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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Anything in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultures....Read More


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  • फूलों की ख़ुशबू

    1.मिला दिल, मिल के टूटा जा रहा हैनसीबा बन के फूटा जा रहा है..दवा-ए-दर्द-ए-दिल मि...

  • दिल की आवाज़

    1.तुम्हेँ गले से लगाने के बाद आया हैसुकून कितने ज़माने के बाद आया है2.ख्वाहिश इतन...

  • नयी सुबह

    1.किसी ने मुझसे पूछा,सच सबसे गहरा क्यों ?आखिर उस पर इतना पहरा क्यों ?मेने बस इतन...

फूलों की ख़ुशबू By DINESH KUMAR KEER

1.मिला दिल, मिल के टूटा जा रहा हैनसीबा बन के फूटा जा रहा है..दवा-ए-दर्द-ए-दिल मिलनी थी जिससेवही अब हम से रूठा जा रहा हैअंधेरा हर तरफ़, तूफ़ान भारीऔर उनका हाथ छूटा जा रहा हैदुहाई अह...

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झरने की खुशबू By DINESH KUMAR KEER

1.न जाने किस तरह का इश्क कर रहे हैं हमजिसके हो नहीं सकते उसी के हो रहे हैं हम2.मुझे इश्क़ सिखाकर के रुख़ मोड़ तो ना लोगेरखो हाथ मेरे दिल पे, कहो, कभी छोड़ तो ना दोगे3.हम ने जब कभी...

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काव्य लता By DINESH KUMAR KEER

1.मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगीहिज़्र के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगीदिनों को तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों मेजहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हे रातें रुलायेंगी2.मैं फिर...

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सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तक By GUNAVATHI BENDUKURTHI

सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तकः आज के आर्य समाज की लुप्त होती गौरवशाली कहानी   डॉ. गुणवती बेन्दुकुर्थी   प्रसिद्ध समाज सुधारक और क्रांतिकारी महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा वर...

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दिल की आवाज़ By DINESH KUMAR KEER

1.तुम्हेँ गले से लगाने के बाद आया हैसुकून कितने ज़माने के बाद आया है2.ख्वाहिश इतनी है कि कुछ ऐसा मेरा नसीब होवक्त चाहे जैसा भी हो... बस तू मेरे करीब हो3.मैं देखूं तुझे और तुझ पर प्य...

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नयी सुबह By DINESH KUMAR KEER

1.किसी ने मुझसे पूछा,सच सबसे गहरा क्यों ?आखिर उस पर इतना पहरा क्यों ?मेने बस इतना कहा,क्युकी सच सबसे सुन्दर है2.सर्द घने कोहरे में लिपटी हुई भोर कोयल की कूक दरख्तों मैं दुबकेपरिंदो...

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उड़ चले पंछी By DINESH KUMAR KEER

1.तेरी राह तकते तकते उम्र गुजारदी मैनें अपनी, फिर भी एक उम्मीद लगाये बैठी हुँकि कदी तु आवेगा, मेरा माथा चुम मुझे गले लगावेगा, बस वो पल ही आखिरी होगा मेरी जिदंगी का, जब तु मेरे नाल...

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ज़िंदगी की छांव तले By DINESH KUMAR KEER

1.गर किसी से वादा करो, तो उसे निभाओ जरूरक्योंकि अक्सर वादो पर अपनी जिदंगी गुजार देते है लोगकिसी के लिये वादा महज एक लब्ज हो सकता हैऔर किसी के लिये ये लब्ज बहुत अहम होता है2.ए जिंदग...

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तेरी मेरी कहानी By DINESH KUMAR KEER

1.जिदंगी मे मैंने जिस - जिस को चाहाअपने से उसे हमेशा दूर ही पायामेरी किस्मत कह लो या तकदीर मेरीजो वो मुझे कभी मिला ही नहींकिस्मत का फैंसला मान कर उसे छोड़ दियाजिस - जिस से दिल लगाय...

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पलकों पे सजे ख्वाब By DINESH KUMAR KEER

1.वक्त कहाँ किसी का एक सा रहता हैआज बुरा तो कल अच्छा होता हैंइसे याद रख कर किसी को क्या मिलता हैयाद रखना है, तो बस इतना कि उस वक्त कौन - कौन साथ देता है2.मेरी आरजू है कि तुझे एक बा...

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कश्मकश ज़िन्दगी की By DINESH KUMAR KEER

1.ये फिजा़, ये मौसम, ये नजारे रहे ना रहेमगर मैं चाहुँ बस इतना तेरा मेरा साथ रहेना बिछड़े कभी हम एक दुजे सेहमारा प्यार युँ ही कायम रहेसाथ मे ना सही तो यादो में रहेतु मुझे याद करे मै...

