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  • प्रफुल्ल कथा - 22

    पाठकों ,आत्मकथा अधूरी रहेगी अगर मैं उस घटना का जिक्र नहीँ करूंगा जिसमें मुझे देश...

  • श्री जनक जी

    श्रीजनकजी निमिवंश में जितने भी राजा हुए सभी ‘जनक’ कहलाते थे, ब्रह्म ज्ञानी होने...

  • श्री विभीषणजी

    सकृदेव प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते। अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद् व्रतं मम॥* शरणा...

असमर्थों का बल समर्थ रामदास - भाग 25 By ՏᎪᎠᎻᎪᏙᏆ ՏOΝᎪᎡᏦᎪᎡ ⸙

रजोगुण लक्षण सारइंसान के शरीर में तीन मुख्य गुण होते हैं- रजोगुण, तमोगुण और सत्वगुण। ये गुण इंसान के हाव-भाव, बोल-चाल, व्यवहार और स्वभाव पर असर करते हैं। जिसका जो गुण प्रभावी है, उ...

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संत श्री कबीरदास By Renu

श्रीकबीरदासने भक्तिहीन षड्दर्शन एवं वर्णाश्रम धर्मको मान्यता नहीं दी। वे भक्ति से विरुद्ध धर्मको अधर्म ही कहते थे। उन्होंने बिना भजनके योग, यज्ञ, व्रत और दान आदि को व्यर्थ सिद्ध कि...

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श्री सनकादि ऋषि By Renu

सनक, सनन्दन, सनातन, सनत्कुमार और सनत्सुजात—ये पाँचों ही ब्रह्माके मानस पुत्र हैं। कहीं-कहीं सनत्कुमार और सनत्सुजातको एक मानकर चार ही कहा गया है। कहते हैं कि जब ब्रह्मासे पाँच पर्वो...

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श्री हनुमान् जी By Renu

यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम्। बाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम् ॥ प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यानघन। जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर॥ भगवा...

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श्री द्रौपदी जी By Renu

द्रोणाचार्यको गुरुदक्षिणा देनेके लिये अर्जुनने द्रुपदको पराजित कर दिया। यद्यपि आचार्य द्रोणने द्रुपदको पाशमुक्त करके केवल आधा राज्य लेकर मित्र बना लिया, परंतु वे इस अपमानको भूल न स...

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प्रफुल्ल कथा - 22 By Prafulla Kumar Tripathi

पाठकों ,आत्मकथा अधूरी रहेगी अगर मैं उस घटना का जिक्र नहीँ करूंगा जिसमें मुझे देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक घराने टाटा ने सम्मानित किया था। अखिल भारतीय स्तर पर सम्पन्न प्रतियोगिता में...

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श्री सतीजी By Renu

पतिव्रता स्त्रियों में सबसे पहले दक्ष-कन्या सतीका नाम लिया जाता है। वे ही साध्वी स्त्रियोंकी आदर्श हैं। उन्हींके नामपर अन्य पतिव्रता स्त्रियाँ भी 'सती' की उपाधिसे विभूषित ह...

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भक्तिमती श्री करमैती By Renu

श्रीकरमैतीजी इस घोर कलिकालमें उत्पन्न होकर भी सर्वथा निष्कलंक रही। इन्होंने अपने शरीर के पतिके प्रति नश्वर प्रेमको छोड़कर आत्मा के पति भगवान् श्रीकृष्णचन्द्र के श्रीचरणोंमें सच्चा...

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श्री जनक जी By Renu

श्रीजनकजी निमिवंश में जितने भी राजा हुए सभी ‘जनक’ कहलाते थे, ब्रह्म ज्ञानी होने से इन सबों की विदेह संज्ञा भी थी। किंतु जनक के नाम से अधिक प्रसिद्ध सीताजी के पिता ही हुए हैं। उनका...

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सम्राट् चंद्रगुप्त प्रथम By Mohan Dhama

मौर्यों की ही भाँति गुप्त वंश में भी अनेक महान् वीर तथा पराक्रमी सम्राट् हुए, जिन्होंने इस वंश के प्रभुत्व एवं कीर्ति में अभूतपूर्व वृद्धि की। मौर्यों के पतन के पश्चात् भारत को पुन...

