Best Comedy stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Comedy stories in All books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultu...Read More


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गड्ढा By Alok Mishra

गड्ढा पहले चुनाव और अब कौन जीतेगा या कौन हारेगा के शोर में हम और आप लोकतंत्र की सड़क पर पड़े उस बड़े से गड़्ढे को भूल ही गए थे , जिसका इतिहास है कि सरकार कोई भी बने...

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अतिक्रमण -एक राष्ट्रीय खेल By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

छोटी चिन्ता /वही चिन्ता अतिक्रमण : एक राष्ट्रीय खेल हमारे देश में खेलों की गौरवशाली परम्परा है। गौरव यह है कि और हमारे में खेलों में भी खेल खेला जाता है बल्कि यहां जो कुछ भी होता ह...

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बीबी के ऐ जी By Alok Mishra

बीबी के" ऐ जी" सुरेन्द्र शर्मा बड़ा भला सा नाम था उनका छैल- छबीले, बांके जवान उन्होंने शादी क्या की जैसे अपना नाम ही खो दिया जब उनकी पत्नी उन्हें ऐ जी........., सुनते हो...

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होम मिनिस्टर (भाग १) By preeti sawant dalvi

'दार उघड बये दार उघड!!' "शमी, तो टीव्हीचा आवाज कमी कर आधी.", अरुण पेपर वाचता वाचता ओरडत म्हणाला. "काय त्या आदेश बांदेकरने बायकांना पैठणीची स्वप्न दाखविली आहे देव जाणे. जिला-तिला हो...

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चोलबे ना - 2 - बैटन, लाइब्रेरी, कसाब और देशद्रोही By Rajeev Upadhyay

मैं सुबह-सुबह ‘रमता जोगी, बहता पानी’ की तरह बहता ही जा रहा था। एकदम बरसाती नदी की तरह! कि ना जाने कहाँ से चच्चा अचानक ही मेरे सामने प्रकट हो गए। एकदम ही रामायण और महाभारत में दिखाए...

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જો જીતા વો સિકંદર..! By Ramesh Champaneri

જો જીતા વો સિકંદર..! મોડે મોડે અને ઉમરની છેલ્લી ઓવરમાં શ્રીશ્રી ભગાને પણ રાજકારણનો ચટાકો લાગ્યો. મા-બાપ ને પરિવારની સેવા કરવાનું ક્ષેત્ર નાનું લાગ્યું, ને નેતા બની...

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मैं बजट क्यूं देखूं? By Suvidha Gupta

कुछ दिन पहले मेरे एक परिचित का फोन आया। किसान आंदोलन की वजह से उनके यहां, नेट नहीं चल रहा था। तो उन्होंने मुझसे पूछा,"क्या आपने बजट देखा?" मैंने कहा,"नहीं"। नहीं सु...

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जूते की आत्मकथा  By Alok Mishra

जूते की आत्मकथा मैं एक जूता हुँ , अरे साहब वही जूता जो आप सर्दी,गर्मी और बरसात में बिना मुर्रवत के रगड़ते रहते है , अरे वही जूता जो सम्मान का प्रतीक बन कर आप के चरणों में सजता...

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डाइनिंग टेबल का महत्व-व्यंग्य By Rishi Katiyar

नहीं ,नहीं। मैं सफिस्टिकैटड होने की ऐक्टिंग नहीं कर रहा, ना ही अमीरों जैसे रुतबा दिखाने की कोशिश कर रहा हूँ और न ही मेरे ‘पर’ निकल आए हैं, फिर भी अक्सर मुझे तो यह सोच के भी हैरानी...

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હાસ્યનો મારગ છે શૂરાનો...! By Ramesh Champaneri

હાસ્યનો મારગ છે શૂરાનો...! લોકોને હસાવવા એટલે, રણ ખોદીને પાણી કાઢવા જેટલું અઘરું હોંકેએએએ..? લોકોને સાલી શ...

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कोतवाल की गर्दन (व्यंग्य कथा ) By Alok Mishra

कोतवाल की गर्दन एक नगर था, छोटा सा । इस नगर में रहने वाले लोग बहुत ही भोले- भाले थे । वे सुनी बातों को सत्य समझते और जो दिखता उसे परमसत्य । इस नगर का कोतवाल भोला सा दिख...

