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ગઝલ સંગ્રહ By Pratik Dangodara

જો મને સમજો તોમને સાંભળવા તો બધાય આતુર હોય છે,પણ મને સમજે કે નહીં તે મને શી ખબરજો સમજો તો સારો સલાહકાર છું,નહિ તો પોતપોતાને મનગમતું એક ગીત જ છું.કોઈ કહે...

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कवितांचा संग्रह....️ By Khushi Dhoke..️️️

का मन उदास झाले......?

नाविन्याचा शोध घेता
न भान स्व: चे राहिले
नेहमीच पैशांनी तोलले जाणारे
अस्तित्व हे आज हरले...

स्व: चे स्वप्न जपता
मन आज हरवून गेले
काळजीने दुसऱ्यांच...

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जीवन के सप्त सोपान By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

जीवन के सप्त सोपान(सतशयी)काव्य संकलन के सुमन भावों को,आपके चिंतन आँगन में बिखेरने के लिए,मेरा मन अधिकाधिक लालायत हो रहा है।आशा और विश्वास है कि आप इन भावों के संवेगों को अवश्य ही आ...

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भारत By नन्दलाल सुथार राही

भारत की विविधताओं एवं यहाँ की संस्कृति पर एक काव्य ग्रंथ जिसमें अलग-अलग कविताओं का संग्रह है। जिसकी शुरुआत "भारत" कविता से कर रहा हूँ । आशा है आप इस रचना को उचित प्रोत्साहन...

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मोक्षधाम By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

नियति के सिद्धांतों की अटल परंपरा में, जीवन की क्या परिभाषा होगी तथा जीवन का घनत्व कितना क्या होगाॽ इन्हीं संवेगों और संवादों को, इस काव्य संकलन-मोक्षधाम (मिटा सके श्मशान क्याॽ)में...

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समय की नब्ज पहिचानों By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

समय की नब्ज पहिचानों 1 काव्य संकलन- समर्पण- समय के वे सभी हस्ताक्षर, जिन्होने समय की नब्ज को, भली भाँति परखा, उन्हीं- के कर कमलों में-सादर।...

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सरल नहीं था यह काम By डॉ स्वतन्त्र कुमार सक्सैना

1 तनी बंदूकों के साए



तनी बंदूकों के साए हों, भय के अंधियारे छाए हों

घड़ी-घड़ी आशंक...

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बोलता आईना By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

(काव्य संकलन) समर्पण - जिन्होंने अपने जीवन को, समय के आईने के समक्ष, खड़ाकर,उससे कुछ सीखने - समझने की कोशिश की, उन्हीं के कर कमलों में-सादर। वेदराम प्रजापति मनमस्त मो.9981284867...

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कभी सोचा न था By महेश रौतेला

कभी सोचा न था१.अकेला हूँअकेला हूँशव में,श्मशान मेंशिव मेंतीर्थ में,तीर्थाटन मेंतथागत की भाँति,आँधी में,अँधियारे मेंधूप में,धूल मेंराह में,राह से आगे।अकेलाधुँध की भाँतिकोहरे की तरह,...

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मेरा भारत लौटा दो By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

दो शब्‍द-

प्‍यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्‍द के सौन्‍दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद कर...

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ગઝલ સંગ્રહ By Pratik Dangodara

જો મને સમજો તોમને સાંભળવા તો બધાય આતુર હોય છે,પણ મને સમજે કે નહીં તે મને શી ખબરજો સમજો તો સારો સલાહકાર છું,નહિ તો પોતપોતાને મનગમતું એક ગીત જ છું.કોઈ કહે...

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कवितांचा संग्रह....️ By Khushi Dhoke..️️️

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स्व: चे स्वप्न जपता
मन आज हरवून गेले
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जीवन के सप्त सोपान By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

जीवन के सप्त सोपान(सतशयी)काव्य संकलन के सुमन भावों को,आपके चिंतन आँगन में बिखेरने के लिए,मेरा मन अधिकाधिक लालायत हो रहा है।आशा और विश्वास है कि आप इन भावों के संवेगों को अवश्य ही आ...

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भारत By नन्दलाल सुथार राही

भारत की विविधताओं एवं यहाँ की संस्कृति पर एक काव्य ग्रंथ जिसमें अलग-अलग कविताओं का संग्रह है। जिसकी शुरुआत "भारत" कविता से कर रहा हूँ । आशा है आप इस रचना को उचित प्रोत्साहन...

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मोक्षधाम By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

नियति के सिद्धांतों की अटल परंपरा में, जीवन की क्या परिभाषा होगी तथा जीवन का घनत्व कितना क्या होगाॽ इन्हीं संवेगों और संवादों को, इस काव्य संकलन-मोक्षधाम (मिटा सके श्मशान क्याॽ)में...

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समय की नब्ज पहिचानों By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

समय की नब्ज पहिचानों 1 काव्य संकलन- समर्पण- समय के वे सभी हस्ताक्षर, जिन्होने समय की नब्ज को, भली भाँति परखा, उन्हीं- के कर कमलों में-सादर।...

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सरल नहीं था यह काम By डॉ स्वतन्त्र कुमार सक्सैना

1 तनी बंदूकों के साए



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बोलता आईना By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

(काव्य संकलन) समर्पण - जिन्होंने अपने जीवन को, समय के आईने के समक्ष, खड़ाकर,उससे कुछ सीखने - समझने की कोशिश की, उन्हीं के कर कमलों में-सादर। वेदराम प्रजापति मनमस्त मो.9981284867...

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कभी सोचा न था By महेश रौतेला

कभी सोचा न था१.अकेला हूँअकेला हूँशव में,श्मशान मेंशिव मेंतीर्थ में,तीर्थाटन मेंतथागत की भाँति,आँधी में,अँधियारे मेंधूप में,धूल मेंराह में,राह से आगे।अकेलाधुँध की भाँतिकोहरे की तरह,...

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मेरा भारत लौटा दो By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

दो शब्‍द-

प्‍यारी मातृभूमि के दर्दों से आहत होकर, यह जनमानस पुन: शान्ति, सुयश और गौरव के उस युग-युगीन आनन्‍द के सौन्‍दर्य की अनुभूति की चाह में अपने खोए हुए अतीत को, पुन: याद कर...

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