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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Anything in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultures....Read More


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  • दिल का रिश्ता

    1.उनकी मेहरबानी बेमिसाल थीजाते जाते हजारों गम दे गये हम कितने खुदगर्ज निकले मोहब...

  • जिन्दगी एक पहेली

    1.पूछा जो हमसे कि क्या हुआहमने कहा….“कुछ नहीं”इस ‘कुछ नहीं’ में कितना कुछ होता ह...

  • रिश्ता ये तेरा मेरा

    1. मददगारएक गांँव था। उस गांँव का नाम रामपुरा था। रामपुरा गांँव के पास से बहुत घ...

मेरी मुस्कान तुम से है By DINESH KUMAR KEER

1.मैं लिखना चाहती हूं एक ख़त,इन हवाओं के ज़रिए,मैं पंहुचाना चाहती हूं तुम तक,अपने एहसास,अपने जज़्बात सारे,सुनो,क्या मेरी तरह तुम्हे भी ,हर और दिखाई देता है अक्स मेरा,क्या मेरी आवाज...

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मन परिंदा By DINESH KUMAR KEER

1.यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करोवो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करोकोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक सेये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से म...

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प्यार के परिंदे By DINESH KUMAR KEER

1दिल्लगी में हो, ना जाना इतने मशगूल की सही गलत का फर्क भी जाओ भूल दिल लगाना किसी ऐसे शख्स से जिससे हर बात कह सको पूरे हक़ से अक्सर जल्दी बाजी में दिल लगा बैठते हैं लोग जहां देखी सू...

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दिल का रिश्ता By DINESH KUMAR KEER

1.उनकी मेहरबानी बेमिसाल थीजाते जाते हजारों गम दे गये हम कितने खुदगर्ज निकले मोहब्बत के सिवा उनको कुछ और न दे सके..!2.आसमान का चाँद तेरी बाँहो में हो,तू जो चाहे वो तेरी राहों में हो...

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जिन्दगी एक पहेली By DINESH KUMAR KEER

1.पूछा जो हमसे कि क्या हुआहमने कहा….“कुछ नहीं”इस ‘कुछ नहीं’ में कितना कुछ होता है नामगर उस होने को हम कहाँ बता पाते हैं शायद कुछ बताने के लिए होता ही नहींया शायद इतना कुछ होता है ब...

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वैश्विक परिवर्तन में मीडिया की भूमिका By Sudhir Srivastava

लोकतंत्र के चौथे किंतु अत्यंत महत्वपूर्ण स्तंभ मीडिया की हर स्तर पर, हर क्षेत्र में उपस्थित लगभग अनिवार्य सी हो गई है, जिसका सकारात्मक प्रभाव भी दिखता है,तो कहीं कहीं नकारात्मक प्र...

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रिश्ता ये तेरा मेरा By DINESH KUMAR KEER

1. मददगारएक गांँव था। उस गांँव का नाम रामपुरा था। रामपुरा गांँव के पास से बहुत घना वन था। उस वन में शेर, चीता, भालू, हिरण, लोमड़ी, बन्दर आदि बहुत से जंगली जानवर रहते थे। रामपुरा के...

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जिंदगी के रंग हजार - 10 By Kishanlal Sharma

प्रवृत्ति----------"राशन मिला काजयपुर गया हुआ था।वहाँ हर चीज महंगी है।सब्जी भी।हमारे यहाँ जो सब्जी सीजन में 10 या 20 रु किलो तक मिल जाती है।वो सब्जी वहा दुकान पर 40 रु किलो से कम न...

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तुम बिन जिया न जाए By DINESH KUMAR KEER

1.मरीज हो अगर दिल के तो कर लो इश्क..क्योंकि धड़कना दिलों को सिखा देता है इश्क...!!2.मुनाफा का तो पता नहीं लेकिन बेचने वालेतो यादों को भी कारोबार बना कर बेच देते है..!!3.तुम्हें अपन...

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मेरी कलम ही मेरी पहचान है By DINESH KUMAR KEER

1.मेरी बेचैनी का आलम मेरी बेचैनी से पूछो..मेरे चहरे से पूछोगे कहेगा ठीक है सब कुछ..!!2.सफलता का मुख्य आधार..सकारात्मक सोच और निरंतर प्रयास है..!!3.ये कैसा रिश्ता है तेरे और मेरे दर...

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नन्हा बच्चा By DINESH KUMAR KEER

1.एक बार एक नन्हा बच्चा दोपहर में नंगे पैर फूल बेच रहा था। लोग मोलभाव कर उससे फूल ख़रीद रहे थे। तभी अचानक एक सज्जन की नज़र उसके पैरों पर पड़ी। उसने पाया कि उस बच्चे के पैरों में जू...

