विरासत Home Paperback virasat Paperback Name : विरासत By श्रुत कीर्ति अग्रवाल(Author) माँ से छिपते-छिपाते, मौका मिलते ही, धड़कते दिल से उसने धीरे से कमरे का ताला खोला था। दिन में भी अंदर गहरा अँधेरा था वहाँ, पर उसने महसूस किया कि जैसे हवाओं में किसी की गहरी-गहरी साँसों की सी आवाज गूँज रही हो। उसे अब बहुत घबराहट सी महसूस होने लगी थी... जैसे चोरी करने आया हो। दीवार पर हाथ फिराया तो बिजली का स्विच मिल ही गया... पर यह क्या? बल्ब जलते ही चौंक उठा था वह कि सामने पड़ी चौकी पर एक मोटी, गहरे काले रंग की औरत, रस्सियों से बँधी छटपटा रही थी। कराहते हुए वह तो कुछ बुदबुदा भी रही थी... सुनहरी... सुनहरी...! आवाज धीरे-धीरे तेज और स्पष्ट होने लगी थी... डर के मारे वह ऊपर से नीचे तक पसीने से भीग गया और जब कुछ नहीं सूझा तो जल्दी से कमरे से बाहर निकल, उसने फिर से उस में ताला बंद कर दिया और भागते हुए नीचे आ गया। ये क्या था? ऐसा कैसे हो सकता है? कौन थी वो औरत? गले में काँटे से उभर आए थे... उसके सामने ही तो बाऊजी ऊपर गए थे... बिल्कुल अकेले! कमरे में जाने का कोई दूसरा दरवाजा भी नहीं है। इस बार वे आए भी कई दिनों के बाद थे... तो ये औरत वहाँ पँहुची कैसे? कौन थी वह? माँ को बताने का कोई फायदा होगा? ...सुनहरी... सुनहरी...! काँपती, लरजती वह आवाज़, मदद को पुकारती सी एक आवाज़, कानों में लगातार गूँज रही थी... पूरे माहौल में व्याप्त थी... उसने दोनों हाथों से अपने कानों को दबा लिया था पर वह आवाज नहीं दब सकी थी ...सुनहरी... सुनहरी...! Buy Now Share Selling Price : 150 MRP : 200 You save : 50 FREE Delivery (7 to 10 days across India)In stock. ADD A NEW DELIVERY ADDRESS Name : Enter your full name Mobile : Enter your mobile number Address Line 1 : Enter your address Address Line 2 : Enter your address City : Search your city State : Search your state Address Type: Select Office Home Select your address type Pincode : Enter your pincode number Order Now Price details Price (1 Item ) 200 Delivery Charges Free Discount 50 Amount Payable 150 Qty : { 1 { 2 { 3 { 4 { 5 { 6 { 7 { 8 { 9 { 10 Your Total Savings on this order 50