Best Comedy stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Comedy stories in All books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultu...Read More


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  • R का बटन

    गांव में उत्साह का माहौल था क्योकि मेरे गांव में फोन लगने वाला था और यह बहुत ही...

  • गधादेश का मंत्रीमण्‍ड़ल

    गधादेश का मंत्रीमण्‍ड़ल गधादेश में अभी-अभी चुनाव हुआ है । जैसा की आप तो जात...

  • सेब क्यों गिरा

    सेब क्यों गिरा एक दिन मैं यूॅ ही स्कूल के गलियारे में टहल रहा था । छुट...

R का बटन By Amulya Sharma

गांव में उत्साह का माहौल था क्योकि मेरे गांव में फोन लगने वाला था और यह बहुत ही बड़ी बात थी। गांव में बहुत सालों से फोन की सुविधा उपलब्ध नहीं थी और सभी गांव वालों को किसी बाहरी व्य...

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गधादेश का मंत्रीमण्‍ड़ल By Alok Mishra

गधादेश का मंत्रीमण्‍ड़ल गधादेश में अभी-अभी चुनाव हुआ है । जैसा की आप तो जाते ही है, आज कल अल्‍पमत सरकारों का जमाना है । इसी से पता चलता है कि जनता को किसी पर भी भरोसा नहीं है...

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Seven Days of Love By SHAMIM MERCHANT

"Aree…. All this is nothing, but foolish timepass for youngsters like you. There were no such extravagant days back then, when I was of your age."Grandma scolded me. I laughed and...

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सेब क्यों गिरा By Alok Mishra

सेब क्यों गिरा एक दिन मैं यूॅ ही स्कूल के गलियारे में टहल रहा था । छुट्टी का समय होने के कारण छात्र-छात्राएँ भी कक्षाओं से बाहर यहाॅं-वहाॅं टहल रहे थे । एक कक्षा में बैठे...

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હસતા નહીં હો! - 18 - ગુણપત્રકના ગોટાળા By પ્રથમ પરમાર

કોઈ વાંઢો પુરુષ રૂપાળી કુંવારી કન્યાની પાછળ ગાંડો થઈને તેને પામવા પ્રયત્ન કરે એટલા પ્રયત્નો કરવા છતાંય જ્યારે મને મારુ ગુણપત્રક ન મળ્યું ત્યારે મને ભર્તુહરિનું આ વિધાન યાદ આવી...

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ગુજરાતી કહેવતો અને તેનો અર્થ-ગમ્મત સાથે - 4 By Yuvrajsinh jadeja

(1) ઘંટ ટાણે સરપ કાઢવો...● શાળામાં બાળકો રીસેસના સમયે બહાર નીકળ્યા હોય અને જેવો રીસેસ નો સમય પૂરો થવાનો ઘંટ વાગવાનો હોય કે મદારી કાકા પોતાના ડાબલા માંથી સરપ (સાપ) કાઢી ખેલ બતાવવાનુ...

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क्यों लिखूं....? By Alok Mishra

क्यों लिखूं....? आपका ये नाचीज कभी-कभार अपने मन की बात लिखकर आप तक पहुंचा कर अपने मन के बोझ को कम करता रहता है, इस लिखने के चक्कर में कभी प्रशंसा मिली तो कभी आलोचना, कभ...

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चोलबे ना - 9 - इज्जतदार लेखक By Rajeev Upadhyay

लेखक नामक प्रजाति के सदस्य अक्सर अकादमियों और मंत्रालय के अधिकारियों को कोसते रहते हैं। ये उनकी स्पष्ट राय है कि ये अधिकारी लेखकों को उनके जीते-जी सम्मान नहीं देते हैं। ये अधिकार...

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रामलाल का सन्यास By Alok Mishra

रामलाल का सन्यास अभी -अभी प्राप्त समाचार के अनुसार रामलाल जी ने राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दी है । रामलाल जी को तो आप जानते ही है । ये वे ही रामलाल है जिन्होंने अप...

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कस्बे का आई.सी.यू. By Alok Mishra

कस्बे का आई.सी.यू. ये एक छोटा सा कस्बा है । इस कस्बे में एक सरकारी अस्पताल भी है । जहॉं कुछ डॅ़ाक्टर केवल इसलिए आ जाया करते है कि उनकी तनख्वाह के साथ-साथ घरेलू दवाखाना भी...

