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  • ज़िद्दी की ख्वाहिश

    केसरी लाल की अपने गांव में छोटी सी हलवाई की दुकान थी। शादी के बहुत साल बीतने के...

  • नानी की कहानियां

    रक्षा जब पांच बरस की थी, तब वह अपने नाना नानी के घर गई थी इसलिए आठ बरस की रक्षा...

  • भूत या भगवान

    बबलू रोज भगवान से प्रार्थना करके सोता था, कि उसे भूत प्रेतों के डरावने सपने ना आ...

ज़िद्दी की ख्वाहिश By Rajesh Rajesh

केसरी लाल की अपने गांव में छोटी सी हलवाई की दुकान थी। शादी के बहुत साल बीतने के बाद भी केसरी लाल और उसकी पत्नी को जब औलाद का सुख नहीं मिलता है, तो वह और उसकी पत्नी कलावती बहुत अधिक...

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नानी की कहानियां By Rakesh Rakesh

रक्षा जब पांच बरस की थी, तब वह अपने नाना नानी के घर गई थी इसलिए आठ बरस की रक्षा को अब नाना नानी के बारे में कुछ भी याद नहीं था।इसलिए विद्यालय की गर्मियों की छुट्टी में नाना नानी से...

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दानी की कहानी - 41 By Pranava Bharti

------------------- देवांशी को पता ही न चलता कि उसे स्कूल जाना है, रोज़ाना उसे बार-बार उठाना पड़ता | अब तो वह बड़ी हो रही थी और सारे बच्चे अपने आप स्कूल जाने के लिए एलार्म लगाकर अपने...

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लालची राजा By Rakesh Rakesh

छोटे से राज्य का बड़ा लालची राजा था। एक बार बुद्धिमान महामंत्री के कहने से बासमती चावल पड़ोसी राज्यों को ऊंचे दामों पर बेचता है, तो बासमती चावल बेचने से राज्य को बहुत अधिक मुनाफा ह...

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भूत या भगवान By Rajesh Rajesh

बबलू रोज भगवान से प्रार्थना करके सोता था, कि उसे भूत प्रेतों के डरावने सपने ना आए, लेकिन जितना भी वह भगवान से प्रार्थना करता था, उतना ही उसे भयानक डरावने सपने आते थे।और दिन में भी...

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दाई मां By Rakesh Rakesh

बूढ़ी दाई मां का असली नाम यशोदा था। यशोदा दाई के काम में इतनी होशियार थी कि बड़े-बड़े डॉक्टर भी उसके हुनर को नमस्कार करते थे। इसलिए यशोदा का अपने गांव और आसपास के गांव में बहुत मान...

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हाथी रंग-रँगीले By Yashvant Kothari

यशवन्त कोठारी सर्वत्र हाथियों का साम्राज्य छाया हुआ है। सफेद हाथी, काले हाथी, पीले, नीले और हरे हाथी। कहीं अंधों के हाथी हैं तो कहीं अंधों हाथी के पाँव में सबका पाँव है तो कहीं हाथ...

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अनजाना सा राही By दिनेश कुमार कीर

अनजाना सा राही     मैंने अपने दुःखो को बहुत करीब से देखा है मैं तुम्हारे अंदर खुद को तलाशने की असीम कोशिश मे कामयाब रहा मुझे तुम्हारे अंदर थोड़ा मैं दिखा बस और क्या मेरे द...

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अनोखी दोस्ती By दिनेश कुमार कीर

यारों का याराना...       चलो देखते हैं फिर एक समय पुराना,   शिक्षालय के चारों यार, यारों का था याराना,   हाथ में कपड़े के फटे हुए होते थे थैले,   खेल...

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Tigers of Sherkila By R.K Sharma

शेर-किला राष्ट्रीय उद्यान के रॉयल बंगाल टाइगर्स में सबसे मर्दाना और शाही, राणा शान-बहादुर, सूरज की पहली सुनहरी किरणों के रूप में जम्हाई और फैला हुआ था, जिसने उसके कोट में आग लगा दी...

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यादें बचपन की By धरमा

यादें बचपन की पांचवीं तक स्लेट की बत्ती को जीभ से चाटकर कैल्शियम की कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी लेकिन इसमें पापबोध भी था कि कहीं विद्यामाता नाराज न हो जायें... पढ़ाई का तनाव हम...

