Best Classic Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Classic Stories in All books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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સથવારો.....સંબંધો ભાગ્યનાં - 6 By Dr.Chandni Agravat

બદલાતો જીવન પ્રવાહ ●●●●●○○○○○●●●●●○○○○●●●● સવારમાં વાડીએ જવાને બદલે નાનજી સાકરને હાથપકડીને બઘીઆઈ પાસે લઈ ગયો.આઈને હવે ઓછું દેખાતું અને પણ સાકર-નાનજીનાં પગરવથી ટેવાયેલાં કાન. એ બોલ્...

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પ્રારંભ - 51 By Ashwin Rawal

પ્રારંભ પ્રકરણ 51લલ્લન પાંડે ગોરેગાંવનો પ્લૉટ ૩૦ કરોડ લઈને ખાલી કરવા માટે તૈયાર થઈ ગયો હતો. જે પૈકી કેતને આજે એને ૧૦ કરોડ રોકડા આપી દીધા હતા અને સામે ચેક લઈ લીધો હતો. કામ પતી ગયા પ...

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रहस्यमय अंधविश्वास: अंतिम सत्य की तलाश By Kali Hari

अर्जुन, नीलम और रूपेश की जीत के बाद, वे दस्तावेजों को सुरक्षित रखने का निर्णय लेते हैं। उन्होंने एक गुप्त स्थान पर गुफा चुनी है, जो अत्यंत मजबूत सुरक्षा प्रणाली से लदी हुई है।गुफा...

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THE SECRET WORLD OF DETECTIVE SHIVAY AND ADITI (Part-1) By vansh Prajapati ......vishesh ️

પહેલો કેશ - મિકીની શોધ (ફ્લેશબૅંક )અધૂરા શ્વાસ સાથે સાથે દોડી શકાતું ન હતું અને ધબકારા પણ વધી રહ્યા હતા,આંખોમાં જુનુન હતું સાથે -સાથે તેના કપાળમાં ડર જરાય લાગતો ન હતો.... લઘભગ 18 વ...

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રેવા By Jagruti Pandya

આજે નર્મદાશંકરનું મન ચકડોળે ચડ્યું હતું. તેમનાં ગુરુએ જ્યારે છેલ્લી દીક્ષા પરિવારમાંથી લેવાની વાત કરી હતી. નર્મદાશંકરને જમાતમાં આવ્યે પચાસ પચાસ વર્ષો વીતી ગયા છતાં પણ હજુ સુધી તેમન...

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વરદાન કે અભિશાપ - ભાગ 6 By Payal Chavda Palodara

વરદાન કે અભિશાપ (ભાગ-૬) (વિશ્વરાજ નામે એક ગાદીપતિ હતા. ગાદીપતિ એટલે જેમના માથે દેવીશક્તિનો હાથ હોય અને જે પરિવારના મોભી હોય. વિશ્વરામના મોટા દીકરા ધનરાજે અલગ રહેવા જવાનું નકકી કર્ય...

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कीर के उपवन की कली By DINESH KUMAR KEER

*कीर के उपवन की कली*भारत: -दिन दूर नहीं खंडित भारत को, पुनः अखंड बनाएंगे,गिलगित से गारो पर्वत तक, आजादी पर्व मनाएंगे। उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से, कमर कसें बलिदान करें,जो पाया उसमे...

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चेहरे के विपरीत चेहरा By Anant Dhish Aman

चेहरे के विपरीत चेहरा हाँ! घर से दूर बड़े महानगर में हूँ, हाँ बड़े महानगर में! देखे भी हो कभी या सिर्फ सुना और पढा हीं है। हाँ सच कह रहा हूँ महानगर में रहने आया हूँ पढने और खूब बड़ा इ...