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लाल स्कूटी वाला - 2 (अंतिम भाग) By Aakanksha

अक्षिता नाम की एक लड़की बारहवीं कक्षा में पढ़ती है और उसे एक चिराग़ नाम का लफंगा लड़का परेशान करता है इसलिए अक्षिता उसका आधारकार्ड देखना चाहती है, परंतु अक्षिता...

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પ્રેમના સાત દિવસ By SHAMIM MERCHANT

"એ.... આ બધા છેને....તમારા જેવા જુવાનિયાઓ ના ચોચલા છે. અમારા જમાનામાં આવા કોઈ ફાલતુના દિવસો નહોતા ઉજવતા."દાદીએ મને ઠપકો આપતા મોઢું બગાડ્યું. હું હંસી પડી અને પ્રેમથી એમને કહ્યું,"દ...

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હસતા નહીં હો! - 15 - ગુજરાતી વાચકની વેદના By પ્રથમ પરમાર

આમ તો શીર્ષક જ ખોટું છે. વાંચવાની કુટેવ જ અમે ગુજરાતીઓ પાળતા નથી.અમે આમ તો મૂળ વેપારી પ્રજા નફો નુકસાન પૂછો તો ઠીક પણ આ વાંચન-બાચનની વાત રહેવા દેવી.પણ હવે વાત નીકળી છે તો વાંચનની...

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दर्द-ए-वेलेंनटाइन By Gaud Arun

सुबह सुबह मोवाइल की मैसेज रिगं बजी, चंदू ने अलसाये हुये रजाई से अपना मुँह बहार निकाला और आंखे मसलते हुये मैसेज पढने लगा, वह ‘वेलेंग्टाइन वीक’ का मैसेज था, ‘अशिकी के उत्सव’ का निमंत...

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छापे का डर (व्यंग्य कथा) By Alok Mishra

छापे का डर विभिन्न स्थानों पर चपरासी ,बाबू और बड़े-बड़े सहाबों के घर छापे पड़ने लगे । खबरों की दुनिया में तहलका मच गया क्योंकि इनके घर करोड़ों उगलने लगे । ऐसे समय में र...

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आणि भाषण विस्कटले..... By लता

आणि भाषण फिसकटले....................... लता भुसारे ठोंबरे पंधरा आँगस्ट,हा आपल्या भारताचा स्वातंत्र दिन आमच्या शाळेतं...

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મજાતંત્ર - બે હાસ્ય લેખ By Chetan Pagi

1. તબિયત કેવી છે, એવું ક્યારે પૂછાય?‘કૌન બનેગા..’માં જેમ અમુક લેવલ પાર કરો પછી અઘરા સવાલો શરૂ થાય છે એ જ રીતે અસલી જીવનમાં પણ 35 વર્ષની વય પાર કર્યા પછી ચોક્કસ પ્રકારના અણિયારા સવા...

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लेखक की चुनौती (व्यंग्य) By Alok Mishra

लेखक की चुनौती साहित्य समाज का आईना होता है परंतु साहित्य भी समाज को उसके वास्तविक रूप में चित्रण से बचता रहा है। समाज में जहाँ अच्छाईयाँ, आदर्श और ईमानदारी है वही धूर्तता, म...

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मरा कुत्ता’ (व्यंग्य कथा) By Alok Mishra

‘‘मरा कुत्ता’’ शहर से दूर एक माईन्स एरिया के थाने में उदासी का आलम हैैै। थानेदार को ऊपर से खबर आयी है कि किसी विशेष आयोजन के लिए पैसों का बंदोबस्त करना है। थानेदार ने हवलद...

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विज्ञप्ति वीर (व्यंग्य) By Alok Mishra

विज्ञप्ति वीर भारत वीरों की धरती है । यहॉं सच्चे सपूत पहले सर कटा कर ,कालांतर में उंगली कटा कर शहादत देते रहे है । अब आपके हमारे आस-पास वीरों की एक नई ही फसल लहलहाने लगी...