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पंछी उवाच By Alok Mishra

पंछी उवाच ये जंगल बहुत ही अच्छा और सुंदर था । कल-कल करती नदियॉ , हरे-भरे पेड़ों से लदे पहाड़ और जानवरों की बहुतायत । हम जानवरों को सब कुछ इसी जंगल से ही मि...

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पुतला (व्यंग्य ) By Alok Mishra

‘‘पुतला’’ मैं पुतला हूँ। यदि आप न समझें हो तो मैं वही पुतला हूँ, जो दशहरे में रावण के रूप में और होली में होलिका के रूप में अनेक वर्षों से जलता रहा हूँ। मेरे अंगों के रूप में...

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गरीबी और गरीब ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

गरीबी और गरीब ( व्यंग्य ) गरीबी और मंहगाई दो बहनें आजादी के मेले में एक दूसरे का हाथ पकड़े भारत के पीछे-पीछे लग गई । तब से लेकर आज तक इन दोनों ने ही देश की राजनीति और चुनावों...

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सत्य मोहे न सोहते ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

सत्य मोहे न सोहते ( व्यंग्य ) बचपन से एक ही पाठ पढ़ा है ‘‘सत्य बोलो’’ क्योंकि ‘‘सत्यमेव जयते।’’ सत्य की विजय को लेकर अनेकों काल्पनिक कहानिया‌ॅ बचपन से केवल इसलिए स...

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व्हीप......व्हीप......व्हीप.... (व्यंग्य) By Alok Mishra

व्हीप......व्हीप......व्हीप.... ‘‘आज के समाचार यह है कि राम प्रसाद जो कि गधा पार्टी के नेता हैं, से सुअर पार्टी पर प्रहार करते हुये व्हीप.......व्हीप.......व्हीप कहा। इसके...

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होली का दिन ( होली स्पेशल) By RACHNA ROY

दीपू होली के पहले दिन ही पापा के साथ जाकर तरह-तरह के रंग, पिचकारी, गुब्बारे सब कुछ खरीद कर ले आया।दीपू होली के पहले दिन ही पापा के साथ जाकर तरह-तरह के रंग, पिचकारी, गुब्बारे सब कुछ...

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यमराज का आगमन By Alok Mishra

यमराज का आगमन अचानक एक धमाकेदार खबर सुर्खियाॅ बन गई । बनती भी क्यों न , खबर ही ऐसी थी । खबर आई कि यमदूत आने वाले है । बस , सब तरफ कोहराम मच गया । यमदूत कब आते है और कब चले जाते...

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होली कब है ? By Alok Mishra

होली कब है ? रामलाल एक दिन बाजार में मिल गए । बाताे - बातों में वे बोले ''होली कब है ? हम सोचने लगे कि ये तो ठहरे पुलिस वाले इन्हें कोर्इ रामगढ -वामगढ तो लूटना है न...

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उपवास कैसे रखें ....  (व्यंग्य) By Alok Mishra

उपवास कैसे रखें ...... व्यंग्य अब साहब आपके ये दिन आ गए कि कोई मुझ जैसा अदना सा व्यक्ति आपको यह बताए कि उपवास कैसे रखें ? बात बिलकुल भी वैसी नहीं है जैसी आप समझ रहें ह...

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दावत-अदावत (व्यंग्य ) By Alok Mishra

दावत-अदावत (व्यंग्य ) दावत शब्द सुनते ही लज़ीज पकवानों के की महक से मुंह में पानी आना स्वाभाविक ही है । शादी - ब्याह हो , जन्म दिवस या कोई और ही दिवस बिना दावत के सब अधूरा...

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बिना मुद्दे की बकवास (व्यंग्य) By Alok Mishra

बिना मुद्दे की बकवास ( व्यंग्य) नमस्ते ....आदाब....सत्तश्रीअकाल....आज फिर शाम के छः बज रहे है और मैं खवीश हाजिर हुँ बिना मुद्दे की बकवास के साथ । आप को बता दें कि यही एक शो...

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मन चिंती ते..... By लता

मार्चमध्ये कोरोना आला आणि लाॅकडाऊन सुरू झाले. तेव्हापासून आम्ही सगळे घरीचं अडकलो होतो.ते बंद दार आणि वर्क फार्म होम करून जीव मेतकुटीस आला होता. घरात बायको,मी आणि मुलगा तिघंच...