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घुंघरू By Yogesh Kanava

घुंघरू आज ना जाने क्या हुआ था मुझे, वापस आ तो रहा था लेकिन लग रहा था कि कुछ ना कुछ पीछे छूट गया है। मैं जब गया था तो सोचा भी न था कि इस प्रकार से, इतनी बड़ी सौगात के साथ लौटूगाँ। मै...

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मुस्कान - दिल से बंधी एक डोर (भाग-2) By DINESH KUMAR KEER

रिश्तों की अहमियत.... ? इधर तो नही दिखता। बेच दिया होगा इस शराबी ने ?""चुप रहो माँ" राधिका को न जाने क्यों नवीन को उसके मुँह पर शराबी कहना अच्छा नही लगा।फिर स्टोर रूम में पड़े सामान...

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परदेस में ज़िंदगी - भाग 2 By Ekta Vyas

कहानी:- परदेस मैं ज़िंदगी भाग - 2 अब तक आपने पढ़ा की किस प्रकार मितेश भाई के जीवन में उतार चढ़ाव आए और वो लोग हमेशा हमेशा के लिए विदेश चले गए। अब आगे विदेश का जीवन मितेश भाई के लिए...

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कोरड़ी By Yogesh Kanava

बरसाती बादलों के उमड़ आते ही पुरानी छोटे अक्सर सालती हैं । उनमें दर्द उभरता है , कुछ याद दिलाता है कि बचपन में लड़कपन में जो बार-बार पेड़ की डाल से कूदते थे , दीवार फान्दते जब अमिय...

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बूढ़ा बरगद By Yogesh Kanava

घूमने-फिरने का शौकीन संदेश आज फिर निकल गया था एक अनजानी सी डगर पर। घूमना-फिरना, नई से नई जगह देखना और उस जगह की पूरी जानकारी लेकर कुछ ना कुछ लिखना संदेश को बहुत ज्यादा पसंद था। वो...

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मुख्यधारा By Yogesh Kanava

बहुत दिनों से सन्देश कहीं जा नहीं पाया था। वो बस अपने ही कार्यालय की मारामारी में उलझा सा रह गया था। सन्देश जैसा घुम्मकड़ प्रवृति का व्यक्ति एक कुर्सी से बंधकर रह जाये तो उसके भीतर...

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सौगन्ध - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

मेरी बुआ ने,जो मेरे प्रसव के समय वहाँ उपस्थित थी,कन्या को जन्म देने के पश्चात मैं अचेत हो गई और जब सचेत हुई तो मुझे ये दुखभरी सूचना मिली...वसुन्धरा बोली.... तब भूकालेश्वर जी बोले.....

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और मैं वही का ककनूस हूं By Yogesh Kanava

बुझते हुए उजालों में दूर तक केवल धूल का ही राज लगता है दूर जहां आसमान धरती से आलिंगन करता जान पड़ रहा है और लाज की मारी धरती बस सुरमई हो गई सी लगती है पर यह गुबार उसे किस कदर मटमैल...

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बिसायती बाबा By Yogesh Kanava

पीठ पर गठरी लादे, सफेद ट्रीम की हुई दाढ़ी वाला बाबा महीने में एक बार उस गांव में आ ही जाता था। जब भी आता था गांवभर की औरतें उसे घेर लेती और अपनी-अपनी पसंद का सामान पूछती थी उससे। पू...

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आलू के परोंठे By Yogesh Kanava

मेरे हाथ आटे में सने थे, डोर बैल बार बार बज रही थी । मैने फंकी (हां मेरी बड़ी बेटी) को आवाज़ लगाई और दरवाज़े पर देखने के लिए कहा । वो अपने म्यूजिक में मस्त थी और उसे म्यूजिक सुनते समय...

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कंकड़ कंकड़ शंकर By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आशीष इंग्लिश, संस्कृत हिन्दी में स्नातकोत्तर कर चुका था और मैथ से स्नाकोत्तर की तैयारी में जुटा था उंसे माँ बाप परिवार को छोड़े सत्रह वर्ष हो चुके थे वह कभी कभी एकांत में रहता तो मा...

