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Chapter -8मुस्कुराने को वजह अब तकसमीर नील को मनाते हुए," चलो ना यार प्लीज मिल ले...
சரி அனன்யா நான் கிளம்புகிறேன் என்றான். இப்போதானே வந்த என்ன அதுக்குள்ளே போற.. நாம...
अब तकरागिनी की मां ने जब रागिनी को स्कूल छोड़कर घर वापिस लौटी और अपने कमरे में ग...
स्वातंत्र्य भाग दोन तो स्वातंत्र्याचा इचार. तो इचार करता करता त्याईचं...
अगले दिन...एक खूबसूरत लड़की छोटे से चट्टान पर बैठी हुए प्राकृतिक दृश्यों में रमी...
Two Strangers On the Bed A steamy hot romantic thriller! Kotra Siva Rama Krishna...
ഞൊടിയിടയിൽ അദ്ദേഹം സപ്രമഞ്ച കട്ടിലിൽ നിന്നും ചാടി എഴുന്നേറ്റു പിന്നെ വന്നവരെ അകത...
The news came to the academy like a cut kite falling from the sky into the field...
उस रात वह बिस्तर में लेटा हुआ था।मोबाइल का जमाना था नही।मतलब हमारे यहाँ मोबाइल न...
"સંબંધ એ છે, જ્યાં લાગણીઓ, સમય અને માન્યતા - બંનેમાંથી મળે છે."સંબંધો તૂટે છે, પ...
" મારી મા " સૌથી પહેલો પ્રેમનો અહેસાસ કરાવ્યો મારી "મા" એ સૂતી હું તેના ગર્ભમાં હતી ત્યારે.... ન હતી ખબર આટલી સુંદર હશે "મા"....!! ગાલ પર જ્યારે પપ્પી દેતી...
મારી કવિતા ... 01 01. મારી વહાલી બહેનાને ... !! ડગમગ ડગમગ ડગલાં ભરતી નાની મારી બહેન, તરસ લાગી તો કેરોસીન પી ગઈ મારી એ બહેન. ઈશ્વર ના ઉપકાર વશ બચી નાની મારી બહેન, જોત જોતામાં મોટી થ...
જીવન... મારી દ્રષ્ટિએ આ બુક મારી કવિતાઓ નો સંગ્રહ છે .બધી જ કવિતાઓ માં મેં આપણું એટલે કે લોકો નું અને આપણા જીવન નું (આજના...
1.तड़पतेरे इश्क ने ये हालत कैसी कर दी मेरी ये जालिम।दरबदर भटकते रहेते हम तुम्हें भूलने को रात दिन।हम तो मयखाने में भी जाते है तुम्हे भुलाने के लिए।कमबख्त शराब की हर एक बूंद में भी...
जीवन को स्वस्थ्य और समृद्ध बनाने वाली पावन ग्राम-स्थली जहां जीवन की सभी मूलभूत सुविधाऐं प्राप्त होती हैं, उस अंचल में आने का आग्रह इस कविता संगह ‘गांव की तलाश ’में किया गया है...
(काव्य संकलन) वेदराम प्रजापति‘ मनमस्त’ 1. सरस्वती बंदना (मॉं शारदे) मॉं शारदे! मृदु सार दे!!, सबके मनोरथ सार दै!!! झंकृत हो, मृदु वीणा मधुर, मॉं शारदे, वह प्यार दे।। अज्ञान त...
व्यंग्य की तेजधर उच्छंखल समाज की शल्य-क्रिया करने में समर्थ होती है। आज के दूषित वातावरण में यहाँ संवेदना मृत प्रायः हो रही है। केवल व्यंग्य पर ही मेरा विश्वास टिक पा रहा है कि कही...
दिल के दरवाज़े पे साँकल जो लगा रखी थी उसकी झिर्री से कभी ताक़ लिया करती थी वो जो परिंदों की गुटरगूं सुनाई देती थी उसकी आवाजों को ही माप लिया करती थी न जाने गुम सी हो गईं हैं ये...
श्री सुरेश पाण्डे सरस की कृति है। इस संग्रह की अधिकतर रचनायें (कवितायें) जिस धरती पर अंकुरित हुई हैं। उसे हम प्रेम की धरती कह सकते हैं यों भी कविता का विशेष कर ‘गीत’ का जन्म प्रे...
आज मानव संवेदनाओं का यह दौर बड़ा ही भयावह है। इस समय मानव त्राशदी चरम सीमा पर चल रही है। मानवता की गमगीनता चारों तरफ बोल रहीं है जहां मानव चिंतन उस विगत परिवेश को तलासता दिख रहा है,...
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