hindi Best Classic Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Classic Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


Languages
Categories
Featured Books
  • ममता की छाँव - 3

    मौली अपनी माँ को खो चुकी थी। हालांकि उसका इसपर विस्वास कर पाना मुश्किल था, क्यों...

  • मौत की छलांग

    टोनी ने जब से दुनिया देखनी शुरु की थी,उसने खुद को मीना बाज़ार मे ही पाया था,उसकी...

  • उस एक सुबह के बाद

    रमा सारे काम निपटा कर बैठी ही थी कि मोबाइल बज उठा..स्क्रीन पर विटिया दीपाली का न...

अग्नि परीक्षा By Rekha Pancholi

जय श्री राम !जय श्री राम !का उद्घोष, सिंधु की उत्तंग लहरों से टकराकर स्वर्ण नगरी में फैल गया । यह संदेश था, जो सांझ के धुंधलके में इस सन्नाटे भरी नगरी में दबे पांव पसारने लगा था,...

Read Free

सलोनी का फोन By राजेश ओझा

आज होली के त्योहार में जहां सब मगन थे वहीं महंगू का चित्त खोया खोया था..महंगू की दुलहिन अंदाजा लगा तो रहीं थीं पर एक अन्जाने भय से कांप जातीं..घर में उल्लास का माहौल था..दोपहर के ए...

Read Free

First - एक अनोखा रक्षाबंधन By Vishal

कहानी शुरू होता है छोटे से बच्चे से जिसकी उम्र लगभग 7-8 साल का है,और वो घर में अकेले टीवी पर कार्टून देख रहा है और वो अपनी दुनिया में मस्ती है। करीब 10से 15 मिनट के बाद उसका भाई आ...

Read Free

इच्छापूर्ति By Monty Khandelwal

एक शहर था जहां पर बहुत ही अमीर व्यक्ति रहता था जिसके पास खूब सारी गाड़ियां बंगले और कई फैक्ट्रिया थी हर तरह से वह धनवान था ना किसी चीज की कमी ना किसी चीज का घमंड था और वह हमेशा आम...

Read Free

एक लड़की भीगी भागी सी... By Swati Solanki Shahiba

मुंबई की बारिश। यार इस बारिश में तो यहां मुंबई में रहना मुश्किल कर दिया। ओह नो !!तुझे भी अभी टूटना था अपनी चप्पल की ओर देखते हुए ,अफसोस करती हुई पूजा ने कहा। एक कंधे पर बैग और दूसर...

Read Free

ममता की छाँव - 3 By Sarita Sharma

मौली अपनी माँ को खो चुकी थी। हालांकि उसका इसपर विस्वास कर पाना मुश्किल था, क्योंकि अभी कल की ही तो बात थी, जब वह मां के मना करने पर भी स्कूल जाने की ज़िद लिए बैठी थी । कितने प्यार स...

Read Free

मौत की छलांग By Rohit Kumar Singh

टोनी ने जब से दुनिया देखनी शुरु की थी,उसने खुद को मीना बाज़ार मे ही पाया था,उसकी आंखे उस माहौल मे खुली थी,जहाँ की राते रंगीन और दिन की दुनिया ब्लैक एन्ड व्हाइट थी।वो जब नन्हा सा था,...

Read Free

उस एक सुबह के बाद By राजेश ओझा

रमा सारे काम निपटा कर बैठी ही थी कि मोबाइल बज उठा..स्क्रीन पर विटिया दीपाली का नम्बर चमक रहा था..हौले से फोन उठाया"हां बेटा..! हलो..""मम्मी अखिलेश अंकल को कल तक रोंकना, मैं कल आ रह...

Read Free

ऑनलाइन क्लास की टेंशन By r k lal

ऑनलाइन क्लास की टेंशन आर ० के ० लाल अनु और मौली दो सगी बहने लखनऊ के दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ती हैं। अनु कक्षा तीन में तथा मौली कक्षा छ: में हैं । लॉकडाउन...

