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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 5 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता - श्रंखला -5 तेलुगु की स्त्री विमर्श कहानियां दिल्ली की दामिनी के केस ने सारे देश को जगा दिया था. गुजरात की सरकार ने फ़रवरी 2014 में 181 हेल्पलाइन का शुभारंभ किया था....

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बारिश और अन्य लघुकथाएं By Sandeep Tomar

“रचनाओ की रिमझिम”  पुस्तक-“ बारिश तथा अन्य लघुकथाएँ” रचनाकार- सुभाष नीरव  प्रकाशक: किताबगंज प्रकाशन प्रकाशन वर्ष: २०१९ आलोचक भले ही लघुकथाओं को तवज्जो न देते हो भले ही वो गद्य में...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 4 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता - श्रंखला -4 पंजाबी स्त्री विमर्श कहानियां [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] इसी नारी अस्मिता की सुरक्षा का अभियान है रमणिका गुप्ता जी द्वारा संपादित 'हाशिये उलांघती औरत 'ज...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 3 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता - श्रंखला -3 मराठी स्त्री विमर्श कहानियां महाराष्ट्र की स्त्री के लिए मशहूर है कि वह जब बाज़ार जाती है तो पुस्तकें खरीद कर लौटती है. इस बात की पुष्टि होती है मराठी से...

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श्री श्री श्री विष्णुसहस्रनाम By king offear

1 विश्वम् जो स्वयं ही ब्रह्माण्ड है2 विष्णुः सर्वत्र विद्यमान3 वषट्कारः जिसका यज्ञ में आह्वान किया जाता है4 भूतभव्यभवत्प्रभुः अतीत, वर्तमान और भविष्य के भगवान5 भूतकृत् सभी प्राणियो...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 2 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता श्रंखला -2 “गुजराती स्त्री विमर्श कहानियां” सारे विश्व की औरतों के पुरुष व्यवस्था के कारण दुःख के सामांतर कारण हैं सिर्फ़ परिस्थितियां भिन्न हैं. इसी बात...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता जी और स्त्री विमर्श कहानियों के अनुवाद की श्रंखला रमणिका गुप्ता---1 [नीलम कुलश्रेष्ठ ] स्त्रियों की जागृति का इतिहास सवा सौ साल पुराना है जिस पर कुछ ना कुछ लिखा जाता...

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पिशाच- संजीव पालीवाल By राजीव तनेजा

बचपन में बतौर पाठक मेरी पढ़ने की शुरुआत कब कॉमिक्स से होती हुई वेदप्रकाश शर्मा के थ्रिलर उपन्यासों तक जा पहुँची.. मुझे खुद ही नहीं पता चला। उन दिनों में एक ही सिटिंग में पूरा उपन्या...

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माफ़ कीजिए श्रीमान- सुभाष चन्दर By राजीव तनेजा

व्यंग्य..साहित्य की एक ऐसी विधा है जिसमें आमतौर पर सरकार या समाज के उन ग़लत कृत्यों को इस प्रकार से इंगित किया जाता है की वह उस कृत्य के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति के मस्तिष्क से ले कर अ...

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Money कथा अनंता- कुशल सिंह By राजीव तनेजा

पिछले कुछ सालों में हमारे देश में नोटबंदी.. जी.एस.टी..किसान आंदोलन से ले कर कोरोना महामारी तक की वजह से ऐसे-ऐसे बदलाव हुए कि मज़दूर या मध्यमवर्गीय तबके के आम आदमी से ले कर बड़े बड़े ध...

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आड़ा वक्त- राजनारायण बोहरे By राजीव तनेजा

आम इनसान की भांति हर लेखक..कवि भी हर वक्त किसी ना किसी सोच..विचार अथवा उधेड़बुन में खोया रहता है। बस फ़र्क इतना है कि जहाँ आम व्यक्ति इस सोच विचार से उबर कर फिर से किसी नयी उधेड़बुन म...

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गुजरात में सबसे सफ़ल नारी अदालत : महिला सामाख्या योजना - 2 By Neelam Kulshreshtha

एपीसोड -2 पुरुषों के विरोध के उत्तर में वे कहतीं हैं "ज़ाहिर है पुरानी मान्यताएं टूट रहीं हैं. पहले पंचायत में स्वयं निर्णय लेकर सरपंच ग्राम पंचायत की सद्स्यायों के दस्तखत करवाने उन...

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कुम्हलाई कलियाँ- सीमा शर्मा (संपादन) By राजीव तनेजा

यह कोई गर्व या खुशी की नहीं बल्कि लानत..मलामत और शर्म की बात है कि भारत जैसे जनसँख्या बहुल देश में, जो कि आबादी के मामले में पूरे विश्व में दूसरा स्थान रखता है, सैक्स को देश..समाज...