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ફટકો By SUNIL ANJARIA

ફટકોશીર્ષક કોઈના શબ્દોનું જ રાખું છું. આપણે બધા એ શબ્દ વાપરી ચુક્યા છીએ. મારાં એક સન્માનનીય વડીલ સન્નારીની વાત. આ વાત તેમણે જ હસતાંહસતાં કહી હતી અને મને યાદ રહી ગઈ છે.વાત ઘણાં વર્ષ...

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म्या पायलेलं गाव- भाग 1 By shabd_premi म श्री

*म्या पायलेलं गाव* अधून मधून सुट्टेच्यान गावागावैले फिऱ्याचा बेत निंगुन ये. कधी बाबासोबत त कधी आबासोबत निंगे. आतालोक त माये वीस पंचवीस गावं फिरून बी झाले अस्तिन. म्हणून...

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अपने देश की खोज(व्यंग्य) By Alok Mishra

अपने देश की खोज पूरे देश में इस समय पाकिस्तान से कुम्भ के बहाने वीज़ा लेकर आए 80 परिवारों की चर्चा है। ये परिवार अब पाकिस्तान वापस नहीं जाना चाहते । वे भारत को अपना देश मानते...

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तीन दोस्‍त (व्यंग्य) By Alok Mishra

तीन दोस्‍त एक शहर में तीन दोस्‍त थे , तीनों बेरोजगार । उन्‍होने रोजगार पाने का बहुत प्रयास किया लेकिन हर ओर भ्रष्‍टाचार और भाई भतीजावाद के का बोल बाला था। उन्‍होंने जुगाड़ करन...

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कट' ची कटकट By Manjusha Deshpande

“मी त्यांचा विचार करायलाच हवा होता.असा कसा मी परस्पर निर्णय घेतला काहीच कळत नाहीये ग.... त्या दिवसापासून मन अस्वस्थ झाले आहे""अगं, पण तू तर म्हणाली होती ना की तुझ्या नवऱ्या...

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ટોલા.. ટોલા.. By Falguni Dost

ટોલા. . ટોલા. . હા, તમે સાચું જ વાંચ્યું ટોરા ટોરા નહીં પણ ટોલા ટોલા...વાત અહીં રમતની નહીં પણ ગમ્મ્તની છે.અરરરર સાંભળીને જ મોઢું બગડે જો તમે એના વિષે કાંઈ જાણતા હોવ તો! આજની પ્રજા...

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असत्यम्। अशिवम्।। असुन्दरम्।।। - 27 - अंतिम भाग By Yashvant Kothari

27 माधुरी को सम्पूर्ण प्रकरण की जानकारी थी । मगर इस तरह के हल्के-फुल्के मामलेां की वो जरा भी परवाह नही करती थी । वैसे भी संस्था के विभिन्न दैनिक कार्यक्रमों में वो दखल नही देती थी...

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अब बदला लेंगे हम (व्यंग्य) By Alok Mishra

अचानक ही ऐसा लगने लगा, अब कुछ होगा। पठानकोट हमले को अभी बहुत दिन नहीं बीते हैं। फोनों और मोबाइलों की घंटियाँ घनघनाने लगी। दिल्ली, मुम्बई और पुर्तगाल सहित अनेक देशों में...

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बाऊजी और बंदर By Suryabala

सूर्यबाला उन्‍हें फिर से बच्‍चों की बहुत याद आ रही है। सुनते ही मैंने सिर कूट लिया। सिर कूटने की बात ही थी। अभी साल भी तो पूरा नहीं हुआ, संदीले में आए ही थे। एक-दो नहीं, पू...

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અમમમદાવાદની મુલાકતે... By Afjal Vasaya ( Pagal )

આજે તારીખ :- ૧૮/૦૧/૨૦૨૧ અને સોમવાર. આજની તારીખ હમેશા યાદ રહેશે. શા માટે ? શું આજની તારીખે કોઈનો જન્મદિવસ છે ? ના. શુ લગ્નની વર્ષગાંઠ છે ? ના. (આમ પણ પુરુષોને લગ્નની તારીખ ક્યારેય ય...