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तेरी बिंदिया रे By DINESH KUMAR KEER

1.बड़ा नायाब सा रिश्ता हैउनका और मेराना मैं उनके अपनो मे शामिल हुँना वो मेरे गैरो मे शामिल हैंबस मिलते है हम, जब भी कहींतो कभी वो अपनी नजरें चुरा लेते हैंतो कभी हम अपनी पलकें झुका...

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फूलों की ख़ुशबू By DINESH KUMAR KEER

1.कोई रिश्ता तो जरूर हैतेरे मेरे दरमियांपर क्या ये मैं कह नहीं पा रहीतू है कि समझता ही नहींऔर मैं तुझे समझा नहीं पा रहीदर्द मेरे दिल का तु जानता ही नहींकितनी मोहब्बत है तुझसे ये मा...

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एक बार फिर कुदरत की गोद में By Jagat Kinkhabwala

एक बार फिर कुदरत की गोद में लेखक: जगत कीनखाबवाला (स्पेरो मेन)   *ग्लोबल वॉर्मिंग, पक्षिओं के लिए एक भयजनक स्थिति - ग्लोबल वॉर्निंग* पक्षी धरती पर रहनेवाले बेहद महत्वपूर्ण जीव...

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बावरी By DINESH KUMAR KEER

1.तु कितना भी छुपा ले मुझसे मगर तेरी आँखो मे प्यार नजर आता हैतु कितन भी छुपा ले तेरे लबो पर इजहार नजर आता हैतु कितना भी छुपा ले मगर तेरी बातो मे ऐतवार नजर आता हैतु कितना भी छुपा ले...

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जादुई मणि By RUDRA VEER

एक बार, एल्डोरिया की रहस्यमय भूमि में, कोई अन्य की तरह एक नायक रहता था. उसका नाम अर्जुन था, जो न्याय से भरा दिल वाला एक बहादुर और साहसी योद्धा था. इस करामाती दायरे में, जादू की शक्...

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सपनों से भरे नैना By DINESH KUMAR KEER

1.ना झूठ बोलना पडे़ मुझे जमाने सेना कुछ छुपाना पडे़ मुझे अपनो सेकुछ ऐसा इंतजाम करसब कुछ आसां हो तेरे मेरे दरमियांऔर किसी को खबर भी ना लगे2.दीवानी हुँ तेरी इस बात से इंकार नहींलेकिन...

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हम साथ - साथ हैं By DINESH KUMAR KEER

1.शौक तो नहीं था हमें भी इश्क करने का मगर नजर तुमसे मिली तो शौकीन हम भी हो गए मानते थे इश्क में अक्सर लोग बर्बाद हो जाते हैं पर जब से तुमसे हुआ हम आबाद हो गए सुना है बे रंग सी हो ज...

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कि मैं एक आवारा पंछी By DINESH KUMAR KEER

1. गर इश्क ना होता इनमें तो आंखें इतनी खूबसूरत ना होती जो गम न दिए होते जमाने ने तो खुशी की कीमत पता नहीं होती जो बेवफाई ना की होती यारों ने तो वफा की चाहत ना होती जो तन्हाई का एहस...

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बन के तितली दिल उड़ा By DINESH KUMAR KEER

1.अब वो ना, मेरे बारे मे किसी से बात कर रहा होगामुझे भूलाने कि कोशिश वो लाख कर रहा होगामेरी तस्वीर को भी अब जो जला कर राख कर रहा होगासोया नही है वो रातो को, उसकी आँखो से लगता हैजरू...

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झिलमिल सपने By DINESH KUMAR KEER

1.देख सकता हूं मैं दूर तलक।है बाज सी ये मेरी नजर।।कहीं छिपा नहीं कुछ भी हमसे।जमी हो या चाहे हो फलक।। रखती हूं सबसे दोस्ताना व्यवहार।दिलों को जीतने का है मुझ में हुनर।।लिखती हूं अल्...

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अगर शब्दों के पंख होते By DINESH KUMAR KEER

1.लिखते लिखते बहुत दिन हुए अब गाने की बारी हैहमको जाना है दिल्ली तक हमने कर ली तैयारी है बाग बगीचा नदिया ‌ पनघट इस तट से जा पहुंचे उस तट तकनन्ही बिटिया खाना लातीदेख परछाई दौड़ी सरप...

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अनकही ख्वाहिश By DINESH KUMAR KEER

1. गजलहम पर जो लगाए गए, वो इल्जाम बहुत हैंतुम दूर रहना हमसे, हम बदनाम बहुत हैं गैरों के साथ घूमे वो, कई शाम और शहरअब लौट आए घर, तो कोहराम बहुत हैआओ हुजूर बैठो, महफिल में तुम कभीबहल...