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महाकवि भवभूति रामगोपाल भावुक By ramgopal bhavuk

महाकवि भवभूति  रामगोपाल भावुक डॉ. नौनिहाल गौतम   (ग्रन्थ-महाकवि भवभूति, लेखक-रामगोपाल भावुक, विधा-उपन्यास, भाषा-हिन्दी, प्रकाशक-कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन, म.प्र., प्रथम संस्कर...

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भोर की किरणों सी सकारात्मक - ’खुसुर पुसुर’ By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] आदरणीय कन्हैया लाल पांडेय जी से वड़ोदरा में उनका सन 2006 में उनका उसी शहर में वहीं लिखा, शिल्पायन प्रकाशन, देल्ही से प्रकाशित काव्य संग्रह 'भीगी हवाएँ' भ...

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उत्कृष्ट कलात्मक सांकेतिकता से किर्च किर्च होते मानव मन की व्यथा By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ 'सिलवटें 'विकेश निझावन जी के कहानी संग्रह की एक एक सिलवट मैं पलट क्या रहीं हूँ एक तीखे दर्द से गुज़र रहीं हूँ या उस साँकेतिक भाषा से झटके खा रहीं हूँ जो सिर्...

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फागुन वाली धूप रामलखन शर्मा By ramgopal bhavuk

समीक्षा                       फागन वाली धूप की संवेदना                                      रामगोपाल भावुक          दोहे लिखने की परम्परा हिन्दी साहित्य में हिन्दी के विकास के साथ...

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आम औरत की दैहिक या मानसिक यातना के लिए दहकते सवाल By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ आदरणीय सुधा अरोड़ा जी की पुस्तक मंगाने से पहले उसकी समीक्षा लिखने के अपने निर्णय से पहले मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं एक जटिल चुनौती को आमंत्रित कर रहीं हूँ। इस पुस्...

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आशा पाण्डेय का गीत संग्रह बाबा के गाँव में By ramgopal bhavuk

 आशा पाण्डेय का गीत संग्रह बाबा के गाँव में                                  रामगोपाल भावुक   जब जब गाँव की बात सामने आती है , मुझे मेरा गाँव, वहाँ की संस्कृति, वहाँ के लोक गीत , व...

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रेत समाधि याने टोम्ब ऑफ़ सेंड By Yashvant Kothari

मातृशक्ति की महागाथा --एक पाठकीय प्रतिक्रिया  यशवंत कोठारी कुछ समय पहले तक गीतांजलि श्री के नाम से परिचित नहीं था. अचानक टाइम्स ऑफ़ इंडिया में उनकी पुस्तक को अंतर राष्ट्रीय बुक...

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संगीत व साहित्य के सुरूर से मचलकर पटरी से उत्तर गई मालगाड़ी By Neelam Kulshreshtha

विश्व संगीत दिवस 21 जून पर विशेष [ संस्मरण --सन 2006 ] [नीलम कुलश्रेष्ठ] ‘ऐसे हैं सुख-सुपन हमारे, बन-बन कर मिट जाएं जैसे बालू के घर नदी किनारे ।’ पंडित नरेन्द्र शर्मा क...

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महेश कटारे-छछिया भर छाछ की धडकनें By ramgopal bhavuk

महेश कटारे-छछिया भर छाछ की धडकनें रामगोपाल भावुक हमारा देश कृषि प्रधान है। हिन्दी कहानी में मुंशी प्रेमचन्द्र ने सबसे पहले किसानों की व्यथा कथा कहना शुरू की थी। इसी नब्ज को पकड़कर भ...

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विश्व का प्रथम सबसे बड़ा गुजरात पुस्तकालय सहायक सहकारी मंडल By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ]  समस्त विश्व की प्रथम व लगभग एक मात्र संस्था है वड़ोदरा की 'गुजरात पुस्तकालय सहकारी मंडल 'जिसकी शहर के मध्य में एक अपनी निजी इमारत है । इस पुस्तकाल...

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अधूरा..अव्यक्त किंतु शाश्वत- पराग डिमरी By राजीव तनेजा

किसी भी देश..राज्य..संस्कृति अथवा अलग अलग इलाकों में बसने वाले वहाँ के बाशिंदों का जब भी आपस में किसी ना किसी बहाने से मेल मिलाप होता है तो यकीनन एक का दूसरे पर कुछ ना कुछ असर तो अ...

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कोस कोस शब्दकोश- राकेश कायस्थ By राजीव तनेजा

जब भी हम समाज में कुछ अच्छा या बुरा घटते हुए देखते हैं तो उस पर..उस कार्य के हिसाब से हम अपनी अच्छी-बुरी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं या फिर करना चाहते हैं। अब अगर कभी किसी के अच्छे...

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गुजरात का अनूठा पावागढ़ -जहाँ महाकाली मंदिर के ऊपर मजार है By Neelam Kulshreshtha

क्या आप उत्तरप्रदेश व कश्मीर के पहाड़ देख चुके हैं ? उन के सौंदर्य से हट कर कुछ अलग देखना चाहते हैं ? अगर आप किसी शांत, छोटी सी पहाड़ी जगह जाना चाहते हैं तो गुजरात राज्य की पूर्वी...

