hindi Best Book Reviews Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Book Reviews in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultu...Read More


Languages
Categories
Featured Books

समकालीन कहानी में सांस्कृतिक मूल्य-डॉ पदमा शर्मा By राज बोहरे

डॉ0पदमा शर्मा समकालीन हिन्दी कहानी में सांस्कृतिक मूल्य’राजनारायण बोहरेपुस्तक- समकालीन हिन्दी कहानी में सांस्कृतिक मूल्यलेखिका-डॉ0पदमा शर्माप्रकाशक-रजनी प्रकाशन दिल्ली‘ समकालीन हिन...

Read Free

जंगल के ख़िलाफ़-हीरालाल नागर By राज बोहरे

अनछुए क्षेत्र में पहुँची कविताएँ “जंगल के खिलाफ“युवा कवि हीरालाल नागर के नव्यतम कविता संग्रह “जंगल के खिलाफ“ की कविताऐं हमारे आसपास के उपेक्षित संसार पाठकों के समक्ष पूरी शिद्दत, ई...

Read Free

मुखबिर उपन्यास मुकम्मल- डॉ जी के सक्सैना By राज बोहरे

राजबोहरे:मुखबिर उपन्यास चंबल का उपाख्यान है- डॉक्टर गोपाल किशोर सक्सेनाहर ताकतवर आदमी के लिए मुखबिर की फौज चाहिए होती है |वह हर कीमत पर मुखबिर ढूंढता है |कभी पैसे के लालच से, तो कभ...

Read Free

कहा गुलाब ने-श्यामा सलिल By राज बोहरे

कहा गुलाब नेः हम उगाएँगे हँसी दुःख की फसल सेहिंदी कविता के साथ एक अजीब सी परम्परा रही है कि जो कवि मंच पर जितना श्रेय प्राप्त करता हैं, मंच से दूर प्रकाशन जगत में उतना ही कम जाना ज...

Read Free

जनवादी ग़ज़ल का शायर-सीताराम साबिर By राज बोहरे

सीताराम साबिर : सूफियाना प्रकृति के शायर राजनारायण बोहरेसाहित्य सर्जन को अपना ईमान धर्म समझने वाले शायरों में दतिया के सीता राम कटारिया साबिर का उल्लेख बड़े फख्र के साथ होता है |उन...

Read Free

बेतवा बहती रही -मैत्रेयी पुष्पा By राज बोहरे

बेतवा बहती रहीमैत्रेयी पुष्पा का नाम हिन्दी कथा साहित्य में आज की सर्वाधिक चर्चित लेखिका के रूप में लिया जाता है।उनकी कथायें गांव की सीधे-सहज सरल लोगों की कहानियाँ हैं, जिनके आस-पा...

Read Free

इज़्ज़त आबरू पर लक्ष्मीनारायण बुनकर By राज बोहरे

इति वृतात्मकता की वापसी: इज्जत-आबरूडा0 लक्ष्मीनारायण बुनकर कथा संग्रह -इज्जत-आबरूलेखक-राजनारायण बोहरेयात्री प्रकाशन दिल्ली आज की हिन्दी कहानी पर तमाम आरोप एक लम्बे समय से लगभग हरेक...

Read Free

आज की अहिल्या By Neelam Kulshreshtha

पत्थर बनने से इंकार करती डॉ. इंदु झुनझुनुवाला की 'आज की अहिल्या' [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] सुप्रसिद्ध साहित्यकार रमणिका गुप्ता जी बिहार की कोलियारी के मज़दूरों के लिए काम करतीं थी...

Read Free

किसान पुराण आड़ा वक्त -प्रतिभा पाण्डेय By राज बोहरे

समीक्षा लेखकिसान पुराण :आड़ा वक़्तप्रो0 प्रतिभा पाण्डेय प्रेमचंद के पहले किसान से जुड़े उपन्यास बहुत कम संख्या में पाए जाते हैं। स्वयं प्रेमचंद ने भी शुरू में किसानों पर ध्यान केंद्रि...

Read Free

पंच परमेश्वर अद्भुत कथा-आनन्द मोहन सक्सैना By राज बोहरे

पंच परमेश्वर अद्भुत कथा -आनंद मोहन सक्सैना प्रेमचंद की कहानी उपन्यासों में आए वाक्य और वाक्यांश तुलसी की जनसामान्य में प्रयुक्त होने वाली चौपाइयों की अनुरूप ही साहित्य जगत में स्था...

