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Featured Books

केशवदास की भाषा By राज बोहरे

केशव एक अनूठा भाषा संसार बनाते हैं आचार्य केशव दास जी की भाषा पर बात करते समय अनेक अनेक पहलुओं पर गौर करना आवश्यक है। केशव केवल एक साधारण कवि नहीं थे वे तो परंपराओं के सेतु थे, एक...

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श्री श्यामसुंदर श्याम का कवि रूप By शैलेंद्र् बुधौलिया

श्री श्याम सुन्दर 'श्याम' की काव्य रचना- शैलेन्द्र बुधोलियाऐसे व्यक्तित्व दुर्लभ और महान होते हैं जिनका विकास एक रैखिक न होकर अनेक आयामों में समान रचना धर्मिता की उपलब्धियो...

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ढोलक बजाती वो औरत -- मेरी माँ By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] ९ जून २०१८ को भतीजे अभिन्न ने आगरा से सुबह साढ़े सात बजे सूचना दी कि मेरी मम्मी जी नहीं रहीं। उनके अंत से अपने व उनके समबन्ध को स्पष्ट कर रहीं हूँ। मैं बेंगलौर म...

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स्मृति ग्रँथ-डॉ हरिहर गोस्वामी By शैलेंद्र् बुधौलिया

स्मृति ग्रँथ डॉ हरिहर गोस्वामी सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार में जन्म लेकर और सहज सामान्य रूप में पल बढ़कर कैसे महानता और सरलता के शीर्ष को छुआ जा सकता है, यह डॉ हरिहर गोस्वामी मानस...

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प्रमोद अश्क -चंद गजलें अश्क की By राज बोहरे

प्रमोद अश्क -चंद गजलें अश्क कीकम लेकिन घनीभूत संवेदना की ग़ज़ल -राजनारायण बोहरे दतियापुस्तक-चंद गजलें अश्क कीकवि- प्रमोद अश्क प्रकाशक-हिंदी उर्दू मजलिसप्रमोद अश्क का नाम उन पुख्ता कव...

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अवध की बात - हरिकृष्ण हरि By शैलेंद्र् बुधौलिया

लोकसंस्कृति को समर्पित कवि –हरिकृष्णहरि  दिनांक तेरह दिसम्बर दो  हजार उन्नीस  को ‘साहित्य एक्सप्रेस’ का डॉक्टर मानस विश्वास पर केंद्रित विशेषांक लोकार्पित हुआ तो उसमें यह पढ़कर अत्...

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हरिसिंह हरीश की ग़ज़ल By राज बोहरे

पुस्तक समीक्षा- हरिसिंह हरीशराजनारायण बोहरे हर मिजाज की ग़ज़लेंपुस्तक-गम लेके फूल दियेग़ज़ल संग्रहकवि- हरिसिंह हरीशप्रकाशक-सुमन साहित्य सदन दतियाहरिसिंह हरीश संवेदनाओं से लबरेज ऐसे रचन...

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डॉ श्याम बिहारी श्रीवास्तव By शैलेंद्र् बुधौलिया

श्याम बिहारी श्रीवास्तव साहित्य और साहित्यकार मानव समाज को परमपिता परमात्मा की बड़ी देन है। धर्म, अर्थ, काम मोक्ष इन चारों की सिद्धियों में सदसाहित्य का अविस्मरणीय योगदान है। हमारा...

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बेहटा कलां - इंदु सिंह By राजीव तनेजा

आज़ादी बाद के इन 76 सालों में तमाम तरह की उन्नति करने के बाद आज हम बेशक अपने सतत प्रयासों से चाँद की सतह को छू पाने तक के मुकाम पर पहुँच गए हैं मगर बुनियादी तौर पर हम आज भी वही पुरा...

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समकालीन कहानी में सांस्कृतिक मूल्य-डॉ पदमा शर्मा By राज बोहरे

डॉ0पदमा शर्मा समकालीन हिन्दी कहानी में सांस्कृतिक मूल्य’राजनारायण बोहरेपुस्तक- समकालीन हिन्दी कहानी में सांस्कृतिक मूल्यलेखिका-डॉ0पदमा शर्माप्रकाशक-रजनी प्रकाशन दिल्ली‘ समकालीन हिन...

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जंगल के ख़िलाफ़-हीरालाल नागर By राज बोहरे

अनछुए क्षेत्र में पहुँची कविताएँ “जंगल के खिलाफ“युवा कवि हीरालाल नागर के नव्यतम कविता संग्रह “जंगल के खिलाफ“ की कविताऐं हमारे आसपास के उपेक्षित संसार पाठकों के समक्ष पूरी शिद्दत, ई...