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સથવારો.....સંબંધો ભાગ્યનાં - 6 By Dr.Chandni Agravat

બદલાતો જીવન પ્રવાહ ●●●●●○○○○○●●●●●○○○○●●●● સવારમાં વાડીએ જવાને બદલે નાનજી સાકરને હાથપકડીને બઘીઆઈ પાસે લઈ ગયો.આઈને હવે ઓછું દેખાતું અને પણ સાકર-નાનજીનાં પગરવથી ટેવાયેલાં કાન. એ બોલ્...

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પ્રારંભ - 51 By Ashwin Rawal

પ્રારંભ પ્રકરણ 51લલ્લન પાંડે ગોરેગાંવનો પ્લૉટ ૩૦ કરોડ લઈને ખાલી કરવા માટે તૈયાર થઈ ગયો હતો. જે પૈકી કેતને આજે એને ૧૦ કરોડ રોકડા આપી દીધા હતા અને સામે ચેક લઈ લીધો હતો. કામ પતી ગયા પ...

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रहस्यमय अंधविश्वास: अंतिम सत्य की तलाश By Kali Hari

अर्जुन, नीलम और रूपेश की जीत के बाद, वे दस्तावेजों को सुरक्षित रखने का निर्णय लेते हैं। उन्होंने एक गुप्त स्थान पर गुफा चुनी है, जो अत्यंत मजबूत सुरक्षा प्रणाली से लदी हुई है।गुफा...

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THE SECRET WORLD OF DETECTIVE SHIVAY AND ADITI (Part-1) By vansh Prajapati ......vishesh ️

પહેલો કેશ - મિકીની શોધ (ફ્લેશબૅંક )અધૂરા શ્વાસ સાથે સાથે દોડી શકાતું ન હતું અને ધબકારા પણ વધી રહ્યા હતા,આંખોમાં જુનુન હતું સાથે -સાથે તેના કપાળમાં ડર જરાય લાગતો ન હતો.... લઘભગ 18 વ...

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રેવા By Jagruti Pandya

આજે નર્મદાશંકરનું મન ચકડોળે ચડ્યું હતું. તેમનાં ગુરુએ જ્યારે છેલ્લી દીક્ષા પરિવારમાંથી લેવાની વાત કરી હતી. નર્મદાશંકરને જમાતમાં આવ્યે પચાસ પચાસ વર્ષો વીતી ગયા છતાં પણ હજુ સુધી તેમન...

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વરદાન કે અભિશાપ - ભાગ 6 By Payal Chavda Palodara

વરદાન કે અભિશાપ (ભાગ-૬) (વિશ્વરાજ નામે એક ગાદીપતિ હતા. ગાદીપતિ એટલે જેમના માથે દેવીશક્તિનો હાથ હોય અને જે પરિવારના મોભી હોય. વિશ્વરામના મોટા દીકરા ધનરાજે અલગ રહેવા જવાનું નકકી કર્ય...

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कीर के उपवन की कली By DINESH KUMAR KEER

*कीर के उपवन की कली*भारत: -दिन दूर नहीं खंडित भारत को, पुनः अखंड बनाएंगे,गिलगित से गारो पर्वत तक, आजादी पर्व मनाएंगे। उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से, कमर कसें बलिदान करें,जो पाया उसमे...

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चेहरे के विपरीत चेहरा By Anant Dhish Aman

चेहरे के विपरीत चेहरा हाँ! घर से दूर बड़े महानगर में हूँ, हाँ बड़े महानगर में! देखे भी हो कभी या सिर्फ सुना और पढा हीं है। हाँ सच कह रहा हूँ महानगर में रहने आया हूँ पढने और खूब बड़ा इ...