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धंधा मारा जाएगा By Kishanlal Sharma

इक्कीसवीं सदी साइंस का जमाना।शिक्षा के प्रसार के साथ लोगो का ज्ञान बढ़ा है।लोग जागरूक हुए है और उनमें समझदारी आयी है।पहलेकी तरह लोग अज्ञानी और कूप मण्डूक नही रहे।सोशल मीडिया ने क्रा...

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2 મિનીટ માં રેડી... By Bansi Modha

બંસી મોઢા..????પત્ની: વાહ! સરસ રેસ્ટોરન્ટ માં લાવ્યા હોપતિ: સારું ચાલ ધક્કો મારપત્ની: અરે આટલાં બધાં લોકો ની વચ્ચે તમને ધક્કો કેમ મારું? ઘર થોડું છે આ?પતિ: અરે ભાગ્યવાન! આ દરવાજા પ...

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मेरी कीमत क्या है ? (व्यंग्य) By Alok Mishra

मेरी कीमत क्या है ? (व्यंग्य) हम ठहरे एक आम आदमी ........नहीं ... नहीं , जनता..... अरे......नहीं...... फिर राजनैतिक हो गया । खैर आप तो समझ ही गए है कि हम और आप एक जैसे...

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How are you, Mr. Khiladi ? By BRIJESH PREM GOPINATH

देर रात शिफ्ट पूरी कर घर पहुंचा तो हालत देखकर भौंचक्का रह गया.ऐसा लगा मानो भूकंप आया हो.एक जूता बाथरूम के पास तो दूसरा किचन के दरवाज़े पर,अख़बार के टुकड़े बिखरे हुए,मैं हैरान कमरे...

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पांडे जी की सायकिल (व्यंग्य कथा) By Alok Mishra

पांडे जी की सायकिल (व्यंग्य कथा) अब साहब आपका पूछना जायज ही होगा कि पांडे जी कौन ? आपने पूछ ही लिया है तो हम बताएं देते है। पांडे जी हमारे शहर की कोई नामचीन हस्ती तो है नहीं।...

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ફ્રોમ સિંગાપુર વિથ લવ.. By Writer Unknown

ફ્લાઇટ ૩૩૮A નાં યાત્રીઓને વિનંતી કરવામાં અાવે છે કે કન્વેયર બેલ્ટ નં ૬ ઉપરથી પોતાનો સામાન લેવા માટે કતારમાં ઉભા રહો. અાભાર.. અમદાવાદ ઇન્ટરનેશનલ એરપોર્ટ ઉપર પગ મુકતાં જ મારું બત્રીસ...

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कलयुग में भगवान By Kishanlal Sharma

"नारायण नारायण---घोर कलयुग है"क्या हुआ नारद,"भगवान विष्णु, नारद को देेेखते ही बोले," चितित नज़र आ रहेे हो।कहाँ से आ रहे हो?"प्रभु भूलोक में गया था।पूरी पृथ्वी का भृमण करके आ रहा...

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बुरा तो मानों .... होली है ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

बुरा तो मानों...... होली है ( व्यंग्य) लो साहब होली आ गई । सब ओर नारा लगने लगा ‘ बुरा न मानो .... होली है । वैसे भी हम भारतियों की परंपरा रही है कि होली हो या न हो हम बुरा नहीं...

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अंग्रेजी में बैठना कुत्ते का By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

मैं काफी मॉडर्न थे। इस लिए उनके पास एक कुत्ता था। वे उससे हिंदी नहीं बोलते थे ।अंग्रेजी में आदेश देते थे - कम , गो, यस, नो , स्टैंड, सिट। वे गुस्सा ना बोल कर चलते थे । उन्हें लगता...

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ચાલો ઠીઠીયા કાઢીએ - ભાગ - 9 By Shailesh Joshi

ભાગ - 9વાચક મિત્રો ઘણાં લાંબા સમયના અંતરાલ પછી, હું આ કાલ્પનિક રમુજી વાર્તાનો ભાગ 9 લખી રહ્યો છું.કેમકે, આજ પ્લેટફોમ પર મારી બીજી બે નવલકથા ચાલુ કરી હતી, જે પુરી થવા આવતા, હું ફરી...