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देश-सेवा के अखाड़े में... By Suryabala

सूर्यबाला यह खबर चारों तरफ आग की तरह फैल गई कि मैं देश-सेवा के लिए उतरने वाला हूँ। जिसने सुना, भागा आया और मेरे निर्णय की दाद दी। सुना, आप देश-सेवा के लिए उतर रहे हैं। ईश्वर देश का...

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ठंडे जी का स्टार्टअप By Prabodh Kumar Govil

अब साल पूरा होने में केवल दो ही दिन बचे थे। न - न ...आज कोई उनतीस दिसंबर नहीं था। आज तो अठारह दिसंबर ही था। लेकिन आप सोच रहे हैं न कि फ़िर साल ख़त्म होने में बस दो ही दिन कैसे बचे?...

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जेबकतरा By राज कुमार कांदु

कलुआ एक जेबकतरा है। आठ नवम्बर 2016 को मोदीजी के आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक का सबसे बड़ा पीड़ित पक्ष अगर कोई है तो वह है कलुआ जैसे छोटे मोटे जरायम पेशा लोग। भारत में एक अनुमान के मुताबिक...

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લોકડાઉન ની ટાઈમ સ્ટોરી............ By Ridhsy Dharod

વર્ષ ૨૦૨૦ એ એક ઐતિહાસિક વર્ષ બની ગયો છે. આ એક એવો સમય આવ્યો જ્યાં કોરોના ના ત્રાસ થી લોકડાઉન ની સ્થિતી માં ઘેર ઘેર વિશ્વ યુદ્ધ થયા હશે જેની ગણતરી હજી પુરે પુરી બહાર આવી નથી. આ સમય...

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पुरस्कार By Alok Mishra

बहुत दिनों से सोच रहा था, कि कुछ नहीं बोलूंगा क्योंकि हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है। फिर हमें चुप रहना आता ही कहाँ है ? अब साहब लेखक लोगों की बिरादरी में पुरस्कार वापस करन...

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जूते चिढ़ गए हैं... By Suryabala

सूर्यबाला जूते चिढ़ गए हैं इन दिनों। कहते हैं, यह हमारी तौहीनी है। ये क्या कि हमें जिस-तिस पर उछाल दिया, जैसे हमारी कोई इज्जत ही नहीं। बात सही है कि चिरकाल से हमारा निवास आदमी के पै...

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कौन आया मेरे घर के द्वारे By Annada patni

आवत ही हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह, तुलसी तहाँ न जाइये, कंचन बरसे मेह ।। संत तुलसीदास जी कहते हैं कि जहाँ आपको आते देख, लोग खुश न हों और जिनकी आँखों में आपके लिए प्रेम न हो, ऐसी जगहो...

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માંગલિક By શિતલ માલાણી

આજ અમારી શાળામાં 'તમારી યોગ્ય સર્જનાત્મકતા' હરિફાઈ હતી.. હું પણ એમાં સ્પર્ધક હતી. મારૂં નામ બોલાયું અને હું મંચ પર પહોંચી.. બધી ગોઠવણી ચકાસી મને શરૂઆત કરવા કહ્યું...લાલ રં...

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Stay neighbor all time By Rajnarayan Bohre

Satirical Stay neighbor All time Rajnarayan Bohre We had seen forty spring of our lives. Though neither celebrating birthday nor spring seemed to be coming to us, we used to get...

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महानता के नुस्खे  By Alok Mishra

महानता के नुस्खे हकीम लुकमान ने दुनिया के सभी मर्जाें के नुस्खे बताए । वे ये बताना तो भूल ही गए कि एक आम आदमी किन नुस्खों से महान बने । हमें भी तो ऐसी फालतू बातों की खोज करन...

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ए मेरे वतन के लोगों .....  By Alok Mishra

ए मेरे वतन के लोगों ..... हमारे पोपटलाल जी वैसे तो देशभक्त है लेकिन स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर उनकी देशभक्ति चरम पर पहुंच जाती है । उस पर जैसे ही लता जी '&#39...

