखकर साइकिल भांज रहे हैं । काहे बचा रहे हैं इतना पैसा” मैंने उन्ह...

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युवा किंतु मजबूर - पार्ट 3 By Lalit Kishor Aka Shitiz

राकेश ठेला सरकाते सरकाते मंदिर के पीछे वाले मैदान में आ गया। अभी सवेरे के साढ़े आठ ही बजे थे। हल्की हल्की धूप आने लगी थीं।राकेश ठेले के पास ही नीचे बैठ गया। जुराबे खोल दी और कंबल क...

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रिबर्थ ऑफ़ डेविल - 8 By Sanju

।स....र य....श की.. को...ई गल...ती न...हीं है। अपने लड़खड़ाते जुबान से बस इतना ही कह पाई ....{ क्लास में सन्नाटे को चिरते हूए हिम्मत से इतना ही कही }अभय - ब्लैक बोर्ड पर क्वेश्चन नोट...

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स्वयंवधू - 14 By Sayant

उस दिन सुबह...सब कुछ सामान्य था। हम उस समय गायब होने और राज द्वारा उसकी कलाई पर छोड़े गए निशानों के से सवालों से बचने में कामयाब रहे।"मैं फिसल गयी और उन्होंने मुझे गिरने से बचाने क...

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रावी की लहरें - भाग 2 By Sureshbabu Mishra

अनोखी आभा   नवम्बर का महीना था। रात के दस बजे थे। मैदानी इलाकों में नवम्बर में हल्की सर्दी का महीना माना जाता है। दिन में गुनगुनी धूप निकलती है और शाम होते-होते मौसम हल्का ठंड...

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एक पुरानी हवेली ... By Abhishek Chaturvedi

भाग 1: प्राचीन हवेलीहरिद्वार के पास बसे छोटे से गांव गंगापुर में एक पुरानी हवेली थी, जिसे लोग 'प्रेत की हवेली' के नाम से जानते थे। हवेली के बारे में कई कहानियां प्रचलित थीं...

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नक़ल या अक्ल - 39 By Swati

39 बेचैन   “अरे ! भाई ! मेरी बात तो सुनो।“ “अगर बापू को पता चल गया तो मेरी पिक्चर ही खत्म कर देंगे। पता नहीं, यह किसकी हरकत की और वो सोनाली मुझे छोड़कर भाग गई।“ वो लोग उसे खींचते हु...

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Shadow Of The Packs - 15 By Vijay Sanga

देवदत्त वर्मा ने फिर एक बार जयराज की तरफ देखा और पूछा–“क्या तुम्हे किसी मानव भेड़िये की पहचान का पता चला है?” “नही सर , मैं अभी पहचान तो नही कर पाया हूं, पर जंगल में मिली लाशों पर...

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अंगद - एक योद्धा। - 8 By Utpal Tomar

जंगली जानवरों से अंगद का सामना पहले भी हो चुका था। जानवरों से उसे भय तो कभी महसूस ना हुआ, जब भी उसका सामना किसी जंगली जानवर से होता तो वह या तो जानवर को डरा कर वहां से भगा देता या...

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सुनहरी तितलियों का वाटरलू - भाग 5 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग-5 जितनी देर वह तेल लगाती रही उतनी देर उसके आँसू निकलते रहे। वह सोचती रही कि, क्या यह अपनी इस विचित्र स्थिति के कारण कई दिन से सो नहीं रही थी, और जैसे ही मन की बात हुई, सैटिस्फ़ै...

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फागुन के मौसम - भाग 45 By शिखा श्रीवास्तव

दिवाली की वो शाम आ चुकी थी जब अमावस्या होने के बावजूद पूरे शहर में कहीं अँधकार का नामों-निशान भी नज़र नहीं आ रहा था।जानकी ने लीजा और मार्क के साथ मिलकर विधिवत अपने घर में लक्ष्मी-गण...

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पथरीले कंटीले रास्ते - 20 By Sneh Goswami

  पथरीले कंटीले रास्ते    20     रविंद्र का दुनिया में आना बङी धूमधाम से मनाया गया था । बेबे ने आँगन में सुमंगला औरतों को बुलाकर सोहर और घोङियाँ पूरे इक्कीस दिन गँवाई थी । सबको हर...

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दो बूँद आँसू - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 क्या उन्हें यह बताऊँगी कि शौहर ने अपनी जिन कमज़र्फ़ औलादों को मज़हबी तालीम देने के लिए, अपने जिस सबसे क़रीबी हाफ़िज़ को लगाया था, उसकी पहले दिन से ही मुझ पर ग़लत नज़र थी। मुक़द्दर ने...

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भाग 31 सचमुच अभय ने तथागत् के शब्दों के सही अर्थों को समझा है। मैं समझ नही पा रही थी कि अभय की सोच में, उसके व्यक्तित्व में इतनी विशिष्टतायें हैं तो विवाह के प्रारम्भिक कुछ वर्षों...

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सपनों की परछाईं By Dr Atmin D Limbachiya

सपनों की परछाईंआर्या की जिंदगी एक आदर्श चित्र थी। वह पढ़ाई में अव्‍वल, परिवार में प्यारी और दोस्तों में आदर्श मानी जाती थी। उसकी मां, सुमिता, ने अपने जीवन की हर कठिनाई को पार करते...

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नानक दुखिया सब संसार By dilip kumar

-“नानक दुखिया सब संसार” शहर की झोपड़पट्टी माने वाले इलाके का नाम इंद्र पुरी था । अपने नाम के उलट मुर्गी के दड़बों की तरह बेतरतीब बसी हुई इंद्रपुरी झोपड़पट्टी की एक झोपड़ी से निब्बर रोज...

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My Devil Hubby Rebirth Love - 21 By Naaz Zehra

थोड़ी देर बादरुद्र का केबिन रुद्र चेयर  पर बैठा हुआ था और असिस्टेंट और बॉडीगार्ड सब रुद्र के सामने सर झुका के खड़े थे रुद्रा ने अपने मैनेजर को बुलाया और वोला वाइफी यहां कब से काम क...

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सदी की शादी By dilip kumar

“सदी की शादी” “जय श्रीराम शुक्लाजी, कहाँ से लौट रहे हैं इतनी गर्मी में ? आसमान स आग बरस रही है और आप स्कूटर घर में रखकर साइकिल भांज रहे हैं । काहे बचा रहे हैं इतना पैसा” मैंने उन्ह...

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युवा किंतु मजबूर - पार्ट 3 By Lalit Kishor Aka Shitiz

राकेश ठेला सरकाते सरकाते मंदिर के पीछे वाले मैदान में आ गया। अभी सवेरे के साढ़े आठ ही बजे थे। हल्की हल्की धूप आने लगी थीं।राकेश ठेले के पास ही नीचे बैठ गया। जुराबे खोल दी और कंबल क...

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रिबर्थ ऑफ़ डेविल - 8 By Sanju

।स....र य....श की.. को...ई गल...ती न...हीं है। अपने लड़खड़ाते जुबान से बस इतना ही कह पाई ....{ क्लास में सन्नाटे को चिरते हूए हिम्मत से इतना ही कही }अभय - ब्लैक बोर्ड पर क्वेश्चन नोट...

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