hindi Best Classic Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Classic Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • सौगन्ध--भाग(१३)

    जब चंचला देवव्रत के गले लगी तो ये देवव्रत को अच्छा ना लगा और उसने अन्ततः चंचला स...

  • होमो सेपियन्स

    होमो सेपियन्स , पहला आधुनिक मानव, 200,000 और 300,000 साल पहले के बीच अपने शुरुआत...

  • दादा जी

    एक ज़माने पहले जब हम स्कूल में पढ़ते थे, तो बच्चों को गर्मी की छुट्टियों का इंतजार...

सौगन्ध--भाग(१३) By Saroj Verma

जब चंचला देवव्रत के गले लगी तो ये देवव्रत को अच्छा ना लगा और उसने अन्ततः चंचला से कह ही दिया.... कौन हैं आप?एवं ऐसा व्यवहार क्यों रहीं हैं? ओह...पिताश्री!ऐसा प्रतीत होता है आप उस द...

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आलू के परोंठे By Yogesh Kanava

मेरे हाथ आटे में सने थे, डोर बैल बार बार बज रही थी । मैने फंकी (हां मेरी बड़ी बेटी) को आवाज़ लगाई और दरवाज़े पर देखने के लिए कहा । वो अपने म्यूजिक में मस्त थी और उसे म्यूजिक सुनते समय...

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कंकड़ कंकड़ शंकर By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आशीष इंग्लिश, संस्कृत हिन्दी में स्नातकोत्तर कर चुका था और मैथ से स्नाकोत्तर की तैयारी में जुटा था उंसे माँ बाप परिवार को छोड़े सत्रह वर्ष हो चुके थे वह कभी कभी एकांत में रहता तो मा...

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होमो सेपियन्स By Gurpreet Singh HR02

होमो सेपियन्स , पहला आधुनिक मानव, 200,000 और 300,000 साल पहले के बीच अपने शुरुआती होमिनिड पूर्ववर्तियों से विकसित हुआ। उन्होंने लगभग 50,000 साल पहले भाषा के लिए क्षमता विकसित की थी...

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दादा जी By Ashok Kaushik

एक ज़माने पहले जब हम स्कूल में पढ़ते थे, तो बच्चों को गर्मी की छुट्टियों का इंतजार उसी वक्त से शुरू हो जाता था जब मार्च में वार्षिक परीक्षा चल रही होती थी | उन दिनों में गर्मी की छुट...

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भगवान परशुराम जी By Gurpreet Singh HR02

महर्षि ऋचीक ने महर्षि अगत्स्य के अनुरोध पर जमदग्नि को महर्षि अगत्स्य के साथ दक्षिण में कोंकण प्रदेश मे धर्म प्रचार का कार्य करने लगे। कोंकण प्रदेश का राजा जमदग्नि की विद्वता पर इतन...

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एक निज़ाम की सच्ची कहानी (निज़ाम शाह की कहानी) By Saroj Verma

मैं अमीर नहीं हूँ। बहुत कुछ समझदार भी नहीं हूँ। पर मैं परले दरजे का माँसाहारी हूँ। मैं रोज़ जंगल को जाता हूँ और एक-आध हिरन को मार लाता हूँ। यही मेरा रोज़मर्रा का काम है। मेरे घर मे...

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अंधे बाबा अब्दुल्ला की कहानी By Ravinder Sharma

बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैं...

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अंधेरा बंगला - 9 By Mansi

Chep 9 अब तक आपने देखा कि गुड़िया ने कहा कि अंधेरे बंगले के अंदर उसी की उम्र की एक बच्ची ने उसके साथ खूब खेला अभी आगे की कहानी देखते है। सब लोग गुड़िया की तरफ देखने लगते है तब ही म...

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छोटी जो बड़ी वो By Smile Smile

छोटी जो बड़ी वो रिनछिन के पेंसिल बॉक्स में रबर, शार्पनर और पेंसिल थींं। रिनछिन ने दो और नई पेंसिलें खरीदीं। नई पेंसिलों को भी उसने बॉक्स में रख दिया। एक नई पेंसिल बोली, “मैं लाली हू...

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नारियल के जन्म की कहानी By Sagar Sonawane

प्राचीन काल में सत्यव्रत नाम के एक राजा राज करते थे। वह प्रतिदिन पूजा-पाठ किया करते थे। उनके पास किसी भी चीज की कमी नहीं थी। वह धन दौलत से लेकर हर प्रकार की सुविधा से समृद्ध थे। हा...

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला की कहानी By Smile Smile

दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती ह...