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गर्व से कहो हम पति हैं By Suryabala

सूर्यबाला महिलाओं को मालूम है कि जिस तरह हर सफल पुरुष के पीछे कोई महिला होती है उसी तरह हर असफल महिला के पीछे भी कोई-न-कोई पुरुष होता है। आप भी माने या न मानें, स्त्री - स्वातंत्र्...

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गड्ढा By Alok Mishra

गड्ढा पहले चुनाव और अब कौन जीतेगा या कौन हारेगा के शोर में हम और आप लोकतंत्र की सड़क पर पड़े उस बड़े से गड़्ढे को भूल ही गए थे , जिसका इतिहास है कि सरकार कोई भी बने...

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अतिक्रमण -एक राष्ट्रीय खेल By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

छोटी चिन्ता /वही चिन्ता अतिक्रमण : एक राष्ट्रीय खेल हमारे देश में खेलों की गौरवशाली परम्परा है। गौरव यह है कि और हमारे में खेलों में भी खेल खेला जाता है बल्कि यहां जो कुछ भी होता ह...

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बीबी के ऐ जी By Alok Mishra

बीबी के" ऐ जी" सुरेन्द्र शर्मा बड़ा भला सा नाम था उनका छैल- छबीले, बांके जवान उन्होंने शादी क्या की जैसे अपना नाम ही खो दिया जब उनकी पत्नी उन्हें ऐ जी........., सुनते हो...

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होम मिनिस्टर (भाग १) By preeti sawant dalvi

'दार उघड बये दार उघड!!' "शमी, तो टीव्हीचा आवाज कमी कर आधी.", अरुण पेपर वाचता वाचता ओरडत म्हणाला. "काय त्या आदेश बांदेकरने बायकांना पैठणीची स्वप्न दाखविली आहे देव जाणे. जिला-तिला हो...

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चोलबे ना - 2 - बैटन, लाइब्रेरी, कसाब और देशद्रोही By Rajeev Upadhyay

मैं सुबह-सुबह ‘रमता जोगी, बहता पानी’ की तरह बहता ही जा रहा था। एकदम बरसाती नदी की तरह! कि ना जाने कहाँ से चच्चा अचानक ही मेरे सामने प्रकट हो गए। एकदम ही रामायण और महाभारत में दिखाए...

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જો જીતા વો સિકંદર..! By Ramesh Champaneri

જો જીતા વો સિકંદર..! મોડે મોડે અને ઉમરની છેલ્લી ઓવરમાં શ્રીશ્રી ભગાને પણ રાજકારણનો ચટાકો લાગ્યો. મા-બાપ ને પરિવારની સેવા કરવાનું ક્ષેત્ર નાનું લાગ્યું, ને નેતા બની...

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मैं बजट क्यूं देखूं? By Suvidha Gupta

कुछ दिन पहले मेरे एक परिचित का फोन आया। किसान आंदोलन की वजह से उनके यहां, नेट नहीं चल रहा था। तो उन्होंने मुझसे पूछा,"क्या आपने बजट देखा?" मैंने कहा,"नहीं"। नहीं सु...

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जूते की आत्मकथा  By Alok Mishra

जूते की आत्मकथा मैं एक जूता हुँ , अरे साहब वही जूता जो आप सर्दी,गर्मी और बरसात में बिना मुर्रवत के रगड़ते रहते है , अरे वही जूता जो सम्मान का प्रतीक बन कर आप के चरणों में सजता...

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डाइनिंग टेबल का महत्व-व्यंग्य By Rishi Katiyar

नहीं ,नहीं। मैं सफिस्टिकैटड होने की ऐक्टिंग नहीं कर रहा, ना ही अमीरों जैसे रुतबा दिखाने की कोशिश कर रहा हूँ और न ही मेरे ‘पर’ निकल आए हैं, फिर भी अक्सर मुझे तो यह सोच के भी हैरानी...

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હાસ્યનો મારગ છે શૂરાનો...! By Ramesh Champaneri

હાસ્યનો મારગ છે શૂરાનો...! લોકોને હસાવવા એટલે, રણ ખોદીને પાણી કાઢવા જેટલું અઘરું હોંકેએએએ..? લોકોને સાલી શ...