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गोलू भागा घर से - 29 - अंतिम भाग By Prakash Manu

29 रहमान चाचा की चिट्ठी एक हफ्ते बाद रहमान चाचा का एक लंबा पत्र आया। उन्होंने लिखा, “गोलू, तुम्हारी सच्ची कहानी पढ़ी। पढ़कर आँखें नम हो गईं। मुझसे ज्यादा तो घर में तुम्हारी स...

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पंचतंत्र By Rajveer Kotadiya । रावण ।

परिचय संस्कृत नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान माना जाता है। इस ग्रंथ के रचयिता पं. विष्णु शर्मा हैं। आज विश्व की 50 से भी अधिक भाषाओं में इनका अनुवाद प्रकाशित हो चूका है। इतनी...

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बचपन के दोस्त By दिनू

दोस्ती एक ऐसा शब्द है जिसके लिए शायद शब्द भी कम पड़ जाय,पर मैं डरता हूँ दोस्ती करने से ऐसा नहीं है कि विश्वास नहीं रहा पर कुछ बचा भी नहीं इस रिश्ते में , जो कि साथ रखा जाए, मन बहुत...

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मेरे बाबा By दिनू

दिवाली पर एक बच्ची का अपने पापा से आने का गुहार मेरे अल्फ़ाज़ में शायद अच्छा लगे!सबके पापा घर आ गए, आप भी घर आओ ना पापा!हर दिवाली की तरह, इस बार भी हमें न तड़पाओ पापा!कितनी आस लगाए...

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मुल्ला नसरुद्दीन के चंद छोटे किस्से - 4 - अंतिम भाग By MB (Official)

भाग - 4 मुल्ला नसरुद्दीन और गरीब का झोला एक दिन मुल्ला कहीं जा रहा था कि उसने सड़क पर एक दुखी आदमी को देखा जो ऊपरवाले को अपने खोटे नसीब के लिए कोस रहा था. मुल्ला ने उसके करीब जाकर उ...

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मोनू ,बब्बू और शेर महाशय - भाग 2 By Premyad kumar Naveen

अब तक आपने पढ़ा ... मोनू ― आंटी जी आप ठीक कह रही है पर मुझे दवा ले जाने में तीन से चार बार गड़बड़ी हो गई है। पर्चे में कुछ और दवा होती है और स्टोर वाले कुछ और दे देते है। इसलिए मुझे ब...

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एक अनोखी प्रेम कहानी By धरमा

यारों की यारियां... उन तीनों को होटल में बैठा देख, रमेश हड़बड़ाहट सा गया... लगभग 22 सालों बाद वे फिर उसके सामने दिखे थे... शायद अब वो बहुत बड़े और संपन्न आदमी हो गये थे... रमेश को अ...

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ज़िद्दी की ख्वाहिश By Rajesh Rajesh

केसरी लाल की अपने गांव में छोटी सी हलवाई की दुकान थी। शादी के बहुत साल बीतने के बाद भी केसरी लाल और उसकी पत्नी को जब औलाद का सुख नहीं मिलता है, तो वह और उसकी पत्नी कलावती बहुत अधिक...

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नानी की कहानियां By Rakesh Rakesh

रक्षा जब पांच बरस की थी, तब वह अपने नाना नानी के घर गई थी इसलिए आठ बरस की रक्षा को अब नाना नानी के बारे में कुछ भी याद नहीं था।इसलिए विद्यालय की गर्मियों की छुट्टी में नाना नानी से...

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दानी की कहानी - 41 By Pranava Bharti

------------------- देवांशी को पता ही न चलता कि उसे स्कूल जाना है, रोज़ाना उसे बार-बार उठाना पड़ता | अब तो वह बड़ी हो रही थी और सारे बच्चे अपने आप स्कूल जाने के लिए एलार्म लगाकर अपने...

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लालची राजा By Rakesh Rakesh

छोटे से राज्य का बड़ा लालची राजा था। एक बार बुद्धिमान महामंत्री के कहने से बासमती चावल पड़ोसी राज्यों को ऊंचे दामों पर बेचता है, तो बासमती चावल बेचने से राज्य को बहुत अधिक मुनाफा ह...