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घुंघरू By Yogesh Kanava

घुंघरू आज ना जाने क्या हुआ था मुझे, वापस आ तो रहा था लेकिन लग रहा था कि कुछ ना कुछ पीछे छूट गया है। मैं जब गया था तो सोचा भी न था कि इस प्रकार से, इतनी बड़ी सौगात के साथ लौटूगाँ। मै...

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मुस्कान - दिल से बंधी एक डोर (भाग-2) By DINESH KUMAR KEER

रिश्तों की अहमियत.... ? इधर तो नही दिखता। बेच दिया होगा इस शराबी ने ?""चुप रहो माँ" राधिका को न जाने क्यों नवीन को उसके मुँह पर शराबी कहना अच्छा नही लगा।फिर स्टोर रूम में पड़े सामान...

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परदेस में ज़िंदगी - भाग 2 By Ekta Vyas

कहानी:- परदेस मैं ज़िंदगी भाग - 2 अब तक आपने पढ़ा की किस प्रकार मितेश भाई के जीवन में उतार चढ़ाव आए और वो लोग हमेशा हमेशा के लिए विदेश चले गए। अब आगे विदेश का जीवन मितेश भाई के लिए...

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बरसाती बादलों के उमड़ आते ही पुरानी छोटे अक्सर सालती हैं । उनमें दर्द उभरता है , कुछ याद दिलाता है कि बचपन में लड़कपन में जो बार-बार पेड़ की डाल से कूदते थे , दीवार फान्दते जब अमिय...

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बूढ़ा बरगद By Yogesh Kanava

घूमने-फिरने का शौकीन संदेश आज फिर निकल गया था एक अनजानी सी डगर पर। घूमना-फिरना, नई से नई जगह देखना और उस जगह की पूरी जानकारी लेकर कुछ ना कुछ लिखना संदेश को बहुत ज्यादा पसंद था। वो...

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मुख्यधारा By Yogesh Kanava

बहुत दिनों से सन्देश कहीं जा नहीं पाया था। वो बस अपने ही कार्यालय की मारामारी में उलझा सा रह गया था। सन्देश जैसा घुम्मकड़ प्रवृति का व्यक्ति एक कुर्सी से बंधकर रह जाये तो उसके भीतर...

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सौगन्ध - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

मेरी बुआ ने,जो मेरे प्रसव के समय वहाँ उपस्थित थी,कन्या को जन्म देने के पश्चात मैं अचेत हो गई और जब सचेत हुई तो मुझे ये दुखभरी सूचना मिली...वसुन्धरा बोली.... तब भूकालेश्वर जी बोले.....

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और मैं वही का ककनूस हूं By Yogesh Kanava

बुझते हुए उजालों में दूर तक केवल धूल का ही राज लगता है दूर जहां आसमान धरती से आलिंगन करता जान पड़ रहा है और लाज की मारी धरती बस सुरमई हो गई सी लगती है पर यह गुबार उसे किस कदर मटमैल...

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बिसायती बाबा By Yogesh Kanava

पीठ पर गठरी लादे, सफेद ट्रीम की हुई दाढ़ी वाला बाबा महीने में एक बार उस गांव में आ ही जाता था। जब भी आता था गांवभर की औरतें उसे घेर लेती और अपनी-अपनी पसंद का सामान पूछती थी उससे। पू...

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आलू के परोंठे By Yogesh Kanava

मेरे हाथ आटे में सने थे, डोर बैल बार बार बज रही थी । मैने फंकी (हां मेरी बड़ी बेटी) को आवाज़ लगाई और दरवाज़े पर देखने के लिए कहा । वो अपने म्यूजिक में मस्त थी और उसे म्यूजिक सुनते समय...

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कंकड़ कंकड़ शंकर By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आशीष इंग्लिश, संस्कृत हिन्दी में स्नातकोत्तर कर चुका था और मैथ से स्नाकोत्तर की तैयारी में जुटा था उंसे माँ बाप परिवार को छोड़े सत्रह वर्ष हो चुके थे वह कभी कभी एकांत में रहता तो मा...

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