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जरासंध By Renu

जरासंध महाभारत के अनुसार बृहद्रथ का पुत्र तथा मगध का सबसे शक्तिशाली राजा था। मगध पर शासन करने वाला प्राचीनतम ज्ञात राजवंश वृहद्रथ वंश है। महाभारत व पुराणों से ज्ञात होता है कि प्रा...

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आशा की किरण By DINESH KUMAR KEER

1.मन मेरा घबराता तुम बिन कुछ भी ना सुहाता तुम बिन क्या होली क्या दशहरा कुछ भी ना भाता तुम बिन आओ हम तुम मिलकर खुशियाँ मनाएं साथ मिलकर झूमें गायें तेरे शान पे रखकर सरमीठी नींद हम सो...

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कहीं धूप, कहीं छाव By DINESH KUMAR KEER

1.तुमको देखा बंद आँखों से दीदार को मन तड़पता हैमेरे मन मंदिर के देवता तुझे देखने को मन तरसता है स्वप्न सजाए पलकों ने सांसों ने अभिनंदन किया अधरों का पा स्पंदन फिर जीने को मन करता ह...

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मेरे सपनों की रानी By DINESH KUMAR KEER

1.प्रेम के इस नदी में उतरती गईइतना डूब गई मैं डूबती ही गई सांस सांसों के बंधन से ऐसा बँधा कितना भी लहर आया मैं तैरती रही हवा के थपेड़ों से मैं जुझती रही फिर भी अपने दम पर खड़ी ही र...

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तुम जो मिल गए हो By DINESH KUMAR KEER

1.ऐ ज़िंदगी यूं तो संघर्षों के थपेड़े कम नहीपाऊंगी मंजिल ये हौसला है मेरा वहम नही ।ऐ जिन्दगी..मैं संभलू और तू गिरा चल यही दोहराते हैचल ज़रा देखे तू जीतती है या हम हराते है ।तोड़ दे...

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तेरा होने लगा हूँ By DINESH KUMAR KEER

1.सीखा ही नहीं हमने डरना कभी गैरों से डर लगता है हमको तो इस शहर में भी अपनों सेकोई काट दे पर मेरे डर हमको नहीं अब उनकाहमने तो है सीखा उड़ाना भी परकटे परिंदों सेलगी डेस मेरे दिल को...

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वो रात वो सपना क्यू? By Sakshi Rai

एक ऐसा दिन। पीला गेहरा आसमान धुंधला धुंधला सा दिखाई पड़ता। ऐसा मालूम होता जैसे हर जगह अंधेरा छाया हो हलका हल्का साथ में पीलापन था। ना दिन मालूम होता ना रात पर इतना पक्का था की दिन...

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अगर तुम साथ हो By DINESH KUMAR KEER

1.मेरी खामोशी का शोर वो बड़ी जोर से सुनता है।जो बात मैं कहता नहीउसको वो ज्यादा गौर से सुनता है।।देर है पर अंधेर नहीऐसी कोई रात नही जिसकी सवेर नही।हां कभी कभी रात का दर्द ऐ अफसानावो...

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अश्विनीकुमार By Renu

अश्विनीकुमार सूर्य के औरस पुत्र, दो वैदिक देवताओं को कहा जाता है। ये कल्याणकारी देवता हैं। इनका स्वरूप युगल रूप में था। अश्विनीकुमार 'पूषन' के पिता और 'उषा' के भाई...

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अनकहे शब्द By DINESH KUMAR KEER

1.कुछ भी नहीं मिला सफर में मैं फिर भी चलता रहूंगा। माना सफर पूरा धूप का सही मैं फिर भी जलता रहूंगा।। 2.यही दुख है तुम्हारा कि तू सावली है न दोस्त। पर दिल से किसी पर तू बावली है न द...

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दिल की धड़कन By DINESH KUMAR KEER

1.ख्वाहिश थी ताऊम्र उसे अपना बनाकर रखने की। मगर एक उंचे मकान वाले ने मेरी खुशियाँ खरीद ली।। 2.दस्तक मेरे दिल पर आप जो देने लगे हो ...कहीं ना कहीं मेरा चैन चुराने लगे हो ...आता है आ...

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रिश्तों का सफर By DINESH KUMAR KEER

1.जिसने किया है कत्ल मेरे इस दिल का, वो कोई और नहीं दोस्त बल्कि प्यार था हमारा।। 2.यह मोहब्बत है ठगों की बस्ती,एक पल में बदल देती है हस्ती,आशिक़ रहते है इश्क़ में बैचेन,इश्क़ जाता...

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ज़िन्दगी के रंग By DINESH KUMAR KEER

1.जब भी तेरी याद आती है उदास कर जाती हैं। न जाने क्यों तेरे बिना ज़िंदगी काटी नहीं जाती हैं।।2.भूल क्या हुई खबर नहीं दोष क्या है पता नहीं, हर कोई नाराज़ है मुझसे कौन है जो खफा नहीं...