Read Free

एक थी महुआ-सविता वर्मा ग़ज़ल By राज बोहरे

समीक्षा-एक थी महुआराज बोहरे सावित्री वर्मा गजल का नया कहानी संग्रह ‘एक ही महुआ’ आरती प्रकाशन लाल कुआं नैनीताल से प्रकाशित हुआ है। इसमें लेखिका की इक्कीस कहानियां सम्मिलित हैं । लेख...

Read Free

स्तुति - सौरभ कुदेशिया By राजीव तनेजा

ईसा पूर्व हज़ारों साल पहले कौरवों और पांडवों के मध्य हुए संघर्ष को आधार बना कर ऋषि वेद व्यास द्वारा उच्चारित एवं गणेश द्वारा लिखी गयी महाभारत अब भी हमें रोमांचित करती है। इस महागाथा...

Read Free

पेड़ तथा अन्य कहानियां-समीक्षा By राज बोहरे

पेड़ तथा अन्य कहानियां राजनारायण बोहरेप्रसिद्ध व्यंग्यकार उपन्यासकार अश्विनी कुमार दुबे का नया कहानी संग्रह- ' पेड़ तथा अन्य कहानियां ' सत्साहित्य प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशि...

Read Free

बहेलिया By Yashvant Kothari

बहेलिया –मानवीयता का दस्तावेज़                       यशवंत कोठारी संवाद-हीनता व संवेदन शून्यता के इस संक्रमण काल में मानवीयता की चर्चा करना या मानवीयता को आधार बना कर कुछ लिखना आसान...

Read Free

धनिका - मधु चतुर्वेदी By राजीव तनेजा

आज भी हमारे समाज में आम मान्यता के तहत लड़कियों की बनिस्बत लड़कों को इसलिए तरजीह दी जाती है कि लड़कियों ने तो मोटा दहेज ले शादी के बाद दूसरे घर चले जाना है जबकि लड़कों ने परिवार के साथ...

Read Free

मेरी विरासत :स्वतंत्रता के बाद प्रथम शिक्षित स्त्री पीढ़ी By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ [ `कथादेश` के सुधा अरोड़ा जी के बेहद लोकप्रिय स्तम्भ `औरत की दुनियां `में प्रकाशित लेख का विस्तार ]     मेरी नानी रुक्मणि देवी के पिता कोटा में अपने आस-पास...

Read Free

माँडू के अहसासः रानी रूपमती By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ माँडू या माँडवगढ़ में रानी रूपमती के मंडप की आसमान को छूती इमारत की खुली लंबी छत के दोनों किनारे दो मंडप । कहते हैं रानी रूपमती नर्मदा नदी के तट पर बसे गाँव धर्मपुर...

Read Free

अनुबोधपंचशिका By Pranava Bharti

============= प्रणेता ;डॉ.उमाकान्त शुक्ल: आद्यसम्पादक: पद्म श्री –डॉ. रमाकान्त शुक्ल: =======&...

Read Free

चौसर - जितेन्द्र नाथ By राजीव तनेजा

थ्रिलर उपन्यासों का मैं शुरू से ही दीवाना रहा हूँ। बचपन में वेदप्रकाश शर्मा के उपन्यासों से इस क़दर दीवाना बनाया की उनका लिखा 250-300 पेज तक का उपन्यास एक या दो सिटिंग में ही पूरा प...

Read Free

बर्फ़खोर हवाएँ - हरप्रीत सेखा - अनुवाद (सुभाष नीरव) By राजीव तनेजा

साहित्य को किसी देश या भाषा के बंधनों में बाँधने के बजाय जब एक भाषा में अभिव्यक्त विचारों को किसी दूसरी भाषा में जस का तस प्रस्तुत किया जाता है तो वह अनुवाद कहलाता है। ऐसे में किसी...

Read Free

इतिहास की एक दर्दीली आहः गन्ना बेगम By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ  कहते हैं अठारहवीं सदी में अब्दुल कुली खान की अपूर्व सुंदर बेटी जितनी सुंदर गज़लें लिखती थी उतने ही सुंदर अंदाज में गाती थी। वह इतना सुरीला गाती थी कि लोग उसे...

Read Free

दरकते दायरे - विनीता अस्थाना By राजीव तनेजा

कहा जाता है कि हम सभी के जीवन में कुछ न कुछ ऐसा अवश्य अवश्य होता है जिसे हम अपनी झिझक..हिचक..घबराहट या संकोच की वजह से औरों से सांझा नहीं कर पाते कि.. लोग हमारा सच जान कर हमारे बार...

