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नूरीन By Pradeep Shrivastava

नुरीन होश संभालने के साथ ही अपनी अम्मी की आदतों, कामों से असहमत होने लगी थी। जब कुछ बड़ी हुई तो आहत होने पर विरोध भी करने लगी। ऐसे में वह अम्मी से मार खाती और फिर किसी कमरे के किसी...

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रिश्ते.. By Sunita Agarwal

आभा आज बहुत उदास थी।उसका किसी काम में मन नहीं लग रहा था ।उसका दिल चाह रहा था कि वह फूट फूट कर रोये।उसने दुनिया से क्या चाहा था सिर्फ प्यार और सम्मान लेकिन उसे मिला क्या सिवाय अपमान...

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आघात By Dr kavita Tyagi

आघात उपन्यास पुरुष प्रधन मध्यवर्गीय समाज में स्त्री की स्थिति का यथार्थ चित्रा प्रस्तुत करने का एक प्रयास है, जहाँ प्रत्येक स्तर पर स्त्राी टूट जाने के लिए या सामंजस्य करने के लिए...

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कृष्णा By Saroj Prajapati

"अरे बहू रोटी ना बनी के अभी तक! अंधेरा घिरने को आया! तुझे पता है ना! मुझे सूरज छिपते ही खाने की आदत है!" "अम्मा वो उपले गीले थे ना इसलिए आंच जल ही ना रही थी। मैं तो इतनी देर से लगी...

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कल्युग की पांचाली By Uday Veer

ऊषा चंदनपुर गांव की रहने वाली लड़की है, वो खूबसूरत और सुशील भी है| एक बार उसके गांव में अकाल पड़ जाता है, लोगों के पास खाने को कुछ भी नहीं होता है, खाने के लाले पड़े होते हैं, कहीं...

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बार्बी डॉल्स By Neela Prasad

बार्बी डॉल्स नीला प्रसाद (1) मैंने खुद को आईने के सामने खड़ी होकर देखा - फूले -फूले गालों, झरकर पतले हो गए बालों, पसरकर कमरा हो चुकी कमर, झुर्रियों की आहट समेटे चेहरे, थकी हुई आंखो...

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दहेज एक विनाशकारी चिंगारी By Uday Veer

सुबह के 8:00 बजे हैं, लक्ष्मी अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी हुई है, उसे बहुत तेज बुखार है, उसका बदन बुखार से बुरी तरह तप रहा है, वह उठना तो चाहती है, लेकिन उसकी हिम्मत साथ नहीं देती...

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एक विधवा और एक चाँद By Neela Prasad

एक विधवा और एक चाँद नीला प्रसाद (1) आज यहाँ आखिरी रात है। फैसले की ये रात मान्या के दिल पर बहुत भारी है- अपनी कह और अजित की सुन सकने वाली आखिरी रात! 'आज का दिन मेरी उम्मीद का ह...

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बुरी औरत हूँ मैं By Vandana Gupta

बुरी औरत हूँ मैं (1) झुरमुटी शामों में उदास पपीहे की पीहू पीहू कौंच रही थी सीना और नरेन हर लहर से लड़ रहा था, समेट रहा था खुद को जब भी किसी दरीचे में कोई न कोई लहर आकर छेड़ जाती सुप्...

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ईश्वर चुप है By Neela Prasad

ईश्वर चुप है नीला प्रसाद (1) रंजना मंदिर की सीढ़ियां चढ़ती ठिठक रही है। ईश्वर से उसका रिश्ता बहुत पेचीदा होता जा रहा है। उसे इस रिश्ते को रेशे - रेशे कर समझने का मन होता है। हर बार...

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नूरीन By Pradeep Shrivastava

नुरीन होश संभालने के साथ ही अपनी अम्मी की आदतों, कामों से असहमत होने लगी थी। जब कुछ बड़ी हुई तो आहत होने पर विरोध भी करने लगी। ऐसे में वह अम्मी से मार खाती और फिर किसी कमरे के किसी...

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रिश्ते.. By Sunita Agarwal

आभा आज बहुत उदास थी।उसका किसी काम में मन नहीं लग रहा था ।उसका दिल चाह रहा था कि वह फूट फूट कर रोये।उसने दुनिया से क्या चाहा था सिर्फ प्यार और सम्मान लेकिन उसे मिला क्या सिवाय अपमान...

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आघात By Dr kavita Tyagi

आघात उपन्यास पुरुष प्रधन मध्यवर्गीय समाज में स्त्री की स्थिति का यथार्थ चित्रा प्रस्तुत करने का एक प्रयास है, जहाँ प्रत्येक स्तर पर स्त्राी टूट जाने के लिए या सामंजस्य करने के लिए...

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कृष्णा By Saroj Prajapati

"अरे बहू रोटी ना बनी के अभी तक! अंधेरा घिरने को आया! तुझे पता है ना! मुझे सूरज छिपते ही खाने की आदत है!" "अम्मा वो उपले गीले थे ना इसलिए आंच जल ही ना रही थी। मैं तो इतनी देर से लगी...

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कल्युग की पांचाली By Uday Veer

ऊषा चंदनपुर गांव की रहने वाली लड़की है, वो खूबसूरत और सुशील भी है| एक बार उसके गांव में अकाल पड़ जाता है, लोगों के पास खाने को कुछ भी नहीं होता है, खाने के लाले पड़े होते हैं, कहीं...

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बार्बी डॉल्स By Neela Prasad

बार्बी डॉल्स नीला प्रसाद (1) मैंने खुद को आईने के सामने खड़ी होकर देखा - फूले -फूले गालों, झरकर पतले हो गए बालों, पसरकर कमरा हो चुकी कमर, झुर्रियों की आहट समेटे चेहरे, थकी हुई आंखो...

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दहेज एक विनाशकारी चिंगारी By Uday Veer

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एक विधवा और एक चाँद By Neela Prasad

एक विधवा और एक चाँद नीला प्रसाद (1) आज यहाँ आखिरी रात है। फैसले की ये रात मान्या के दिल पर बहुत भारी है- अपनी कह और अजित की सुन सकने वाली आखिरी रात! 'आज का दिन मेरी उम्मीद का ह...

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ईश्वर चुप है By Neela Prasad

ईश्वर चुप है नीला प्रसाद (1) रंजना मंदिर की सीढ़ियां चढ़ती ठिठक रही है। ईश्वर से उसका रिश्ता बहुत पेचीदा होता जा रहा है। उसे इस रिश्ते को रेशे - रेशे कर समझने का मन होता है। हर बार...

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