Best Fiction Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Fiction Stories in All books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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तुझ्या विना उरे ना अर्थ जीवना... - 8 By Sadiya Mulla

भाग -८आत्तपर्यंतच्या भागात आपण वाचले की, अंजू आता घरी परतल्यानंतर सगळे खुश होते. मयंक आणि अनु मधील दुरावा सुध्दा कमी झाला होता. आणि पुढच्या दिवशी त्यांच्या कॉलेज ची ट्रीप जाणार होत...

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कोण? - 21 By Gajendra Kudmate

सावली मग तातडीने घराकडे जाण्यास नीघाली होती. ती लगबगीने घरी पोहोचली आणि गाडी ठेवून घरात जाऊन शिरली. तीची आई आणि कोमल हि सोफ्यावर बसून कसले तरी रीपोर्ट बघत होत्या. तीचा आईने तीला जी...

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ફરે તે ફરફરે - 2 By Chandrakant Sanghavi

  મુંબઇમા બેતાલીસ વરસ રહ્યો ત્યારે ભાગ્યમાં ગાડી લે વેચનો ધંધો એટલે સવારથી ભટકવાનું  સ્કૂટર કે કારમાં ચાલુ જ રહેતું હતુ  બાળકોને વેકેશનમા દેશમાં બહુ ફેરવ્યા હતા . પણ...

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નાયિકાદેવી - ભાગ 9 By Dhumketu

૯ પાટણની રાજરાણી ધારાવર્ષદેવ અને ચાંપલદે રાજભવનમાં આવી પહોંચ્યા. ત્યાંની નિ:સ્તબ્ધતા ભેદી નાખે તેવી હતી. ભારે શોક ઠેકાણે-ઠેકાણે પથરાયેલો જણાતો હતો. દરેક-દરેક વસ્તુમાં, ક્રિયામાં, દ...

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एक छलावे की परछाईं By Abhishek Chaturvedi

 अध्याय 1: अतीत की परछाईंरात के गहरे सन्नाटे में, जब पूरा गाँव नींद की आगोश में था, सूरजगढ़ के पुराने हवेली में एक हलचल थी। हवेली की खिड़कियों से छनकर आती हल्की पीली रोशनी अजीब सा...

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निकिता राजे चिटणीस - भाग १८ By Dilip Bhide

  निकिता राजे चिटणीस भाग  १८ भाग १७   वरून  पुढे  वाचा .........   निकिता नितीन एकदम हवालदिल झाला होता. समजत नव्हत त्याला कसं ताळ्यावर आणायच ते. बाबांच्या जाण्याचा खूप मोठा धक्का त...

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Shadow Of The Packs - 16 By Vijay Sanga

विक्रांत की पूरी बात सुन लेने के बाद सुप्रिया सोचने लगी की अब उसका क्या होगा? उसके पापा इसके बिना कैसे रह पाएंगे? यही सब सोचते हुए सुप्रिया ने विक्रांत की तरफ देखते हुए पूछा–“इसका...

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सदफ़िया मंज़िल - भाग 1 By Pradeep Shrivastava

भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव सदफ़िया मंज़िल का दरवाज़ा खुला हुआ है। वह भी सदफ़िया की तरह बहुत बूढ़ा हो चुका है। जगह-जगह से चिटक गया है। यह चिटकन और बढ़ कर दरवाज़े को ज़मीन न सुँघा दे, इस लिए ज...

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नक़ल या अक्ल - 40 By Swati

40 दोस्त                              अब सोनाली और रिमझिम आख़िरी मकान के पास खड़े हैं और यह देखक दोनों ही हैरान है कि मकान के बाहर ताला है, अब रिIमझिम का मुँह उतर गया, उसने हताशा से...

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વિશ્વાસ અને શ્રદ્ધા - ભાગ - 20 By NupuR Bhagyesh Gajjar

{{{ Previously:: શ્રદ્ધા : તને ખબર હતી કે હું અહીંયા જ છું! અને તેં રૂમ પણ બુક કરી દીધો? વિશ્વાસ : હું તમારી પાછળ જ હતો, દીપકને રસ્તો ખબર હતો અને ઈન્ટરનેટ પર જોયું તો આ જ રિસોર્ટ ન...

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एक पुरानी हवेली ... By Abhishek Chaturvedi

भाग 1: प्राचीन हवेलीहरिद्वार के पास बसे छोटे से गांव गंगापुर में एक पुरानी हवेली थी, जिसे लोग 'प्रेत की हवेली' के नाम से जानते थे। हवेली के बारे में कई कहानियां प्रचलित थीं...

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That Nightmare By Urmi Chauhan

What if my nightmare actually came true? That day, I felt like no one. The past few nights had been normal if I wanted to pretend, but every night, someone kept haunting me. It was...