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भूत या भगवान By Rajesh Rajesh

बबलू रोज भगवान से प्रार्थना करके सोता था, कि उसे भूत प्रेतों के डरावने सपने ना आए, लेकिन जितना भी वह भगवान से प्रार्थना करता था, उतना ही उसे भयानक डरावने सपने आते थे।और दिन में भी...

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दाई मां By Rakesh Rakesh

बूढ़ी दाई मां का असली नाम यशोदा था। यशोदा दाई के काम में इतनी होशियार थी कि बड़े-बड़े डॉक्टर भी उसके हुनर को नमस्कार करते थे। इसलिए यशोदा का अपने गांव और आसपास के गांव में बहुत मान...

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हाथी रंग-रँगीले By Yashvant Kothari

यशवन्त कोठारी सर्वत्र हाथियों का साम्राज्य छाया हुआ है। सफेद हाथी, काले हाथी, पीले, नीले और हरे हाथी। कहीं अंधों के हाथी हैं तो कहीं अंधों हाथी के पाँव में सबका पाँव है तो कहीं हाथ...

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अनजाना सा राही By दिनेश कुमार कीर

अनजाना सा राही     मैंने अपने दुःखो को बहुत करीब से देखा है मैं तुम्हारे अंदर खुद को तलाशने की असीम कोशिश मे कामयाब रहा मुझे तुम्हारे अंदर थोड़ा मैं दिखा बस और क्या मेरे द...

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अनोखी दोस्ती By दिनेश कुमार कीर

यारों का याराना...       चलो देखते हैं फिर एक समय पुराना,   शिक्षालय के चारों यार, यारों का था याराना,   हाथ में कपड़े के फटे हुए होते थे थैले,   खेल...

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यादें बचपन की By धरमा

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गोलू भागा घर से - 29 - अंतिम भाग By Prakash Manu

29 रहमान चाचा की चिट्ठी एक हफ्ते बाद रहमान चाचा का एक लंबा पत्र आया। उन्होंने लिखा, “गोलू, तुम्हारी सच्ची कहानी पढ़ी। पढ़कर आँखें नम हो गईं। मुझसे ज्यादा तो घर में तुम्हारी स...

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पंचतंत्र By Rajveer Kotadiya । रावण ।

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बचपन के दोस्त By दिनू

दोस्ती एक ऐसा शब्द है जिसके लिए शायद शब्द भी कम पड़ जाय,पर मैं डरता हूँ दोस्ती करने से ऐसा नहीं है कि विश्वास नहीं रहा पर कुछ बचा भी नहीं इस रिश्ते में , जो कि साथ रखा जाए, मन बहुत...

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मेरे बाबा By दिनू

दिवाली पर एक बच्ची का अपने पापा से आने का गुहार मेरे अल्फ़ाज़ में शायद अच्छा लगे!सबके पापा घर आ गए, आप भी घर आओ ना पापा!हर दिवाली की तरह, इस बार भी हमें न तड़पाओ पापा!कितनी आस लगाए...

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मुल्ला नसरुद्दीन के चंद छोटे किस्से - 4 - अंतिम भाग By MB (Official)

भाग - 4 मुल्ला नसरुद्दीन और गरीब का झोला एक दिन मुल्ला कहीं जा रहा था कि उसने सड़क पर एक दुखी आदमी को देखा जो ऊपरवाले को अपने खोटे नसीब के लिए कोस रहा था. मुल्ला ने उसके करीब जाकर उ...

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मोनू ,बब्बू और शेर महाशय - भाग 2 By Premyad kumar Naveen

अब तक आपने पढ़ा ... मोनू ― आंटी जी आप ठीक कह रही है पर मुझे दवा ले जाने में तीन से चार बार गड़बड़ी हो गई है। पर्चे में कुछ और दवा होती है और स्टोर वाले कुछ और दे देते है। इसलिए मुझे ब...

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एक अनोखी प्रेम कहानी By धरमा

यारों की यारियां... उन तीनों को होटल में बैठा देख, रमेश हड़बड़ाहट सा गया... लगभग 22 सालों बाद वे फिर उसके सामने दिखे थे... शायद अब वो बहुत बड़े और संपन्न आदमी हो गये थे... रमेश को अ...

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