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मुखबिर उपन्यास मुकम्मल- डॉ जी के सक्सैना By राज बोहरे

राजबोहरे:मुखबिर उपन्यास चंबल का उपाख्यान है- डॉक्टर गोपाल किशोर सक्सेनाहर ताकतवर आदमी के लिए मुखबिर की फौज चाहिए होती है |वह हर कीमत पर मुखबिर ढूंढता है |कभी पैसे के लालच से, तो कभ...

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कहा गुलाब ने-श्यामा सलिल By राज बोहरे

कहा गुलाब नेः हम उगाएँगे हँसी दुःख की फसल सेहिंदी कविता के साथ एक अजीब सी परम्परा रही है कि जो कवि मंच पर जितना श्रेय प्राप्त करता हैं, मंच से दूर प्रकाशन जगत में उतना ही कम जाना ज...

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जनवादी ग़ज़ल का शायर-सीताराम साबिर By राज बोहरे

सीताराम साबिर : सूफियाना प्रकृति के शायर राजनारायण बोहरेसाहित्य सर्जन को अपना ईमान धर्म समझने वाले शायरों में दतिया के सीता राम कटारिया साबिर का उल्लेख बड़े फख्र के साथ होता है |उन...

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बेतवा बहती रही -मैत्रेयी पुष्पा By राज बोहरे

बेतवा बहती रहीमैत्रेयी पुष्पा का नाम हिन्दी कथा साहित्य में आज की सर्वाधिक चर्चित लेखिका के रूप में लिया जाता है।उनकी कथायें गांव की सीधे-सहज सरल लोगों की कहानियाँ हैं, जिनके आस-पा...

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इज़्ज़त आबरू पर लक्ष्मीनारायण बुनकर By राज बोहरे

इति वृतात्मकता की वापसी: इज्जत-आबरूडा0 लक्ष्मीनारायण बुनकर कथा संग्रह -इज्जत-आबरूलेखक-राजनारायण बोहरेयात्री प्रकाशन दिल्ली आज की हिन्दी कहानी पर तमाम आरोप एक लम्बे समय से लगभग हरेक...

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आज की अहिल्या By Neelam Kulshreshtha

पत्थर बनने से इंकार करती डॉ. इंदु झुनझुनुवाला की 'आज की अहिल्या' [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] सुप्रसिद्ध साहित्यकार रमणिका गुप्ता जी बिहार की कोलियारी के मज़दूरों के लिए काम करतीं थी...

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किसान पुराण आड़ा वक्त -प्रतिभा पाण्डेय By राज बोहरे

समीक्षा लेखकिसान पुराण :आड़ा वक़्तप्रो0 प्रतिभा पाण्डेय प्रेमचंद के पहले किसान से जुड़े उपन्यास बहुत कम संख्या में पाए जाते हैं। स्वयं प्रेमचंद ने भी शुरू में किसानों पर ध्यान केंद्रि...

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पंच परमेश्वर अद्भुत कथा-आनन्द मोहन सक्सैना By राज बोहरे

पंच परमेश्वर अद्भुत कथा -आनंद मोहन सक्सैना प्रेमचंद की कहानी उपन्यासों में आए वाक्य और वाक्यांश तुलसी की जनसामान्य में प्रयुक्त होने वाली चौपाइयों की अनुरूप ही साहित्य जगत में स्था...

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एक थी महुआ-सविता वर्मा ग़ज़ल By राज बोहरे

समीक्षा-एक थी महुआराज बोहरे सावित्री वर्मा गजल का नया कहानी संग्रह ‘एक ही महुआ’ आरती प्रकाशन लाल कुआं नैनीताल से प्रकाशित हुआ है। इसमें लेखिका की इक्कीस कहानियां सम्मिलित हैं । लेख...

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स्तुति - सौरभ कुदेशिया By राजीव तनेजा

ईसा पूर्व हज़ारों साल पहले कौरवों और पांडवों के मध्य हुए संघर्ष को आधार बना कर ऋषि वेद व्यास द्वारा उच्चारित एवं गणेश द्वारा लिखी गयी महाभारत अब भी हमें रोमांचित करती है। इस महागाथा...

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बहेलिया By Yashvant Kothari

बहेलिया –मानवीयता का दस्तावेज़                       यशवंत कोठारी संवाद-हीनता व संवेदन शून्यता के इस संक्रमण काल में मानवीयता की चर्चा करना या मानवीयता को आधार बना कर कुछ लिखना आसान...