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बाक़ी सफ़ा 5 पर- रूप सिंह - सुभाष नीरव (अनुवाद) By राजीव तनेजा

कई बार राजनीति में अपने लाभ..वर्चस्व इत्यादि को स्थापित करने के उद्देश्य से अपने पिट्ठू के रूप में आलाकमान अथवा अन्य राजनैतिक पार्टियों द्वारा ऐसे मोहरों को फिट कर दिया जाता है जो...

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धूप के गुलमोहर- ऋता शेखर 'मधु' By राजीव तनेजा

आमतौर पर अपने भावों को अभिव्यक्त करने के लिए सब एक दूसरे से बोल बतिया कर अपने मनोभावों को प्रकट करते हैं। मगर जब अपने मन की बात को अभिव्यक्त करने और उन्हें अधिक से अधिक लोगों तक सं...

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सपनों का शहर- जयश्री पुरवार By राजीव तनेजा

अपने रोज़मर्रा के जीवन से जब भी कभी थकान..बेचैनी..उकताहट या फिर बोरियत उत्पन्न होने लगे तो हम सब आमतौर पर अपना मूड रिफ्रेश करने के लिए बोरिया बिस्तर संभाल.. कहीं ना कहीं..किसी ना कि...

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स्त्री कोख की विवशता By Neelam Kulshreshtha

स्त्री कोख की विवशता - नमिता सिंह जी की कहानी ‘कोख’ नीलम कुलश्रेष्ठ महाभारत की पृष्ठभूमि पर आधारित नमिता जी की 'कोख 'कहानी 'को अपने द्वारा सम्पादित पुस्तक &...

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अनुभूति- रीटा सक्सेना By राजीव तनेजा

जीवन की आपाधापी से दूर जब भी कभी फुरसत के चंद लम्हों..क्षणों से हम रूबरू होते हैं तो अक्सर उन पुरानी मीठी यादों में खो जाते हैं जिनका कभी ना कभी..किसी ना किसी बहाने से हमारे जीवन स...

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मणि मोहन मेहता-भेड़िया ने कहा शुभ रात्रि By राजनारायण बोहरे

गंभीर और प्रभावी कविताएं राजनारायण बोहरेमणि मोहन मेहता का नया कविता संग्रह ‘भेड़ियों ने कहा शुभरात्रि’ अभी बोधि प्रकाशन से छप कर आया है । इसमें मणि भाई की तमाम अच्छी कविताएं सम्मिलि...

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सपनों का शहर - सेनफ्रांसिस्को- जयश्री पुरवार By राजीव तनेजा

अपने रोज़मर्रा के जीवन से जब भी कभी थकान..बेचैनी..उकताहट या फिर बोरियत उत्पन्न होने लगे तो हम सब आमतौर पर अपना मूड रिफ्रेश करने के लिए बोरिया बिस्तर संभाल.. कहीं ना कहीं..किसी ना कि...

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Tej@ज़िंदगी यू टर्न- तेजराज गहलोत By राजीव तनेजा

किसी भी देश..राज्य..संस्कृति अथवा अलग अलग इलाकों में बसने वाले वहाँ के बाशिंदों का जब भी आपस में किसी ना किसी बहाने से मेल मिलाप होता है तो यकीनन एक का दूसरे पर कुछ ना कुछ असर तो अ...

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आर्त्तनाद : मानवता का प्रश्न By Neelam Kulshreshtha

चर्चा के बहाने आर्त्तनाद : मानवता का प्रश्न डॉ. रेनू यादव , ग्रेटर नोएडा किसी भी कहानी का प्लॉट उठाने के लिए लेखक का अनुभव जितना नजदीक से होगा उतनी ही संवेदना और गहराई लेखन में होग...

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स्त्री- विमर्श के मौजूदा दौर का भविष्य By Neelam Kulshreshtha

स्त्री- विमर्श के मौजूदा दौर का भविष्य [ समीक्षाकार -श्री प्रबोध गोविल जी व डॉ प्रणव भारती  जी ] `तर्णेतर ने रे अमे मेड़े ग्याता` शीर्षक से आप ये न समझें कि ये किसी प्राचीन सं...

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मौं ढांकेँ फरिया में-राज गोस्वामी By राजनारायण बोहरे

मौं ढांकेँ फरिया में राज गोस्वामीबुन्देली की आधुनिक कवितासमीक्षक- राज बोहरेराज गोस्वामी बुंदेली की रस भीनी कविताओं के सृजक हैं । श्रंगार उनका विशेष प्रिय विषय है। बीच-बीच में बाल क...

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क्षण भर का स्पर्श-सुनीता डी.प्रसाद By राजनारायण बोहरे

क्षण भर का स्पर्श -सुनीता डी. प्रसादप्रेम में डूबी अच्छी कविताओं का संग्रहसमीक्षक-राज बोहरेवर्तमान समय में जब चारों ओर नफरत औऱ दुश्मनी की आग बरस रही हो, तब प्रेम की शीतल धार और प्य...