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मां कब आयेगी - भाग 1 By Dr.Dixit

राधे राधे सभी को आज मैं ये कहानी एक छोटी सी नन्ही सी प्यारी लड़की के बारे में लिख रही हूं।जो अपना सब कुछ सिर्फ भगवान और समय पर छोड़ कर जीवन बिताती है।ऐसा नहीं है कि बह खुद से कुछ न...

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दिल के जज़्बात By DINESH KUMAR KEER

1."तुझे देखते ही बहक जाते है हम""कहना कुछ होता है कह कुछ जाते है हम"2.कहाँ किसी के लिए है मुमकिनसब के लिए एक-सा होनाथोड़ा-सा दिल मेरा बुरा हैथोड़ा भला है सीने में....!!3.मेरी नज़रों...

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एक किताब सी जिन्दगी मेरी By DINESH KUMAR KEER

1.एक किताब सी जिंदगी मेरी..!एक खुली किताब सी है ये जिंदगी मेरी.जिस पर कहीं खुशी के पल,तो कहीं गम लिखा है,जिस पन्ने पर फिर भी जैसा लिखा है,मैंने हर पन्ने को,उतनी ही खुबसूरती से पढ़ा...

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जो दिल कहें By DINESH KUMAR KEER

1.अपनी उलझन को बढ़ाने की जरूरत क्या है।छोड़ना है तो बहाने की जरूरत क्या है। लग चुकी आग तो लाज़िम है धुँआ उठेगादर्द को दिल में छुपाने की जरूरत क्या हैउम्र भर रहना है ताबीर से गर दूर...

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अनजाने एहसास By DINESH KUMAR KEER

1.नज़राना मोहब्बत काअपने महबूब को क्या दूंजो ख़ुद बेशकीमती है मेरे लियेमैं उसे तोहफ़ा क्या दूंइश्क़ की किताब परसिर्फ तुमको ही लिखा है अपनीप्यार की उस इबादत कोमैं शब्दों का आशियाना...

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अनकही दास्तां By DINESH KUMAR KEER

1.इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए,आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए।अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे, इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए।2.ये ज़ुल्फ़ अगर खुल...

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लम्हें जिन्दगी के By DINESH KUMAR KEER

1.याद हम ज़्यादा और वो कम करते हैफिर भी वो कहते है कि प्यार वो ज़्यादा और हम कम करते है2.लफ्जों का भी तापमान होता हैकभी सुकून देते हैं कभी जला देते हैं3.इजाज़त लेकर जो दिल में आए उ...

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जीवन एक संघर्ष है By DINESH KUMAR KEER

1.पत्तों सी हो गई है हर रिश्तों की उम्रआज हरे कल पीले तो परसों सूखे2.जीने वालो से भी पूछो कि वो कैसे जिन्दा है मरने वाले का तो सब पूछते है कैसे मरा3.कभी सागर कभी झील तो कभी जाम रखा...

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काश कोई तो अपना होता By DINESH KUMAR KEER

1. एहसासतेरी चाहत भूल गयी है जीवन को महकाना अबमेरी भी इन तस्वीरों ने छोड़ दिया शरमाना अबजो इक बात बयां होती थी तेरी-मेरी नज़रों सेकितना मुश्किल है उसको यूँ लफ्ज़ों में समझाना अबमेर...

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अंखियों के झरोखों से By DINESH KUMAR KEER

1.शहंशाह की तरह जीते थे कुछ साल पहले हम भीएक लड़की क्या आई जिंदगी में मेरी दुनिया तबाह कर दी!!2.न जाने कौन सी मोड़ पर दगा दे जाए जिंदगीइसलिए हर दिन यारो मुस्कुराकर जिया करो!!3.ख्वा...

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कोई तुमसा नहीं By DINESH KUMAR KEER

1.इस सम्पूर्ण सृष्टि केसमस्त अनुबंधों से परेमेरे प्रेम की पराकाष्ठा सिर्फ तुम हो ,सिर्फ तुम ।लिप्त रही मैं सदा ही बेबस मर्यादा की बुझती ज्योति में,भस्म होती मेरी हर कामना,अंतर्मन क...

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कुछ अनकही ख़ामोश यादें By DINESH KUMAR KEER

1.ये क्या कह दिया तुमने..फुरसत हो तो..??मेरा हर लम्हा....बस तुम्हारा हैपढ़ा है... हर रात तुम्हे..देखा है.. सुना हैहर पल.. हर लम्हा..तुम्हे ही तो बुना हैऔर सब्र...हर एक रात कीचौखट पर...