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पेड़ तथा अन्य कहानियां-समीक्षा By राज बोहरे

पेड़ तथा अन्य कहानियां राजनारायण बोहरेप्रसिद्ध व्यंग्यकार उपन्यासकार अश्विनी कुमार दुबे का नया कहानी संग्रह- ' पेड़ तथा अन्य कहानियां ' सत्साहित्य प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशि...

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धनिका - मधु चतुर्वेदी By राजीव तनेजा

आज भी हमारे समाज में आम मान्यता के तहत लड़कियों की बनिस्बत लड़कों को इसलिए तरजीह दी जाती है कि लड़कियों ने तो मोटा दहेज ले शादी के बाद दूसरे घर चले जाना है जबकि लड़कों ने परिवार के साथ...

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मेरी विरासत :स्वतंत्रता के बाद प्रथम शिक्षित स्त्री पीढ़ी By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ [ `कथादेश` के सुधा अरोड़ा जी के बेहद लोकप्रिय स्तम्भ `औरत की दुनियां `में प्रकाशित लेख का विस्तार ]     मेरी नानी रुक्मणि देवी के पिता कोटा में अपने आस-पास...

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माँडू के अहसासः रानी रूपमती By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ माँडू या माँडवगढ़ में रानी रूपमती के मंडप की आसमान को छूती इमारत की खुली लंबी छत के दोनों किनारे दो मंडप । कहते हैं रानी रूपमती नर्मदा नदी के तट पर बसे गाँव धर्मपुर...

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अनुबोधपंचशिका By Pranava Bharti

============= प्रणेता ;डॉ.उमाकान्त शुक्ल: आद्यसम्पादक: पद्म श्री –डॉ. रमाकान्त शुक्ल: =======&...

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चौसर - जितेन्द्र नाथ By राजीव तनेजा

थ्रिलर उपन्यासों का मैं शुरू से ही दीवाना रहा हूँ। बचपन में वेदप्रकाश शर्मा के उपन्यासों से इस क़दर दीवाना बनाया की उनका लिखा 250-300 पेज तक का उपन्यास एक या दो सिटिंग में ही पूरा प...

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बर्फ़खोर हवाएँ - हरप्रीत सेखा - अनुवाद (सुभाष नीरव) By राजीव तनेजा

साहित्य को किसी देश या भाषा के बंधनों में बाँधने के बजाय जब एक भाषा में अभिव्यक्त विचारों को किसी दूसरी भाषा में जस का तस प्रस्तुत किया जाता है तो वह अनुवाद कहलाता है। ऐसे में किसी...

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इतिहास की एक दर्दीली आहः गन्ना बेगम By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ  कहते हैं अठारहवीं सदी में अब्दुल कुली खान की अपूर्व सुंदर बेटी जितनी सुंदर गज़लें लिखती थी उतने ही सुंदर अंदाज में गाती थी। वह इतना सुरीला गाती थी कि लोग उसे...

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दरकते दायरे - विनीता अस्थाना By राजीव तनेजा

कहा जाता है कि हम सभी के जीवन में कुछ न कुछ ऐसा अवश्य अवश्य होता है जिसे हम अपनी झिझक..हिचक..घबराहट या संकोच की वजह से औरों से सांझा नहीं कर पाते कि.. लोग हमारा सच जान कर हमारे बार...

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शुद्धि - वन्दना यादव By राजीव तनेजा

कहते हैं कि सिर्फ़ आत्मा अजर..अमर है। इसके अलावा पेड़-पौधे,जीव-जंतु से ले कर हर चीज़ नश्वर है। सृष्टि इसी प्रकार चलती आयी है और चलती रहेगी। जिसने जन्म लिया है..वक्त आने पर उसने नष्ट अ...

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कैलेण्डर पर लटकी तारीखें - दिव्या शर्मा By राजीव तनेजा

आमतौर पर किसी भी रचना को पढ़ने पर चाहत यही होती है कि उससे कुछ न कुछ ग्रहण करने को मिले। भले ही उसमें कुछ रुमानियत या फ़िर बचपन की यादों से भरे नॉस्टेल्जिया के ख़ुशनुमा पल हों या फ़िर...

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राजनर्तकी सुजान व कवि घनानंद By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] “हौंस हौंस फूलन के सारे सिंगार सजौं आँगन में फूलन कौ चदरा बिछाऊँगी। जा दिन सनेही घर आवै घन आनंद जू घर द्वार गली गली दियरा जलाऊँगी।” बृजभाषा में पंक्...