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रावी की लहरें - भाग 2 By Sureshbabu Mishra

अनोखी आभा   नवम्बर का महीना था। रात के दस बजे थे। मैदानी इलाकों में नवम्बर में हल्की सर्दी का महीना माना जाता है। दिन में गुनगुनी धूप निकलती है और शाम होते-होते मौसम हल्का ठंड...

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स्वयंवधू - 14 By Sayant

उस दिन सुबह...सब कुछ सामान्य था। हम उस समय गायब होने और राज द्वारा उसकी कलाई पर छोड़े गए निशानों के से सवालों से बचने में कामयाब रहे।"मैं फिसल गयी और उन्होंने मुझे गिरने से बचाने क...

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सुनहरी तितलियों का वाटरलू - भाग 5 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग-5 जितनी देर वह तेल लगाती रही उतनी देर उसके आँसू निकलते रहे। वह सोचती रही कि, क्या यह अपनी इस विचित्र स्थिति के कारण कई दिन से सो नहीं रही थी, और जैसे ही मन की बात हुई, सैटिस्फ़ै...

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अंगद - एक योद्धा। - 8 By Utpal Tomar

जंगली जानवरों से अंगद का सामना पहले भी हो चुका था। जानवरों से उसे भय तो कभी महसूस ना हुआ, जब भी उसका सामना किसी जंगली जानवर से होता तो वह या तो जानवर को डरा कर वहां से भगा देता या...

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फागुन के मौसम - भाग 45 By शिखा श्रीवास्तव

दिवाली की वो शाम आ चुकी थी जब अमावस्या होने के बावजूद पूरे शहर में कहीं अँधकार का नामों-निशान भी नज़र नहीं आ रहा था।जानकी ने लीजा और मार्क के साथ मिलकर विधिवत अपने घर में लक्ष्मी-गण...

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पथरीले कंटीले रास्ते - 20 By Sneh Goswami

  पथरीले कंटीले रास्ते    20     रविंद्र का दुनिया में आना बङी धूमधाम से मनाया गया था । बेबे ने आँगन में सुमंगला औरतों को बुलाकर सोहर और घोङियाँ पूरे इक्कीस दिन गँवाई थी । सबको हर...

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दो बूँद आँसू - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 क्या उन्हें यह बताऊँगी कि शौहर ने अपनी जिन कमज़र्फ़ औलादों को मज़हबी तालीम देने के लिए, अपने जिस सबसे क़रीबी हाफ़िज़ को लगाया था, उसकी पहले दिन से ही मुझ पर ग़लत नज़र थी। मुक़द्दर ने...

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उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 31 (अंतिम भाग) By Neerja Hemendra

भाग 31 सचमुच अभय ने तथागत् के शब्दों के सही अर्थों को समझा है। मैं समझ नही पा रही थी कि अभय की सोच में, उसके व्यक्तित्व में इतनी विशिष्टतायें हैं तो विवाह के प्रारम्भिक कुछ वर्षों...

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सपनों की परछाईं By Dr Atmin D Limbachiya

सपनों की परछाईंआर्या की जिंदगी एक आदर्श चित्र थी। वह पढ़ाई में अव्‍वल, परिवार में प्यारी और दोस्तों में आदर्श मानी जाती थी। उसकी मां, सुमिता, ने अपने जीवन की हर कठिनाई को पार करते...

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तुझ्या विना उरे ना अर्थ जीवना... - 8 By Sadiya Mulla

भाग -८आत्तपर्यंतच्या भागात आपण वाचले की, अंजू आता घरी परतल्यानंतर सगळे खुश होते. मयंक आणि अनु मधील दुरावा सुध्दा कमी झाला होता. आणि पुढच्या दिवशी त्यांच्या कॉलेज ची ट्रीप जाणार होत...

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कोण? - 21 By Gajendra Kudmate

सावली मग तातडीने घराकडे जाण्यास नीघाली होती. ती लगबगीने घरी पोहोचली आणि गाडी ठेवून घरात जाऊन शिरली. तीची आई आणि कोमल हि सोफ्यावर बसून कसले तरी रीपोर्ट बघत होत्या. तीचा आईने तीला जी...

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ફરે તે ફરફરે - 2 By Chandrakant Sanghavi

  મુંબઇમા બેતાલીસ વરસ રહ્યો ત્યારે ભાગ્યમાં ગાડી લે વેચનો ધંધો એટલે સવારથી ભટકવાનું  સ્કૂટર કે કારમાં ચાલુ જ રહેતું હતુ  બાળકોને વેકેશનમા દેશમાં બહુ ફેરવ્યા હતા . પણ...

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નાયિકાદેવી - ભાગ 9 By Dhumketu

૯ પાટણની રાજરાણી ધારાવર્ષદેવ અને ચાંપલદે રાજભવનમાં આવી પહોંચ્યા. ત્યાંની નિ:સ્તબ્ધતા ભેદી નાખે તેવી હતી. ભારે શોક ઠેકાણે-ઠેકાણે પથરાયેલો જણાતો હતો. દરેક-દરેક વસ્તુમાં, ક્રિયામાં, દ...