Read Free

वह सब जो मैंने कहा By VIRENDER VEER MEHTA

आज 'लोकल' में भीड़ नहीं थी। ऐसा कम ही होता है, मेरे आस पास भी केवल तीन लोग ही थे। एक सामने की सीट पर और दो साइड विंडो सीट पर। ट्रेन दो स्टेशन पार कर चुक...

Read Free

मबोहरा By राजेश ओझा

मनोहरा ----------------"दादी..! दादी..! मनोहरा बुआ आयी हैं और वह भी कार से..करिया बाबा के नीम के छांह में बैठी हैं "ज्योति दौड़ते हुये अपनी दादी सुखवन्ती को बताने आयी थी.."कौन मनो...

Read Free

वेशभूषा By राज कुमार कांदु

किशन बेहद गरीब युवक था । धन संपत्ति के नाम पर उसके पास थोड़ी सी उपजाऊ जमीन और एक गाय थी । खेती किसानी में मन नहीं लगता था । अपनी ही परती पड़ी जमीन में गाय को चरने के लिए छोड़कर वह बा...

Read Free

एडल्ट के लिए सीख By r k lal

एडल्ट के लिए सीख आर 0 के 0 लाल चारों दोस्त रमन, सुंदर, भूपत और रामबाबू एक बड़े होटल में डिनर पर बहुत दिनों के बाद आज एक साथ मिले थे । वे खाने की टेबल पर स्टार्...

Read Free

हमदर्दी By राज कुमार कांदु

सूखे की मार झेल रहे किशन ने गाँव से पलायन कर शहर में अपना डेरा जमा लिया । शहर में पहले से ही रह रहे उसी की गाँव के गोपाल ने उसे किराए का एक कमरा दिलवा दिया । अपने दो बेटों सोनू और...

Read Free

एहसासों के साये में By rajendra shrivastava

-कहानी एहसासों के साये में -राजेन्द्र कुमार श्रीवास्‍तव, ‘’हैल्‍लो!....कौन?.....कौन बोल......किससे बात करनी है?...

Read Free

बाली का बेटा (21) By राज बोहरे

21 बाली का बेटा बाल उपन्यास...

Read Free

ढिंकचिका - ढिंकचिका By HARIYASH RAI

ढिंकचिका - ढिंकचिका वर्ली की आलीशान इमारत दरवाजे पर कॉल बैल बजा कर अनिमेष थोड़ी देर हतप्रभ से खड़़े रहे. उन्हें अंदाजा था कि दरवाजा या तो उनका नौकर खोलेगा या उनकी पत्नी मनीषा....

Read Free

एटिकेट्स By Prabodh Kumar Govil

किसी की समझ में नहीं आया कि आख़िर हुआ क्या? आवाज़ें सुन कर झांकने सब चले आए। करण गुस्से से तमतमाया हुआ खड़ा था। उसने आंगन में खड़ी सायकिल को पहले ज़ोर से लात मारी फ़िर उसे हैंडल स...

Read Free

पागल-ए-इश्क़ (पार्ट -3) By Deepak Bundela AryMoulik

डूब कर तेरी तन्हाइयों में मुझें मर जानें दो.. !तिरे इश्क़ में जो मुझें सवर जानें दो.. !!रेनू शून्य थी पर मन में कई सबाल उठ रहें थे और वही रोहन मौन था.. तो वहां दयाल जी निशब्द थे.....

Read Free

आनंद By HARIYASH RAI

कहानी आनंद पहाडि़यों के पीछे सुबह का सूरज झांकने लगा था. हवा में कुछ ज्यादा ही ठंडक थी. यात्रा के सीजन को शुरू हुए अभी दो दिन ही हुए थे कि यात्री आने शुरू हो गए थे. यात्रा के ती...