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काली पुतली  By Alok Mishra

काली पुतली ये गाँव से विकसित होता छोटा सा कस्बा था । इस शहर में कुछ सड़कें ऐसी भी थी जिन पर रातों को लोग जाने से कतराते थे । आज मै जहाँ हूँ वहाँ से ही कभी शहर का वीराना प्रा...

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लोटन का शौचालय ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

लोटन का शौचालय एक गाँव में एक बुजुर्ग रहते थे, नाम था लोटनलाल। पहले उनका भरा-पूरा परिवार था। फिर धीरे-धीरे सब साथ छोड़ते गए, कुछ मौत के कारण और कुछ लोग शहर की ओर दौड़ के क...

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सेवा-भाव की अपनी-अपनी सोच By r k lal

सेवा-भाव की अपनी-अपनी सोच आर० के० लाल पार्क में एक शाम बैठे कई बुजुर्ग समाजसेवा करने की बात पर ज़ोर दे रहे थे परंतु उनमे से दो चार लोग कह रहे थे कि उनका अनुभव अच्छा न...

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सब्जी बाजार By Alok Mishra

सब्जी बाजार हम सामाजिक रुप से बहुत ही समृद्ध होते जा रहे है । अब हमारी सामाजिक समृद्धता चाय-पान के ठेलों ढाबों और सब्जी बाजारों में दिखार्इ देती है। सामान्यत: मध्यमवर्गीय व्...

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મોજીસ્તાન - 10 By bharat chaklashiya

મોજીસ્તાન (10)હુકમચંદ સરપંચને ટેમુ ઉપર બરાબરની દાઝ ચડી હતી. સવારના પહોરમાં એની દુકાને બીડી, બાક્સ લેવા ઊભા રહેવા જેવું નહોતું. સાલી ધમૂડી પણ એ જ વખતે તેલ લેવા ગુડાણી અને એની બાકી ર...

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हमारे घर छापा By Alok Mishra

हमारे घर छापा एक दिन अचानक ही मेरे मोहल्ले में हड़कम्प मच गई । पुलिस के एक बड़े से दस्ते का एक बड़ा सा फौज-फाटा हमारे मोहल्ले में दाखिल हुआ । हमें लगा , पड़ोस के वर्मा जी के घ...

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મૂડ By Jatin Bhatt... NIJ

આજ સવારથી જ એને કામ માં કાંઈ સૂઝ પડતી નહોતી, સવારે ઉઠયો ત્યારે તો મૂડ હતો. પણ પછી ગાયબ થઈ ગયો,એવું પણ નોતું કે રાત્રે મોડો ઊંઘી ગયો હોય, ઉજાગરો હોય , પણ ખબર...

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होम मिनिस्टर (अंतिम भाग) By preeti sawant dalvi

रेवा घरात खरंच सगळ्यांची लाडकी होती. तेवढी ती सुगरण ही होती म्हणा. नीलिमाचे लग्न झाल्यापासून ती रेवावर खूप जळत असे. तिला रेवाचे कौतुक केलेले अजिबात आवडत नसे. रेवाचे लग्न झाल्यावर त...

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R का बटन By Amulya Sharma

गांव में उत्साह का माहौल था क्योकि मेरे गांव में फोन लगने वाला था और यह बहुत ही बड़ी बात थी। गांव में बहुत सालों से फोन की सुविधा उपलब्ध नहीं थी और सभी गांव वालों को किसी बाहरी व्य...

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गधादेश का मंत्रीमण्‍ड़ल By Alok Mishra

गधादेश का मंत्रीमण्‍ड़ल गधादेश में अभी-अभी चुनाव हुआ है । जैसा की आप तो जाते ही है, आज कल अल्‍पमत सरकारों का जमाना है । इसी से पता चलता है कि जनता को किसी पर भी भरोसा नहीं है...

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Seven Days of Love By SHAMIM MERCHANT

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सेब क्यों गिरा By Alok Mishra

सेब क्यों गिरा एक दिन मैं यूॅ ही स्कूल के गलियारे में टहल रहा था । छुट्टी का समय होने के कारण छात्र-छात्राएँ भी कक्षाओं से बाहर यहाॅं-वहाॅं टहल रहे थे । एक कक्षा में बैठे...