Read Free

शुद्धि - वन्दना यादव By राजीव तनेजा

कहते हैं कि सिर्फ़ आत्मा अजर..अमर है। इसके अलावा पेड़-पौधे,जीव-जंतु से ले कर हर चीज़ नश्वर है। सृष्टि इसी प्रकार चलती आयी है और चलती रहेगी। जिसने जन्म लिया है..वक्त आने पर उसने नष्ट अ...

Read Free

राजनर्तकी सुजान व कवि घनानंद By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] “हौंस हौंस फूलन के सारे सिंगार सजौं आँगन में फूलन कौ चदरा बिछाऊँगी। जा दिन सनेही घर आवै घन आनंद जू घर द्वार गली गली दियरा जलाऊँगी।” बृजभाषा में पंक्...

Read Free

कैलेण्डर पर लटकी तारीखें - दिव्या शर्मा By राजीव तनेजा

आमतौर पर किसी भी रचना को पढ़ने पर चाहत यही होती है कि उससे कुछ न कुछ ग्रहण करने को मिले। भले ही उसमें कुछ रुमानियत या फ़िर बचपन की यादों से भरे नॉस्टेल्जिया के ख़ुशनुमा पल हों या फ़िर...

Read Free

ढाई चाल - नवीन चौधरी By राजीव तनेजा

देखा जाए तो सत्ता का संघर्ष आदि काल से चला आ रहा है। कभी कबीलों में अपने वर्चस्व की स्थापना के लिए साजिशें रची गयी तो कभी अपनी प्रभुसत्ता सिद्ध करने के लिए कत्लेआम तक किए गए। समय अ...

Read Free

पानी के लिये चिंतित जल नाद : पानी हाट बिकाये By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] ‘जल’ फ़िल्म [सन -२०१३] आरम्भ ही होती है गुजरात के कच्छ के रन की फटी हुई धरती पर चलते कैमरे से व पानी मिल जाने की आस की छटपटाहट से. हीरो बक्का धूल से...

Read Free

मून गेट - पूनम अहमद By राजीव तनेजा

ऊपरी तौर पर ईश्वर ने सभी मनुष्यों (स्त्री-पुरुष) को एक समान शक्तियाँ तो दी हैं मगर गुण-अवगुण सभी में अलग-अलग प्रदान किए। गौर करने पर हम पाते हैं कि जहाँ एक तरफ़ कोई मनुष्य दया..मानव...

Read Free

महारानी चिमणाबाई की पुस्तक और नारीवाद By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ स्त्री चेतना जागृत करने के आधुनिक इतिहास का आरंभ लगभग दयानंद सरस्वती से मान सकते हैं लेकिन स्त्री में चेतना जागी हो ऐसा हम सवा सौ वर्ष से भी अधिक पूर्व का समय मान स...

Read Free

काली धार - महेश कटारे का उपन्यास By राज बोहरे

काली धार -महेश कटारे का उपन्यासराजनारायण बोहरेकाली धार उपन्यास अमरसत्य प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। 'काली धार ' यानी चंबल (काले रँग के पानी के कारण और खरी वानी के कार...

Read Free

हवा ! ज़रा थमकर बहो By Pranava Bharti

हवा ! ज़रा थमकर बहो, मन की बयार में डूबते-उतरते अहसासों का स्निग्ध चित्र ===================== रो...

Read Free

लीलावती By DINESH KUMAR KEER

गणितज्ञ "लीलावती" का नाम हममें से अधिकांश लोगों ने नहीं सुना है, उनके बारे में कहा जाता है कि वो पेड़ के पत्ते तक गिन लेती थीं,,शायद ही कोई जानता हो कि आज यूरोप सहित विश्व के सैंकड...

Read Free

दिसंबर संजोग - आभा श्रीवास्तव By राजीव तनेजा

वैसे अगर देखा जाए तो हमारे आसपास के माहौल में इतनी कहानियाँ अपने किसी न किसी रूप में मौजूद रह इधर-उधर विचरती रहती है। जिन्हें ज़रूरत होती है पारखी नज़र..सुघड़ हाथों एवं परिपक्व सोच की...

Read Free

बातें कम Scam ज़्यादा- नीरज बधवार By राजीव तनेजा

खुद भी एक व्यंग्यकार होने के नाते मुझे और भी कई अन्य व्यंग्यकारों का लिखा हुआ पढ़ने को मिला मगर ज़्यादातर में मैंने पाया कि अख़बारी कॉलम की तयशुदा शब्द सीमा में बँध अधिकतर व्यंग्यकार...