Read Free

देवास की वीरा By Dr Jaya Anand

देवास की वीराप्रकृति और मन दोनों एकाकार हो रहे थे ,बाहर बादलों का गर्जन और मन के भीतर असहनीय पीड़ा का नर्तन ...देवास की महारानी वीरा की आँखे पथरा गई थीं ,अश्रु आंखों में जम से गए थे...

Read Free

उलझने से सुलझने तक By Sandeep Tomar

“उलझने से सुलझने तक” / कहानी / सन्दीप तोमर स्टेला जिन्दगी के थपेड़े झेलते हुए एक बार फिर दिल्ली आ गयी, रोहन का ठीक से कहीं भी सेटल न हो पाना उसके लिए बड़ी सिरदर्दी थी। वह छोटी-...

Read Free

भंवर में By HARIYASH RAI

कहानी भँवर में ..... हरियश राय चाहता तो वह गूगल के जनक सरगै ब्रिन की तरह बनना जिसकी वजह से गूगल दुनिया भर में मशहूर हो गया और जिसकी वजह से क्लास का हर बच्चा ‘’ गूगल करो’’ या...

Read Free

जैकगोवर्धन और शेखन एलिज़ाबेथ By Prabodh Kumar Govil

मैं बरामदे में बैठा हुआ अख़बार पढ़ रहा था कि मेरी आठ वर्षीया बेटी दौड़ी दौड़ी आई और बोली- पापा पापा, आप कहते थे न कि सवेरे सवेरे देखा हुआ सपना सच होता है? तो आज मैंने बिल्कुल सुबह...

Read Free

अटूट बंधन By अनिल कुमार निश्छल

रवि और कुसुम की शादी हुए अभी कुछ ही साल बीते थे।सभी लोग खुशी-खुशी रह रहे थे;लेकिन एक दिन एक दर्द विदारक घटना घटी।कुसुम अपनी सास से झगड़ा कर बैठी और अपने पति,रवि से झल्लाकर बोली,"या...

Read Free

अन्‍न जल By HARIYASH RAI

अन्न-जल यदि भयानक तूफान से ऐसा होता, तो भी हरि सिंह चौधरी संतोष कर लेते, यदि भूकंप में उनके खेतों की जमीन धंस जाती, तब भी वे उफ़ तक न करते और खुदा का खौफ मानकर सब्र कर लेते, यदि...

Read Free

अखिलेश्वर बाबू By Prabodh Kumar Govil

वह सुनसान और उजड़ा हुआ सा इलाका था। करीब से करीब का गांव भी वहां से तीन चार किलोमीटर दूर था। रास्ता,सड़क कहीं कुछ नहीं, झाड़ झंकाड़, धूल धक्कड़, तीखी और तल्ख़ धूप, सीधे सूरज की। छा...

Read Free

हड़पने की नियत By r k lal

हड़पने की नियतआर ० के ० लाल मिलन अपनी मस्ती मे चला जा रहा था तभी अपने फुलवारी में खटिया पर बैठे हुए अजोध्या काका ने उसे आवाज़ दी, जहाँ उन्होंने बहुत सारी हरी सब्जियाँ लगा...

Read Free

एक अधूरी शाम - 1 By Anant Dhish Aman

दिन ढलने के कगार पर थी और रात चढने की खुमार पर थी हवा गर्म से नर्म हो रही थी मौसम भी धीरे-धीरे लजीज हो रही थी टहलने का मन हुआ तो निकल पड़े लुफ्त उठाने मौसम का ।। घर से कदम बाहर निकल...

Read Free

किस मुकाम तक By HARIYASH RAI

किस मुकाम तक हरियश राय “मैं बैठ सकता हूं यहां ।’ उन्होंने सकुचाते हुए मुझसे पूछा । लंबा कद । सिर पर गोल टोपी । बेतरतीब ढंग से बढ़ी हुई दाढ़ी । लंबा सफेद कुर्ता, कुर्ते के ऊपर नेहर...

