hindi Best Children Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Children Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and c...Read More


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  • आसमान में डायनासौर - 11 - अतिम

    आसमान में डायनासौर 11 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे प्रो.दयाल...

  • बस पांच मिनट

    बालकहानी सुधा भार्गव बस पांच मिनट/सुधा भार्गव नादान अनारू समझ नहीं पा रह...

  • रेत का घर

    "रेत का घर", आज अचानक मेरी स्मृति में उभर आया, बचपन के उन सुनहरे औझल हुए...

छूना है आसमान - 7 By Goodwin Masih

छूना है आसमान अध्याय 7 रात के करीब दस बज रहे थे। चेतना ने देखा उसके पापा अकेले बैठे लैम्प की रोषनी में अपने आॅफिस का काम कर रहे हैं। चेतना ने सोचा मौका अच्छा है, क्यों न पापा को आॅ...

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आसमान में डायनासौर - 11 - अतिम By राज बोहरे

आसमान में डायनासौर 11 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे प्रो.दयाल ने चालक की ओर अपना हाथ हिलाकर इंजिन के चलाने के तेल के बारे में पूछा तो उसने इशारे से जमीन पर लगे पे...

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बस पांच मिनट By sudha bhargava

बालकहानी सुधा भार्गव बस पांच मिनट/सुधा भार्गव नादान अनारू समझ नहीं पा रहा है माँ को क्या हो गया है। उसके हर काम में देरी करती हैं।वह पहले की तरह तुरंत क्यों नहीं करती।...

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किताबों की क़ैद से आजाद By SAMIR GANGULY

मुनिया से गर्मी की दोपहर का वक्त काटे नहीं कटता.नानी मुटल्ली भरपेट दाल-भात खाकर खर्राटे लेकर सोने लगती है.मम्मी और डैडी ऑफिस.अब मुनिया करे तो क्या? बालकनी पर कितनी देर? और टीवी देख...

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रेत का घर By Rajesh Kumar

"रेत का घर", आज अचानक मेरी स्मृति में उभर आया, बचपन के उन सुनहरे औझल हुए पलों को स्मरण कर हृदय भर सा आया। एक अनोखी सी प्रसन्नता मेरे अंदर कौंध रही थी। शाम का समय आसमान में...

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मंगल ग्रह के जुगनू By Prabodh Kumar Govil

- अंगूर का रस। गिलहरी ने कहा। - आम का रस। कॉक्रोच चिल्लाया मेंढकी बोली- अनार का रस। तितली पंख फड़फड़ाते हुए बोली - गन्ने का रस! कबूतर कुछ कहने वाला था कि किसी के ज़ोर- ज़ोर से हंसन...

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ख़ुशी का ताबीज By SAMIR GANGULY

पिताजी का नाम यूं तो राजीव सेठ था, पर वे ज़्यादा मशहूर से थे कंजूस सेठ के नाम से.यह नाम बचपन में दादी ने यानी उनकी मां ने, जवानी में मम्मी ने और अधबुढ़ापे में बाकी बची सारी दुनिया ने...

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नीबाबाग By Jyoti Prakash Rai

किसी नगर में एक राजा और रानी राज किया करते थे। राजा को एक लड़का था वह बहुत ही सराराती था, रास्ते में आते जाते लोगों को अक्सर परेशान किया करता था। राजा उसका विवाह करा दिए तब पर भी उ...

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सोलहवाँ साल (18) - अंतिम By ramgopal bhavuk

उपन्यास सोलहवाँ साल रामगोपाल भावुक सम्पर्क सूत्र- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूति नगर, जिला ग्वालियर म.प्र. 475110 मो 0 -09425715707Email:- tiwariramgopal5...

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आसमान में डायनासौर - 4 By राज बोहरे

आसमान में डायनासौर 4 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे जब जागे तो वे चौंक गये उन्होंने अपना यान पुच्छल तारे के पीछे लपकता हुआ लगाया था सो सबसे पहले उन्होंने शुक्र, पृथ्वी और पु...

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त्‍याग By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- त्‍याग आर.एन. सुनगरया...