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कोतवाल की गर्दन (व्यंग्य कथा ) By Alok Mishra

कोतवाल की गर्दन एक नगर था, छोटा सा । इस नगर में रहने वाले लोग बहुत ही भोले- भाले थे । वे सुनी बातों को सत्य समझते और जो दिखता उसे परमसत्य । इस नगर का कोतवाल भोला सा दिख...

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लाल स्कूटी वाला - 2 (अंतिम भाग) By Aakanksha

अक्षिता नाम की एक लड़की बारहवीं कक्षा में पढ़ती है और उसे एक चिराग़ नाम का लफंगा लड़का परेशान करता है इसलिए अक्षिता उसका आधारकार्ड देखना चाहती है, परंतु अक्षिता...

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પ્રેમના સાત દિવસ By SHAMIM MERCHANT

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હસતા નહીં હો! - 15 - ગુજરાતી વાચકની વેદના By પ્રથમ પરમાર

આમ તો શીર્ષક જ ખોટું છે. વાંચવાની કુટેવ જ અમે ગુજરાતીઓ પાળતા નથી.અમે આમ તો મૂળ વેપારી પ્રજા નફો નુકસાન પૂછો તો ઠીક પણ આ વાંચન-બાચનની વાત રહેવા દેવી.પણ હવે વાત નીકળી છે તો વાંચનની...

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दर्द-ए-वेलेंनटाइन By Gaud Arun

सुबह सुबह मोवाइल की मैसेज रिगं बजी, चंदू ने अलसाये हुये रजाई से अपना मुँह बहार निकाला और आंखे मसलते हुये मैसेज पढने लगा, वह ‘वेलेंग्टाइन वीक’ का मैसेज था, ‘अशिकी के उत्सव’ का निमंत...

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छापे का डर (व्यंग्य कथा) By Alok Mishra

छापे का डर विभिन्न स्थानों पर चपरासी ,बाबू और बड़े-बड़े सहाबों के घर छापे पड़ने लगे । खबरों की दुनिया में तहलका मच गया क्योंकि इनके घर करोड़ों उगलने लगे । ऐसे समय में र...

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आणि भाषण विस्कटले..... By लता

आणि भाषण फिसकटले....................... लता भुसारे ठोंबरे पंधरा आँगस्ट,हा आपल्या भारताचा स्वातंत्र दिन आमच्या शाळेतं...

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મજાતંત્ર - બે હાસ્ય લેખ By Chetan Pagi

1. તબિયત કેવી છે, એવું ક્યારે પૂછાય?‘કૌન બનેગા..’માં જેમ અમુક લેવલ પાર કરો પછી અઘરા સવાલો શરૂ થાય છે એ જ રીતે અસલી જીવનમાં પણ 35 વર્ષની વય પાર કર્યા પછી ચોક્કસ પ્રકારના અણિયારા સવા...

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लेखक की चुनौती (व्यंग्य) By Alok Mishra

लेखक की चुनौती साहित्य समाज का आईना होता है परंतु साहित्य भी समाज को उसके वास्तविक रूप में चित्रण से बचता रहा है। समाज में जहाँ अच्छाईयाँ, आदर्श और ईमानदारी है वही धूर्तता, म...

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‘‘मरा कुत्ता’’ शहर से दूर एक माईन्स एरिया के थाने में उदासी का आलम हैैै। थानेदार को ऊपर से खबर आयी है कि किसी विशेष आयोजन के लिए पैसों का बंदोबस्त करना है। थानेदार ने हवलद...

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विज्ञप्ति वीर भारत वीरों की धरती है । यहॉं सच्चे सपूत पहले सर कटा कर ,कालांतर में उंगली कटा कर शहादत देते रहे है । अब आपके हमारे आस-पास वीरों की एक नई ही फसल लहलहाने लगी...

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ફટકો By SUNIL ANJARIA

ફટકોશીર્ષક કોઈના શબ્દોનું જ રાખું છું. આપણે બધા એ શબ્દ વાપરી ચુક્યા છીએ. મારાં એક સન્માનનીય વડીલ સન્નારીની વાત. આ વાત તેમણે જ હસતાંહસતાં કહી હતી અને મને યાદ રહી ગઈ છે.વાત ઘણાં વર્ષ...