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महावीर लचित बड़फूकन - पार्ट - 8 By Mohan Dhama

जब लचित को शत्रु के सम्भावित आक्रमण की खबर मिली तो वह बीमारी की स्थिति में भी युद्ध के लिये तैयार हो गया। उसे 'आखोई फुटा' ज्वर था । इस भयावह ज्वर में रोगी के शरीर पर चावल क...

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संत श्रीपीपा By Renu

भक्तवर श्री पीपा जी पहले भवानी देवी के भक्त थे। मुक्ति माँगने के लिये आपने देवी का ध्यान किया, देवी ने प्रत्यक्ष दर्शन देकर सत्य बात कही कि मुक्ति देने की शक्ति मुझमें नहीं है, वह...

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नाभदास जी - भक्तमाल के रचियता श्री नाभादास जी By Renu

श्रीनाभाजी का जन्म प्रशंसनीय हनुमान-वंश में हुआ था। आश्चर्यजनक एक नयी बात यह जानिये कि ये जन्म से ही नेत्रहीन थे। जब इनकी आयु पाँच वर्ष की हुई, उसी समय अकाल के दुःख से दुःखित माता...

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बालिपुत्र अंगद By Renu

वनवासके समय भगवती जानकीका अन्वेषण करते हुए मर्यादापुरुषोत्तम ऋष्यमूकपर पहुँचे। वहाँ उन्होंने सुग्रीव से मित्रता की। सुग्रीव का पक्ष लेकर उन्होंने वानरराज बालि को मारा। मरते समय बाल...

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टेगोर साक्षात्कार By Yashvant Kothari

मैं अपने परिवेश के प्रति बहुत ही सतर्क रहता हूं ! -रवीन्द्रनाथ टेगौर . . सर्व श्री बनारसीदास चतुर्वेदी, सुदर्शन, चंद्रगुप्त विद्यालंकार तथा श्रीमती सत्यवती देवी ने रवींद्रनाथ ठाकुर...

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 ए.पी.जे. अब्दुल कलाम By संदीप सिंह (ईशू)

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी की पुण्यतिथी पर विशेष... आज हम देशवासियों के बेहद प्रिय #भारत_रत्न, #मिसाइलमैन व #जनप्रिय_राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम जी को उनकी पुण्यतिथि पर सादर नम...

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सम्राट् राजेंद्र चोल प्रथम By Mohan Dhama

दक्षिण भारत में उदय होनेवाले राजवंशों में चोल राजवंश का प्रमुख स्थान है। इस वंश का उदय नवीं शताब्दी में हुआ तथा इसके अंतर्गत एक विशाल साम्राज्य की स्थापना हुई। इस वंश के पराक्रमी श...

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श्री विभीषणजी By Renu

सकृदेव प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते। अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद् व्रतं मम॥* शरणागति के ज्वलन्त उदाहरण श्रीविभीषण जी हैं। ये राक्षस वंश में उत्पन्न होकर भी वैष्णवाग्रगण्य बने । पुलस...

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भूली बिसरी खट्टी मीठी यादें30 By Kishanlal Sharma

1974इस वर्ष में दो महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से यह साल याद हैपहला इस साल रेलवे की हड़ताल हुई थी।इस हड़ताल की subghat काफी समय पहले ही शुरू हो गयी थी।रेलवे में 2 मान्यता प्राप्त यूनियन...

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श्री प्रह्लादजी By Renu

स उत्तमश्लोकपदारविन्दयोनिषेवयाकिञ्चनसङ्गलब्धया । तन्वन् परां निर्वृतिमात्मनो मुहुदुःसङ्गदीनान्यमनःशमं व्यधात्॥ (श्रीमद्भा० ७।४।४२) दैत्यराज हिरण्यकशिपु के चार पुत्र थे। उनमें प्रह्...

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रामदास हनुमान By Arun

राम दूत और रुद्र के अवतार, हनुमान को प्रणाम, जो समूचे ब्रह्मांड के आकार के हो सकते थे जिनके पास अद्भुत शक्तियाँ थीं, जो शानदार कारनामे कर सकते थे, जिनके पास अविश्‍वसनीय बल था, और ज...

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गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 16 By Kishanlal Sharma

सन1974 में पत्नी गर्भवती हो गयी थी।मैने उसे लेडी लॉयल अस्पताल में दिखाया था।आगरा में औरतों के लिए वो अच्छा अस्पताल माना जाता था।फिर जैसा अस्पताल समय देते हम दिखाने के लिए जाते थे।उ...