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तू दुर्गा है दुर्गा सी लग - सलमान फराज By ramgopal bhavuk

‘तू दुर्गा है दुर्गा सी लग’ में भारतीयता की पड़ताल रामगोपाल भावुक विज्ञान के नये- नये प्रयोगों की तरह ही साहित्य के क्षेत्र में भी नये नये प्रयोग किये जा रहे हैं। चाहे कवितायें हो,...

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जीवन के टेढ़े मेढ़े रास्ते पार करता :स्त्री सशक्तिकरण By Neelam Kulshreshtha

समीक्षा लाइफ @ ट्विस्ट एण्ड टर्न .कॉम -जीवन के टेढ़े मेढ़े रास्ते पार करता :स्त्री सशक्तिकरण डॉ. आशा सिंह सिकरवार, अहमदाबाद  ''लाइफ़ @ ट्विस्ट एण्ड टर्न . कॉम " साझा उपन...

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ग़द्दार- राकेश अचल By राजीव तनेजा

किसी भी काम को करने या ना करने के पीछे हर एक की अपनी अपनी वजहें..अपने अपने तर्क..कुतर्क हो सकते हैं। साथ ही यह भी ज़रूरी नहीं कि हमारे किए से दूसरा भी हमारी ही तरह सहमत हो या हम भी...

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धमनियों के देश में-भगवान स्वरूप चैतन्य By ramgopal bhavuk

धमनियों के देश में’ परमाणु प्रकाशन ग्वालियर कर्मशील व्यक्तित्व डॉ भगवान स्वरूप चैतन्य रामगोपाल भावुक डॉ चैतन्य कृति ‘‘ धमनियों के देश में’ परमाणु प्रकाशन ग्वालियर से प्रकाशित हो चु...

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सूर्यपाल सिंह का साहित्य-एक धरोहर By ramgopal bhavuk

सूर्यपाल सिंह का साहित्य-एक धरोहर रामगोपाल भावुक प्रसिद्ध समालोचक बजरंग बिहारी तिवारी के सौजन्य से अपनी रत्नावली उपन्यास का विमोचन कराने गौंडा जाने का अवसर मिला। किस्साकोताह के सम्...

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शोमैन राज कपूर- रितु नंदा By राजीव तनेजा

कहा जाता है कि किसी को हँसाना सबसे मुश्किल काम है और वही लोग सबको हँसा पाते है जो स्वयं भीतर से बहुत दुखी होते है। सबको हँसा हँसा कर लोटपोट कर देने वाले महान अभिनेता चार्ली चैप्लिन...

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लक्ष्मी शर्मा-स्वर्ग का अंतिम उतार By राजनारायण बोहरे

स्वर्ग का अन्तिम उतार: रोचक उपन्यास लक्ष्मी शर्मासमीक्षाराजनारायण बोहरेएक जमाने में भारतीय ग्रामीण समाज के पुरुष गाय दान की हसरत करते थे, उपन्यास गोदान में प्रेमचंद ने होरी की हसरत...

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ठौर- दिव्या शुक्ला By राजीव तनेजा

पिछले लगभग तीन- सवा तीन वर्षों में 300 किताबों के पठन पाठन के दौरान मेरा सरल अथवा कठिन..याने के हर तरह के लेखन से परिचय हुआ। जहाँ एक तरफ़ धाराप्रवाह लेखन से जुड़ी कोई किताब मुझे इतनी...

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वायरस मारेगा- अंकित वर्मा By राजीव तनेजा

किसी ने भी नहीं सोचा था कोरोना महामारी के कहर से भयभीत हो..हम सब इसके मकड़जाल में इस कदर घिर जाएँगे कि हमें आपस में ही एक दूसरे से हमेशा इस बात का डर सताता रहेगा कि कहीं इसकी या उसक...

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कुछ इस तरह- पूनम अहमद By राजीव तनेजा

कई बार हमें कहीं कुछ ऐसा पढ़ने को मिल जाता है कि पढ़ते वक्त ही ये महसूस होने लगता है कि..अरे!..ऐसा तो हमारे फलाने रिश्तेदार..फलाने पड़ौसी या फिर फलाने जानकार के साथ उसके निजी जीवन में...

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कैलाश बनवासी-कविता, पेंटिंग, पेड़ कुछ नहीं By राज बोहरे

पुस्तक समीक्षा कविता, पेंटिंग, पेड़ कुछ नहीं राजनारायण बोहरे पुस्तक -कहानी संग्रह % कविता, पेंटिंग, पेड़ कुछ नहीं लेखक- कैलाश बनवासी प्रकाशक सेतु प्रकाशन नई दिल्ली मूल्य -200 रूपये ष...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 5 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता - श्रंखला -5 तेलुगु की स्त्री विमर्श कहानियां दिल्ली की दामिनी के केस ने सारे देश को जगा दिया था. गुजरात की सरकार ने फ़रवरी 2014 में 181 हेल्पलाइन का शुभारंभ किया था....