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मुस्कान By DINESH KUMAR KEER

1.ये नरम लहजा प्यारी बातें तेरे लिए है,हम इस लहजे में सब से बात नहीं करते...2.तुमने पूछा था ना मेरे लिए कौन हो तुम,तो सुनो स्वार्थी से जीवन में निस्वार्थ प्रेम हो तुम...3.अब तो ₹20...

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कुछ अनकही बातें दिल से By DINESH KUMAR KEER

1.तेरी एक झलक पाने को तरस जाता है दिल मेरा,खुश किसमत है वो लोग जो तेरे घर के सामने रहते है...2.उसी की तरह मुझे सारा जमाना चाहे,वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे...3.आहिस्ता चल...

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वक्त के साथ मेरे एहसास By DINESH KUMAR KEER

1.बगैर उसको बताए निभाना पड़ता है,ये इश्क राज है इसे छुपाना पड़ता है...2.तुमसे मिलकर ये हसरत ए मुलाकात रह गई,ऐसा लगा बादल घर आए और बरसात रह गई...3.जिंदगी में मुसाफ़िर बने रहना बहुत...

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तुम मेरे हो मेरे ही रहना By DINESH KUMAR KEER

1.रूह भी तू सुकून भी तूइबादत भी तू जन्नत भी तूखामोशी भी तू अल्फाज़ भी तूइश्क़ भी तू जिन्दगी भी तूआखरी है इल्तेजा यूं ना आज़मा मुझे...रूह को सुकून दे या खाक में मिला मुझे... लोग मुक...

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सजना साथ निभाना By DINESH KUMAR KEER

1.कौन है जिसको नज़रों में फिर छुपाने लगी हो लोग कहते है ग़ज़ल तुम भी मुस्कुराने लगी होफिर मोहब्बत का असर तुम पे आ गया शायद या देख ख़्वाब तुम कहानी कोई बनाने लगी हो2.सुना है वो कह कर गय...

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सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तक By Gunavathi Bendukurthi

सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तकः आज के आर्य समाज की लुप्त होती गौरवशाली कहानी   डॉ. गुणवती बेन्दुकुर्थी   प्रसिद्ध समाज सुधारक और क्रांतिकारी महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा वर...

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फूलों की ख़ुशबू By DINESH KUMAR KEER

1.मिला दिल, मिल के टूटा जा रहा हैनसीबा बन के फूटा जा रहा है..दवा-ए-दर्द-ए-दिल मिलनी थी जिससेवही अब हम से रूठा जा रहा हैअंधेरा हर तरफ़, तूफ़ान भारीऔर उनका हाथ छूटा जा रहा हैदुहाई अह...

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गर्मियों में भी खिलें फूल By S Sinha

                                         गर्मियों में भी खिलें  फूल  रंग बिरंगे फूल सब को भाते हैं और अपनी ओर आकर्षित करते हैं  . अक्सर दिल कहता है कि काश ये फूल हमारे घर में भी हो...

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झरने की खुशबू By DINESH KUMAR KEER

1.न जाने किस तरह का इश्क कर रहे हैं हमजिसके हो नहीं सकते उसी के हो रहे हैं हम2.मुझे इश्क़ सिखाकर के रुख़ मोड़ तो ना लोगेरखो हाथ मेरे दिल पे, कहो, कभी छोड़ तो ना दोगे3.हम ने जब कभी...

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सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तक By GUNAVATHI BENDUKURTHI

सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तकः आज के आर्य समाज की लुप्त होती गौरवशाली कहानी   डॉ. गुणवती बेन्दुकुर्थी   प्रसिद्ध समाज सुधारक और क्रांतिकारी महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा वर...

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काव्य लता By DINESH KUMAR KEER

1.मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगीहिज़्र के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगीदिनों को तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों मेजहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हे रातें रुलायेंगी2.मैं फिर...

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दिल की आवाज़ By DINESH KUMAR KEER

1.तुम्हेँ गले से लगाने के बाद आया हैसुकून कितने ज़माने के बाद आया है2.ख्वाहिश इतनी है कि कुछ ऐसा मेरा नसीब होवक्त चाहे जैसा भी हो... बस तू मेरे करीब हो3.मैं देखूं तुझे और तुझ पर प्य...

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नयी सुबह By DINESH KUMAR KEER

1.किसी ने मुझसे पूछा,सच सबसे गहरा क्यों ?आखिर उस पर इतना पहरा क्यों ?मेने बस इतना कहा,क्युकी सच सबसे सुन्दर है2.सर्द घने कोहरे में लिपटी हुई भोर कोयल की कूक दरख्तों मैं दुबकेपरिंदो...