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प्रतिभोज By ANKIT YADAV

गांव का नाम बताने की जरूरत नही। भारत के सभी गांवो का लगभग यही हाल है।शादी का मंच सजा है। दुल्हा-दुल्हन के लिए सोफे लगे हैं। मेहमानों के लिए सामने ही कुर्सियां लगी है। और वही ढोल नग...

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खोए हुए दृश्य By ANKIT YADAV

देखो तो इन हरामजादों को, कैसे हाथ में हाथ मिलाए घूमे जा रहे हैं। ना मां-बाप का डर है ना समाज का। शाम हुई नहीं कि यह दृश्य देखते रहते है। इन भालमानस को कौन समझाए अब कि पढ़ाई कितनी ज...

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स्वतंत्रता से गणतंत्रता तक का सफर By Anant Dhish Aman

"स्वतंत्रता से गणतंत्रता तक का सफर"भारत जो एक लंबे समय तक पराधीनता के भाव और स्वभाव में जो जकङीत रह चूका था उसके लिए यह सफर तय कर पाना आसान नहीं था या यूँ कहे एक गुलामी के दर्द को...

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सच्ची दोस्ती By Miss Chhoti

दोस्ती हमारे जीवन का एक बहुत ही खास रिश्ता होता है। जन्म होते ही हमारे साथ कई रिश्ते जुड़ जाते है। पर दोस्ती का रिश्ता हम खुद ही बनाते है और दिल से निभाता है।जीत और राज एक दुसरे के...

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एकाकी By Annapurna Bajpai

एकाकी कौशल्या जी को गुजरे अभी दस दिन भी न हुए थे कि उनके तीनों बच्चों मे उनकी चीजों को लेकर झगड़ा आरंभ हो गया। जैसा कि अधिकतर घरों मे होता है कि घर के स्वामी या स्वामिनी का महाप्रया...

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बिल्ला नंबर 64 By Ramesh Yadav

       कहानी                बिल्ला नंबर – 64 ------------------------------------------------ शनिवार की वह रात… सारे काम निपटाकर कम्प्यूटर खोला और फेसबुक देखने लगा। पत्रकार मित्र,...

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संयोग (अन्तिम भाग) By SWARNIM स्वर्णिम

"क्या आप कृपया मुझे बताएंगे कि मामला क्या है?" "मेरा मासिक धर्म फिर बंद हो गया है। 3 महीने हो गए हैं। मुझे कल अस्पताल जाना है। मुझे बहुत डर लग रहा है। अगर मुझे इस बार भी पहले की तर...

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जीवन की डोर By दिनू

जीवन की डोर ( स्त्री का प्यार सबके नसीब में नहीं होता ) स्त्री का प्यार सबके नसीब में नही होता, वो जीवन में सिर्फ़ एक ही मर्द से , दिल से प्यार कर पाती हैं , वो मर्द उसका प्रेमी हो...

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दगाबाज By दिनू

बाजार में एक चिड़ीमार तीतर बेच रहा था...उसके पास एक बडी जालीदार टोकरी में बहुत सारे तीतर थे.. !और एक छोटी जालीदार टोकरी में सिर्फ एक ही तीतर था..!एक ग्राहक ने पूछा एक तीतर कितने का...

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मौत का मुनाफा By Sital Kaur

" आप इनको घर ले जाइए देखिये हम इनको ऐसे अस्पताल में नहीं रख सकते आप बात को समझिए "डॉक्टर ने सुरेश को समझाते हुए कहा ।सुरेश कि माँ बहुत बीमार थी ,यहाँ उनकी जाँच के लिए उनको लाया गया...

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बस अब और नहीं By Sital Kaur

"प्रीति क्या कर रही हो"? मैंने अपनी बेटी से पूछा। "कलर कर रही हूं मम्मा " "होमवर्क हो गया बेटा " " हां मम्मा ""मम्मा आज फिर मेरे दोस्त मुझसे पूछ रहे थे की तेरे पापा कब आएँगे कब हमे...

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व्हेल वॉच By Prabodh Kumar Govil

मैंने पिछले चार महीने से कोई छुट्टी नहीं ली थी। इसलिए एक अजीब सी थकान शरीर पर चस्पां थी। ठीक वैसे ही, जैसे लंबे समय तक आप बस में बैठे रहें तो उतरने के बाद भी बस की गति का भ्रम आपके...

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धर्मी कर्मी By Rohit Kumar Singh

सूरज बाबू घबरा के उठ बैठे,उन्हें भूख भी लग रही थी,और कुछ अजीब सी महक भी आ रही थी,जो उन्हें बरदाश्त नहीं हो रहा था।उनके शरीर से पसीना छूट रहा था,क्योंकि अजीब सा चिपचिपा पदार्थ उन्हे...