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बारिश और अन्य लघुकथाएं By Sandeep Tomar

“रचनाओ की रिमझिम”  पुस्तक-“ बारिश तथा अन्य लघुकथाएँ” रचनाकार- सुभाष नीरव  प्रकाशक: किताबगंज प्रकाशन प्रकाशन वर्ष: २०१९ आलोचक भले ही लघुकथाओं को तवज्जो न देते हो भले ही वो गद्य में...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 4 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता - श्रंखला -4 पंजाबी स्त्री विमर्श कहानियां [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] इसी नारी अस्मिता की सुरक्षा का अभियान है रमणिका गुप्ता जी द्वारा संपादित 'हाशिये उलांघती औरत 'ज...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 3 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता - श्रंखला -3 मराठी स्त्री विमर्श कहानियां महाराष्ट्र की स्त्री के लिए मशहूर है कि वह जब बाज़ार जाती है तो पुस्तकें खरीद कर लौटती है. इस बात की पुष्टि होती है मराठी से...

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श्री श्री श्री विष्णुसहस्रनाम By king offear

1 विश्वम् जो स्वयं ही ब्रह्माण्ड है2 विष्णुः सर्वत्र विद्यमान3 वषट्कारः जिसका यज्ञ में आह्वान किया जाता है4 भूतभव्यभवत्प्रभुः अतीत, वर्तमान और भविष्य के भगवान5 भूतकृत् सभी प्राणियो...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला - भाग 2 By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता श्रंखला -2 “गुजराती स्त्री विमर्श कहानियां” सारे विश्व की औरतों के पुरुष व्यवस्था के कारण दुःख के सामांतर कारण हैं सिर्फ़ परिस्थितियां भिन्न हैं. इसी बात...

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रमणिका गुप्ता: अनुवाद की श्रंखला By Neelam Kulshreshtha

रमणिका गुप्ता जी और स्त्री विमर्श कहानियों के अनुवाद की श्रंखला रमणिका गुप्ता---1 [नीलम कुलश्रेष्ठ ] स्त्रियों की जागृति का इतिहास सवा सौ साल पुराना है जिस पर कुछ ना कुछ लिखा जाता...

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पिशाच- संजीव पालीवाल By राजीव तनेजा

बचपन में बतौर पाठक मेरी पढ़ने की शुरुआत कब कॉमिक्स से होती हुई वेदप्रकाश शर्मा के थ्रिलर उपन्यासों तक जा पहुँची.. मुझे खुद ही नहीं पता चला। उन दिनों में एक ही सिटिंग में पूरा उपन्या...

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माफ़ कीजिए श्रीमान- सुभाष चन्दर By राजीव तनेजा

व्यंग्य..साहित्य की एक ऐसी विधा है जिसमें आमतौर पर सरकार या समाज के उन ग़लत कृत्यों को इस प्रकार से इंगित किया जाता है की वह उस कृत्य के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति के मस्तिष्क से ले कर अ...

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Money कथा अनंता- कुशल सिंह By राजीव तनेजा

पिछले कुछ सालों में हमारे देश में नोटबंदी.. जी.एस.टी..किसान आंदोलन से ले कर कोरोना महामारी तक की वजह से ऐसे-ऐसे बदलाव हुए कि मज़दूर या मध्यमवर्गीय तबके के आम आदमी से ले कर बड़े बड़े ध...

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आड़ा वक्त- राजनारायण बोहरे By राजीव तनेजा

आम इनसान की भांति हर लेखक..कवि भी हर वक्त किसी ना किसी सोच..विचार अथवा उधेड़बुन में खोया रहता है। बस फ़र्क इतना है कि जहाँ आम व्यक्ति इस सोच विचार से उबर कर फिर से किसी नयी उधेड़बुन म...

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गुजरात में सबसे सफ़ल नारी अदालत : महिला सामाख्या योजना - 2 By Neelam Kulshreshtha

एपीसोड -2 पुरुषों के विरोध के उत्तर में वे कहतीं हैं "ज़ाहिर है पुरानी मान्यताएं टूट रहीं हैं. पहले पंचायत में स्वयं निर्णय लेकर सरपंच ग्राम पंचायत की सद्स्यायों के दस्तखत करवाने उन...

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कुम्हलाई कलियाँ- सीमा शर्मा (संपादन) By राजीव तनेजा

यह कोई गर्व या खुशी की नहीं बल्कि लानत..मलामत और शर्म की बात है कि भारत जैसे जनसँख्या बहुल देश में, जो कि आबादी के मामले में पूरे विश्व में दूसरा स्थान रखता है, सैक्स को देश..समाज...