Read Free

उत्तराधिकर्मी By Prabodh Kumar Govil

"उत्तराधिकर्मी" (कहानी) - प्रबोध कुमार गोविल आज खाना फ़िर नहीं बना। दोनों अलग - अलग कमरे में हाथ की कोहनी से माथा ढके सरेशाम सोते रहे। सोना तो क्या था, स्थितियों के प्रति अ...

Read Free

कब मिलेगा आवास By जगदीप सिंह मान दीप

पग-पग पर पीड़ा उठाते हुए घर पहुंँचने का बीड़ा उठाया है।अपने घरों की ओर चलने के लिए तैयार हैं। अपनी मंजिल को ध्यान में रखते हुए अथक अविश्रांत आगे बढ़ते जा रहे हैं। एक ही मंजिल है एक...

Read Free

मुंबई से घर वापसी By r k lal

मुंबई से घर वापसी आर ० के ० लाल सरजू ने शाम को ही सबको सूचित कर दिया था कि सुबह ठीक तीन बजे सभी को निकलना है। मुंबई के जुहू इलाके की गलियों में रहने वाले कई...

Read Free

इश्क़ 92 दा वार - 7 By Deepak Bundela AryMoulik

दोस्तों इस कहानी को आगे बढ़ाने में मैं थोड़ा पीछे हों गया था क्योंकि कोरोना महामारी के चलते थोड़ा ज़िम्मेदारियां बढ़ गयी थी.. जैसाकि मैं न्यूज़ चेनल में पदस्थ हूं लॉक डाउन के दौरान रात द...

Read Free

कानून का जाल By राज कुमार कांदु

शहर में आये दिन युवा लड़कियों के अपहरण और उनके साथ हैवानियत की खबरें आती रहती थी । कुछ दिनों की सुर्खियों के बाद अपराधियों की दबंगई के चलते पीड़ित लड़कियां अपना बयान वापस ले लेतीं...

Read Free

नारायणपुर की लक्ष्मी By Mukesh nagar

बड़ा सा राज्य था वह। राजा भी बड़ा प्रतापी था उसका। बुद्धिमान और प्रजापालक। सदा सच्चे हृदय से प्रजा की भलाई में लगा रहता। उसने सोचा...बाकी तो सब ठीक है, बस दूर-दराज के गाँवों का विकास...

Read Free

अग्नि परीक्षा By Rekha Pancholi

जय श्री राम !जय श्री राम !का उद्घोष, सिंधु की उत्तंग लहरों से टकराकर स्वर्ण नगरी में फैल गया । यह संदेश था, जो सांझ के धुंधलके में इस सन्नाटे भरी नगरी में दबे पांव पसारने लगा था,...

Read Free

सलोनी का फोन By राजेश ओझा

आज होली के त्योहार में जहां सब मगन थे वहीं महंगू का चित्त खोया खोया था..महंगू की दुलहिन अंदाजा लगा तो रहीं थीं पर एक अन्जाने भय से कांप जातीं..घर में उल्लास का माहौल था..दोपहर के ए...

Read Free

First - एक अनोखा रक्षाबंधन By Vishal

कहानी शुरू होता है छोटे से बच्चे से जिसकी उम्र लगभग 7-8 साल का है,और वो घर में अकेले टीवी पर कार्टून देख रहा है और वो अपनी दुनिया में मस्ती है। करीब 10से 15 मिनट के बाद उसका भाई आ...

Read Free

इच्छापूर्ति By Monty Khandelwal

एक शहर था जहां पर बहुत ही अमीर व्यक्ति रहता था जिसके पास खूब सारी गाड़ियां बंगले और कई फैक्ट्रिया थी हर तरह से वह धनवान था ना किसी चीज की कमी ना किसी चीज का घमंड था और वह हमेशा आम...

