Prem Janmejay

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व्यंग्य संकलन : राजधानी में गँवार, बेर्शममेव जयते, पुलिस! पुलिस!, मैं नहिं माखन खायो, आत्मा महाठगिनी, मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनाएँ, शर्म मुझको मगर क्यों आती, डूबते सूरज का इश्क, कौन कुटिल खल कामी, ज्यों ज्यों बूड़ें श्याम रंग आलोचना : प्रसाद के नाटकों में हास्य-व्यंग्य, हिंदी व्यंग्य का समकालीन परिदृश्य, श्रीलाल शुक्ल : विचार, विश्लेषण और जीवन नाटक : सीता अपहरण केस बाल साहित्य : शहद की चोरी, अगर ऐसा होता, नल्लुराम अन्य : हुड़क, मोबाइल देवता संपादन : व्यंग्य यात्रा (व्यंग्य पत्रिका), बींसवीं शता

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