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હસતા નહીં હો! - 18 - ગુણપત્રકના ગોટાળા By પ્રથમ પરમાર

કોઈ વાંઢો પુરુષ રૂપાળી કુંવારી કન્યાની પાછળ ગાંડો થઈને તેને પામવા પ્રયત્ન કરે એટલા પ્રયત્નો કરવા છતાંય જ્યારે મને મારુ ગુણપત્રક ન મળ્યું ત્યારે મને ભર્તુહરિનું આ વિધાન યાદ આવી...

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ગુજરાતી કહેવતો અને તેનો અર્થ-ગમ્મત સાથે - 4 By Yuvrajsinh jadeja

(1) ઘંટ ટાણે સરપ કાઢવો...● શાળામાં બાળકો રીસેસના સમયે બહાર નીકળ્યા હોય અને જેવો રીસેસ નો સમય પૂરો થવાનો ઘંટ વાગવાનો હોય કે મદારી કાકા પોતાના ડાબલા માંથી સરપ (સાપ) કાઢી ખેલ બતાવવાનુ...

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क्यों लिखूं....? By Alok Mishra

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चोलबे ना - 9 - इज्जतदार लेखक By Rajeev Upadhyay

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रामलाल का सन्यास By Alok Mishra

रामलाल का सन्यास अभी -अभी प्राप्त समाचार के अनुसार रामलाल जी ने राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दी है । रामलाल जी को तो आप जानते ही है । ये वे ही रामलाल है जिन्होंने अप...

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कस्बे का आई.सी.यू. By Alok Mishra

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पंछी उवाच By Alok Mishra

पंछी उवाच ये जंगल बहुत ही अच्छा और सुंदर था । कल-कल करती नदियॉ , हरे-भरे पेड़ों से लदे पहाड़ और जानवरों की बहुतायत । हम जानवरों को सब कुछ इसी जंगल से ही मि...

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पुतला (व्यंग्य ) By Alok Mishra

‘‘पुतला’’ मैं पुतला हूँ। यदि आप न समझें हो तो मैं वही पुतला हूँ, जो दशहरे में रावण के रूप में और होली में होलिका के रूप में अनेक वर्षों से जलता रहा हूँ। मेरे अंगों के रूप में...

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गरीबी और गरीब ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

गरीबी और गरीब ( व्यंग्य ) गरीबी और मंहगाई दो बहनें आजादी के मेले में एक दूसरे का हाथ पकड़े भारत के पीछे-पीछे लग गई । तब से लेकर आज तक इन दोनों ने ही देश की राजनीति और चुनावों...

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व्हीप......व्हीप......व्हीप.... (व्यंग्य) By Alok Mishra

व्हीप......व्हीप......व्हीप.... ‘‘आज के समाचार यह है कि राम प्रसाद जो कि गधा पार्टी के नेता हैं, से सुअर पार्टी पर प्रहार करते हुये व्हीप.......व्हीप.......व्हीप कहा। इसके...

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होली का दिन ( होली स्पेशल) By RACHNA ROY

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यमराज का आगमन By Alok Mishra

यमराज का आगमन अचानक एक धमाकेदार खबर सुर्खियाॅ बन गई । बनती भी क्यों न , खबर ही ऐसी थी । खबर आई कि यमदूत आने वाले है । बस , सब तरफ कोहराम मच गया । यमदूत कब आते है और कब चले जाते...

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होली कब है ? By Alok Mishra

होली कब है ? रामलाल एक दिन बाजार में मिल गए । बाताे - बातों में वे बोले ''होली कब है ? हम सोचने लगे कि ये तो ठहरे पुलिस वाले इन्हें कोर्इ रामगढ -वामगढ तो लूटना है न...

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उपवास कैसे रखें ....  (व्यंग्य) By Alok Mishra

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दावत-अदावत (व्यंग्य ) By Alok Mishra

दावत-अदावत (व्यंग्य ) दावत शब्द सुनते ही लज़ीज पकवानों के की महक से मुंह में पानी आना स्वाभाविक ही है । शादी - ब्याह हो , जन्म दिवस या कोई और ही दिवस बिना दावत के सब अधूरा...

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पांडे जी की सायकिल (व्यंग्य कथा) By Alok Mishra

पांडे जी की सायकिल (व्यंग्य कथा) अब साहब आपका पूछना जायज ही होगा कि पांडे जी कौन ? आपने पूछ ही लिया है तो हम बताएं देते है। पांडे जी हमारे शहर की कोई नामचीन हस्ती तो है नहीं।...