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महाकवि भवभूति रामगोपाल भावुक By ramgopal bhavuk

महाकवि भवभूति  रामगोपाल भावुक डॉ. नौनिहाल गौतम   (ग्रन्थ-महाकवि भवभूति, लेखक-रामगोपाल भावुक, विधा-उपन्यास, भाषा-हिन्दी, प्रकाशक-कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन, म.प्र., प्रथम संस्कर...

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भोर की किरणों सी सकारात्मक - ’खुसुर पुसुर’ By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] आदरणीय कन्हैया लाल पांडेय जी से वड़ोदरा में उनका सन 2006 में उनका उसी शहर में वहीं लिखा, शिल्पायन प्रकाशन, देल्ही से प्रकाशित काव्य संग्रह 'भीगी हवाएँ' भ...

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उत्कृष्ट कलात्मक सांकेतिकता से किर्च किर्च होते मानव मन की व्यथा By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ 'सिलवटें 'विकेश निझावन जी के कहानी संग्रह की एक एक सिलवट मैं पलट क्या रहीं हूँ एक तीखे दर्द से गुज़र रहीं हूँ या उस साँकेतिक भाषा से झटके खा रहीं हूँ जो सिर्...

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फागुन वाली धूप रामलखन शर्मा By ramgopal bhavuk

समीक्षा                       फागन वाली धूप की संवेदना                                      रामगोपाल भावुक          दोहे लिखने की परम्परा हिन्दी साहित्य में हिन्दी के विकास के साथ...

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आम औरत की दैहिक या मानसिक यातना के लिए दहकते सवाल By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ आदरणीय सुधा अरोड़ा जी की पुस्तक मंगाने से पहले उसकी समीक्षा लिखने के अपने निर्णय से पहले मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं एक जटिल चुनौती को आमंत्रित कर रहीं हूँ। इस पुस्...

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आशा पाण्डेय का गीत संग्रह बाबा के गाँव में By ramgopal bhavuk

 आशा पाण्डेय का गीत संग्रह बाबा के गाँव में                                  रामगोपाल भावुक   जब जब गाँव की बात सामने आती है , मुझे मेरा गाँव, वहाँ की संस्कृति, वहाँ के लोक गीत , व...

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रेत समाधि याने टोम्ब ऑफ़ सेंड By Yashvant Kothari

मातृशक्ति की महागाथा --एक पाठकीय प्रतिक्रिया  यशवंत कोठारी कुछ समय पहले तक गीतांजलि श्री के नाम से परिचित नहीं था. अचानक टाइम्स ऑफ़ इंडिया में उनकी पुस्तक को अंतर राष्ट्रीय बुक...

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संगीत व साहित्य के सुरूर से मचलकर पटरी से उत्तर गई मालगाड़ी By Neelam Kulshreshtha

विश्व संगीत दिवस 21 जून पर विशेष [ संस्मरण --सन 2006 ] [नीलम कुलश्रेष्ठ] ‘ऐसे हैं सुख-सुपन हमारे, बन-बन कर मिट जाएं जैसे बालू के घर नदी किनारे ।’ पंडित नरेन्द्र शर्मा क...

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महेश कटारे-छछिया भर छाछ की धडकनें By ramgopal bhavuk

महेश कटारे-छछिया भर छाछ की धडकनें रामगोपाल भावुक हमारा देश कृषि प्रधान है। हिन्दी कहानी में मुंशी प्रेमचन्द्र ने सबसे पहले किसानों की व्यथा कथा कहना शुरू की थी। इसी नब्ज को पकड़कर भ...

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विश्व का प्रथम सबसे बड़ा गुजरात पुस्तकालय सहायक सहकारी मंडल By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ]  समस्त विश्व की प्रथम व लगभग एक मात्र संस्था है वड़ोदरा की 'गुजरात पुस्तकालय सहकारी मंडल 'जिसकी शहर के मध्य में एक अपनी निजी इमारत है । इस पुस्तकाल...

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अधूरा..अव्यक्त किंतु शाश्वत- पराग डिमरी By राजीव तनेजा

किसी भी देश..राज्य..संस्कृति अथवा अलग अलग इलाकों में बसने वाले वहाँ के बाशिंदों का जब भी आपस में किसी ना किसी बहाने से मेल मिलाप होता है तो यकीनन एक का दूसरे पर कुछ ना कुछ असर तो अ...

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कोस कोस शब्दकोश- राकेश कायस्थ By राजीव तनेजा

जब भी हम समाज में कुछ अच्छा या बुरा घटते हुए देखते हैं तो उस पर..उस कार्य के हिसाब से हम अपनी अच्छी-बुरी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं या फिर करना चाहते हैं। अब अगर कभी किसी के अच्छे...

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गुजरात का अनूठा पावागढ़ -जहाँ महाकाली मंदिर के ऊपर मजार है By Neelam Kulshreshtha

क्या आप उत्तरप्रदेश व कश्मीर के पहाड़ देख चुके हैं ? उन के सौंदर्य से हट कर कुछ अलग देखना चाहते हैं ? अगर आप किसी शांत, छोटी सी पहाड़ी जगह जाना चाहते हैं तो गुजरात राज्य की पूर्वी...