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म्या पायलेलं गाव- भाग 1 By shabd_premi म श्री

*म्या पायलेलं गाव* अधून मधून सुट्टेच्यान गावागावैले फिऱ्याचा बेत निंगुन ये. कधी बाबासोबत त कधी आबासोबत निंगे. आतालोक त माये वीस पंचवीस गावं फिरून बी झाले अस्तिन. म्हणून...

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अपने देश की खोज(व्यंग्य) By Alok Mishra

अपने देश की खोज पूरे देश में इस समय पाकिस्तान से कुम्भ के बहाने वीज़ा लेकर आए 80 परिवारों की चर्चा है। ये परिवार अब पाकिस्तान वापस नहीं जाना चाहते । वे भारत को अपना देश मानते...

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तीन दोस्‍त (व्यंग्य) By Alok Mishra

तीन दोस्‍त एक शहर में तीन दोस्‍त थे , तीनों बेरोजगार । उन्‍होने रोजगार पाने का बहुत प्रयास किया लेकिन हर ओर भ्रष्‍टाचार और भाई भतीजावाद के का बोल बाला था। उन्‍होंने जुगाड़ करन...

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कट' ची कटकट By Manjusha Deshpande

“मी त्यांचा विचार करायलाच हवा होता.असा कसा मी परस्पर निर्णय घेतला काहीच कळत नाहीये ग.... त्या दिवसापासून मन अस्वस्थ झाले आहे""अगं, पण तू तर म्हणाली होती ना की तुझ्या नवऱ्या...

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ટોલા.. ટોલા.. By Falguni Dost

ટોલા. . ટોલા. . હા, તમે સાચું જ વાંચ્યું ટોરા ટોરા નહીં પણ ટોલા ટોલા...વાત અહીં રમતની નહીં પણ ગમ્મ્તની છે.અરરરર સાંભળીને જ મોઢું બગડે જો તમે એના વિષે કાંઈ જાણતા હોવ તો! આજની પ્રજા...

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असत्यम्। अशिवम्।। असुन्दरम्।।। - 27 - अंतिम भाग By Yashvant Kothari

27 माधुरी को सम्पूर्ण प्रकरण की जानकारी थी । मगर इस तरह के हल्के-फुल्के मामलेां की वो जरा भी परवाह नही करती थी । वैसे भी संस्था के विभिन्न दैनिक कार्यक्रमों में वो दखल नही देती थी...

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अब बदला लेंगे हम (व्यंग्य) By Alok Mishra

अचानक ही ऐसा लगने लगा, अब कुछ होगा। पठानकोट हमले को अभी बहुत दिन नहीं बीते हैं। फोनों और मोबाइलों की घंटियाँ घनघनाने लगी। दिल्ली, मुम्बई और पुर्तगाल सहित अनेक देशों में...

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बाऊजी और बंदर By Suryabala

सूर्यबाला उन्‍हें फिर से बच्‍चों की बहुत याद आ रही है। सुनते ही मैंने सिर कूट लिया। सिर कूटने की बात ही थी। अभी साल भी तो पूरा नहीं हुआ, संदीले में आए ही थे। एक-दो नहीं, पू...

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અમમમદાવાદની મુલાકતે... By Afjal Vasaya ( Pagal )

આજે તારીખ :- ૧૮/૦૧/૨૦૨૧ અને સોમવાર. આજની તારીખ હમેશા યાદ રહેશે. શા માટે ? શું આજની તારીખે કોઈનો જન્મદિવસ છે ? ના. શુ લગ્નની વર્ષગાંઠ છે ? ના. (આમ પણ પુરુષોને લગ્નની તારીખ ક્યારેય ય...

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देश-सेवा के अखाड़े में... By Suryabala

सूर्यबाला यह खबर चारों तरफ आग की तरह फैल गई कि मैं देश-सेवा के लिए उतरने वाला हूँ। जिसने सुना, भागा आया और मेरे निर्णय की दाद दी। सुना, आप देश-सेवा के लिए उतर रहे हैं। ईश्वर देश का...