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भक्त लालाजी By Renu

भक्त लालाजी (जन्म- संवत 1853, गुजरात; मृत्यु- संवत 1918) भगवान के अनन्य भक्त थे। उन्हें नरसी मेहता का अवतार माना जाता है। इनका मन ईश्वर की भक्ति और साधु सेवा में बहुत रमता था।भक्त...

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केशव भट्ट By Renu

केशव भट्ट काश्‍मीरी का नाम चैतन्य महाप्रभु के तत्‍कालीन अनुयायियों और भक्‍तों की श्रेणी में श्रद्धापूर्वक लिया जाता है। वे भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। चैतन्‍य की दिव्‍यता के प्...

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श्री नरसी मेहता By Renu

नरसी गुजराती भक्ति साहित्य के श्रेष्ठतम कवि थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप साहित्य के इतिहास ग्रंथों में "नरसिंह-मीरा-युग" नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल का निर्धा...

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आआइइ By DINESH KUMAR KEER

1.उसने कहा,"हृदय में जब पीड़ा उठे और आँसू सूख जाएँ..तब देखना..कविता बनेगी..।ऐसे लिखने बैठोगी.. तो नहीं लिख पाओगी..।तो अपने जीवन में भाव उत्पन्न करो..।पीड़ा लाओ..।आक्रोश जगाओ..।"मैं...

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श्री निम्बार्काचार्य जी By Renu

निम्बार्काचार्य 'वैष्णव सम्प्रदाय' के प्रवर्तक आचार्य के रूप में प्रख्यात हैं। यह ज्ञातव्य है कि वैष्णवों के प्रमुख चार सम्प्रदायों में 'निम्बार्क सम्प्रदाय' भी एक...

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हमराही - सच्चा साथी By DINESH KUMAR KEER

1.1)साथ हैं फिर भी दूर कितने हैं कितने प्यासे ये दो किनारे हैं2)बनके बादल जो मुझपे छाए हैं रेशमी ज़ुल्फ़ के ॲंधेरे हैं3)दें कहाॅं हम ख़िलाफ़ में अर्ज़ी क़ातिलाना तेरे इशारे हैं4)कु...

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महात्मा सरयूदास By Renu

महात्मा सरयूदास का जन्म संवत 1904 विक्रमी में गुजरात के पारडी नामक गांव में हुआ था। उनका जन्म-नाम 'भोगीलाल' था। बचपन में उन्हें अपने पड़ोसी बजा भगत का सत्संग मिला। इसका परि...

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छाह देते दरख्तों की जड़ों पर अतिक्रमण By Gunavathi Bendukurthi

मनुष्य समाज मे व्याप्त संस्कृति का निर्माण कर इसे सहेज कर रखता  है तथा इसे एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक सम्प्रेषित  भी करता  है।  किसी भी समाज की आत्मा वहां की  संस्कृति होती है | इसमे...

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भक्त बिल्‍वमंगल By Renu

दक्षिण प्रदेश में कृष्‍णवीणा नदी के तट पर एक ग्राम में रामदास नामक भगवद्भक्‍त ब्राह्मण निवास करते थे। उन्‍हीं के पुत्र का नाम 'बिल्‍वमंगल' था। पिता ने यथासाध्‍य पुत्र को धर...

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रघु केवट By Renu

रघु केवट पीपलीचटी ग्राम में मछलियाँ पकड़ने का कार्य किया करता था। पकड़ी हुई मछलियों को बेचकर वह परिवार का पालन-पोषण किया करता था। घर में स्‍त्री और बूढ़ी माता थी। पूर्व जन्‍म के पु...

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सुविचार संग्रह By DINESH KUMAR KEER

1.कितने खुबसूरत हुआ करते थेबचपन के वो दिन,सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से,दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी...2.इधर उधर से रोज यूँ ना तोड़िए हमें,अगर खराब हैं तो फिर छोड़िये हमें...3.अब...

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भक्त सदन कसाई By Renu

सदन भगवान श्री जगन्नाथ जी के परम भक्त थे। इनको बचपन से ही भगवन्नाम-जप और हरि कीर्तन प्रिय था। भगवान का नाम तो इनकी जीभ पर सदा ही नाचता रहता था। ये जाति से कसाई थे, फिर भी इनका हृदय...

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अनमोल विचार By DINESH KUMAR KEER

1.जेठ आते ही... अच्छो-अच्छो का घूंघट निकल आता हैं... यू ही जेठ जी नहीं कहलाते हैं... 2.अगर पूछे कोई पहचान अपनी तो बता देना,हमारे नाम से तुम हो, तुम्हारे नाम से हम है।3.शिक्षा उसे क...