Read Free

शंख में समंदर By Pranava Bharti

शंख में समंदर -- सतह पर उभरते चित्रों का कोलाज लेखक--डॉ. अजय शर्मा ------------------------- आओ बात करें कुछ मन की, जीवन की और उसके क्षण की | ज़िंदगी की सुनहरी धूप-छाँह सबको अपने भी...

Read Free

शैडो- जयंती रंगनाथन By राजीव तनेजा

अन्य मानवीय अनुभूतियों के अतिरिक्त विस्मय..भय..क्रोध..लालच की तरह ही डर भी एक ऐसी मानवीय अनुभूति है जिससे मेरे ख्याल से कोई भी अछूता नहीं होगा। कभी रामसे ब्रदर्स की बचकानी शैली में...

Read Free

कथा चलती रहे- स्नेह गोस्वामी By राजीव तनेजा

कई बार कोई खबर..कोई घटना अथवा कोई विचार हमारे मन मस्तिष्क को इस प्रकार उद्वेलित कर देता है कि हम उस पर लिखे बिना नहीं रह पाते। इसी तरह कई बार हमारे ज़ेहन में निरंतर विस्तार लिए विचा...

Read Free

एक स्कूली छात्र की कहानी और जादू की किताब By Deepak Singh

एक स्कूली छात्र की कहानी और जादू की किताब एक बार की बात है, आर्यन नाम का एक स्कूली लड़का था जिसे जादू का शौक था। उसने हमेशा एक जादूगर बनने और जादू के करतब दिखाने का सपना देखा था। ह...

Read Free

हार्ट इमोजी की धड़कन- रोचिका अरुण शर्मा By राजीव तनेजा

समय के साथ-साथ ज्यों-ज्यों किसी लेखक या लेखिका का लेखन विस्तार पाता है तो तजुर्बे के साथ उसके लेखन और अधिक गंभीरता.. परिपक्वता एवं स्थायित्व आने लगता है। समय के साथ वह ऐसे धीर गंभी...

Read Free

कैसा हो बच्चों का साहित्य By Yashvant Kothari

कैसा हो बच्चों का साहित्य   यशवंत कोठारी   पिछले कुछ वर्षों में हिन्दी व भारतीय भाषाओं में प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य का प्रकाशन हुआ है। अंग्रेजी के साहित्य से तुलना करने पर हिन...

Read Free

बाली उमर- भगवंत अनमोल By राजीव तनेजा

"सोलह बरस की बाली उमर को सलामए प्यार तेरी पहली नज़र को सलाम"जीवन में कभी ना कभी हम सभी को उम्र के ऐसे दौर से गुज़रना पड़ता है जहाँ हम ना बड़ों की गिनती में ही आते हैं और ना ही छोटों की...

Read Free

प्रेत लेखन का नंगा सच - योगेश मित्तल By राजीव तनेजा

अगर अपने पढ़ने के शौक की बात करूँ तो मेरी भी शुरुआत बहुतों की तरह चंपक, मधु मुस्कान, लोटपोट, नंदन, सरिता, मुक्ता, धर्मयुग.. वाया साप्ताहिक हिंदुस्तान, वेदप्रकाश शर्मा के थ्रिलर उपन्...

Read Free

कानून का अर्थ By Gurpreet Singh HR02

कानून के बारे मे जानकारीविधि,कानून या सन्नियम किसी नियमसंहिता को कहते हैं। विधि प्रायः भलीभांति लिखी हुई दिशा व निर्देशों के रूप में होती है। समाज को सम्यक ढंग से चलाने के लिये विध...

Read Free

क्वीन- कामिनी कुसुम By राजीव तनेजा

बात ज़्यादा पुरानी नहीं बस उस वक्त की है जब हिंदी फिल्मों की पटकथा लेखक के रूप में स्वर्गीय कादर खान की तूती बोला करती थी। लेखन के साथ साथ वे अभिनय के क्षेत्र में इस कदर व्यस्त थे क...

Read Free

ज़िन्दगी 50 50- भगवंत अनमोल By राजीव तनेजा

जब भी कभी आपके पास किसी एक चीज़ के एक से ज़्यादा विकल्प हों तो आप असमंजस से भर.. पशोपेश में पड़ जाते हैं कि आप उनमें से किस विकल्प को चुनें? मगर दुविधा तब और बढ़ जाती है जब सभी के सभी...

Read Free

लोकतंत्र के पहरुए.. पद्मा शर्मा By Ram Bharose Mishra

ग्रामीण राजनीति की दास्तान पद्मा का उंपन्यास-लोकतंत्र के पहरुए! रामभरोसे मिश्राराजनीति सामाजिक जीवन को गहरे से प्रभावित करती है। संविधान द्वारा भले ही जनजाति और अनुसूचित जनजाति के...