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ठंडे जी का स्टार्टअप By Prabodh Kumar Govil

अब साल पूरा होने में केवल दो ही दिन बचे थे। न - न ...आज कोई उनतीस दिसंबर नहीं था। आज तो अठारह दिसंबर ही था। लेकिन आप सोच रहे हैं न कि फ़िर साल ख़त्म होने में बस दो ही दिन कैसे बचे?...

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जेबकतरा By राज कुमार कांदु

कलुआ एक जेबकतरा है। आठ नवम्बर 2016 को मोदीजी के आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक का सबसे बड़ा पीड़ित पक्ष अगर कोई है तो वह है कलुआ जैसे छोटे मोटे जरायम पेशा लोग। भारत में एक अनुमान के मुताबिक...

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લોકડાઉન ની ટાઈમ સ્ટોરી............ By Ridhsy Dharod

વર્ષ ૨૦૨૦ એ એક ઐતિહાસિક વર્ષ બની ગયો છે. આ એક એવો સમય આવ્યો જ્યાં કોરોના ના ત્રાસ થી લોકડાઉન ની સ્થિતી માં ઘેર ઘેર વિશ્વ યુદ્ધ થયા હશે જેની ગણતરી હજી પુરે પુરી બહાર આવી નથી. આ સમય...

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पुरस्कार By Alok Mishra

बहुत दिनों से सोच रहा था, कि कुछ नहीं बोलूंगा क्योंकि हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है। फिर हमें चुप रहना आता ही कहाँ है ? अब साहब लेखक लोगों की बिरादरी में पुरस्कार वापस करन...

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जूते चिढ़ गए हैं... By Suryabala

सूर्यबाला जूते चिढ़ गए हैं इन दिनों। कहते हैं, यह हमारी तौहीनी है। ये क्या कि हमें जिस-तिस पर उछाल दिया, जैसे हमारी कोई इज्जत ही नहीं। बात सही है कि चिरकाल से हमारा निवास आदमी के पै...

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कौन आया मेरे घर के द्वारे By Annada patni

आवत ही हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह, तुलसी तहाँ न जाइये, कंचन बरसे मेह ।। संत तुलसीदास जी कहते हैं कि जहाँ आपको आते देख, लोग खुश न हों और जिनकी आँखों में आपके लिए प्रेम न हो, ऐसी जगहो...

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માંગલિક By શિતલ માલાણી

આજ અમારી શાળામાં 'તમારી યોગ્ય સર્જનાત્મકતા' હરિફાઈ હતી.. હું પણ એમાં સ્પર્ધક હતી. મારૂં નામ બોલાયું અને હું મંચ પર પહોંચી.. બધી ગોઠવણી ચકાસી મને શરૂઆત કરવા કહ્યું...લાલ રં...

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Stay neighbor all time By Rajnarayan Bohre

Satirical Stay neighbor All time Rajnarayan Bohre We had seen forty spring of our lives. Though neither celebrating birthday nor spring seemed to be coming to us, we used to get...

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महानता के नुस्खे  By Alok Mishra

महानता के नुस्खे हकीम लुकमान ने दुनिया के सभी मर्जाें के नुस्खे बताए । वे ये बताना तो भूल ही गए कि एक आम आदमी किन नुस्खों से महान बने । हमें भी तो ऐसी फालतू बातों की खोज करन...

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ए मेरे वतन के लोगों .....  By Alok Mishra

ए मेरे वतन के लोगों ..... हमारे पोपटलाल जी वैसे तो देशभक्त है लेकिन स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर उनकी देशभक्ति चरम पर पहुंच जाती है । उस पर जैसे ही लता जी '&#39...

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गर्व से कहो हम पति हैं By Suryabala

सूर्यबाला महिलाओं को मालूम है कि जिस तरह हर सफल पुरुष के पीछे कोई महिला होती है उसी तरह हर असफल महिला के पीछे भी कोई-न-कोई पुरुष होता है। आप भी माने या न मानें, स्त्री - स्वातंत्र्...

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