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एक छलावे की परछाईं By Abhishek Chaturvedi

 अध्याय 1: अतीत की परछाईंरात के गहरे सन्नाटे में, जब पूरा गाँव नींद की आगोश में था, सूरजगढ़ के पुराने हवेली में एक हलचल थी। हवेली की खिड़कियों से छनकर आती हल्की पीली रोशनी अजीब सा...

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निकिता राजे चिटणीस - भाग १८ By Dilip Bhide

  निकिता राजे चिटणीस भाग  १८ भाग १७   वरून  पुढे  वाचा .........   निकिता नितीन एकदम हवालदिल झाला होता. समजत नव्हत त्याला कसं ताळ्यावर आणायच ते. बाबांच्या जाण्याचा खूप मोठा धक्का त...

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Shadow Of The Packs - 16 By Vijay Sanga

विक्रांत की पूरी बात सुन लेने के बाद सुप्रिया सोचने लगी की अब उसका क्या होगा? उसके पापा इसके बिना कैसे रह पाएंगे? यही सब सोचते हुए सुप्रिया ने विक्रांत की तरफ देखते हुए पूछा–“इसका...

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सदफ़िया मंज़िल - भाग 1 By Pradeep Shrivastava

भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव सदफ़िया मंज़िल का दरवाज़ा खुला हुआ है। वह भी सदफ़िया की तरह बहुत बूढ़ा हो चुका है। जगह-जगह से चिटक गया है। यह चिटकन और बढ़ कर दरवाज़े को ज़मीन न सुँघा दे, इस लिए ज...

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नक़ल या अक्ल - 40 By Swati

40 दोस्त                              अब सोनाली और रिमझिम आख़िरी मकान के पास खड़े हैं और यह देखक दोनों ही हैरान है कि मकान के बाहर ताला है, अब रिIमझिम का मुँह उतर गया, उसने हताशा से...

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વિશ્વાસ અને શ્રદ્ધા - ભાગ - 20 By NupuR Bhagyesh Gajjar

{{{ Previously:: શ્રદ્ધા : તને ખબર હતી કે હું અહીંયા જ છું! અને તેં રૂમ પણ બુક કરી દીધો? વિશ્વાસ : હું તમારી પાછળ જ હતો, દીપકને રસ્તો ખબર હતો અને ઈન્ટરનેટ પર જોયું તો આ જ રિસોર્ટ ન...

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भाग 1: प्राचीन हवेलीहरिद्वार के पास बसे छोटे से गांव गंगापुर में एक पुरानी हवेली थी, जिसे लोग 'प्रेत की हवेली' के नाम से जानते थे। हवेली के बारे में कई कहानियां प्रचलित थीं...

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अंगद - एक योद्धा। - 8 By Utpal Tomar

जंगली जानवरों से अंगद का सामना पहले भी हो चुका था। जानवरों से उसे भय तो कभी महसूस ना हुआ, जब भी उसका सामना किसी जंगली जानवर से होता तो वह या तो जानवर को डरा कर वहां से भगा देता या...

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दिवाली की वो शाम आ चुकी थी जब अमावस्या होने के बावजूद पूरे शहर में कहीं अँधकार का नामों-निशान भी नज़र नहीं आ रहा था।जानकी ने लीजा और मार्क के साथ मिलकर विधिवत अपने घर में लक्ष्मी-गण...

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पथरीले कंटीले रास्ते - 20 By Sneh Goswami

  पथरीले कंटीले रास्ते    20     रविंद्र का दुनिया में आना बङी धूमधाम से मनाया गया था । बेबे ने आँगन में सुमंगला औरतों को बुलाकर सोहर और घोङियाँ पूरे इक्कीस दिन गँवाई थी । सबको हर...

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दो बूँद आँसू - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 क्या उन्हें यह बताऊँगी कि शौहर ने अपनी जिन कमज़र्फ़ औलादों को मज़हबी तालीम देने के लिए, अपने जिस सबसे क़रीबी हाफ़िज़ को लगाया था, उसकी पहले दिन से ही मुझ पर ग़लत नज़र थी। मुक़द्दर ने...

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उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 31 (अंतिम भाग) By Neerja Hemendra

भाग 31 सचमुच अभय ने तथागत् के शब्दों के सही अर्थों को समझा है। मैं समझ नही पा रही थी कि अभय की सोच में, उसके व्यक्तित्व में इतनी विशिष्टतायें हैं तो विवाह के प्रारम्भिक कुछ वर्षों...

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सपनों की परछाईं By Dr Atmin D Limbachiya

सपनों की परछाईंआर्या की जिंदगी एक आदर्श चित्र थी। वह पढ़ाई में अव्‍वल, परिवार में प्यारी और दोस्तों में आदर्श मानी जाती थी। उसकी मां, सुमिता, ने अपने जीवन की हर कठिनाई को पार करते...

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