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महाराज मनु By Renu

मनि विनु पनि जिमि जल बिनु मीना।मम जीवन तिमि तुम्हहि अधीना—(श्रीरामचरितमानस)जब ब्रह्माजी ने सृष्टि के प्रारम्भ में देखा कि उनकी मानसिक सृष्टि नहीं बढ़ रही है, तब अपने शरीर से उन्हों...

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फूलों की ख़ुशबू By DINESH KUMAR KEER

1.मिला दिल, मिल के टूटा जा रहा हैनसीबा बन के फूटा जा रहा है..दवा-ए-दर्द-ए-दिल मिलनी थी जिससेवही अब हम से रूठा जा रहा हैअंधेरा हर तरफ़, तूफ़ान भारीऔर उनका हाथ छूटा जा रहा हैदुहाई अह...

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झरने की खुशबू By DINESH KUMAR KEER

1.न जाने किस तरह का इश्क कर रहे हैं हमजिसके हो नहीं सकते उसी के हो रहे हैं हम2.मुझे इश्क़ सिखाकर के रुख़ मोड़ तो ना लोगेरखो हाथ मेरे दिल पे, कहो, कभी छोड़ तो ना दोगे3.हम ने जब कभी...

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काव्य लता By DINESH KUMAR KEER

1.मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगीहिज़्र के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगीदिनों को तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों मेजहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हे रातें रुलायेंगी2.मैं फिर...

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सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तक By GUNAVATHI BENDUKURTHI

सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तकः आज के आर्य समाज की लुप्त होती गौरवशाली कहानी   डॉ. गुणवती बेन्दुकुर्थी   प्रसिद्ध समाज सुधारक और क्रांतिकारी महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा वर...

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दिल की आवाज़ By DINESH KUMAR KEER

1.तुम्हेँ गले से लगाने के बाद आया हैसुकून कितने ज़माने के बाद आया है2.ख्वाहिश इतनी है कि कुछ ऐसा मेरा नसीब होवक्त चाहे जैसा भी हो... बस तू मेरे करीब हो3.मैं देखूं तुझे और तुझ पर प्य...

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नयी सुबह By DINESH KUMAR KEER

1.किसी ने मुझसे पूछा,सच सबसे गहरा क्यों ?आखिर उस पर इतना पहरा क्यों ?मेने बस इतना कहा,क्युकी सच सबसे सुन्दर है2.सर्द घने कोहरे में लिपटी हुई भोर कोयल की कूक दरख्तों मैं दुबकेपरिंदो...

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उड़ चले पंछी By DINESH KUMAR KEER

1.तेरी राह तकते तकते उम्र गुजारदी मैनें अपनी, फिर भी एक उम्मीद लगाये बैठी हुँकि कदी तु आवेगा, मेरा माथा चुम मुझे गले लगावेगा, बस वो पल ही आखिरी होगा मेरी जिदंगी का, जब तु मेरे नाल...

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ज़िंदगी की छांव तले By DINESH KUMAR KEER

1.गर किसी से वादा करो, तो उसे निभाओ जरूरक्योंकि अक्सर वादो पर अपनी जिदंगी गुजार देते है लोगकिसी के लिये वादा महज एक लब्ज हो सकता हैऔर किसी के लिये ये लब्ज बहुत अहम होता है2.ए जिंदग...

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तेरी मेरी कहानी By DINESH KUMAR KEER

1.जिदंगी मे मैंने जिस - जिस को चाहाअपने से उसे हमेशा दूर ही पायामेरी किस्मत कह लो या तकदीर मेरीजो वो मुझे कभी मिला ही नहींकिस्मत का फैंसला मान कर उसे छोड़ दियाजिस - जिस से दिल लगाय...

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पलकों पे सजे ख्वाब By DINESH KUMAR KEER

1.वक्त कहाँ किसी का एक सा रहता हैआज बुरा तो कल अच्छा होता हैंइसे याद रख कर किसी को क्या मिलता हैयाद रखना है, तो बस इतना कि उस वक्त कौन - कौन साथ देता है2.मेरी आरजू है कि तुझे एक बा...

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कश्मकश ज़िन्दगी की By DINESH KUMAR KEER

1.ये फिजा़, ये मौसम, ये नजारे रहे ना रहेमगर मैं चाहुँ बस इतना तेरा मेरा साथ रहेना बिछड़े कभी हम एक दुजे सेहमारा प्यार युँ ही कायम रहेसाथ मे ना सही तो यादो में रहेतु मुझे याद करे मै...

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तेरी बिंदिया रे By DINESH KUMAR KEER

1.बड़ा नायाब सा रिश्ता हैउनका और मेराना मैं उनके अपनो मे शामिल हुँना वो मेरे गैरो मे शामिल हैंबस मिलते है हम, जब भी कहींतो कभी वो अपनी नजरें चुरा लेते हैंतो कभी हम अपनी पलकें झुका...