Read Free

समकालीन कहानी में सांस्कृतिक मूल्य-डॉ पदमा शर्मा By राज बोहरे

डॉ0पदमा शर्मा समकालीन हिन्दी कहानी में सांस्कृतिक मूल्य’राजनारायण बोहरेपुस्तक- समकालीन हिन्दी कहानी में सांस्कृतिक मूल्यलेखिका-डॉ0पदमा शर्माप्रकाशक-रजनी प्रकाशन दिल्ली‘ समकालीन हिन...

Read Free

जंगल के ख़िलाफ़-हीरालाल नागर By राज बोहरे

अनछुए क्षेत्र में पहुँची कविताएँ “जंगल के खिलाफ“युवा कवि हीरालाल नागर के नव्यतम कविता संग्रह “जंगल के खिलाफ“ की कविताऐं हमारे आसपास के उपेक्षित संसार पाठकों के समक्ष पूरी शिद्दत, ई...

Read Free

मुखबिर उपन्यास मुकम्मल- डॉ जी के सक्सैना By राज बोहरे

राजबोहरे:मुखबिर उपन्यास चंबल का उपाख्यान है- डॉक्टर गोपाल किशोर सक्सेनाहर ताकतवर आदमी के लिए मुखबिर की फौज चाहिए होती है |वह हर कीमत पर मुखबिर ढूंढता है |कभी पैसे के लालच से, तो कभ...

Read Free

कहा गुलाब ने-श्यामा सलिल By राज बोहरे

कहा गुलाब नेः हम उगाएँगे हँसी दुःख की फसल सेहिंदी कविता के साथ एक अजीब सी परम्परा रही है कि जो कवि मंच पर जितना श्रेय प्राप्त करता हैं, मंच से दूर प्रकाशन जगत में उतना ही कम जाना ज...

Read Free

जनवादी ग़ज़ल का शायर-सीताराम साबिर By राज बोहरे

सीताराम साबिर : सूफियाना प्रकृति के शायर राजनारायण बोहरेसाहित्य सर्जन को अपना ईमान धर्म समझने वाले शायरों में दतिया के सीता राम कटारिया साबिर का उल्लेख बड़े फख्र के साथ होता है |उन...

Read Free

बेतवा बहती रही -मैत्रेयी पुष्पा By राज बोहरे

बेतवा बहती रहीमैत्रेयी पुष्पा का नाम हिन्दी कथा साहित्य में आज की सर्वाधिक चर्चित लेखिका के रूप में लिया जाता है।उनकी कथायें गांव की सीधे-सहज सरल लोगों की कहानियाँ हैं, जिनके आस-पा...

Read Free

इज़्ज़त आबरू पर लक्ष्मीनारायण बुनकर By राज बोहरे

इति वृतात्मकता की वापसी: इज्जत-आबरूडा0 लक्ष्मीनारायण बुनकर कथा संग्रह -इज्जत-आबरूलेखक-राजनारायण बोहरेयात्री प्रकाशन दिल्ली आज की हिन्दी कहानी पर तमाम आरोप एक लम्बे समय से लगभग हरेक...

Read Free

आज की अहिल्या By Neelam Kulshreshtha

पत्थर बनने से इंकार करती डॉ. इंदु झुनझुनुवाला की 'आज की अहिल्या' [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] सुप्रसिद्ध साहित्यकार रमणिका गुप्ता जी बिहार की कोलियारी के मज़दूरों के लिए काम करतीं थी...

Read Free

किसान पुराण आड़ा वक्त -प्रतिभा पाण्डेय By राज बोहरे

समीक्षा लेखकिसान पुराण :आड़ा वक़्तप्रो0 प्रतिभा पाण्डेय प्रेमचंद के पहले किसान से जुड़े उपन्यास बहुत कम संख्या में पाए जाते हैं। स्वयं प्रेमचंद ने भी शुरू में किसानों पर ध्यान केंद्रि...

Read Free

पंच परमेश्वर अद्भुत कथा-आनन्द मोहन सक्सैना By राज बोहरे

पंच परमेश्वर अद्भुत कथा -आनंद मोहन सक्सैना प्रेमचंद की कहानी उपन्यासों में आए वाक्य और वाक्यांश तुलसी की जनसामान्य में प्रयुक्त होने वाली चौपाइयों की अनुरूप ही साहित्य जगत में स्था...