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ढाई चाल - नवीन चौधरी By राजीव तनेजा

देखा जाए तो सत्ता का संघर्ष आदि काल से चला आ रहा है। कभी कबीलों में अपने वर्चस्व की स्थापना के लिए साजिशें रची गयी तो कभी अपनी प्रभुसत्ता सिद्ध करने के लिए कत्लेआम तक किए गए। समय अ...

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पानी के लिये चिंतित जल नाद : पानी हाट बिकाये By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] ‘जल’ फ़िल्म [सन -२०१३] आरम्भ ही होती है गुजरात के कच्छ के रन की फटी हुई धरती पर चलते कैमरे से व पानी मिल जाने की आस की छटपटाहट से. हीरो बक्का धूल से...

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मून गेट - पूनम अहमद By राजीव तनेजा

ऊपरी तौर पर ईश्वर ने सभी मनुष्यों (स्त्री-पुरुष) को एक समान शक्तियाँ तो दी हैं मगर गुण-अवगुण सभी में अलग-अलग प्रदान किए। गौर करने पर हम पाते हैं कि जहाँ एक तरफ़ कोई मनुष्य दया..मानव...

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महारानी चिमणाबाई की पुस्तक और नारीवाद By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ स्त्री चेतना जागृत करने के आधुनिक इतिहास का आरंभ लगभग दयानंद सरस्वती से मान सकते हैं लेकिन स्त्री में चेतना जागी हो ऐसा हम सवा सौ वर्ष से भी अधिक पूर्व का समय मान स...

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काली धार - महेश कटारे का उपन्यास By राज बोहरे

काली धार -महेश कटारे का उपन्यासराजनारायण बोहरेकाली धार उपन्यास अमरसत्य प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। 'काली धार ' यानी चंबल (काले रँग के पानी के कारण और खरी वानी के कार...

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लीलावती By दिनेश कुमार कीर

गणितज्ञ "लीलावती" का नाम हममें से अधिकांश लोगों ने नहीं सुना है, उनके बारे में कहा जाता है कि वो पेड़ के पत्ते तक गिन लेती थीं,,शायद ही कोई जानता हो कि आज यूरोप सहित विश्व के सैंकड...

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हवा ! ज़रा थमकर बहो By Pranava Bharti

हवा ! ज़रा थमकर बहो, मन की बयार में डूबते-उतरते अहसासों का स्निग्ध चित्र ===================== रो...

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दिसंबर संजोग - आभा श्रीवास्तव By राजीव तनेजा

वैसे अगर देखा जाए तो हमारे आसपास के माहौल में इतनी कहानियाँ अपने किसी न किसी रूप में मौजूद रह इधर-उधर विचरती रहती है। जिन्हें ज़रूरत होती है पारखी नज़र..सुघड़ हाथों एवं परिपक्व सोच की...

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बातें कम Scam ज़्यादा- नीरज बधवार By राजीव तनेजा

खुद भी एक व्यंग्यकार होने के नाते मुझे और भी कई अन्य व्यंग्यकारों का लिखा हुआ पढ़ने को मिला मगर ज़्यादातर में मैंने पाया कि अख़बारी कॉलम की तयशुदा शब्द सीमा में बँध अधिकतर व्यंग्यकार...

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शंख में समंदर By Pranava Bharti

शंख में समंदर -- सतह पर उभरते चित्रों का कोलाज लेखक--डॉ. अजय शर्मा ------------------------- आओ बात करें कुछ मन की, जीवन की और उसके क्षण की | ज़िंदगी की सुनहरी धूप-छाँह सबको अपने भी...

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शैडो- जयंती रंगनाथन By राजीव तनेजा

अन्य मानवीय अनुभूतियों के अतिरिक्त विस्मय..भय..क्रोध..लालच की तरह ही डर भी एक ऐसी मानवीय अनुभूति है जिससे मेरे ख्याल से कोई भी अछूता नहीं होगा। कभी रामसे ब्रदर्स की बचकानी शैली में...

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कथा चलती रहे- स्नेह गोस्वामी By राजीव तनेजा

कई बार कोई खबर..कोई घटना अथवा कोई विचार हमारे मन मस्तिष्क को इस प्रकार उद्वेलित कर देता है कि हम उस पर लिखे बिना नहीं रह पाते। इसी तरह कई बार हमारे ज़ेहन में निरंतर विस्तार लिए विचा...