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बाक़ी सफ़ा 5 पर- रूप सिंह - सुभाष नीरव (अनुवाद) By राजीव तनेजा

कई बार राजनीति में अपने लाभ..वर्चस्व इत्यादि को स्थापित करने के उद्देश्य से अपने पिट्ठू के रूप में आलाकमान अथवा अन्य राजनैतिक पार्टियों द्वारा ऐसे मोहरों को फिट कर दिया जाता है जो...

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धूप के गुलमोहर- ऋता शेखर 'मधु' By राजीव तनेजा

आमतौर पर अपने भावों को अभिव्यक्त करने के लिए सब एक दूसरे से बोल बतिया कर अपने मनोभावों को प्रकट करते हैं। मगर जब अपने मन की बात को अभिव्यक्त करने और उन्हें अधिक से अधिक लोगों तक सं...

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सपनों का शहर- जयश्री पुरवार By राजीव तनेजा

अपने रोज़मर्रा के जीवन से जब भी कभी थकान..बेचैनी..उकताहट या फिर बोरियत उत्पन्न होने लगे तो हम सब आमतौर पर अपना मूड रिफ्रेश करने के लिए बोरिया बिस्तर संभाल.. कहीं ना कहीं..किसी ना कि...

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स्त्री कोख की विवशता By Neelam Kulshreshtha

स्त्री कोख की विवशता - नमिता सिंह जी की कहानी ‘कोख’ नीलम कुलश्रेष्ठ महाभारत की पृष्ठभूमि पर आधारित नमिता जी की 'कोख 'कहानी 'को अपने द्वारा सम्पादित पुस्तक &...

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अनुभूति- रीटा सक्सेना By राजीव तनेजा

जीवन की आपाधापी से दूर जब भी कभी फुरसत के चंद लम्हों..क्षणों से हम रूबरू होते हैं तो अक्सर उन पुरानी मीठी यादों में खो जाते हैं जिनका कभी ना कभी..किसी ना किसी बहाने से हमारे जीवन स...

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मणि मोहन मेहता-भेड़िया ने कहा शुभ रात्रि By राजनारायण बोहरे

गंभीर और प्रभावी कविताएं राजनारायण बोहरेमणि मोहन मेहता का नया कविता संग्रह ‘भेड़ियों ने कहा शुभरात्रि’ अभी बोधि प्रकाशन से छप कर आया है । इसमें मणि भाई की तमाम अच्छी कविताएं सम्मिलि...

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सपनों का शहर - सेनफ्रांसिस्को- जयश्री पुरवार By राजीव तनेजा

अपने रोज़मर्रा के जीवन से जब भी कभी थकान..बेचैनी..उकताहट या फिर बोरियत उत्पन्न होने लगे तो हम सब आमतौर पर अपना मूड रिफ्रेश करने के लिए बोरिया बिस्तर संभाल.. कहीं ना कहीं..किसी ना कि...

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Tej@ज़िंदगी यू टर्न- तेजराज गहलोत By राजीव तनेजा

किसी भी देश..राज्य..संस्कृति अथवा अलग अलग इलाकों में बसने वाले वहाँ के बाशिंदों का जब भी आपस में किसी ना किसी बहाने से मेल मिलाप होता है तो यकीनन एक का दूसरे पर कुछ ना कुछ असर तो अ...

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आर्त्तनाद : मानवता का प्रश्न By Neelam Kulshreshtha

चर्चा के बहाने आर्त्तनाद : मानवता का प्रश्न डॉ. रेनू यादव , ग्रेटर नोएडा किसी भी कहानी का प्लॉट उठाने के लिए लेखक का अनुभव जितना नजदीक से होगा उतनी ही संवेदना और गहराई लेखन में होग...

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स्त्री- विमर्श के मौजूदा दौर का भविष्य By Neelam Kulshreshtha

स्त्री- विमर्श के मौजूदा दौर का भविष्य [ समीक्षाकार -श्री प्रबोध गोविल जी व डॉ प्रणव भारती  जी ] `तर्णेतर ने रे अमे मेड़े ग्याता` शीर्षक से आप ये न समझें कि ये किसी प्राचीन सं...

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मौं ढांकेँ फरिया में-राज गोस्वामी By राजनारायण बोहरे

मौं ढांकेँ फरिया में राज गोस्वामीबुन्देली की आधुनिक कवितासमीक्षक- राज बोहरेराज गोस्वामी बुंदेली की रस भीनी कविताओं के सृजक हैं । श्रंगार उनका विशेष प्रिय विषय है। बीच-बीच में बाल क...