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फूलों की ख़ुशबू By DINESH KUMAR KEER

1.कोई रिश्ता तो जरूर हैतेरे मेरे दरमियांपर क्या ये मैं कह नहीं पा रहीतू है कि समझता ही नहींऔर मैं तुझे समझा नहीं पा रहीदर्द मेरे दिल का तु जानता ही नहींकितनी मोहब्बत है तुझसे ये मा...

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एक बार फिर कुदरत की गोद में By Jagat Kinkhabwala

एक बार फिर कुदरत की गोद में लेखक: जगत कीनखाबवाला (स्पेरो मेन)   *ग्लोबल वॉर्मिंग, पक्षिओं के लिए एक भयजनक स्थिति - ग्लोबल वॉर्निंग* पक्षी धरती पर रहनेवाले बेहद महत्वपूर्ण जीव...

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बावरी By DINESH KUMAR KEER

1.तु कितना भी छुपा ले मुझसे मगर तेरी आँखो मे प्यार नजर आता हैतु कितन भी छुपा ले तेरे लबो पर इजहार नजर आता हैतु कितना भी छुपा ले मगर तेरी बातो मे ऐतवार नजर आता हैतु कितना भी छुपा ले...

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जादुई मणि By RUDRA VEER

एक बार, एल्डोरिया की रहस्यमय भूमि में, कोई अन्य की तरह एक नायक रहता था. उसका नाम अर्जुन था, जो न्याय से भरा दिल वाला एक बहादुर और साहसी योद्धा था. इस करामाती दायरे में, जादू की शक्...

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सपनों से भरे नैना By DINESH KUMAR KEER

1.ना झूठ बोलना पडे़ मुझे जमाने सेना कुछ छुपाना पडे़ मुझे अपनो सेकुछ ऐसा इंतजाम करसब कुछ आसां हो तेरे मेरे दरमियांऔर किसी को खबर भी ना लगे2.दीवानी हुँ तेरी इस बात से इंकार नहींलेकिन...

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हम साथ - साथ हैं By DINESH KUMAR KEER

1.शौक तो नहीं था हमें भी इश्क करने का मगर नजर तुमसे मिली तो शौकीन हम भी हो गए मानते थे इश्क में अक्सर लोग बर्बाद हो जाते हैं पर जब से तुमसे हुआ हम आबाद हो गए सुना है बे रंग सी हो ज...

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कि मैं एक आवारा पंछी By DINESH KUMAR KEER

1. गर इश्क ना होता इनमें तो आंखें इतनी खूबसूरत ना होती जो गम न दिए होते जमाने ने तो खुशी की कीमत पता नहीं होती जो बेवफाई ना की होती यारों ने तो वफा की चाहत ना होती जो तन्हाई का एहस...

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बन के तितली दिल उड़ा By DINESH KUMAR KEER

1.अब वो ना, मेरे बारे मे किसी से बात कर रहा होगामुझे भूलाने कि कोशिश वो लाख कर रहा होगामेरी तस्वीर को भी अब जो जला कर राख कर रहा होगासोया नही है वो रातो को, उसकी आँखो से लगता हैजरू...

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झिलमिल सपने By DINESH KUMAR KEER

1.देख सकता हूं मैं दूर तलक।है बाज सी ये मेरी नजर।।कहीं छिपा नहीं कुछ भी हमसे।जमी हो या चाहे हो फलक।। रखती हूं सबसे दोस्ताना व्यवहार।दिलों को जीतने का है मुझ में हुनर।।लिखती हूं अल्...

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अगर शब्दों के पंख होते By DINESH KUMAR KEER

1.लिखते लिखते बहुत दिन हुए अब गाने की बारी हैहमको जाना है दिल्ली तक हमने कर ली तैयारी है बाग बगीचा नदिया ‌ पनघट इस तट से जा पहुंचे उस तट तकनन्ही बिटिया खाना लातीदेख परछाई दौड़ी सरप...

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अनकही ख्वाहिश By DINESH KUMAR KEER

1. गजलहम पर जो लगाए गए, वो इल्जाम बहुत हैंतुम दूर रहना हमसे, हम बदनाम बहुत हैं गैरों के साथ घूमे वो, कई शाम और शहरअब लौट आए घर, तो कोहराम बहुत हैआओ हुजूर बैठो, महफिल में तुम कभीबहल...

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जरासंध By Renu

जरासंध महाभारत के अनुसार बृहद्रथ का पुत्र तथा मगध का सबसे शक्तिशाली राजा था। मगध पर शासन करने वाला प्राचीनतम ज्ञात राजवंश वृहद्रथ वंश है। महाभारत व पुराणों से ज्ञात होता है कि प्रा...