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केशवदास की भाषा By राज बोहरे

केशव एक अनूठा भाषा संसार बनाते हैं आचार्य केशव दास जी की भाषा पर बात करते समय अनेक अनेक पहलुओं पर गौर करना आवश्यक है। केशव केवल एक साधारण कवि नहीं थे वे तो परंपराओं के सेतु थे, एक...

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श्री श्यामसुंदर श्याम का कवि रूप By शैलेंद्र् बुधौलिया

श्री श्याम सुन्दर 'श्याम' की काव्य रचना- शैलेन्द्र बुधोलियाऐसे व्यक्तित्व दुर्लभ और महान होते हैं जिनका विकास एक रैखिक न होकर अनेक आयामों में समान रचना धर्मिता की उपलब्धियो...

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ढोलक बजाती वो औरत -- मेरी माँ By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] ९ जून २०१८ को भतीजे अभिन्न ने आगरा से सुबह साढ़े सात बजे सूचना दी कि मेरी मम्मी जी नहीं रहीं। उनके अंत से अपने व उनके समबन्ध को स्पष्ट कर रहीं हूँ। मैं बेंगलौर म...

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स्मृति ग्रँथ-डॉ हरिहर गोस्वामी By शैलेंद्र् बुधौलिया

स्मृति ग्रँथ डॉ हरिहर गोस्वामी सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार में जन्म लेकर और सहज सामान्य रूप में पल बढ़कर कैसे महानता और सरलता के शीर्ष को छुआ जा सकता है, यह डॉ हरिहर गोस्वामी मानस...

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प्रमोद अश्क -चंद गजलें अश्क की By राज बोहरे

प्रमोद अश्क -चंद गजलें अश्क कीकम लेकिन घनीभूत संवेदना की ग़ज़ल -राजनारायण बोहरे दतियापुस्तक-चंद गजलें अश्क कीकवि- प्रमोद अश्क प्रकाशक-हिंदी उर्दू मजलिसप्रमोद अश्क का नाम उन पुख्ता कव...

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अवध की बात - हरिकृष्ण हरि By शैलेंद्र् बुधौलिया

लोकसंस्कृति को समर्पित कवि –हरिकृष्णहरि  दिनांक तेरह दिसम्बर दो  हजार उन्नीस  को ‘साहित्य एक्सप्रेस’ का डॉक्टर मानस विश्वास पर केंद्रित विशेषांक लोकार्पित हुआ तो उसमें यह पढ़कर अत्...

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हरिसिंह हरीश की ग़ज़ल By राज बोहरे

पुस्तक समीक्षा- हरिसिंह हरीशराजनारायण बोहरे हर मिजाज की ग़ज़लेंपुस्तक-गम लेके फूल दियेग़ज़ल संग्रहकवि- हरिसिंह हरीशप्रकाशक-सुमन साहित्य सदन दतियाहरिसिंह हरीश संवेदनाओं से लबरेज ऐसे रचन...

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डॉ श्याम बिहारी श्रीवास्तव By शैलेंद्र् बुधौलिया

श्याम बिहारी श्रीवास्तव साहित्य और साहित्यकार मानव समाज को परमपिता परमात्मा की बड़ी देन है। धर्म, अर्थ, काम मोक्ष इन चारों की सिद्धियों में सदसाहित्य का अविस्मरणीय योगदान है। हमारा...

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बेहटा कलां - इंदु सिंह By राजीव तनेजा

आज़ादी बाद के इन 76 सालों में तमाम तरह की उन्नति करने के बाद आज हम बेशक अपने सतत प्रयासों से चाँद की सतह को छू पाने तक के मुकाम पर पहुँच गए हैं मगर बुनियादी तौर पर हम आज भी वही पुरा...

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समकालीन कहानी में सांस्कृतिक मूल्य-डॉ पदमा शर्मा By राज बोहरे

डॉ0पदमा शर्मा समकालीन हिन्दी कहानी में सांस्कृतिक मूल्य’राजनारायण बोहरेपुस्तक- समकालीन हिन्दी कहानी में सांस्कृतिक मूल्यलेखिका-डॉ0पदमा शर्माप्रकाशक-रजनी प्रकाशन दिल्ली‘ समकालीन हिन...

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जंगल के ख़िलाफ़-हीरालाल नागर By राज बोहरे

अनछुए क्षेत्र में पहुँची कविताएँ “जंगल के खिलाफ“युवा कवि हीरालाल नागर के नव्यतम कविता संग्रह “जंगल के खिलाफ“ की कविताऐं हमारे आसपास के उपेक्षित संसार पाठकों के समक्ष पूरी शिद्दत, ई...