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कलयुग में भगवान By Kishanlal Sharma

"नारायण नारायण---घोर कलयुग है"क्या हुआ नारद,"भगवान विष्णु, नारद को देेेखते ही बोले," चितित नज़र आ रहेे हो।कहाँ से आ रहे हो?"प्रभु भूलोक में गया था।पूरी पृथ्वी का भृमण करके आ रहा...

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बुरा तो मानों .... होली है ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

बुरा तो मानों...... होली है ( व्यंग्य) लो साहब होली आ गई । सब ओर नारा लगने लगा ‘ बुरा न मानो .... होली है । वैसे भी हम भारतियों की परंपरा रही है कि होली हो या न हो हम बुरा नहीं...

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अंग्रेजी में बैठना कुत्ते का By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

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ચાલો ઠીઠીયા કાઢીએ - ભાગ - 9 By Shailesh Joshi

ભાગ - 9વાચક મિત્રો ઘણાં લાંબા સમયના અંતરાલ પછી, હું આ કાલ્પનિક રમુજી વાર્તાનો ભાગ 9 લખી રહ્યો છું.કેમકે, આજ પ્લેટફોમ પર મારી બીજી બે નવલકથા ચાલુ કરી હતી, જે પુરી થવા આવતા, હું ફરી...

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काली पुतली  By Alok Mishra

काली पुतली ये गाँव से विकसित होता छोटा सा कस्बा था । इस शहर में कुछ सड़कें ऐसी भी थी जिन पर रातों को लोग जाने से कतराते थे । आज मै जहाँ हूँ वहाँ से ही कभी शहर का वीराना प्रा...

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लोटन का शौचालय ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

लोटन का शौचालय एक गाँव में एक बुजुर्ग रहते थे, नाम था लोटनलाल। पहले उनका भरा-पूरा परिवार था। फिर धीरे-धीरे सब साथ छोड़ते गए, कुछ मौत के कारण और कुछ लोग शहर की ओर दौड़ के क...

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सेवा-भाव की अपनी-अपनी सोच By r k lal

सेवा-भाव की अपनी-अपनी सोच आर० के० लाल पार्क में एक शाम बैठे कई बुजुर्ग समाजसेवा करने की बात पर ज़ोर दे रहे थे परंतु उनमे से दो चार लोग कह रहे थे कि उनका अनुभव अच्छा न...

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सब्जी बाजार By Alok Mishra

सब्जी बाजार हम सामाजिक रुप से बहुत ही समृद्ध होते जा रहे है । अब हमारी सामाजिक समृद्धता चाय-पान के ठेलों ढाबों और सब्जी बाजारों में दिखार्इ देती है। सामान्यत: मध्यमवर्गीय व्...

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મોજીસ્તાન - 10 By bharat chaklashiya

મોજીસ્તાન (10)હુકમચંદ સરપંચને ટેમુ ઉપર બરાબરની દાઝ ચડી હતી. સવારના પહોરમાં એની દુકાને બીડી, બાક્સ લેવા ઊભા રહેવા જેવું નહોતું. સાલી ધમૂડી પણ એ જ વખતે તેલ લેવા ગુડાણી અને એની બાકી ર...

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हमारे घर छापा By Alok Mishra

हमारे घर छापा एक दिन अचानक ही मेरे मोहल्ले में हड़कम्प मच गई । पुलिस के एक बड़े से दस्ते का एक बड़ा सा फौज-फाटा हमारे मोहल्ले में दाखिल हुआ । हमें लगा , पड़ोस के वर्मा जी के घ...

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મૂડ By Jatin Bhatt... NIJ

આજ સવારથી જ એને કામ માં કાંઈ સૂઝ પડતી નહોતી, સવારે ઉઠયો ત્યારે તો મૂડ હતો. પણ પછી ગાયબ થઈ ગયો,એવું પણ નોતું કે રાત્રે મોડો ઊંઘી ગયો હોય, ઉજાગરો હોય , પણ ખબર...

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होम मिनिस्टर (अंतिम भाग) By preeti sawant dalvi

रेवा घरात खरंच सगळ्यांची लाडकी होती. तेवढी ती सुगरण ही होती म्हणा. नीलिमाचे लग्न झाल्यापासून ती रेवावर खूप जळत असे. तिला रेवाचे कौतुक केलेले अजिबात आवडत नसे. रेवाचे लग्न झाल्यावर त...

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