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उड़ चले पंछी By DINESH KUMAR KEER

1.तेरी राह तकते तकते उम्र गुजारदी मैनें अपनी, फिर भी एक उम्मीद लगाये बैठी हुँकि कदी तु आवेगा, मेरा माथा चुम मुझे गले लगावेगा, बस वो पल ही आखिरी होगा मेरी जिदंगी का, जब तु मेरे नाल...

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ज़िंदगी की छांव तले By DINESH KUMAR KEER

1.गर किसी से वादा करो, तो उसे निभाओ जरूरक्योंकि अक्सर वादो पर अपनी जिदंगी गुजार देते है लोगकिसी के लिये वादा महज एक लब्ज हो सकता हैऔर किसी के लिये ये लब्ज बहुत अहम होता है2.ए जिंदग...

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तेरी मेरी कहानी By DINESH KUMAR KEER

1.जिदंगी मे मैंने जिस - जिस को चाहाअपने से उसे हमेशा दूर ही पायामेरी किस्मत कह लो या तकदीर मेरीजो वो मुझे कभी मिला ही नहींकिस्मत का फैंसला मान कर उसे छोड़ दियाजिस - जिस से दिल लगाय...

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पलकों पे सजे ख्वाब By DINESH KUMAR KEER

1.वक्त कहाँ किसी का एक सा रहता हैआज बुरा तो कल अच्छा होता हैंइसे याद रख कर किसी को क्या मिलता हैयाद रखना है, तो बस इतना कि उस वक्त कौन - कौन साथ देता है2.मेरी आरजू है कि तुझे एक बा...

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कश्मकश ज़िन्दगी की By DINESH KUMAR KEER

1.ये फिजा़, ये मौसम, ये नजारे रहे ना रहेमगर मैं चाहुँ बस इतना तेरा मेरा साथ रहेना बिछड़े कभी हम एक दुजे सेहमारा प्यार युँ ही कायम रहेसाथ मे ना सही तो यादो में रहेतु मुझे याद करे मै...

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तेरी बिंदिया रे By DINESH KUMAR KEER

1.बड़ा नायाब सा रिश्ता हैउनका और मेराना मैं उनके अपनो मे शामिल हुँना वो मेरे गैरो मे शामिल हैंबस मिलते है हम, जब भी कहींतो कभी वो अपनी नजरें चुरा लेते हैंतो कभी हम अपनी पलकें झुका...

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फूलों की ख़ुशबू By DINESH KUMAR KEER

1.कोई रिश्ता तो जरूर हैतेरे मेरे दरमियांपर क्या ये मैं कह नहीं पा रहीतू है कि समझता ही नहींऔर मैं तुझे समझा नहीं पा रहीदर्द मेरे दिल का तु जानता ही नहींकितनी मोहब्बत है तुझसे ये मा...

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बावरी By DINESH KUMAR KEER

1.तु कितना भी छुपा ले मुझसे मगर तेरी आँखो मे प्यार नजर आता हैतु कितन भी छुपा ले तेरे लबो पर इजहार नजर आता हैतु कितना भी छुपा ले मगर तेरी बातो मे ऐतवार नजर आता हैतु कितना भी छुपा ले...

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एक बार फिर कुदरत की गोद में By Jagat Kinkhabwala

एक बार फिर कुदरत की गोद में लेखक: जगत कीनखाबवाला (स्पेरो मेन)   *ग्लोबल वॉर्मिंग, पक्षिओं के लिए एक भयजनक स्थिति - ग्लोबल वॉर्निंग* पक्षी धरती पर रहनेवाले बेहद महत्वपूर्ण जीव...

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जादुई मणि By RUDRA VEER

एक बार, एल्डोरिया की रहस्यमय भूमि में, कोई अन्य की तरह एक नायक रहता था. उसका नाम अर्जुन था, जो न्याय से भरा दिल वाला एक बहादुर और साहसी योद्धा था. इस करामाती दायरे में, जादू की शक्...

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सपनों से भरे नैना By DINESH KUMAR KEER

1.ना झूठ बोलना पडे़ मुझे जमाने सेना कुछ छुपाना पडे़ मुझे अपनो सेकुछ ऐसा इंतजाम करसब कुछ आसां हो तेरे मेरे दरमियांऔर किसी को खबर भी ना लगे2.दीवानी हुँ तेरी इस बात से इंकार नहींलेकिन...

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हम साथ - साथ हैं By DINESH KUMAR KEER

1.शौक तो नहीं था हमें भी इश्क करने का मगर नजर तुमसे मिली तो शौकीन हम भी हो गए मानते थे इश्क में अक्सर लोग बर्बाद हो जाते हैं पर जब से तुमसे हुआ हम आबाद हो गए सुना है बे रंग सी हो ज...