Read Free

एक लड़की भीगी भागी सी... By Swati Solanki Shahiba

मुंबई की बारिश। यार इस बारिश में तो यहां मुंबई में रहना मुश्किल कर दिया। ओह नो !!तुझे भी अभी टूटना था अपनी चप्पल की ओर देखते हुए ,अफसोस करती हुई पूजा ने कहा। एक कंधे पर बैग और दूसर...

Read Free

ममता की छाँव - 3 By Sarita Sharma

मौली अपनी माँ को खो चुकी थी। हालांकि उसका इसपर विस्वास कर पाना मुश्किल था, क्योंकि अभी कल की ही तो बात थी, जब वह मां के मना करने पर भी स्कूल जाने की ज़िद लिए बैठी थी । कितने प्यार स...

Read Free

मौत की छलांग By Rohit Kumar Singh

टोनी ने जब से दुनिया देखनी शुरु की थी,उसने खुद को मीना बाज़ार मे ही पाया था,उसकी आंखे उस माहौल मे खुली थी,जहाँ की राते रंगीन और दिन की दुनिया ब्लैक एन्ड व्हाइट थी।वो जब नन्हा सा था,...

Read Free

उस एक सुबह के बाद By राजेश ओझा

रमा सारे काम निपटा कर बैठी ही थी कि मोबाइल बज उठा..स्क्रीन पर विटिया दीपाली का नम्बर चमक रहा था..हौले से फोन उठाया"हां बेटा..! हलो..""मम्मी अखिलेश अंकल को कल तक रोंकना, मैं कल आ रह...

Read Free

ऑनलाइन क्लास की टेंशन By r k lal

ऑनलाइन क्लास की टेंशन आर ० के ० लाल अनु और मौली दो सगी बहने लखनऊ के दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ती हैं। अनु कक्षा तीन में तथा मौली कक्षा छ: में हैं । लॉकडाउन...

Read Free

वह सब जो मैंने कहा By VIRENDER VEER MEHTA

आज 'लोकल' में भीड़ नहीं थी। ऐसा कम ही होता है, मेरे आस पास भी केवल तीन लोग ही थे। एक सामने की सीट पर और दो साइड विंडो सीट पर। ट्रेन दो स्टेशन पार कर चुक...

Read Free

मबोहरा By राजेश ओझा

मनोहरा ----------------"दादी..! दादी..! मनोहरा बुआ आयी हैं और वह भी कार से..करिया बाबा के नीम के छांह में बैठी हैं "ज्योति दौड़ते हुये अपनी दादी सुखवन्ती को बताने आयी थी.."कौन मनो...

Read Free

वेशभूषा By राज कुमार कांदु

किशन बेहद गरीब युवक था । धन संपत्ति के नाम पर उसके पास थोड़ी सी उपजाऊ जमीन और एक गाय थी । खेती किसानी में मन नहीं लगता था । अपनी ही परती पड़ी जमीन में गाय को चरने के लिए छोड़कर वह बा...

Read Free

एडल्ट के लिए सीख By r k lal

एडल्ट के लिए सीख आर 0 के 0 लाल चारों दोस्त रमन, सुंदर, भूपत और रामबाबू एक बड़े होटल में डिनर पर बहुत दिनों के बाद आज एक साथ मिले थे । वे खाने की टेबल पर स्टार्...

Read Free

हमदर्दी By राज कुमार कांदु

सूखे की मार झेल रहे किशन ने गाँव से पलायन कर शहर में अपना डेरा जमा लिया । शहर में पहले से ही रह रहे उसी की गाँव के गोपाल ने उसे किराए का एक कमरा दिलवा दिया । अपने दो बेटों सोनू और...

Read Free

एहसासों के साये में By rajendra shrivastava

-कहानी एहसासों के साये में -राजेन्द्र कुमार श्रीवास्‍तव, ‘’हैल्‍लो!....कौन?.....कौन बोल......किससे बात करनी है?...

Read Free

बाली का बेटा (21) By राज बोहरे

21 बाली का बेटा बाल उपन्यास...

