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  • ભાગવત રહસ્ય - 87

    ભાગવત રહસ્ય-૮૭   આ બાજુ પ્રભુએ દ્વારિકાનો ઉપસંહાર કરવાનો નિશ્ચય કર્યો છે. પ્રભુ...

  • प्यार में हार....... 2

    और इस कारण इरा की 'बुराइयां' और उभरकर सामने आतीं। लड़कों जैसी रहती है, ल...

  • વોટ્‌સએપનું નવું ફીચર 

    વોટ્‌સએપે વીડિયો કોલ તેમજ ચેટ ઇનબોક્સ માટે નવા ફીચર લોન્ચ કર્યાહવે, અંધારામાં પણ...

  • सांसों में बसे हो तुम

    1.दूरी ने कर दिया है तुझे और भी करीबतेरा ख्याल' आ कर न जाये तो क्या करें2.मो...

  • પ્રેમની એ રાત - ભાગ 4

    સરપ્રાઈઝ"'અન્નપૂર્ણા દેશી ફૂડ કોર્ટ' નામની ફૂડ કોર્ટ વેન જોઈને જાનવી ની...

  • દીવાળી કામ

    દિવાળીનો તહેવાર નજીકમાં છે. દરેક ઘરમાં દિવાળી કામ પૂરજોશ માં ચાલી રહ્યું છે.દીવા...

  • ખજાનો - 54

    "અને મહારાજ આપની પાસે સૂક્ષ્મ અને ગુપ્ત હથિયારોનો ખજાનો છે. થોડાક એવાં હથિયારો અ...

  • प्रेमावर बंधन नकोच

    प्रेमावर बंधन ; असावेच?                    तो राजेशाहीचा काळ व त्या काळात अनैतिक...

  • कथानक्षत्रपेटी - 2

    2.सावज अडकलंय.......‌.‌.....पुण्याच्या एका सुखवस्तु बंगल्यात एक यंग लेडी  जवळपास...

  • वो जो अपना सा लगे

    रुशाली अपनी खिड़की के पास बैठी थी, बाहर हल्की बारिश हो रही थी, और आसमान पर बादल...

बुरी औरत हूँ मैं By Vandana Gupta

बुरी औरत हूँ मैं (1) झुरमुटी शामों में उदास पपीहे की पीहू पीहू कौंच रही थी सीना और नरेन हर लहर से लड़ रहा था, समेट रहा था खुद को जब भी किसी दरीचे में कोई न कोई लहर आकर छेड़ जाती सुप्...

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ईश्वर चुप है By Neela Prasad

ईश्वर चुप है नीला प्रसाद (1) रंजना मंदिर की सीढ़ियां चढ़ती ठिठक रही है। ईश्वर से उसका रिश्ता बहुत पेचीदा होता जा रहा है। उसे इस रिश्ते को रेशे - रेशे कर समझने का मन होता है। हर बार...

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મારો દોસ્ત લોકડાઉન By કિશન કલ્યાણી કલમ

:- ફરીથી પપ્પા સાથે ઝગડો થયો ગયો છે મગજ દુઃખી ગયું છે. પપ્પા ને એમ કે છોકરી મોટી થઈ ગઈ છે એટલે હવે જીભ પણ મોટી થઈ ગઈ છે વધારે બોલે છે પાછી સ્વતંત્રતા ની વાતો કરે છે અરે એવું નથી હુ...

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खेल ----आखिर कब तक ? By Vandana Gupta

खेल ----आखिर कब तक ? (1) मन की उद्वेलना हमेशा शब्दों की मोहताज नहीं होती । होती है कोई कोई ऐसी उद्वेलना जिसके बीज मिट्टी में डले तो होते हैं मगर अंकुरित होने के मौसम शायद बने ही नह...

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आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) By DILIP UTTAM

"अर्धांगिनी"----- कहने को अर्धांगिनी कहा जाता है परंतु आधा हिस्सा दिया किसने, आधा हक दिया किसने, और आधा अधिकार/मान-सम्मान दिया किसने, आधा तो क्या उसे हर मोड़ पर छला जाता...

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साक्षात्कार By Neelam Kulshreshtha

साक्षात्कार नीलम कुलश्रेष्ठ (1) मन में वही तड़प उठ खड़ी हुई है, उसकी कलम की रगें फड़कने लगीं है -उस अनूठे कलात्मक सौंदर्य को समेटने के लिए. शायद इसे ही किसी लेखक के मन का` क्लिक` कर...

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नीला आकाश By Niraj Sharma

नीला आकाश (1) सारी धुंध छँट गयी थी। खुशी का ओर छोर नहीं था। दोनों हाथ पैफलाये चक्राकार घूमते हुए वह पूरे आसमान को समेट लेना चाहती थी अपने अंक में। गहरी साँस लेकर पी लेना चाहती थी उ...

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यादें - (पुरानी यादों का दर्द) By Uday Veer

ये कहानी है कुछ दोस्तों की जिनके साथ एक दर्दनाक घटना घटित होती है.........

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वो लडकी By Uday Veer

एक गांव में अपनी मां के साथ एक लड़की रहती थी, लड़की का पिता एक बार काम की तलाश में कई वर्ष पूर्व शहर गया, और फिर वापस लौट कर ना आया, लड़की अपनी मां के साथ रहती, लड़की हमेशा और हमेश...

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नारीयोत्तम नैना By Jitendra Shivhare

"क्या मैं जान सकता हूं आपको पोलिटीशियन से क्या परेशानी है? आपको उनसे दिक्कत क्या है?" एमएलए जितेंद्र ठाकुर ने नैना से पुछा। "पोलिटीशियन झुठ बहुत बोलते है?" नैना ने...

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नीला आकाश By Niraj Sharma

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नारीयोत्तम नैना By Jitendra Shivhare

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