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डुगडुगी, छड़ी और मंतर By SAMIR GANGULY

एक जंगल में रहता था एक बंदर. मस्त कलंदर.सारा दिन बंदरपन करता फिरता. कभी सोते भालुओं के कान में चींख कर उन्हें डराता तो कभी डाल हिलाकर पक्षियों को उड़ाकर खिलखिलाता. अपनी शैतानियों से...

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बाढ़ और दादी By Anil jaiswal

अनिल जायसवाल"बागमती में पानी उफान मार रहा है। कभी भी किनारा तोड़कर पानी गांव में घुस आएगा। सरकार ने चेतावनी जारी की है। हमें सुबह तक गांव खाली करना है। सब तैयार रहना।" बुधिया चिल्ला...

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दाने दाने की एक कहानी By SAMIR GANGULY

धनी राम था एक मस्त पंसारी.अगर माप-तौल में डंडी मारता था तो बच्चों को रूंगा (थोड़ा ज़्यादा) भी देता था.उसकी दुकान में घरेलू इस्तेमाल का सारा सामान बिकता था. नून, तेल, गुड़ से लेकर दाल-...

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अदृश्य गाँव का रहस्य - 4 By Mukesh nagar

उन्होंने मन ही मन में कहा और सबके पास आकर बैठ गए।वामन देव के बैठने पर उनकी लंबी दाढ़ी जमीन को छू रही थी।बद्री ने उन्हें भी सत्तू खाने को दिया।नट्टू कुछ देर उन्हें देखता रहा। फिर बोल...

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रहो प्यार से By Anil jaiswal

रहो प्यार सेअनिल जायसवालमिंटू बंदर और चंपा बंदरिया भागते जा रहे थे। बड़ी मुश्किल से आज वे बनवारी मदारी की चंगुल से छूटे थे। उन्होंने तय कर लिया था कि अब कभी किसी की जाल में नहीं फस...

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बरगद दादा By टीना सुमन

बरगद दादा चारों ओर हरियाली से परिपूर्ण एक सुंदर सा उपवन, "नंदन वन "जैसा नाम वैसा ही वातावरण !गगन को छूते हुए भरे पूरे पेड़ ,अठखेलियां करते हुए जानवर ,उन्मुक्त उड़ते हुए पंछी | घर...

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झंडा ऊंचा रहे हमारा By Anil jaiswal

"ओ देबू, उठ न। कल 15 अगस्त है, आज चौराहे के पास खाना और सामान बंटेगा।" राजू ने झिंझोड़ते हुए देबू को उठाने का प्रयास किया।देबू ने आंखें खोलीं। दिन चढ़ने लगा था। फुटपाथ पर सोते-सोते...

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अरगनी के यार By Swapnil Srivastava Ishhoo

अरगनी के यार पार्ट 1 मेकअप पीहू कान पकड़े दीवार के पास खड़ी जोर- जोर से टेसुएं बहा रही थी, उधर मम्मी का गुस्सा था की शांत ही नहीं हो रहा था| होता भी कैसे, सात सौ रुपये की लिपस्टिक...

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केले का बगीचा By Anil jaiswal

अनिल जायसवालरेलगाड़ी धड़ाधड़ पटरियों पर दौड़ती जा रही थी। साथ में रामधन का मन भी उड़ता जा रहा था। पंद्रह साल बाद वह अपने गांव बिहार के हाजीपुर जा रहा था। बनारस से गाड़ी खुले एक घंट...

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छोटू By Swapnil Srivastava Ishhoo

छोटूएक समय की बात है, शहर के बाहरी हिस्से में बनी कालोनी के खँडहर से पड़े एक मकान में कुत्तों का परिवार रहता था | सफ़ेद रंग की सलोनी सबसे बड़ी थी और उसके तीन बच्चे थे | भूरे रंग का...

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मुँह देखी बात By Kusum Agarwal

दीपिका, तुम्हारी बेटी तराना कितनी क्यूट है और बेटा तन्मय भी। बिल्कुल विलायती गुड्डे-गुड़िया जैसे हैं। तुम भी कितने प्यार से रखती हो इनको। तुमने इनके नाम भी बहुत सुंदर रखें हैं- एकद...