Read Free

एक थी महुआ-सविता वर्मा ग़ज़ल By राज बोहरे

समीक्षा-एक थी महुआराज बोहरे सावित्री वर्मा गजल का नया कहानी संग्रह ‘एक ही महुआ’ आरती प्रकाशन लाल कुआं नैनीताल से प्रकाशित हुआ है। इसमें लेखिका की इक्कीस कहानियां सम्मिलित हैं । लेख...

Read Free

स्तुति - सौरभ कुदेशिया By राजीव तनेजा

ईसा पूर्व हज़ारों साल पहले कौरवों और पांडवों के मध्य हुए संघर्ष को आधार बना कर ऋषि वेद व्यास द्वारा उच्चारित एवं गणेश द्वारा लिखी गयी महाभारत अब भी हमें रोमांचित करती है। इस महागाथा...

Read Free

पेड़ तथा अन्य कहानियां-समीक्षा By राज बोहरे

पेड़ तथा अन्य कहानियां राजनारायण बोहरेप्रसिद्ध व्यंग्यकार उपन्यासकार अश्विनी कुमार दुबे का नया कहानी संग्रह- ' पेड़ तथा अन्य कहानियां ' सत्साहित्य प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशि...

Read Free

बहेलिया By Yashvant Kothari

बहेलिया –मानवीयता का दस्तावेज़                       यशवंत कोठारी संवाद-हीनता व संवेदन शून्यता के इस संक्रमण काल में मानवीयता की चर्चा करना या मानवीयता को आधार बना कर कुछ लिखना आसान...

Read Free

धनिका - मधु चतुर्वेदी By राजीव तनेजा

आज भी हमारे समाज में आम मान्यता के तहत लड़कियों की बनिस्बत लड़कों को इसलिए तरजीह दी जाती है कि लड़कियों ने तो मोटा दहेज ले शादी के बाद दूसरे घर चले जाना है जबकि लड़कों ने परिवार के साथ...

Read Free

मेरी विरासत :स्वतंत्रता के बाद प्रथम शिक्षित स्त्री पीढ़ी By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ [ `कथादेश` के सुधा अरोड़ा जी के बेहद लोकप्रिय स्तम्भ `औरत की दुनियां `में प्रकाशित लेख का विस्तार ]     मेरी नानी रुक्मणि देवी के पिता कोटा में अपने आस-पास...

Read Free

माँडू के अहसासः रानी रूपमती By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ माँडू या माँडवगढ़ में रानी रूपमती के मंडप की आसमान को छूती इमारत की खुली लंबी छत के दोनों किनारे दो मंडप । कहते हैं रानी रूपमती नर्मदा नदी के तट पर बसे गाँव धर्मपुर...

Read Free

अनुबोधपंचशिका By Pranava Bharti

============= प्रणेता ;डॉ.उमाकान्त शुक्ल: आद्यसम्पादक: पद्म श्री –डॉ. रमाकान्त शुक्ल: =======&...

Read Free

चौसर - जितेन्द्र नाथ By राजीव तनेजा

थ्रिलर उपन्यासों का मैं शुरू से ही दीवाना रहा हूँ। बचपन में वेदप्रकाश शर्मा के उपन्यासों से इस क़दर दीवाना बनाया की उनका लिखा 250-300 पेज तक का उपन्यास एक या दो सिटिंग में ही पूरा प...

Read Free

बर्फ़खोर हवाएँ - हरप्रीत सेखा - अनुवाद (सुभाष नीरव) By राजीव तनेजा

साहित्य को किसी देश या भाषा के बंधनों में बाँधने के बजाय जब एक भाषा में अभिव्यक्त विचारों को किसी दूसरी भाषा में जस का तस प्रस्तुत किया जाता है तो वह अनुवाद कहलाता है। ऐसे में किसी...

Read Free

इतिहास की एक दर्दीली आहः गन्ना बेगम By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ  कहते हैं अठारहवीं सदी में अब्दुल कुली खान की अपूर्व सुंदर बेटी जितनी सुंदर गज़लें लिखती थी उतने ही सुंदर अंदाज में गाती थी। वह इतना सुरीला गाती थी कि लोग उसे...

Read Free

दरकते दायरे - विनीता अस्थाना By राजीव तनेजा

कहा जाता है कि हम सभी के जीवन में कुछ न कुछ ऐसा अवश्य अवश्य होता है जिसे हम अपनी झिझक..हिचक..घबराहट या संकोच की वजह से औरों से सांझा नहीं कर पाते कि.. लोग हमारा सच जान कर हमारे बार...