Read Free

ढिंकचिका - ढिंकचिका By HARIYASH RAI

ढिंकचिका - ढिंकचिका वर्ली की आलीशान इमारत दरवाजे पर कॉल बैल बजा कर अनिमेष थोड़ी देर हतप्रभ से खड़़े रहे. उन्हें अंदाजा था कि दरवाजा या तो उनका नौकर खोलेगा या उनकी पत्नी मनीषा....

Read Free

एटिकेट्स By Prabodh Kumar Govil

किसी की समझ में नहीं आया कि आख़िर हुआ क्या? आवाज़ें सुन कर झांकने सब चले आए। करण गुस्से से तमतमाया हुआ खड़ा था। उसने आंगन में खड़ी सायकिल को पहले ज़ोर से लात मारी फ़िर उसे हैंडल स...

Read Free

पागल-ए-इश्क़ (पार्ट -3) By Deepak Bundela AryMoulik

डूब कर तेरी तन्हाइयों में मुझें मर जानें दो.. !तिरे इश्क़ में जो मुझें सवर जानें दो.. !!रेनू शून्य थी पर मन में कई सबाल उठ रहें थे और वही रोहन मौन था.. तो वहां दयाल जी निशब्द थे.....

Read Free

आनंद By HARIYASH RAI

कहानी आनंद पहाडि़यों के पीछे सुबह का सूरज झांकने लगा था. हवा में कुछ ज्यादा ही ठंडक थी. यात्रा के सीजन को शुरू हुए अभी दो दिन ही हुए थे कि यात्री आने शुरू हो गए थे. यात्रा के ती...

Read Free

देवास की वीरा By Dr Jaya Anand

देवास की वीराप्रकृति और मन दोनों एकाकार हो रहे थे ,बाहर बादलों का गर्जन और मन के भीतर असहनीय पीड़ा का नर्तन ...देवास की महारानी वीरा की आँखे पथरा गई थीं ,अश्रु आंखों में जम से गए थे...

Read Free

उलझने से सुलझने तक By Sandeep Tomar

“उलझने से सुलझने तक” / कहानी / सन्दीप तोमर स्टेला जिन्दगी के थपेड़े झेलते हुए एक बार फिर दिल्ली आ गयी, रोहन का ठीक से कहीं भी सेटल न हो पाना उसके लिए बड़ी सिरदर्दी थी। वह छोटी-...

Read Free

भंवर में By HARIYASH RAI

कहानी भँवर में ..... हरियश राय चाहता तो वह गूगल के जनक सरगै ब्रिन की तरह बनना जिसकी वजह से गूगल दुनिया भर में मशहूर हो गया और जिसकी वजह से क्लास का हर बच्चा ‘’ गूगल करो’’ या...

Read Free

जैकगोवर्धन और शेखन एलिज़ाबेथ By Prabodh Kumar Govil

मैं बरामदे में बैठा हुआ अख़बार पढ़ रहा था कि मेरी आठ वर्षीया बेटी दौड़ी दौड़ी आई और बोली- पापा पापा, आप कहते थे न कि सवेरे सवेरे देखा हुआ सपना सच होता है? तो आज मैंने बिल्कुल सुबह...

Read Free

अटूट बंधन By अनिल कुमार निश्छल

रवि और कुसुम की शादी हुए अभी कुछ ही साल बीते थे।सभी लोग खुशी-खुशी रह रहे थे;लेकिन एक दिन एक दर्द विदारक घटना घटी।कुसुम अपनी सास से झगड़ा कर बैठी और अपने पति,रवि से झल्लाकर बोली,"या...

Read Free

अन्‍न जल By HARIYASH RAI

अन्न-जल यदि भयानक तूफान से ऐसा होता, तो भी हरि सिंह चौधरी संतोष कर लेते, यदि भूकंप में उनके खेतों की जमीन धंस जाती, तब भी वे उफ़ तक न करते और खुदा का खौफ मानकर सब्र कर लेते, यदि...