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गलतफहमी By Kusum Agarwal

गेम्स पीरियड था। पर नेहा खेल के मैदान में न होकर कक्षा में अकेली बैठी थी। वह बेंच पर सिर टिका कर बैठी कुछ सोच रही थी।नेहा इस स्कूल में इसी वर्ष पढ़ने आई थी। उसे एडमिशन लिए महीना भर...

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छूना है आसमान - 7 By Goodwin Masih

छूना है आसमान अध्याय 7 रात के करीब दस बज रहे थे। चेतना ने देखा उसके पापा अकेले बैठे लैम्प की रोषनी में अपने आॅफिस का काम कर रहे हैं। चेतना ने सोचा मौका अच्छा है, क्यों न पापा को आॅ...

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आसमान में डायनासौर - 11 - अतिम By राज बोहरे

आसमान में डायनासौर 11 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे प्रो.दयाल ने चालक की ओर अपना हाथ हिलाकर इंजिन के चलाने के तेल के बारे में पूछा तो उसने इशारे से जमीन पर लगे पे...

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बस पांच मिनट By sudha bhargava

बालकहानी सुधा भार्गव बस पांच मिनट/सुधा भार्गव नादान अनारू समझ नहीं पा रहा है माँ को क्या हो गया है। उसके हर काम में देरी करती हैं।वह पहले की तरह तुरंत क्यों नहीं करती।...

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किताबों की क़ैद से आजाद By SAMIR GANGULY

मुनिया से गर्मी की दोपहर का वक्त काटे नहीं कटता.नानी मुटल्ली भरपेट दाल-भात खाकर खर्राटे लेकर सोने लगती है.मम्मी और डैडी ऑफिस.अब मुनिया करे तो क्या? बालकनी पर कितनी देर? और टीवी देख...

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रेत का घर By Rajesh Kumar

"रेत का घर", आज अचानक मेरी स्मृति में उभर आया, बचपन के उन सुनहरे औझल हुए पलों को स्मरण कर हृदय भर सा आया। एक अनोखी सी प्रसन्नता मेरे अंदर कौंध रही थी। शाम का समय आसमान में...

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मंगल ग्रह के जुगनू By Prabodh Kumar Govil

- अंगूर का रस। गिलहरी ने कहा। - आम का रस। कॉक्रोच चिल्लाया मेंढकी बोली- अनार का रस। तितली पंख फड़फड़ाते हुए बोली - गन्ने का रस! कबूतर कुछ कहने वाला था कि किसी के ज़ोर- ज़ोर से हंसन...

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ख़ुशी का ताबीज By SAMIR GANGULY

पिताजी का नाम यूं तो राजीव सेठ था, पर वे ज़्यादा मशहूर से थे कंजूस सेठ के नाम से.यह नाम बचपन में दादी ने यानी उनकी मां ने, जवानी में मम्मी ने और अधबुढ़ापे में बाकी बची सारी दुनिया ने...

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नीबाबाग By Jyoti Prakash Rai

किसी नगर में एक राजा और रानी राज किया करते थे। राजा को एक लड़का था वह बहुत ही सराराती था, रास्ते में आते जाते लोगों को अक्सर परेशान किया करता था। राजा उसका विवाह करा दिए तब पर भी उ...

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सोलहवाँ साल (18) - अंतिम By ramgopal bhavuk

उपन्यास सोलहवाँ साल रामगोपाल भावुक सम्पर्क सूत्र- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूति नगर, जिला ग्वालियर म.प्र. 475110 मो 0 -09425715707Email:- tiwariramgopal5...

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आसमान में डायनासौर - 4 By राज बोहरे

आसमान में डायनासौर 4 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे जब जागे तो वे चौंक गये उन्होंने अपना यान पुच्छल तारे के पीछे लपकता हुआ लगाया था सो सबसे पहले उन्होंने शुक्र, पृथ्वी और पु...

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त्‍याग By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- त्‍याग आर.एन. सुनगरया...

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डुगडुगी, छड़ी और मंतर By SAMIR GANGULY

एक जंगल में रहता था एक बंदर. मस्त कलंदर.सारा दिन बंदरपन करता फिरता. कभी सोते भालुओं के कान में चींख कर उन्हें डराता तो कभी डाल हिलाकर पक्षियों को उड़ाकर खिलखिलाता. अपनी शैतानियों से...