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मुखबिर उपन्यास मुकम्मल- डॉ जी के सक्सैना By राज बोहरे

राजबोहरे:मुखबिर उपन्यास चंबल का उपाख्यान है- डॉक्टर गोपाल किशोर सक्सेनाहर ताकतवर आदमी के लिए मुखबिर की फौज चाहिए होती है |वह हर कीमत पर मुखबिर ढूंढता है |कभी पैसे के लालच से, तो कभ...

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कहा गुलाब ने-श्यामा सलिल By राज बोहरे

कहा गुलाब नेः हम उगाएँगे हँसी दुःख की फसल सेहिंदी कविता के साथ एक अजीब सी परम्परा रही है कि जो कवि मंच पर जितना श्रेय प्राप्त करता हैं, मंच से दूर प्रकाशन जगत में उतना ही कम जाना ज...

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जनवादी ग़ज़ल का शायर-सीताराम साबिर By राज बोहरे

सीताराम साबिर : सूफियाना प्रकृति के शायर राजनारायण बोहरेसाहित्य सर्जन को अपना ईमान धर्म समझने वाले शायरों में दतिया के सीता राम कटारिया साबिर का उल्लेख बड़े फख्र के साथ होता है |उन...

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बेतवा बहती रही -मैत्रेयी पुष्पा By राज बोहरे

बेतवा बहती रहीमैत्रेयी पुष्पा का नाम हिन्दी कथा साहित्य में आज की सर्वाधिक चर्चित लेखिका के रूप में लिया जाता है।उनकी कथायें गांव की सीधे-सहज सरल लोगों की कहानियाँ हैं, जिनके आस-पा...

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इज़्ज़त आबरू पर लक्ष्मीनारायण बुनकर By राज बोहरे

इति वृतात्मकता की वापसी: इज्जत-आबरूडा0 लक्ष्मीनारायण बुनकर कथा संग्रह -इज्जत-आबरूलेखक-राजनारायण बोहरेयात्री प्रकाशन दिल्ली आज की हिन्दी कहानी पर तमाम आरोप एक लम्बे समय से लगभग हरेक...

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आज की अहिल्या By Neelam Kulshreshtha

पत्थर बनने से इंकार करती डॉ. इंदु झुनझुनुवाला की 'आज की अहिल्या' [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] सुप्रसिद्ध साहित्यकार रमणिका गुप्ता जी बिहार की कोलियारी के मज़दूरों के लिए काम करतीं थी...

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किसान पुराण आड़ा वक्त -प्रतिभा पाण्डेय By राज बोहरे

समीक्षा लेखकिसान पुराण :आड़ा वक़्तप्रो0 प्रतिभा पाण्डेय प्रेमचंद के पहले किसान से जुड़े उपन्यास बहुत कम संख्या में पाए जाते हैं। स्वयं प्रेमचंद ने भी शुरू में किसानों पर ध्यान केंद्रि...

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पंच परमेश्वर अद्भुत कथा-आनन्द मोहन सक्सैना By राज बोहरे

पंच परमेश्वर अद्भुत कथा -आनंद मोहन सक्सैना प्रेमचंद की कहानी उपन्यासों में आए वाक्य और वाक्यांश तुलसी की जनसामान्य में प्रयुक्त होने वाली चौपाइयों की अनुरूप ही साहित्य जगत में स्था...

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एक थी महुआ-सविता वर्मा ग़ज़ल By राज बोहरे

समीक्षा-एक थी महुआराज बोहरे सावित्री वर्मा गजल का नया कहानी संग्रह ‘एक ही महुआ’ आरती प्रकाशन लाल कुआं नैनीताल से प्रकाशित हुआ है। इसमें लेखिका की इक्कीस कहानियां सम्मिलित हैं । लेख...

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स्तुति - सौरभ कुदेशिया By राजीव तनेजा

ईसा पूर्व हज़ारों साल पहले कौरवों और पांडवों के मध्य हुए संघर्ष को आधार बना कर ऋषि वेद व्यास द्वारा उच्चारित एवं गणेश द्वारा लिखी गयी महाभारत अब भी हमें रोमांचित करती है। इस महागाथा...

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बहेलिया By Yashvant Kothari

बहेलिया –मानवीयता का दस्तावेज़                       यशवंत कोठारी संवाद-हीनता व संवेदन शून्यता के इस संक्रमण काल में मानवीयता की चर्चा करना या मानवीयता को आधार बना कर कुछ लिखना आसान...

