hindi Best Fiction Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Fiction Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • युवा किंतु मजबूर - पार्ट 4

    दो महीने बीत चुके थे राकेश अब फिर से बेरोजगार हो चुका था। सब्जी के व्यापार में घ...

  • नागेंद्र - भाग 2

    अवनी अपने माता-पिता के साथ उसे रहस्यमई जंगल में एक नाग मंदिर के सामने बैठी हुई थ...

  • किरन - 2

    उसके दिन गुजर रहे थे। सफेद रंग का टी-शर्ट और नीली जीन्स उसके पसंदीदा कपड़े। उलझे...

रावी की लहरें - भाग 24 By Sureshbabu Mishra

अमर शहादत   शाम का समय था। पार्क में चारों ओर सन्नाटा फैला हुआ था। यह पार्क शहर के बाहर एक सुनसान जगह पर था, इसलिए यहाँ इक्का-दुक्का लोग ही घूमने आते थे। बाबा सुखदेव सिंह पार्...

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स्वयंवधू - 21 By Sayant

मैं भी हमारे आगंतुक से मिलने गयी, ऊपर छत में।"तो क्या हम बात कर सकते है?",वहाँ भैय्या, आर्य खुराना, शिवम, दी और दिव्या भी वहाँ थे।वो आदमी ने कहा, "वृषा बाबा को उनकी माँ ने उन्हें ट...

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नक़ल या अक्ल - 63 By Swati

63 शहर   अब नंदन और निहाल ने एक दूसरे को देखा तो नंदन बोल पड़ा, “बस इसकी कमी थीं!!” नन्हें ने भी हाँ में सिर हिला दिया। तभी सर ने पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” उसने ज़वाब दिया, “राजव...

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नागिन और रहस्यमयि दुनिया - 11 By Neha Hudda

सब कुछ पता होने के बावजूद मोहनलाल चिंतित थे, क्योंकि पत्र पढ़ने से पहले उन्होंने वह किताब पढ़ी थी जो नागराज ने उन्हें दी थी। उस किताब के अंदर इच्छाधारी नागों के बहुत से रहस्य भी लि...

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युवा किंतु मजबूर - पार्ट 4 By Lalit Kishor Aka Shitiz

दो महीने बीत चुके थे राकेश अब फिर से बेरोजगार हो चुका था। सब्जी के व्यापार में घाटा लगने की वजह से उसने दुबारा धंधे का नहीं सोचा। इधर किशोर बनारस में वहाँ के प्रसिद्ध लेखक प्रशांत...

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नागेंद्र - भाग 2 By anita bashal

अवनी अपने माता-पिता के साथ उसे रहस्यमई जंगल में एक नाग मंदिर के सामने बैठी हुई थी जहां पर उसकी शादी एक सांप के साथ होने वाली थी। वक्त पर वह साफ तो नहीं आया था लेकिन एक दूसरा किंग क...

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किरन - 2 By Veena

उसके दिन गुजर रहे थे। सफेद रंग का टी-शर्ट और नीली जीन्स उसके पसंदीदा कपड़े। उलझे हुए बालों में बंधीं पोनी टेल उसे जंचती है। ऐसा उसके भाई और होने वाले पति, राज का मानना था। साधारण क...

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Resident Night - 11.59 By Harsh Pal

प्रस्तावना अंतरा इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ। मालदा, पश्चिम बंगाल। 17 जून1998। उस रात फिज़ा की कैफियत कुछ अजीब ही थी। मूसलाधार बारिश ने आमों का शहर कहे जाने वाले मालदा की सड़कों को रा...

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लालच कहूँ या लाचारी By Shweta pandey

लघु कथासुबह के 10 बजे थे, सबके ऑफिस और कॉलेज जाने का वक्त था ये , मैं रोज की तरह ही बस का इंतेज़ार कर रही थी कॉलेज जाने के लिए , की तभी मेरी ध्यान एकाएक सामने लगी भीड़ पर जाती है,मुझ...

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प्यार बेशुमार - भाग 7 By Aarushi Thakur

"काव्या....," ममता जी ने काव्या को चुप करवाते हुए कहा ।सोनिया ने कहा, "वैसे इसे देख कर लग नहीं रहा की ये तुम्हारी फ्रेंड है । आई मीन लुक at हर कैसे बहन जी टाइप कपड़े पहने है ।"अब आग...

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बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 13 By Dev Srivastava Divyam

   रात का समय,  नेशनल हाईवे,   सिद्धांत ने अपने सिर पर हाथ रख कर कहा, " ओ भाई साहब, हो गया बंटाधार ! "   निशा ने कहा, " कुछ कहा तुमने ! "   सिद्धांत ने कहा, " नहीं, नहीं, मैम ! कृप...

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मैं तो ओढ चुनरिया - 62 By Sneh Goswami

  मैं तो ओढ चुनरिया    62   पूरी रात मैं आज के घटनाक्रम पर विचार करती रही । बिना किसी कसूर के मिली गालियां । फिर घड़ी मिल जाने पर खुशी । हमारे घर तो छोटी से छोटी चीज भी किसी के लिए...

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रावी की लहरें - भाग 24 By Sureshbabu Mishra

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स्वयंवधू - 21 By Sayant

मैं भी हमारे आगंतुक से मिलने गयी, ऊपर छत में।"तो क्या हम बात कर सकते है?",वहाँ भैय्या, आर्य खुराना, शिवम, दी और दिव्या भी वहाँ थे।वो आदमी ने कहा, "वृषा बाबा को उनकी माँ ने उन्हें ट...

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नक़ल या अक्ल - 63 By Swati

63 शहर   अब नंदन और निहाल ने एक दूसरे को देखा तो नंदन बोल पड़ा, “बस इसकी कमी थीं!!” नन्हें ने भी हाँ में सिर हिला दिया। तभी सर ने पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” उसने ज़वाब दिया, “राजव...

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नागिन और रहस्यमयि दुनिया - 11 By Neha Hudda

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युवा किंतु मजबूर - पार्ट 4 By Lalit Kishor Aka Shitiz

दो महीने बीत चुके थे राकेश अब फिर से बेरोजगार हो चुका था। सब्जी के व्यापार में घाटा लगने की वजह से उसने दुबारा धंधे का नहीं सोचा। इधर किशोर बनारस में वहाँ के प्रसिद्ध लेखक प्रशांत...

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