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कि मैं एक आवारा पंछी By DINESH KUMAR KEER

1. गर इश्क ना होता इनमें तो आंखें इतनी खूबसूरत ना होती जो गम न दिए होते जमाने ने तो खुशी की कीमत पता नहीं होती जो बेवफाई ना की होती यारों ने तो वफा की चाहत ना होती जो तन्हाई का एहस...

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मेरी मुस्कान तुम से है By DINESH KUMAR KEER

1.मैं लिखना चाहती हूं एक ख़त,इन हवाओं के ज़रिए,मैं पंहुचाना चाहती हूं तुम तक,अपने एहसास,अपने जज़्बात सारे,सुनो,क्या मेरी तरह तुम्हे भी ,हर और दिखाई देता है अक्स मेरा,क्या मेरी आवाज...

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मन परिंदा By DINESH KUMAR KEER

1.यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करोवो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करोकोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक सेये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से म...

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प्यार के परिंदे By DINESH KUMAR KEER

1दिल्लगी में हो, ना जाना इतने मशगूल की सही गलत का फर्क भी जाओ भूल दिल लगाना किसी ऐसे शख्स से जिससे हर बात कह सको पूरे हक़ से अक्सर जल्दी बाजी में दिल लगा बैठते हैं लोग जहां देखी सू...

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दिल का रिश्ता By DINESH KUMAR KEER

1.उनकी मेहरबानी बेमिसाल थीजाते जाते हजारों गम दे गये हम कितने खुदगर्ज निकले मोहब्बत के सिवा उनको कुछ और न दे सके..!2.आसमान का चाँद तेरी बाँहो में हो,तू जो चाहे वो तेरी राहों में हो...

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जिन्दगी एक पहेली By DINESH KUMAR KEER

1.पूछा जो हमसे कि क्या हुआहमने कहा….“कुछ नहीं”इस ‘कुछ नहीं’ में कितना कुछ होता है नामगर उस होने को हम कहाँ बता पाते हैं शायद कुछ बताने के लिए होता ही नहींया शायद इतना कुछ होता है ब...

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वैश्विक परिवर्तन में मीडिया की भूमिका By Sudhir Srivastava

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रिश्ता ये तेरा मेरा By DINESH KUMAR KEER

1. मददगारएक गांँव था। उस गांँव का नाम रामपुरा था। रामपुरा गांँव के पास से बहुत घना वन था। उस वन में शेर, चीता, भालू, हिरण, लोमड़ी, बन्दर आदि बहुत से जंगली जानवर रहते थे। रामपुरा के...

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जिंदगी के रंग हजार - 10 By Kishanlal Sharma

प्रवृत्ति----------"राशन मिला काजयपुर गया हुआ था।वहाँ हर चीज महंगी है।सब्जी भी।हमारे यहाँ जो सब्जी सीजन में 10 या 20 रु किलो तक मिल जाती है।वो सब्जी वहा दुकान पर 40 रु किलो से कम न...

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तुम बिन जिया न जाए By DINESH KUMAR KEER

1.मरीज हो अगर दिल के तो कर लो इश्क..क्योंकि धड़कना दिलों को सिखा देता है इश्क...!!2.मुनाफा का तो पता नहीं लेकिन बेचने वालेतो यादों को भी कारोबार बना कर बेच देते है..!!3.तुम्हें अपन...

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मेरी कलम ही मेरी पहचान है By DINESH KUMAR KEER

1.मेरी बेचैनी का आलम मेरी बेचैनी से पूछो..मेरे चहरे से पूछोगे कहेगा ठीक है सब कुछ..!!2.सफलता का मुख्य आधार..सकारात्मक सोच और निरंतर प्रयास है..!!3.ये कैसा रिश्ता है तेरे और मेरे दर...

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नन्हा बच्चा By DINESH KUMAR KEER

1.एक बार एक नन्हा बच्चा दोपहर में नंगे पैर फूल बेच रहा था। लोग मोलभाव कर उससे फूल ख़रीद रहे थे। तभी अचानक एक सज्जन की नज़र उसके पैरों पर पड़ी। उसने पाया कि उस बच्चे के पैरों में जू...

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मां कब आयेगी - भाग 1 By Dr.Dixit

राधे राधे सभी को आज मैं ये कहानी एक छोटी सी नन्ही सी प्यारी लड़की के बारे में लिख रही हूं।जो अपना सब कुछ सिर्फ भगवान और समय पर छोड़ कर जीवन बिताती है।ऐसा नहीं है कि बह खुद से कुछ न...