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हम्मीर देव चौहान By Mohan Dhama

हम्मीर देव चौहान रणथम्भौर के अंतिम चौहान राजा थे। उन्हें मुसलिम कालक्रमों और शाब्दिक साहित्य में हमीर देव के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने रणथम्भौर पर 1282 से 1301 तक राज्य किय...

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असमर्थों का बल समर्थ रामदास - भाग 25 By ՏᎪᎠᎻᎪᏙᏆ ՏOΝᎪᎡᏦᎪᎡ ⸙

रजोगुण लक्षण सारइंसान के शरीर में तीन मुख्य गुण होते हैं- रजोगुण, तमोगुण और सत्वगुण। ये गुण इंसान के हाव-भाव, बोल-चाल, व्यवहार और स्वभाव पर असर करते हैं। जिसका जो गुण प्रभावी है, उ...

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संत श्री कबीरदास By Renu

श्रीकबीरदासने भक्तिहीन षड्दर्शन एवं वर्णाश्रम धर्मको मान्यता नहीं दी। वे भक्ति से विरुद्ध धर्मको अधर्म ही कहते थे। उन्होंने बिना भजनके योग, यज्ञ, व्रत और दान आदि को व्यर्थ सिद्ध कि...

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श्री सनकादि ऋषि By Renu

सनक, सनन्दन, सनातन, सनत्कुमार और सनत्सुजात—ये पाँचों ही ब्रह्माके मानस पुत्र हैं। कहीं-कहीं सनत्कुमार और सनत्सुजातको एक मानकर चार ही कहा गया है। कहते हैं कि जब ब्रह्मासे पाँच पर्वो...

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श्री हनुमान् जी By Renu

यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम्। बाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम् ॥ प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यानघन। जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर॥ भगवा...

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श्री द्रौपदी जी By Renu

द्रोणाचार्यको गुरुदक्षिणा देनेके लिये अर्जुनने द्रुपदको पराजित कर दिया। यद्यपि आचार्य द्रोणने द्रुपदको पाशमुक्त करके केवल आधा राज्य लेकर मित्र बना लिया, परंतु वे इस अपमानको भूल न स...

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प्रफुल्ल कथा - 22 By Prafulla Kumar Tripathi

पाठकों ,आत्मकथा अधूरी रहेगी अगर मैं उस घटना का जिक्र नहीँ करूंगा जिसमें मुझे देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक घराने टाटा ने सम्मानित किया था। अखिल भारतीय स्तर पर सम्पन्न प्रतियोगिता में...

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श्री सतीजी By Renu

पतिव्रता स्त्रियों में सबसे पहले दक्ष-कन्या सतीका नाम लिया जाता है। वे ही साध्वी स्त्रियोंकी आदर्श हैं। उन्हींके नामपर अन्य पतिव्रता स्त्रियाँ भी 'सती' की उपाधिसे विभूषित ह...

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भक्तिमती श्री करमैती By Renu

श्रीकरमैतीजी इस घोर कलिकालमें उत्पन्न होकर भी सर्वथा निष्कलंक रही। इन्होंने अपने शरीर के पतिके प्रति नश्वर प्रेमको छोड़कर आत्मा के पति भगवान् श्रीकृष्णचन्द्र के श्रीचरणोंमें सच्चा...

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श्री जनक जी By Renu

श्रीजनकजी निमिवंश में जितने भी राजा हुए सभी ‘जनक’ कहलाते थे, ब्रह्म ज्ञानी होने से इन सबों की विदेह संज्ञा भी थी। किंतु जनक के नाम से अधिक प्रसिद्ध सीताजी के पिता ही हुए हैं। उनका...

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सम्राट् चंद्रगुप्त प्रथम By Mohan Dhama

मौर्यों की ही भाँति गुप्त वंश में भी अनेक महान् वीर तथा पराक्रमी सम्राट् हुए, जिन्होंने इस वंश के प्रभुत्व एवं कीर्ति में अभूतपूर्व वृद्धि की। मौर्यों के पतन के पश्चात् भारत को पुन...

