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  • अंगद - एक योद्धा। - 9

    अब अंगद के जीवन में एक नई यात्रा की शुरुआत हुई। यह आरंभ था नहीं चेतना का, नए उत्...

  • कॉर्पोरेट जीवन: संघर्ष और समाधान - भाग 1

    पात्र: परिचयसुबह का समय था, और एक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी की कार्यलय की हलचल धीर...

  • इंटरनेट वाला लव - 90

    कर ये भाई आ गया में अब हैपी ना. नमस्ते पंडित जी. कैसे है आप सब ठीक है ना.हा नमस्...

  • नज़रिया

    “माँ किधर जा रही हो” 38 साल के युवा ने अपनी 60 वर्षीय वृद्ध माँ को पुकारते हुए क...

  • मनस्वी - भाग 1

    पुरोवाक्'मनस्वी' एक शोकगाथा है एक करुण उपन्यासिका (Elegiac Novelette) ।...

  • गोमती, तुम बहती रहना - 6

                     ज़िंदगी क्या है ? पानी का बुलबुला ?लेखक द्वारा लिखी जा रही किसी...

  • खुशी का सिर्फ अहसास

    1. लालची कुत्ताएक गाँव में एक कुत्ता था । वह बहुत लालची था । वह भोजन की खोज में...

  • सनातन - 1

    (1)हम लोग एक व्हाट्सएप समूह के मार्फत आभासी मित्र थे। वह लगभग अस्सी-नब्बे लोगों...

  • सही या गलत...

    कहते हैं इंसान वही जिसमें इंसानियत जिंदा हो.... लेकिन कभी कभी ये इंसानियत हमें स...

  • ख़्वाबों की दुनिया में खो जाऊं

    "मेरी उदाशी तुमे केसे नजर आयेगी ,तुम्हे देखकर तो हम मुस्कुराने लागते है.....️***...

Hostel Girls - Hindi By Kamal Patadiya

प्रकरण : 1 - संघर्ष गाथाए [दृश्य 1 : रेचल from गोवा] गोवा का समुद्र तट......... शाम का वक्त है। सूरज धीरे धीरे ढल रहा है। सागर की लहरें किनारे की ओर बह रही है। मंद मंद खुशनुमा हवा...

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कलयुगी सीता By Saroj Verma

बात उस समय की है, जब मैं छै-सात साल का रहा हूंगा,अब मेरी उर्म करीब चालीस साल है,वो उस समय का माहौल था,जब लोगों को शहर की हवा नहीं लगी थी,जब लोग कहीं से अगर दूर की रिश्तेदारी निकल आ...

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मुखौटा By S Bhagyam Sharma

यह उपन्यास प्रसिद्ध लेखिका वासंती की लिखी हुई है। इस उपन्यास में यह बताया गया है कि हम सब अपने चेहरों को वैसे का वैसा दूसरों के सामने नहीं दिखाते पर उसके ऊपर एक मुखौटा लाल लेते हैं...

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न्याय By Kishanlal Sharma

" अरी उठना नही है क्या?कब तक खाट मे पड़ी रहेगी।चाय बन गई।अब तो उठ जा"।छमिया के बार बार आवाज देने पर कमली उठी तो थी,लेकिन माँ के पास न आकर सीधी नाली की तरफ भागी थी।नाली पर...

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वो भूली दास्तां By Saroj Prajapati

अरे, बिट्टू कब तक सोती रहेगी। 5:00 बज गए हैं शाम के। रश्मि के घर से कई बार तेरे लिए बुलावा आ चुका है। जाना नहीं है उसके मेहंदी पर!" यह सुनते ही बिट्टू झटपट उठ बैठी। " क्या...

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पराये स्पर्श का एहसास By Kishanlal Sharma

सब सहकर्मियों के जाने के बाद सुमित्रा ने राहत की सांस ली थी।वह अभी भी अपने को यहाँ के वातावरण के अनुसार नही ढाल पायी थी।सब लोगो की उपस्थिति में उसे आफिस का माहौल बोझिल सा लगता था।म...

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1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की By Priyamvad

1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की प्रियंवद (1) ‘‘तुम्हें कैसे पता ‘‘ ? ‘‘ क्या ‘‘ ? ‘‘ कि वह मर गए हैं ‘‘ ? अभी सर्दियाँ शुरु हुयी थीं पर ठंड बहुत थी। बूढ़ी हडिड्‌यों...

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जीने के लिए By Rama Sharma Manavi

प्रथम अध्याय----------- शोक संवेदना की औपचारिकता के निर्वहन हेतु आसपास के परिचित एवं रिश्तेदार आ-जा रहे थे।सामाजिक रूप से कल रात्रि आरती के पति विक्रम जी का देहावसान हो गया था...

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घर की मुर्गी By AKANKSHA SRIVASTAVA

अक्सर ससुराल में नई बहू के आते ही उसे जिम्मेदारी के नाम पर अकेले ही हजारों कामो के लिए सौप दिया जाता हैं। बिना यह सोचें कि वह अभी इस घर मे नयी है। हर लड़की को मायके की आजादी से निकल...

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औरतें रोती नहीं By Jayanti Ranganathan

औरतें रोती नहीं जयंती रंगनाथन एक जिंदगी और तीन औरतें मैं हूं उज्ज्वला: जनवरी, 2006 1 मामूली औरतें जिंदगी... कल तक अगर मुझसे बयां करने को कहा जाता, तो कहती- ऊंची-ऊंची राहों पर चलकर...

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1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की By Priyamvad

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औरतें रोती नहीं By Jayanti Ranganathan

औरतें रोती नहीं जयंती रंगनाथन एक जिंदगी और तीन औरतें मैं हूं उज्ज्वला: जनवरी, 2006 1 मामूली औरतें जिंदगी... कल तक अगर मुझसे बयां करने को कहा जाता, तो कहती- ऊंची-ऊंची राहों पर चलकर...

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