Read Free

अखिलेश्वर बाबू By Prabodh Kumar Govil

वह सुनसान और उजड़ा हुआ सा इलाका था। करीब से करीब का गांव भी वहां से तीन चार किलोमीटर दूर था। रास्ता,सड़क कहीं कुछ नहीं, झाड़ झंकाड़, धूल धक्कड़, तीखी और तल्ख़ धूप, सीधे सूरज की। छा...

Read Free

हड़पने की नियत By r k lal

हड़पने की नियतआर ० के ० लाल मिलन अपनी मस्ती मे चला जा रहा था तभी अपने फुलवारी में खटिया पर बैठे हुए अजोध्या काका ने उसे आवाज़ दी, जहाँ उन्होंने बहुत सारी हरी सब्जियाँ लगा...

Read Free

एक अधूरी शाम - 1 By Anant Dhish Aman

दिन ढलने के कगार पर थी और रात चढने की खुमार पर थी हवा गर्म से नर्म हो रही थी मौसम भी धीरे-धीरे लजीज हो रही थी टहलने का मन हुआ तो निकल पड़े लुफ्त उठाने मौसम का ।। घर से कदम बाहर निकल...

Read Free

किस मुकाम तक By HARIYASH RAI

किस मुकाम तक हरियश राय “मैं बैठ सकता हूं यहां ।’ उन्होंने सकुचाते हुए मुझसे पूछा । लंबा कद । सिर पर गोल टोपी । बेतरतीब ढंग से बढ़ी हुई दाढ़ी । लंबा सफेद कुर्ता, कुर्ते के ऊपर नेहर...

Read Free

उत्तराधिकर्मी By Prabodh Kumar Govil

"उत्तराधिकर्मी" (कहानी) - प्रबोध कुमार गोविल आज खाना फ़िर नहीं बना। दोनों अलग - अलग कमरे में हाथ की कोहनी से माथा ढके सरेशाम सोते रहे। सोना तो क्या था, स्थितियों के प्रति अ...

Read Free

कब मिलेगा आवास By जगदीप सिंह मान दीप

पग-पग पर पीड़ा उठाते हुए घर पहुंँचने का बीड़ा उठाया है।अपने घरों की ओर चलने के लिए तैयार हैं। अपनी मंजिल को ध्यान में रखते हुए अथक अविश्रांत आगे बढ़ते जा रहे हैं। एक ही मंजिल है एक...

Read Free

मुंबई से घर वापसी By r k lal

मुंबई से घर वापसी आर ० के ० लाल सरजू ने शाम को ही सबको सूचित कर दिया था कि सुबह ठीक तीन बजे सभी को निकलना है। मुंबई के जुहू इलाके की गलियों में रहने वाले कई...

Read Free

इश्क़ 92 दा वार - 7 By Deepak Bundela AryMoulik

दोस्तों इस कहानी को आगे बढ़ाने में मैं थोड़ा पीछे हों गया था क्योंकि कोरोना महामारी के चलते थोड़ा ज़िम्मेदारियां बढ़ गयी थी.. जैसाकि मैं न्यूज़ चेनल में पदस्थ हूं लॉक डाउन के दौरान रात द...

Read Free

कानून का जाल By राज कुमार कांदु

शहर में आये दिन युवा लड़कियों के अपहरण और उनके साथ हैवानियत की खबरें आती रहती थी । कुछ दिनों की सुर्खियों के बाद अपराधियों की दबंगई के चलते पीड़ित लड़कियां अपना बयान वापस ले लेतीं...

Read Free

नारायणपुर की लक्ष्मी By Mukesh nagar

बड़ा सा राज्य था वह। राजा भी बड़ा प्रतापी था उसका। बुद्धिमान और प्रजापालक। सदा सच्चे हृदय से प्रजा की भलाई में लगा रहता। उसने सोचा...बाकी तो सब ठीक है, बस दूर-दराज के गाँवों का विकास...

Read Free