Read Free

शुद्धि - वन्दना यादव By राजीव तनेजा

कहते हैं कि सिर्फ़ आत्मा अजर..अमर है। इसके अलावा पेड़-पौधे,जीव-जंतु से ले कर हर चीज़ नश्वर है। सृष्टि इसी प्रकार चलती आयी है और चलती रहेगी। जिसने जन्म लिया है..वक्त आने पर उसने नष्ट अ...

Read Free

राजनर्तकी सुजान व कवि घनानंद By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] “हौंस हौंस फूलन के सारे सिंगार सजौं आँगन में फूलन कौ चदरा बिछाऊँगी। जा दिन सनेही घर आवै घन आनंद जू घर द्वार गली गली दियरा जलाऊँगी।” बृजभाषा में पंक्...

Read Free

कैलेण्डर पर लटकी तारीखें - दिव्या शर्मा By राजीव तनेजा

आमतौर पर किसी भी रचना को पढ़ने पर चाहत यही होती है कि उससे कुछ न कुछ ग्रहण करने को मिले। भले ही उसमें कुछ रुमानियत या फ़िर बचपन की यादों से भरे नॉस्टेल्जिया के ख़ुशनुमा पल हों या फ़िर...

Read Free

ढाई चाल - नवीन चौधरी By राजीव तनेजा

देखा जाए तो सत्ता का संघर्ष आदि काल से चला आ रहा है। कभी कबीलों में अपने वर्चस्व की स्थापना के लिए साजिशें रची गयी तो कभी अपनी प्रभुसत्ता सिद्ध करने के लिए कत्लेआम तक किए गए। समय अ...

Read Free

पानी के लिये चिंतित जल नाद : पानी हाट बिकाये By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] ‘जल’ फ़िल्म [सन -२०१३] आरम्भ ही होती है गुजरात के कच्छ के रन की फटी हुई धरती पर चलते कैमरे से व पानी मिल जाने की आस की छटपटाहट से. हीरो बक्का धूल से...

Read Free

मून गेट - पूनम अहमद By राजीव तनेजा

ऊपरी तौर पर ईश्वर ने सभी मनुष्यों (स्त्री-पुरुष) को एक समान शक्तियाँ तो दी हैं मगर गुण-अवगुण सभी में अलग-अलग प्रदान किए। गौर करने पर हम पाते हैं कि जहाँ एक तरफ़ कोई मनुष्य दया..मानव...

Read Free

महारानी चिमणाबाई की पुस्तक और नारीवाद By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ स्त्री चेतना जागृत करने के आधुनिक इतिहास का आरंभ लगभग दयानंद सरस्वती से मान सकते हैं लेकिन स्त्री में चेतना जागी हो ऐसा हम सवा सौ वर्ष से भी अधिक पूर्व का समय मान स...

Read Free

काली धार - महेश कटारे का उपन्यास By राज बोहरे

काली धार -महेश कटारे का उपन्यासराजनारायण बोहरेकाली धार उपन्यास अमरसत्य प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। 'काली धार ' यानी चंबल (काले रँग के पानी के कारण और खरी वानी के कार...

Read Free

हवा ! ज़रा थमकर बहो By Pranava Bharti

हवा ! ज़रा थमकर बहो, मन की बयार में डूबते-उतरते अहसासों का स्निग्ध चित्र ===================== रो...

Read Free

लीलावती By DINESH KUMAR KEER

गणितज्ञ "लीलावती" का नाम हममें से अधिकांश लोगों ने नहीं सुना है, उनके बारे में कहा जाता है कि वो पेड़ के पत्ते तक गिन लेती थीं,,शायद ही कोई जानता हो कि आज यूरोप सहित विश्व के सैंकड...

Read Free

दिसंबर संजोग - आभा श्रीवास्तव By राजीव तनेजा

वैसे अगर देखा जाए तो हमारे आसपास के माहौल में इतनी कहानियाँ अपने किसी न किसी रूप में मौजूद रह इधर-उधर विचरती रहती है। जिन्हें ज़रूरत होती है पारखी नज़र..सुघड़ हाथों एवं परिपक्व सोच की...

Read Free

बातें कम Scam ज़्यादा- नीरज बधवार By राजीव तनेजा

खुद भी एक व्यंग्यकार होने के नाते मुझे और भी कई अन्य व्यंग्यकारों का लिखा हुआ पढ़ने को मिला मगर ज़्यादातर में मैंने पाया कि अख़बारी कॉलम की तयशुदा शब्द सीमा में बँध अधिकतर व्यंग्यकार...

Read Free

शंख में समंदर By Pranava Bharti

शंख में समंदर -- सतह पर उभरते चित्रों का कोलाज लेखक--डॉ. अजय शर्मा ------------------------- आओ बात करें कुछ मन की, जीवन की और उसके क्षण की | ज़िंदगी की सुनहरी धूप-छाँह सबको अपने भी...