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प्यार का दाग - 6 (अन्तिम भाग) By SWARNIM स्वर्णिम

बोतलबंद पानी लेने और रसोई का दरवाजा बंद करने के बाद, मैं उस कमरे में लौट आयी जहाँ वह था। वह फोन पर बात कर रहा था। मैं दूसरे बिस्तर पर गयी और बैठ गयी। जो उस बिस्तर के ठीक सामने था ज...

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नो ड्यूज़ By Prabodh Kumar Govil

देखो ये अनार कितना सुंदर है? कितना लाल, कितना सुनहरा... खिला- खिला। डाइनिंग टेबल पर नाश्ता करते हुए प्रज्ञा ने अनार को हाथ में लेकर फिरकी की तरह घुमाते हुए कहा। - इसे रख लो, कल काम...

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सौगन्ध--भाग(१३) By Saroj Verma

जब चंचला देवव्रत के गले लगी तो ये देवव्रत को अच्छा ना लगा और उसने अन्ततः चंचला से कह ही दिया.... कौन हैं आप?एवं ऐसा व्यवहार क्यों रहीं हैं? ओह...पिताश्री!ऐसा प्रतीत होता है आप उस द...

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आलू के परोंठे By Yogesh Kanava

मेरे हाथ आटे में सने थे, डोर बैल बार बार बज रही थी । मैने फंकी (हां मेरी बड़ी बेटी) को आवाज़ लगाई और दरवाज़े पर देखने के लिए कहा । वो अपने म्यूजिक में मस्त थी और उसे म्यूजिक सुनते समय...

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कंकड़ कंकड़ शंकर By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आशीष इंग्लिश, संस्कृत हिन्दी में स्नातकोत्तर कर चुका था और मैथ से स्नाकोत्तर की तैयारी में जुटा था उंसे माँ बाप परिवार को छोड़े सत्रह वर्ष हो चुके थे वह कभी कभी एकांत में रहता तो मा...

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होमो सेपियन्स By Gurpreet Singh HR02

होमो सेपियन्स , पहला आधुनिक मानव, 200,000 और 300,000 साल पहले के बीच अपने शुरुआती होमिनिड पूर्ववर्तियों से विकसित हुआ। उन्होंने लगभग 50,000 साल पहले भाषा के लिए क्षमता विकसित की थी...

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दादा जी By Ashok Kaushik

एक ज़माने पहले जब हम स्कूल में पढ़ते थे, तो बच्चों को गर्मी की छुट्टियों का इंतजार उसी वक्त से शुरू हो जाता था जब मार्च में वार्षिक परीक्षा चल रही होती थी | उन दिनों में गर्मी की छुट...

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भगवान परशुराम जी By Gurpreet Singh HR02

महर्षि ऋचीक ने महर्षि अगत्स्य के अनुरोध पर जमदग्नि को महर्षि अगत्स्य के साथ दक्षिण में कोंकण प्रदेश मे धर्म प्रचार का कार्य करने लगे। कोंकण प्रदेश का राजा जमदग्नि की विद्वता पर इतन...

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एक निज़ाम की सच्ची कहानी (निज़ाम शाह की कहानी) By Saroj Verma

मैं अमीर नहीं हूँ। बहुत कुछ समझदार भी नहीं हूँ। पर मैं परले दरजे का माँसाहारी हूँ। मैं रोज़ जंगल को जाता हूँ और एक-आध हिरन को मार लाता हूँ। यही मेरा रोज़मर्रा का काम है। मेरे घर मे...

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अंधे बाबा अब्दुल्ला की कहानी By Ravinder Sharma

बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैं...

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अंधेरा बंगला - 9 By Mansi

Chep 9 अब तक आपने देखा कि गुड़िया ने कहा कि अंधेरे बंगले के अंदर उसी की उम्र की एक बच्ची ने उसके साथ खूब खेला अभी आगे की कहानी देखते है। सब लोग गुड़िया की तरफ देखने लगते है तब ही म...

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छोटी जो बड़ी वो By Smile Smile

छोटी जो बड़ी वो रिनछिन के पेंसिल बॉक्स में रबर, शार्पनर और पेंसिल थींं। रिनछिन ने दो और नई पेंसिलें खरीदीं। नई पेंसिलों को भी उसने बॉक्स में रख दिया। एक नई पेंसिल बोली, “मैं लाली हू...

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नारियल के जन्म की कहानी By Sagar Sonawane

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला की कहानी By Smile Smile

दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती ह...

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गांव का नाम बताने की जरूरत नही। भारत के सभी गांवो का लगभग यही हाल है।शादी का मंच सजा है। दुल्हा-दुल्हन के लिए सोफे लगे हैं। मेहमानों के लिए सामने ही कुर्सियां लगी है। और वही ढोल नग...