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महावीर लचित बड़फूकन - पार्ट - 8 By Mohan Dhama

जब लचित को शत्रु के सम्भावित आक्रमण की खबर मिली तो वह बीमारी की स्थिति में भी युद्ध के लिये तैयार हो गया। उसे 'आखोई फुटा' ज्वर था । इस भयावह ज्वर में रोगी के शरीर पर चावल क...

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संत श्रीपीपा By Renu

भक्तवर श्री पीपा जी पहले भवानी देवी के भक्त थे। मुक्ति माँगने के लिये आपने देवी का ध्यान किया, देवी ने प्रत्यक्ष दर्शन देकर सत्य बात कही कि मुक्ति देने की शक्ति मुझमें नहीं है, वह...

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नाभदास जी - भक्तमाल के रचियता श्री नाभादास जी By Renu

श्रीनाभाजी का जन्म प्रशंसनीय हनुमान-वंश में हुआ था। आश्चर्यजनक एक नयी बात यह जानिये कि ये जन्म से ही नेत्रहीन थे। जब इनकी आयु पाँच वर्ष की हुई, उसी समय अकाल के दुःख से दुःखित माता...

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वनवासके समय भगवती जानकीका अन्वेषण करते हुए मर्यादापुरुषोत्तम ऋष्यमूकपर पहुँचे। वहाँ उन्होंने सुग्रीव से मित्रता की। सुग्रीव का पक्ष लेकर उन्होंने वानरराज बालि को मारा। मरते समय बाल...

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 ए.पी.जे. अब्दुल कलाम By संदीप सिंह (ईशू)

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी की पुण्यतिथी पर विशेष... आज हम देशवासियों के बेहद प्रिय #भारत_रत्न, #मिसाइलमैन व #जनप्रिय_राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम जी को उनकी पुण्यतिथि पर सादर नम...

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सम्राट् राजेंद्र चोल प्रथम By Mohan Dhama

दक्षिण भारत में उदय होनेवाले राजवंशों में चोल राजवंश का प्रमुख स्थान है। इस वंश का उदय नवीं शताब्दी में हुआ तथा इसके अंतर्गत एक विशाल साम्राज्य की स्थापना हुई। इस वंश के पराक्रमी श...

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श्री विभीषणजी By Renu

सकृदेव प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते। अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद् व्रतं मम॥* शरणागति के ज्वलन्त उदाहरण श्रीविभीषण जी हैं। ये राक्षस वंश में उत्पन्न होकर भी वैष्णवाग्रगण्य बने । पुलस...

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भूली बिसरी खट्टी मीठी यादें30 By Kishanlal Sharma

1974इस वर्ष में दो महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से यह साल याद हैपहला इस साल रेलवे की हड़ताल हुई थी।इस हड़ताल की subghat काफी समय पहले ही शुरू हो गयी थी।रेलवे में 2 मान्यता प्राप्त यूनियन...

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श्री प्रह्लादजी By Renu

स उत्तमश्लोकपदारविन्दयोनिषेवयाकिञ्चनसङ्गलब्धया । तन्वन् परां निर्वृतिमात्मनो मुहुदुःसङ्गदीनान्यमनःशमं व्यधात्॥ (श्रीमद्भा० ७।४।४२) दैत्यराज हिरण्यकशिपु के चार पुत्र थे। उनमें प्रह्...

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रामदास हनुमान By Arun

राम दूत और रुद्र के अवतार, हनुमान को प्रणाम, जो समूचे ब्रह्मांड के आकार के हो सकते थे जिनके पास अद्भुत शक्तियाँ थीं, जो शानदार कारनामे कर सकते थे, जिनके पास अविश्‍वसनीय बल था, और ज...

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गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 16 By Kishanlal Sharma

सन1974 में पत्नी गर्भवती हो गयी थी।मैने उसे लेडी लॉयल अस्पताल में दिखाया था।आगरा में औरतों के लिए वो अच्छा अस्पताल माना जाता था।फिर जैसा अस्पताल समय देते हम दिखाने के लिए जाते थे।उ...

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हम्मीर देव चौहान By Mohan Dhama

हम्मीर देव चौहान रणथम्भौर के अंतिम चौहान राजा थे। उन्हें मुसलिम कालक्रमों और शाब्दिक साहित्य में हमीर देव के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने रणथम्भौर पर 1282 से 1301 तक राज्य किय...

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