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पेड़ तथा अन्य कहानियां-समीक्षा By राज बोहरे

पेड़ तथा अन्य कहानियां राजनारायण बोहरेप्रसिद्ध व्यंग्यकार उपन्यासकार अश्विनी कुमार दुबे का नया कहानी संग्रह- ' पेड़ तथा अन्य कहानियां ' सत्साहित्य प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशि...

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धनिका - मधु चतुर्वेदी By राजीव तनेजा

आज भी हमारे समाज में आम मान्यता के तहत लड़कियों की बनिस्बत लड़कों को इसलिए तरजीह दी जाती है कि लड़कियों ने तो मोटा दहेज ले शादी के बाद दूसरे घर चले जाना है जबकि लड़कों ने परिवार के साथ...

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मेरी विरासत :स्वतंत्रता के बाद प्रथम शिक्षित स्त्री पीढ़ी By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ [ `कथादेश` के सुधा अरोड़ा जी के बेहद लोकप्रिय स्तम्भ `औरत की दुनियां `में प्रकाशित लेख का विस्तार ]     मेरी नानी रुक्मणि देवी के पिता कोटा में अपने आस-पास...

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माँडू के अहसासः रानी रूपमती By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ माँडू या माँडवगढ़ में रानी रूपमती के मंडप की आसमान को छूती इमारत की खुली लंबी छत के दोनों किनारे दो मंडप । कहते हैं रानी रूपमती नर्मदा नदी के तट पर बसे गाँव धर्मपुर...

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अनुबोधपंचशिका By Pranava Bharti

============= प्रणेता ;डॉ.उमाकान्त शुक्ल: आद्यसम्पादक: पद्म श्री –डॉ. रमाकान्त शुक्ल: =======&...

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चौसर - जितेन्द्र नाथ By राजीव तनेजा

थ्रिलर उपन्यासों का मैं शुरू से ही दीवाना रहा हूँ। बचपन में वेदप्रकाश शर्मा के उपन्यासों से इस क़दर दीवाना बनाया की उनका लिखा 250-300 पेज तक का उपन्यास एक या दो सिटिंग में ही पूरा प...

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बर्फ़खोर हवाएँ - हरप्रीत सेखा - अनुवाद (सुभाष नीरव) By राजीव तनेजा

साहित्य को किसी देश या भाषा के बंधनों में बाँधने के बजाय जब एक भाषा में अभिव्यक्त विचारों को किसी दूसरी भाषा में जस का तस प्रस्तुत किया जाता है तो वह अनुवाद कहलाता है। ऐसे में किसी...

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इतिहास की एक दर्दीली आहः गन्ना बेगम By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ  कहते हैं अठारहवीं सदी में अब्दुल कुली खान की अपूर्व सुंदर बेटी जितनी सुंदर गज़लें लिखती थी उतने ही सुंदर अंदाज में गाती थी। वह इतना सुरीला गाती थी कि लोग उसे...

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दरकते दायरे - विनीता अस्थाना By राजीव तनेजा

कहा जाता है कि हम सभी के जीवन में कुछ न कुछ ऐसा अवश्य अवश्य होता है जिसे हम अपनी झिझक..हिचक..घबराहट या संकोच की वजह से औरों से सांझा नहीं कर पाते कि.. लोग हमारा सच जान कर हमारे बार...

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शुद्धि - वन्दना यादव By राजीव तनेजा

कहते हैं कि सिर्फ़ आत्मा अजर..अमर है। इसके अलावा पेड़-पौधे,जीव-जंतु से ले कर हर चीज़ नश्वर है। सृष्टि इसी प्रकार चलती आयी है और चलती रहेगी। जिसने जन्म लिया है..वक्त आने पर उसने नष्ट अ...

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कैलेण्डर पर लटकी तारीखें - दिव्या शर्मा By राजीव तनेजा

आमतौर पर किसी भी रचना को पढ़ने पर चाहत यही होती है कि उससे कुछ न कुछ ग्रहण करने को मिले। भले ही उसमें कुछ रुमानियत या फ़िर बचपन की यादों से भरे नॉस्टेल्जिया के ख़ुशनुमा पल हों या फ़िर...

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राजनर्तकी सुजान व कवि घनानंद By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] “हौंस हौंस फूलन के सारे सिंगार सजौं आँगन में फूलन कौ चदरा बिछाऊँगी। जा दिन सनेही घर आवै घन आनंद जू घर द्वार गली गली दियरा जलाऊँगी।” बृजभाषा में पंक्...