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खोए हुए दृश्य By ANKIT YADAV

देखो तो इन हरामजादों को, कैसे हाथ में हाथ मिलाए घूमे जा रहे हैं। ना मां-बाप का डर है ना समाज का। शाम हुई नहीं कि यह दृश्य देखते रहते है। इन भालमानस को कौन समझाए अब कि पढ़ाई कितनी ज...

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स्वतंत्रता से गणतंत्रता तक का सफर By Anant Dhish Aman

"स्वतंत्रता से गणतंत्रता तक का सफर"भारत जो एक लंबे समय तक पराधीनता के भाव और स्वभाव में जो जकङीत रह चूका था उसके लिए यह सफर तय कर पाना आसान नहीं था या यूँ कहे एक गुलामी के दर्द को...

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सच्ची दोस्ती By Miss Chhoti

दोस्ती हमारे जीवन का एक बहुत ही खास रिश्ता होता है। जन्म होते ही हमारे साथ कई रिश्ते जुड़ जाते है। पर दोस्ती का रिश्ता हम खुद ही बनाते है और दिल से निभाता है।जीत और राज एक दुसरे के...

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एकाकी By Annapurna Bajpai

एकाकी कौशल्या जी को गुजरे अभी दस दिन भी न हुए थे कि उनके तीनों बच्चों मे उनकी चीजों को लेकर झगड़ा आरंभ हो गया। जैसा कि अधिकतर घरों मे होता है कि घर के स्वामी या स्वामिनी का महाप्रया...

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बिल्ला नंबर 64 By Ramesh Yadav

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जीवन की डोर By दिनू

जीवन की डोर ( स्त्री का प्यार सबके नसीब में नहीं होता ) स्त्री का प्यार सबके नसीब में नही होता, वो जीवन में सिर्फ़ एक ही मर्द से , दिल से प्यार कर पाती हैं , वो मर्द उसका प्रेमी हो...

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दगाबाज By दिनू

बाजार में एक चिड़ीमार तीतर बेच रहा था...उसके पास एक बडी जालीदार टोकरी में बहुत सारे तीतर थे.. !और एक छोटी जालीदार टोकरी में सिर्फ एक ही तीतर था..!एक ग्राहक ने पूछा एक तीतर कितने का...

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मौत का मुनाफा By Sital Kaur

" आप इनको घर ले जाइए देखिये हम इनको ऐसे अस्पताल में नहीं रख सकते आप बात को समझिए "डॉक्टर ने सुरेश को समझाते हुए कहा ।सुरेश कि माँ बहुत बीमार थी ,यहाँ उनकी जाँच के लिए उनको लाया गया...

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बस अब और नहीं By Sital Kaur

"प्रीति क्या कर रही हो"? मैंने अपनी बेटी से पूछा। "कलर कर रही हूं मम्मा " "होमवर्क हो गया बेटा " " हां मम्मा ""मम्मा आज फिर मेरे दोस्त मुझसे पूछ रहे थे की तेरे पापा कब आएँगे कब हमे...

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व्हेल वॉच By Prabodh Kumar Govil

मैंने पिछले चार महीने से कोई छुट्टी नहीं ली थी। इसलिए एक अजीब सी थकान शरीर पर चस्पां थी। ठीक वैसे ही, जैसे लंबे समय तक आप बस में बैठे रहें तो उतरने के बाद भी बस की गति का भ्रम आपके...

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धर्मी कर्मी By Rohit Kumar Singh

सूरज बाबू घबरा के उठ बैठे,उन्हें भूख भी लग रही थी,और कुछ अजीब सी महक भी आ रही थी,जो उन्हें बरदाश्त नहीं हो रहा था।उनके शरीर से पसीना छूट रहा था,क्योंकि अजीब सा चिपचिपा पदार्थ उन्हे...

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प्यार का दाग - 6 (अन्तिम भाग) By SWARNIM स्वर्णिम

बोतलबंद पानी लेने और रसोई का दरवाजा बंद करने के बाद, मैं उस कमरे में लौट आयी जहाँ वह था। वह फोन पर बात कर रहा था। मैं दूसरे बिस्तर पर गयी और बैठ गयी। जो उस बिस्तर के ठीक सामने था ज...

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नो ड्यूज़ By Prabodh Kumar Govil

देखो ये अनार कितना सुंदर है? कितना लाल, कितना सुनहरा... खिला- खिला। डाइनिंग टेबल पर नाश्ता करते हुए प्रज्ञा ने अनार को हाथ में लेकर फिरकी की तरह घुमाते हुए कहा। - इसे रख लो, कल काम...

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