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दिल के जज़्बात By DINESH KUMAR KEER

1."तुझे देखते ही बहक जाते है हम""कहना कुछ होता है कह कुछ जाते है हम"2.कहाँ किसी के लिए है मुमकिनसब के लिए एक-सा होनाथोड़ा-सा दिल मेरा बुरा हैथोड़ा भला है सीने में....!!3.मेरी नज़रों...

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एक किताब सी जिन्दगी मेरी By DINESH KUMAR KEER

1.एक किताब सी जिंदगी मेरी..!एक खुली किताब सी है ये जिंदगी मेरी.जिस पर कहीं खुशी के पल,तो कहीं गम लिखा है,जिस पन्ने पर फिर भी जैसा लिखा है,मैंने हर पन्ने को,उतनी ही खुबसूरती से पढ़ा...

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जो दिल कहें By DINESH KUMAR KEER

1.अपनी उलझन को बढ़ाने की जरूरत क्या है।छोड़ना है तो बहाने की जरूरत क्या है। लग चुकी आग तो लाज़िम है धुँआ उठेगादर्द को दिल में छुपाने की जरूरत क्या हैउम्र भर रहना है ताबीर से गर दूर...

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अनजाने एहसास By DINESH KUMAR KEER

1.नज़राना मोहब्बत काअपने महबूब को क्या दूंजो ख़ुद बेशकीमती है मेरे लियेमैं उसे तोहफ़ा क्या दूंइश्क़ की किताब परसिर्फ तुमको ही लिखा है अपनीप्यार की उस इबादत कोमैं शब्दों का आशियाना...

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अनकही दास्तां By DINESH KUMAR KEER

1.इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए,आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए।अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे, इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए।2.ये ज़ुल्फ़ अगर खुल...

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लम्हें जिन्दगी के By DINESH KUMAR KEER

1.याद हम ज़्यादा और वो कम करते हैफिर भी वो कहते है कि प्यार वो ज़्यादा और हम कम करते है2.लफ्जों का भी तापमान होता हैकभी सुकून देते हैं कभी जला देते हैं3.इजाज़त लेकर जो दिल में आए उ...

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जीवन एक संघर्ष है By DINESH KUMAR KEER

1.पत्तों सी हो गई है हर रिश्तों की उम्रआज हरे कल पीले तो परसों सूखे2.जीने वालो से भी पूछो कि वो कैसे जिन्दा है मरने वाले का तो सब पूछते है कैसे मरा3.कभी सागर कभी झील तो कभी जाम रखा...

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काश कोई तो अपना होता By DINESH KUMAR KEER

1. एहसासतेरी चाहत भूल गयी है जीवन को महकाना अबमेरी भी इन तस्वीरों ने छोड़ दिया शरमाना अबजो इक बात बयां होती थी तेरी-मेरी नज़रों सेकितना मुश्किल है उसको यूँ लफ्ज़ों में समझाना अबमेर...

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1.शहंशाह की तरह जीते थे कुछ साल पहले हम भीएक लड़की क्या आई जिंदगी में मेरी दुनिया तबाह कर दी!!2.न जाने कौन सी मोड़ पर दगा दे जाए जिंदगीइसलिए हर दिन यारो मुस्कुराकर जिया करो!!3.ख्वा...

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कोई तुमसा नहीं By DINESH KUMAR KEER

1.इस सम्पूर्ण सृष्टि केसमस्त अनुबंधों से परेमेरे प्रेम की पराकाष्ठा सिर्फ तुम हो ,सिर्फ तुम ।लिप्त रही मैं सदा ही बेबस मर्यादा की बुझती ज्योति में,भस्म होती मेरी हर कामना,अंतर्मन क...

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कुछ अनकही ख़ामोश यादें By DINESH KUMAR KEER

1.ये क्या कह दिया तुमने..फुरसत हो तो..??मेरा हर लम्हा....बस तुम्हारा हैपढ़ा है... हर रात तुम्हे..देखा है.. सुना हैहर पल.. हर लम्हा..तुम्हे ही तो बुना हैऔर सब्र...हर एक रात कीचौखट पर...

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मुस्कान By DINESH KUMAR KEER

1.ये नरम लहजा प्यारी बातें तेरे लिए है,हम इस लहजे में सब से बात नहीं करते...2.तुमने पूछा था ना मेरे लिए कौन हो तुम,तो सुनो स्वार्थी से जीवन में निस्वार्थ प्रेम हो तुम...3.अब तो ₹20...