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क्षण भर का स्पर्श-सुनीता डी.प्रसाद By राजनारायण बोहरे

क्षण भर का स्पर्श -सुनीता डी. प्रसादप्रेम में डूबी अच्छी कविताओं का संग्रहसमीक्षक-राज बोहरेवर्तमान समय में जब चारों ओर नफरत औऱ दुश्मनी की आग बरस रही हो, तब प्रेम की शीतल धार और प्य...

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तू दुर्गा है दुर्गा सी लग - सलमान फराज By ramgopal bhavuk

‘तू दुर्गा है दुर्गा सी लग’ में भारतीयता की पड़ताल रामगोपाल भावुक विज्ञान के नये- नये प्रयोगों की तरह ही साहित्य के क्षेत्र में भी नये नये प्रयोग किये जा रहे हैं। चाहे कवितायें हो,...

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जीवन के टेढ़े मेढ़े रास्ते पार करता :स्त्री सशक्तिकरण By Neelam Kulshreshtha

समीक्षा लाइफ @ ट्विस्ट एण्ड टर्न .कॉम -जीवन के टेढ़े मेढ़े रास्ते पार करता :स्त्री सशक्तिकरण डॉ. आशा सिंह सिकरवार, अहमदाबाद  ''लाइफ़ @ ट्विस्ट एण्ड टर्न . कॉम " साझा उपन...

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ग़द्दार- राकेश अचल By राजीव तनेजा

किसी भी काम को करने या ना करने के पीछे हर एक की अपनी अपनी वजहें..अपने अपने तर्क..कुतर्क हो सकते हैं। साथ ही यह भी ज़रूरी नहीं कि हमारे किए से दूसरा भी हमारी ही तरह सहमत हो या हम भी...

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धमनियों के देश में-भगवान स्वरूप चैतन्य By ramgopal bhavuk

धमनियों के देश में’ परमाणु प्रकाशन ग्वालियर कर्मशील व्यक्तित्व डॉ भगवान स्वरूप चैतन्य रामगोपाल भावुक डॉ चैतन्य कृति ‘‘ धमनियों के देश में’ परमाणु प्रकाशन ग्वालियर से प्रकाशित हो चु...

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सूर्यपाल सिंह का साहित्य-एक धरोहर By ramgopal bhavuk

सूर्यपाल सिंह का साहित्य-एक धरोहर रामगोपाल भावुक प्रसिद्ध समालोचक बजरंग बिहारी तिवारी के सौजन्य से अपनी रत्नावली उपन्यास का विमोचन कराने गौंडा जाने का अवसर मिला। किस्साकोताह के सम्...

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शोमैन राज कपूर- रितु नंदा By राजीव तनेजा

कहा जाता है कि किसी को हँसाना सबसे मुश्किल काम है और वही लोग सबको हँसा पाते है जो स्वयं भीतर से बहुत दुखी होते है। सबको हँसा हँसा कर लोटपोट कर देने वाले महान अभिनेता चार्ली चैप्लिन...

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लक्ष्मी शर्मा-स्वर्ग का अंतिम उतार By राजनारायण बोहरे

स्वर्ग का अन्तिम उतार: रोचक उपन्यास लक्ष्मी शर्मासमीक्षाराजनारायण बोहरेएक जमाने में भारतीय ग्रामीण समाज के पुरुष गाय दान की हसरत करते थे, उपन्यास गोदान में प्रेमचंद ने होरी की हसरत...

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ठौर- दिव्या शुक्ला By राजीव तनेजा

पिछले लगभग तीन- सवा तीन वर्षों में 300 किताबों के पठन पाठन के दौरान मेरा सरल अथवा कठिन..याने के हर तरह के लेखन से परिचय हुआ। जहाँ एक तरफ़ धाराप्रवाह लेखन से जुड़ी कोई किताब मुझे इतनी...

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वायरस मारेगा- अंकित वर्मा By राजीव तनेजा

किसी ने भी नहीं सोचा था कोरोना महामारी के कहर से भयभीत हो..हम सब इसके मकड़जाल में इस कदर घिर जाएँगे कि हमें आपस में ही एक दूसरे से हमेशा इस बात का डर सताता रहेगा कि कहीं इसकी या उसक...

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कुछ इस तरह- पूनम अहमद By राजीव तनेजा

कई बार हमें कहीं कुछ ऐसा पढ़ने को मिल जाता है कि पढ़ते वक्त ही ये महसूस होने लगता है कि..अरे!..ऐसा तो हमारे फलाने रिश्तेदार..फलाने पड़ौसी या फिर फलाने जानकार के साथ उसके निजी जीवन में...

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कैलाश बनवासी-कविता, पेंटिंग, पेड़ कुछ नहीं By राज बोहरे

पुस्तक समीक्षा कविता, पेंटिंग, पेड़ कुछ नहीं राजनारायण बोहरे पुस्तक -कहानी संग्रह % कविता, पेंटिंग, पेड़ कुछ नहीं लेखक- कैलाश बनवासी प्रकाशक सेतु प्रकाशन नई दिल्ली मूल्य -200 रूपये ष...

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