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आशा की किरण By DINESH KUMAR KEER

1.मन मेरा घबराता तुम बिन कुछ भी ना सुहाता तुम बिन क्या होली क्या दशहरा कुछ भी ना भाता तुम बिन आओ हम तुम मिलकर खुशियाँ मनाएं साथ मिलकर झूमें गायें तेरे शान पे रखकर सरमीठी नींद हम सो...

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कहीं धूप, कहीं छाव By DINESH KUMAR KEER

1.तुमको देखा बंद आँखों से दीदार को मन तड़पता हैमेरे मन मंदिर के देवता तुझे देखने को मन तरसता है स्वप्न सजाए पलकों ने सांसों ने अभिनंदन किया अधरों का पा स्पंदन फिर जीने को मन करता ह...

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मेरे सपनों की रानी By DINESH KUMAR KEER

1.प्रेम के इस नदी में उतरती गईइतना डूब गई मैं डूबती ही गई सांस सांसों के बंधन से ऐसा बँधा कितना भी लहर आया मैं तैरती रही हवा के थपेड़ों से मैं जुझती रही फिर भी अपने दम पर खड़ी ही र...

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तुम जो मिल गए हो By DINESH KUMAR KEER

1.ऐ ज़िंदगी यूं तो संघर्षों के थपेड़े कम नहीपाऊंगी मंजिल ये हौसला है मेरा वहम नही ।ऐ जिन्दगी..मैं संभलू और तू गिरा चल यही दोहराते हैचल ज़रा देखे तू जीतती है या हम हराते है ।तोड़ दे...

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तेरा होने लगा हूँ By DINESH KUMAR KEER

1.सीखा ही नहीं हमने डरना कभी गैरों से डर लगता है हमको तो इस शहर में भी अपनों सेकोई काट दे पर मेरे डर हमको नहीं अब उनकाहमने तो है सीखा उड़ाना भी परकटे परिंदों सेलगी डेस मेरे दिल को...

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वो रात वो सपना क्यू? By Sakshi Rai

एक ऐसा दिन। पीला गेहरा आसमान धुंधला धुंधला सा दिखाई पड़ता। ऐसा मालूम होता जैसे हर जगह अंधेरा छाया हो हलका हल्का साथ में पीलापन था। ना दिन मालूम होता ना रात पर इतना पक्का था की दिन...

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अगर तुम साथ हो By DINESH KUMAR KEER

1.मेरी खामोशी का शोर वो बड़ी जोर से सुनता है।जो बात मैं कहता नहीउसको वो ज्यादा गौर से सुनता है।।देर है पर अंधेर नहीऐसी कोई रात नही जिसकी सवेर नही।हां कभी कभी रात का दर्द ऐ अफसानावो...

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अश्विनीकुमार By Renu

अश्विनीकुमार सूर्य के औरस पुत्र, दो वैदिक देवताओं को कहा जाता है। ये कल्याणकारी देवता हैं। इनका स्वरूप युगल रूप में था। अश्विनीकुमार 'पूषन' के पिता और 'उषा' के भाई...

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अनकहे शब्द By DINESH KUMAR KEER

1.कुछ भी नहीं मिला सफर में मैं फिर भी चलता रहूंगा। माना सफर पूरा धूप का सही मैं फिर भी जलता रहूंगा।। 2.यही दुख है तुम्हारा कि तू सावली है न दोस्त। पर दिल से किसी पर तू बावली है न द...

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दिल की धड़कन By DINESH KUMAR KEER

1.ख्वाहिश थी ताऊम्र उसे अपना बनाकर रखने की। मगर एक उंचे मकान वाले ने मेरी खुशियाँ खरीद ली।। 2.दस्तक मेरे दिल पर आप जो देने लगे हो ...कहीं ना कहीं मेरा चैन चुराने लगे हो ...आता है आ...

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रिश्तों का सफर By DINESH KUMAR KEER

1.जिसने किया है कत्ल मेरे इस दिल का, वो कोई और नहीं दोस्त बल्कि प्यार था हमारा।। 2.यह मोहब्बत है ठगों की बस्ती,एक पल में बदल देती है हस्ती,आशिक़ रहते है इश्क़ में बैचेन,इश्क़ जाता...

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ज़िन्दगी के रंग By DINESH KUMAR KEER

1.जब भी तेरी याद आती है उदास कर जाती हैं। न जाने क्यों तेरे बिना ज़िंदगी काटी नहीं जाती हैं।।2.भूल क्या हुई खबर नहीं दोष क्या है पता नहीं, हर कोई नाराज़ है मुझसे कौन है जो खफा नहीं...

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भक्त लालाजी By Renu

भक्त लालाजी (जन्म- संवत 1853, गुजरात; मृत्यु- संवत 1918) भगवान के अनन्य भक्त थे। उन्हें नरसी मेहता का अवतार माना जाता है। इनका मन ईश्वर की भक्ति और साधु सेवा में बहुत रमता था।भक्त...