Read Free

शैडो- जयंती रंगनाथन By राजीव तनेजा

अन्य मानवीय अनुभूतियों के अतिरिक्त विस्मय..भय..क्रोध..लालच की तरह ही डर भी एक ऐसी मानवीय अनुभूति है जिससे मेरे ख्याल से कोई भी अछूता नहीं होगा। कभी रामसे ब्रदर्स की बचकानी शैली में...

Read Free

कथा चलती रहे- स्नेह गोस्वामी By राजीव तनेजा

कई बार कोई खबर..कोई घटना अथवा कोई विचार हमारे मन मस्तिष्क को इस प्रकार उद्वेलित कर देता है कि हम उस पर लिखे बिना नहीं रह पाते। इसी तरह कई बार हमारे ज़ेहन में निरंतर विस्तार लिए विचा...

Read Free

एक स्कूली छात्र की कहानी और जादू की किताब By Deepak Singh

एक स्कूली छात्र की कहानी और जादू की किताब एक बार की बात है, आर्यन नाम का एक स्कूली लड़का था जिसे जादू का शौक था। उसने हमेशा एक जादूगर बनने और जादू के करतब दिखाने का सपना देखा था। ह...

Read Free

हार्ट इमोजी की धड़कन- रोचिका अरुण शर्मा By राजीव तनेजा

समय के साथ-साथ ज्यों-ज्यों किसी लेखक या लेखिका का लेखन विस्तार पाता है तो तजुर्बे के साथ उसके लेखन और अधिक गंभीरता.. परिपक्वता एवं स्थायित्व आने लगता है। समय के साथ वह ऐसे धीर गंभी...

Read Free

कैसा हो बच्चों का साहित्य By Yashvant Kothari

कैसा हो बच्चों का साहित्य   यशवंत कोठारी   पिछले कुछ वर्षों में हिन्दी व भारतीय भाषाओं में प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य का प्रकाशन हुआ है। अंग्रेजी के साहित्य से तुलना करने पर हिन...

Read Free

बाली उमर- भगवंत अनमोल By राजीव तनेजा

"सोलह बरस की बाली उमर को सलामए प्यार तेरी पहली नज़र को सलाम"जीवन में कभी ना कभी हम सभी को उम्र के ऐसे दौर से गुज़रना पड़ता है जहाँ हम ना बड़ों की गिनती में ही आते हैं और ना ही छोटों की...

Read Free

प्रेत लेखन का नंगा सच - योगेश मित्तल By राजीव तनेजा

अगर अपने पढ़ने के शौक की बात करूँ तो मेरी भी शुरुआत बहुतों की तरह चंपक, मधु मुस्कान, लोटपोट, नंदन, सरिता, मुक्ता, धर्मयुग.. वाया साप्ताहिक हिंदुस्तान, वेदप्रकाश शर्मा के थ्रिलर उपन्...

Read Free

कानून का अर्थ By Gurpreet Singh HR02

कानून के बारे मे जानकारीविधि,कानून या सन्नियम किसी नियमसंहिता को कहते हैं। विधि प्रायः भलीभांति लिखी हुई दिशा व निर्देशों के रूप में होती है। समाज को सम्यक ढंग से चलाने के लिये विध...

Read Free

क्वीन- कामिनी कुसुम By राजीव तनेजा

बात ज़्यादा पुरानी नहीं बस उस वक्त की है जब हिंदी फिल्मों की पटकथा लेखक के रूप में स्वर्गीय कादर खान की तूती बोला करती थी। लेखन के साथ साथ वे अभिनय के क्षेत्र में इस कदर व्यस्त थे क...

Read Free

ज़िन्दगी 50 50- भगवंत अनमोल By राजीव तनेजा

जब भी कभी आपके पास किसी एक चीज़ के एक से ज़्यादा विकल्प हों तो आप असमंजस से भर.. पशोपेश में पड़ जाते हैं कि आप उनमें से किस विकल्प को चुनें? मगर दुविधा तब और बढ़ जाती है जब सभी के सभी...

Read Free

लोकतंत्र के पहरुए.. पद्मा शर्मा By Ram Bharose Mishra

ग्रामीण राजनीति की दास्तान पद्मा का उंपन्यास-लोकतंत्र के पहरुए! रामभरोसे मिश्राराजनीति सामाजिक जीवन को गहरे से प्रभावित करती है। संविधान द्वारा भले ही जनजाति और अनुसूचित जनजाति के...

Read Free