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कुछ अनकही बातें दिल से By DINESH KUMAR KEER

1.तेरी एक झलक पाने को तरस जाता है दिल मेरा,खुश किसमत है वो लोग जो तेरे घर के सामने रहते है...2.उसी की तरह मुझे सारा जमाना चाहे,वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे...3.आहिस्ता चल...

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वक्त के साथ मेरे एहसास By DINESH KUMAR KEER

1.बगैर उसको बताए निभाना पड़ता है,ये इश्क राज है इसे छुपाना पड़ता है...2.तुमसे मिलकर ये हसरत ए मुलाकात रह गई,ऐसा लगा बादल घर आए और बरसात रह गई...3.जिंदगी में मुसाफ़िर बने रहना बहुत...

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तुम मेरे हो मेरे ही रहना By DINESH KUMAR KEER

1.रूह भी तू सुकून भी तूइबादत भी तू जन्नत भी तूखामोशी भी तू अल्फाज़ भी तूइश्क़ भी तू जिन्दगी भी तूआखरी है इल्तेजा यूं ना आज़मा मुझे...रूह को सुकून दे या खाक में मिला मुझे... लोग मुक...

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सजना साथ निभाना By DINESH KUMAR KEER

1.कौन है जिसको नज़रों में फिर छुपाने लगी हो लोग कहते है ग़ज़ल तुम भी मुस्कुराने लगी होफिर मोहब्बत का असर तुम पे आ गया शायद या देख ख़्वाब तुम कहानी कोई बनाने लगी हो2.सुना है वो कह कर गय...

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सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तक By Gunavathi Bendukurthi

सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तकः आज के आर्य समाज की लुप्त होती गौरवशाली कहानी   डॉ. गुणवती बेन्दुकुर्थी   प्रसिद्ध समाज सुधारक और क्रांतिकारी महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा वर...

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फूलों की ख़ुशबू By DINESH KUMAR KEER

1.मिला दिल, मिल के टूटा जा रहा हैनसीबा बन के फूटा जा रहा है..दवा-ए-दर्द-ए-दिल मिलनी थी जिससेवही अब हम से रूठा जा रहा हैअंधेरा हर तरफ़, तूफ़ान भारीऔर उनका हाथ छूटा जा रहा हैदुहाई अह...

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गर्मियों में भी खिलें फूल By S Sinha

                                         गर्मियों में भी खिलें  फूल  रंग बिरंगे फूल सब को भाते हैं और अपनी ओर आकर्षित करते हैं  . अक्सर दिल कहता है कि काश ये फूल हमारे घर में भी हो...

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झरने की खुशबू By DINESH KUMAR KEER

1.न जाने किस तरह का इश्क कर रहे हैं हमजिसके हो नहीं सकते उसी के हो रहे हैं हम2.मुझे इश्क़ सिखाकर के रुख़ मोड़ तो ना लोगेरखो हाथ मेरे दिल पे, कहो, कभी छोड़ तो ना दोगे3.हम ने जब कभी...

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सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तक By GUNAVATHI BENDUKURTHI

सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तकः आज के आर्य समाज की लुप्त होती गौरवशाली कहानी   डॉ. गुणवती बेन्दुकुर्थी   प्रसिद्ध समाज सुधारक और क्रांतिकारी महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा वर...

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काव्य लता By DINESH KUMAR KEER

1.मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगीहिज़्र के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगीदिनों को तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों मेजहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हे रातें रुलायेंगी2.मैं फिर...

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दिल की आवाज़ By DINESH KUMAR KEER

1.तुम्हेँ गले से लगाने के बाद आया हैसुकून कितने ज़माने के बाद आया है2.ख्वाहिश इतनी है कि कुछ ऐसा मेरा नसीब होवक्त चाहे जैसा भी हो... बस तू मेरे करीब हो3.मैं देखूं तुझे और तुझ पर प्य...

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नयी सुबह By DINESH KUMAR KEER

1.किसी ने मुझसे पूछा,सच सबसे गहरा क्यों ?आखिर उस पर इतना पहरा क्यों ?मेने बस इतना कहा,क्युकी सच सबसे सुन्दर है2.सर्द घने कोहरे में लिपटी हुई भोर कोयल की कूक दरख्तों मैं दुबकेपरिंदो...

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उड़ चले पंछी By DINESH KUMAR KEER

1.तेरी राह तकते तकते उम्र गुजारदी मैनें अपनी, फिर भी एक उम्मीद लगाये बैठी हुँकि कदी तु आवेगा, मेरा माथा चुम मुझे गले लगावेगा, बस वो पल ही आखिरी होगा मेरी जिदंगी का, जब तु मेरे नाल...