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केशव भट्ट By Renu

केशव भट्ट काश्‍मीरी का नाम चैतन्य महाप्रभु के तत्‍कालीन अनुयायियों और भक्‍तों की श्रेणी में श्रद्धापूर्वक लिया जाता है। वे भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। चैतन्‍य की दिव्‍यता के प्...

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श्री नरसी मेहता By Renu

नरसी गुजराती भक्ति साहित्य के श्रेष्ठतम कवि थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप साहित्य के इतिहास ग्रंथों में "नरसिंह-मीरा-युग" नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल का निर्धा...

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आआइइ By DINESH KUMAR KEER

1.उसने कहा,"हृदय में जब पीड़ा उठे और आँसू सूख जाएँ..तब देखना..कविता बनेगी..।ऐसे लिखने बैठोगी.. तो नहीं लिख पाओगी..।तो अपने जीवन में भाव उत्पन्न करो..।पीड़ा लाओ..।आक्रोश जगाओ..।"मैं...

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श्री निम्बार्काचार्य जी By Renu

निम्बार्काचार्य 'वैष्णव सम्प्रदाय' के प्रवर्तक आचार्य के रूप में प्रख्यात हैं। यह ज्ञातव्य है कि वैष्णवों के प्रमुख चार सम्प्रदायों में 'निम्बार्क सम्प्रदाय' भी एक...

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हमराही - सच्चा साथी By DINESH KUMAR KEER

1.1)साथ हैं फिर भी दूर कितने हैं कितने प्यासे ये दो किनारे हैं2)बनके बादल जो मुझपे छाए हैं रेशमी ज़ुल्फ़ के ॲंधेरे हैं3)दें कहाॅं हम ख़िलाफ़ में अर्ज़ी क़ातिलाना तेरे इशारे हैं4)कु...

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महात्मा सरयूदास By Renu

महात्मा सरयूदास का जन्म संवत 1904 विक्रमी में गुजरात के पारडी नामक गांव में हुआ था। उनका जन्म-नाम 'भोगीलाल' था। बचपन में उन्हें अपने पड़ोसी बजा भगत का सत्संग मिला। इसका परि...

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छाह देते दरख्तों की जड़ों पर अतिक्रमण By Gunavathi Bendukurthi

मनुष्य समाज मे व्याप्त संस्कृति का निर्माण कर इसे सहेज कर रखता  है तथा इसे एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक सम्प्रेषित  भी करता  है।  किसी भी समाज की आत्मा वहां की  संस्कृति होती है | इसमे...

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भक्त बिल्‍वमंगल By Renu

दक्षिण प्रदेश में कृष्‍णवीणा नदी के तट पर एक ग्राम में रामदास नामक भगवद्भक्‍त ब्राह्मण निवास करते थे। उन्‍हीं के पुत्र का नाम 'बिल्‍वमंगल' था। पिता ने यथासाध्‍य पुत्र को धर...

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रघु केवट By Renu

रघु केवट पीपलीचटी ग्राम में मछलियाँ पकड़ने का कार्य किया करता था। पकड़ी हुई मछलियों को बेचकर वह परिवार का पालन-पोषण किया करता था। घर में स्‍त्री और बूढ़ी माता थी। पूर्व जन्‍म के पु...

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सुविचार संग्रह By DINESH KUMAR KEER

1.कितने खुबसूरत हुआ करते थेबचपन के वो दिन,सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से,दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी...2.इधर उधर से रोज यूँ ना तोड़िए हमें,अगर खराब हैं तो फिर छोड़िये हमें...3.अब...

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भक्त सदन कसाई By Renu

सदन भगवान श्री जगन्नाथ जी के परम भक्त थे। इनको बचपन से ही भगवन्नाम-जप और हरि कीर्तन प्रिय था। भगवान का नाम तो इनकी जीभ पर सदा ही नाचता रहता था। ये जाति से कसाई थे, फिर भी इनका हृदय...

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अनमोल विचार By DINESH KUMAR KEER

1.जेठ आते ही... अच्छो-अच्छो का घूंघट निकल आता हैं... यू ही जेठ जी नहीं कहलाते हैं... 2.अगर पूछे कोई पहचान अपनी तो बता देना,हमारे नाम से तुम हो, तुम्हारे नाम से हम है।3.शिक्षा उसे क...

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महाराज मनु By Renu

मनि विनु पनि जिमि जल बिनु मीना।मम जीवन तिमि तुम्हहि अधीना—(श्रीरामचरितमानस)जब ब्रह्माजी ने सृष्टि के प्रारम्भ में देखा कि उनकी मानसिक सृष्टि नहीं बढ़ रही है, तब अपने शरीर से उन्हों...

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