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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Anything in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultures....Read More


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साहब और नीशू - 4 By PARIKH MAULIK

पूरी रात अपने कमरे में पडी रही, अगले दिन सुबह जब निशा उठी तो उसने कमरे में खुद को अकेला पाया, तभी वहा उसके बड़े पापा आ पहुचें उन्होंने निशा को डराते हुए कहा कि अगर तुमने हम...

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द स्टोरी ओफ फैंटम डीलेक्श By Shamad Ansari

( भाग 1) द‌‌ स्टोरी ओफ फैंटम डिलेक्श (भाग ---- पहला) पृथ्वी के प्रति बढ़ता खतरा प्रेत है। जो अंतरिक्ष में सबसे खतरनाक है जो पूरे अंतरिक्ष में अत्यंत शक्तिशाली है और यह शैतानों...

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जाने कहाँ गए वो दिन By S Sinha

आलेख - जाने कहाँ गए वो दिन हमारे शरीर के अंदर अतीत की यादें सोयी रहती हैं . आज एक अर्से बाद फिर अपने बचपन...

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लाइटनिंग से बचने के कुछ उपाय By S Sinha

आलेख - लाइटनिंग से बचने के कुछ उपाय यह सच है और दुखद भी कि हमारे देश में वज्रपात या बिजली गिरने से मरने वालों की संख्या किसी अन्य विकसित या वि...

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नेताजी के बाल By Kinjal

नेताजी आईने के सामने बैठे हुए आवाज लगाते हैं पप्पू पप्पू इधर सुनो मेरे बाल थोड़े लंबे हो गए हैं ,पप्पू कहां रह गए !(तभी हीरालाल वहां आता है)नेताजी पप्पू अपने परिवार के साथ शिमला घू...

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समानता By Priya Saini

प्राचीन काल से ही भारत में समुदायों के बीच भेदभाव देखा गया है। प्राचीन भारत ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शुद्र जातियों में विभक्त था। जिनके कार्य भी उनकी जाति के अनुसार विभक्त थे। ज...

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Smile and Confidence - Natural beauty products for face By Divya Modh

आज कल मार्केट में ब्यूटी प्रोडक्ट की मांग बहुत बढ़ रही है, और रोज नए नए ब्यूटी प्रोडक्ट आ भी रहे है उन्हें देख कर मेरे जहन में एक ख्याल आया कि खूबसूरत दिखना...

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कुछ यादें फुरसत में By Prabhas Bhola

क्या लिखू यार कुछ समझ नही आता, कल जो ख्वाब देखा था औ आज बिखरशा गया है... महफूज़ थी वो रात की सुबह जो तेरे इंतज़ार में कट रही थी..अब तो शुभह हो या शाम सब एक जैसा लगता है,,,सिर्फ त...

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हिंदी-गुजराती भाषाई नोंक-झोंक By Manju Mahima

सन १९८०-८१ में हम जयपुर राजस्थान से अहमदाबाद गुजरात में आए। मेरे पति होटल लाइन में थे और उनका जयपुर रामबाग़ पेलेस होटेल से स्थान्तरण कामा होटेल अहमदाबाद में होगया था, पहले यह दोन...

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