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बाढ़ और दादी By Anil jaiswal

अनिल जायसवाल"बागमती में पानी उफान मार रहा है। कभी भी किनारा तोड़कर पानी गांव में घुस आएगा। सरकार ने चेतावनी जारी की है। हमें सुबह तक गांव खाली करना है। सब तैयार रहना।" बुधिया चिल्ला...

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दाने दाने की एक कहानी By SAMIR GANGULY

धनी राम था एक मस्त पंसारी.अगर माप-तौल में डंडी मारता था तो बच्चों को रूंगा (थोड़ा ज़्यादा) भी देता था.उसकी दुकान में घरेलू इस्तेमाल का सारा सामान बिकता था. नून, तेल, गुड़ से लेकर दाल-...

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अदृश्य गाँव का रहस्य - 4 By Mukesh nagar

उन्होंने मन ही मन में कहा और सबके पास आकर बैठ गए।वामन देव के बैठने पर उनकी लंबी दाढ़ी जमीन को छू रही थी।बद्री ने उन्हें भी सत्तू खाने को दिया।नट्टू कुछ देर उन्हें देखता रहा। फिर बोल...

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रहो प्यार से By Anil jaiswal

रहो प्यार सेअनिल जायसवालमिंटू बंदर और चंपा बंदरिया भागते जा रहे थे। बड़ी मुश्किल से आज वे बनवारी मदारी की चंगुल से छूटे थे। उन्होंने तय कर लिया था कि अब कभी किसी की जाल में नहीं फस...

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बरगद दादा By टीना सुमन

बरगद दादा चारों ओर हरियाली से परिपूर्ण एक सुंदर सा उपवन, "नंदन वन "जैसा नाम वैसा ही वातावरण !गगन को छूते हुए भरे पूरे पेड़ ,अठखेलियां करते हुए जानवर ,उन्मुक्त उड़ते हुए पंछी | घर...

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"ओ देबू, उठ न। कल 15 अगस्त है, आज चौराहे के पास खाना और सामान बंटेगा।" राजू ने झिंझोड़ते हुए देबू को उठाने का प्रयास किया।देबू ने आंखें खोलीं। दिन चढ़ने लगा था। फुटपाथ पर सोते-सोते...

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अरगनी के यार By Swapnil Srivastava Ishhoo

अरगनी के यार पार्ट 1 मेकअप पीहू कान पकड़े दीवार के पास खड़ी जोर- जोर से टेसुएं बहा रही थी, उधर मम्मी का गुस्सा था की शांत ही नहीं हो रहा था| होता भी कैसे, सात सौ रुपये की लिपस्टिक...

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केले का बगीचा By Anil jaiswal

अनिल जायसवालरेलगाड़ी धड़ाधड़ पटरियों पर दौड़ती जा रही थी। साथ में रामधन का मन भी उड़ता जा रहा था। पंद्रह साल बाद वह अपने गांव बिहार के हाजीपुर जा रहा था। बनारस से गाड़ी खुले एक घंट...

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छोटू By Swapnil Srivastava Ishhoo

छोटूएक समय की बात है, शहर के बाहरी हिस्से में बनी कालोनी के खँडहर से पड़े एक मकान में कुत्तों का परिवार रहता था | सफ़ेद रंग की सलोनी सबसे बड़ी थी और उसके तीन बच्चे थे | भूरे रंग का...

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मुँह देखी बात By Kusum Agarwal

दीपिका, तुम्हारी बेटी तराना कितनी क्यूट है और बेटा तन्मय भी। बिल्कुल विलायती गुड्डे-गुड़िया जैसे हैं। तुम भी कितने प्यार से रखती हो इनको। तुमने इनके नाम भी बहुत सुंदर रखें हैं- एकद...

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गलतफहमी By Kusum Agarwal

गेम्स पीरियड था। पर नेहा खेल के मैदान में न होकर कक्षा में अकेली बैठी थी। वह बेंच पर सिर टिका कर बैठी कुछ सोच रही थी।नेहा इस स्कूल में इसी वर्ष पढ़ने आई थी। उसे एडमिशन लिए महीना भर...

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