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ज़िंदगी की छांव तले By DINESH KUMAR KEER

1.गर किसी से वादा करो, तो उसे निभाओ जरूरक्योंकि अक्सर वादो पर अपनी जिदंगी गुजार देते है लोगकिसी के लिये वादा महज एक लब्ज हो सकता हैऔर किसी के लिये ये लब्ज बहुत अहम होता है2.ए जिंदग...

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तेरी मेरी कहानी By DINESH KUMAR KEER

1.जिदंगी मे मैंने जिस - जिस को चाहाअपने से उसे हमेशा दूर ही पायामेरी किस्मत कह लो या तकदीर मेरीजो वो मुझे कभी मिला ही नहींकिस्मत का फैंसला मान कर उसे छोड़ दियाजिस - जिस से दिल लगाय...

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पलकों पे सजे ख्वाब By DINESH KUMAR KEER

1.वक्त कहाँ किसी का एक सा रहता हैआज बुरा तो कल अच्छा होता हैंइसे याद रख कर किसी को क्या मिलता हैयाद रखना है, तो बस इतना कि उस वक्त कौन - कौन साथ देता है2.मेरी आरजू है कि तुझे एक बा...

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कश्मकश ज़िन्दगी की By DINESH KUMAR KEER

1.ये फिजा़, ये मौसम, ये नजारे रहे ना रहेमगर मैं चाहुँ बस इतना तेरा मेरा साथ रहेना बिछड़े कभी हम एक दुजे सेहमारा प्यार युँ ही कायम रहेसाथ मे ना सही तो यादो में रहेतु मुझे याद करे मै...

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तेरी बिंदिया रे By DINESH KUMAR KEER

1.बड़ा नायाब सा रिश्ता हैउनका और मेराना मैं उनके अपनो मे शामिल हुँना वो मेरे गैरो मे शामिल हैंबस मिलते है हम, जब भी कहींतो कभी वो अपनी नजरें चुरा लेते हैंतो कभी हम अपनी पलकें झुका...

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फूलों की ख़ुशबू By DINESH KUMAR KEER

1.कोई रिश्ता तो जरूर हैतेरे मेरे दरमियांपर क्या ये मैं कह नहीं पा रहीतू है कि समझता ही नहींऔर मैं तुझे समझा नहीं पा रहीदर्द मेरे दिल का तु जानता ही नहींकितनी मोहब्बत है तुझसे ये मा...

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बावरी By DINESH KUMAR KEER

1.तु कितना भी छुपा ले मुझसे मगर तेरी आँखो मे प्यार नजर आता हैतु कितन भी छुपा ले तेरे लबो पर इजहार नजर आता हैतु कितना भी छुपा ले मगर तेरी बातो मे ऐतवार नजर आता हैतु कितना भी छुपा ले...

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एक बार फिर कुदरत की गोद में By Jagat Kinkhabwala

एक बार फिर कुदरत की गोद में लेखक: जगत कीनखाबवाला (स्पेरो मेन)   *ग्लोबल वॉर्मिंग, पक्षिओं के लिए एक भयजनक स्थिति - ग्लोबल वॉर्निंग* पक्षी धरती पर रहनेवाले बेहद महत्वपूर्ण जीव...

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जादुई मणि By RUDRA VEER

एक बार, एल्डोरिया की रहस्यमय भूमि में, कोई अन्य की तरह एक नायक रहता था. उसका नाम अर्जुन था, जो न्याय से भरा दिल वाला एक बहादुर और साहसी योद्धा था. इस करामाती दायरे में, जादू की शक्...

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सपनों से भरे नैना By DINESH KUMAR KEER

1.ना झूठ बोलना पडे़ मुझे जमाने सेना कुछ छुपाना पडे़ मुझे अपनो सेकुछ ऐसा इंतजाम करसब कुछ आसां हो तेरे मेरे दरमियांऔर किसी को खबर भी ना लगे2.दीवानी हुँ तेरी इस बात से इंकार नहींलेकिन...

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हम साथ - साथ हैं By DINESH KUMAR KEER

1.शौक तो नहीं था हमें भी इश्क करने का मगर नजर तुमसे मिली तो शौकीन हम भी हो गए मानते थे इश्क में अक्सर लोग बर्बाद हो जाते हैं पर जब से तुमसे हुआ हम आबाद हो गए सुना है बे रंग सी हो ज...

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कि मैं एक आवारा पंछी By DINESH KUMAR KEER

1. गर इश्क ना होता इनमें तो आंखें इतनी खूबसूरत ना होती जो गम न दिए होते जमाने ने तो खुशी की कीमत पता नहीं होती जो बेवफाई ना की होती यारों ने तो वफा की चाहत ना होती जो तन्हाई का एहस...

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