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ढाई चाल - नवीन चौधरी By राजीव तनेजा

देखा जाए तो सत्ता का संघर्ष आदि काल से चला आ रहा है। कभी कबीलों में अपने वर्चस्व की स्थापना के लिए साजिशें रची गयी तो कभी अपनी प्रभुसत्ता सिद्ध करने के लिए कत्लेआम तक किए गए। समय अ...

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पानी के लिये चिंतित जल नाद : पानी हाट बिकाये By Neelam Kulshreshtha

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] ‘जल’ फ़िल्म [सन -२०१३] आरम्भ ही होती है गुजरात के कच्छ के रन की फटी हुई धरती पर चलते कैमरे से व पानी मिल जाने की आस की छटपटाहट से. हीरो बक्का धूल से...

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मून गेट - पूनम अहमद By राजीव तनेजा

ऊपरी तौर पर ईश्वर ने सभी मनुष्यों (स्त्री-पुरुष) को एक समान शक्तियाँ तो दी हैं मगर गुण-अवगुण सभी में अलग-अलग प्रदान किए। गौर करने पर हम पाते हैं कि जहाँ एक तरफ़ कोई मनुष्य दया..मानव...

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महारानी चिमणाबाई की पुस्तक और नारीवाद By Neelam Kulshreshtha

नीलम कुलश्रेष्ठ स्त्री चेतना जागृत करने के आधुनिक इतिहास का आरंभ लगभग दयानंद सरस्वती से मान सकते हैं लेकिन स्त्री में चेतना जागी हो ऐसा हम सवा सौ वर्ष से भी अधिक पूर्व का समय मान स...

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काली धार - महेश कटारे का उपन्यास By राज बोहरे

काली धार -महेश कटारे का उपन्यासराजनारायण बोहरेकाली धार उपन्यास अमरसत्य प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। 'काली धार ' यानी चंबल (काले रँग के पानी के कारण और खरी वानी के कार...

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लीलावती By दिनेश कुमार कीर

गणितज्ञ "लीलावती" का नाम हममें से अधिकांश लोगों ने नहीं सुना है, उनके बारे में कहा जाता है कि वो पेड़ के पत्ते तक गिन लेती थीं,,शायद ही कोई जानता हो कि आज यूरोप सहित विश्व के सैंकड...

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हवा ! ज़रा थमकर बहो By Pranava Bharti

हवा ! ज़रा थमकर बहो, मन की बयार में डूबते-उतरते अहसासों का स्निग्ध चित्र ===================== रो...

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दिसंबर संजोग - आभा श्रीवास्तव By राजीव तनेजा

वैसे अगर देखा जाए तो हमारे आसपास के माहौल में इतनी कहानियाँ अपने किसी न किसी रूप में मौजूद रह इधर-उधर विचरती रहती है। जिन्हें ज़रूरत होती है पारखी नज़र..सुघड़ हाथों एवं परिपक्व सोच की...

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बातें कम Scam ज़्यादा- नीरज बधवार By राजीव तनेजा

खुद भी एक व्यंग्यकार होने के नाते मुझे और भी कई अन्य व्यंग्यकारों का लिखा हुआ पढ़ने को मिला मगर ज़्यादातर में मैंने पाया कि अख़बारी कॉलम की तयशुदा शब्द सीमा में बँध अधिकतर व्यंग्यकार...

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शंख में समंदर By Pranava Bharti

शंख में समंदर -- सतह पर उभरते चित्रों का कोलाज लेखक--डॉ. अजय शर्मा ------------------------- आओ बात करें कुछ मन की, जीवन की और उसके क्षण की | ज़िंदगी की सुनहरी धूप-छाँह सबको अपने भी...

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शैडो- जयंती रंगनाथन By राजीव तनेजा

अन्य मानवीय अनुभूतियों के अतिरिक्त विस्मय..भय..क्रोध..लालच की तरह ही डर भी एक ऐसी मानवीय अनुभूति है जिससे मेरे ख्याल से कोई भी अछूता नहीं होगा। कभी रामसे ब्रदर्स की बचकानी शैली में...

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कथा चलती रहे- स्नेह गोस्वामी By राजीव तनेजा

कई बार कोई खबर..कोई घटना अथवा कोई विचार हमारे मन मस्तिष्क को इस प्रकार उद्वेलित कर देता है कि हम उस पर लिखे बिना नहीं रह पाते। इसी तरह कई बार हमारे ज़ेहन में निरंतर विस्तार लिए विचा...

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