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(2)घर उसका एक 1 बीएचके फ्लैट था। उसमें एक हॉल और एक ही बेडरूम था। हॉल से एक तरफ...
जिन दिनों मैं लखनऊ आया यहाँ की प्राण गोमती माँ लगभग सूख चुकी थीं |यहाँ क...
(हलात ) छोटी कहानी मे मेरी य...
1. बाल कहानी - अनोखा सिक्काएक राजा के दो पुत्रियाँ थीं । दोनों ही बहुत ही समझदार...
अब आगे,राजवीर ने अपनी बात कही ही थी कि अब राजवीर के पी ए दीप को किसी का कॉल आया...
नमस्कार स्नेही मित्रो आशा है दीपावली का त्योहार सबके लिए रोशनी की जगमगाहट लेकर आ...
अग्निहोत्री इंडस्ट्रीजआसमान को छू ती हुई एक बड़ी सी इमारत के एंट्री गेट पर ब्लैक...
स्वाति क्लास में आकर जल्दी से हिमांशु सर के नोट्स लिखने लगती है ..माया उसके कानो...
पिछले भाग में हम ने देखा की फीलिक्स ने वो सारी बातें सुन ली थी जो गुरू जी ने उसे...
राज सर का डिजिटल टीचिंग सामाजिक विज्ञान से बोरिंग सब्जेक्ट कोई नहीं है। बहु...
प्रिया के घर के सामने वाले खाली घर में महीनों से सन्नाटा पसरा था। उस घर के आँगन में धूल से नहाये हुए पत्ते, हवा के साथ यहाँ से वहाँ उड़ते नज़र आते थे। जगह-जगह पत्तों के छोटे-छोटे ढ...
माँ के आहार-विहार व विचारों से गर्भस्थ शिशु पोषित व संस्कारित होता है। जगत में कुछ भी असम्भव नहीं है। प्रत्येक गर्भवती महिला अपने यहाँ श्रीरामचन्द्रजी, श्रीकृष्ण, अर्जुन, महात्मा ब...
ये कहानी पूरी तरह से मेरी कल्पना पर आधारित है ये कहानी पूरी तरह से मेरी कल्पना पर आधारित है अगर इस कहानी या इसके किसी भी पात्र से आपको भावनात्मक रूप से ठेस पहुंचाती हैं तो मैं क्षम...
आज की कविता का टॉपिक थोड़ा सा नाजुक है, ये औरत के लिए है जिन्हे अक्सर ये समझाया जाता है की इतना तो चलता है। एक औरत एक लड़की ने नई जॉब ली है, यहां उसके लिए तो पूरा ऑफिस स्टाफ उसक...
नवंबर का दूसरा सप्ताह बस जाने ही वाला था। मौसम बहुत सुहावना हो रहा था। लेकिन मेरा मन बड़ा अशांत था। थका-थका सा, अपना स्ट्रॉली बैग खींचता हुआ ट्रेन की एक बोगी में चढ़ गया। कई सीटों पर...
नुसरत मिठाई का डिब्बा लिए हुए के.पी. साहब के चैंबर के सामने पहुँची। अर्दली कुर्सी पर बैठा मोबाईल में व्यस्त था। नुसरत ने उससे पूछा, “साहब बैठे हैं क्या?” अर्दली ने एक दृष्टि मि...
शहर का सबसे बड़ा वृद्धाश्रम जिसका नाम कुटुम्ब है,जहाँ बहुत से वृद्धजन रहते हैं,उनमें महिलाएंँ और पुरुष दोनों ही शामिल हैं,सभी हँसी खुशी उस आश्रम में रहते हैं,किसी वृद्ध महिला को उसक...
जल्दी करो बहुत देर हो रही है पाता नहीं सुबह से क्या कर रहे थे जो अब इतना समय लग रहा है अरे आज ही हमें बारात लेकर निकलना है,,, और कितना समय लगाओगे जल्दी करो सुबह समझा रहीं हूं अपनी...
इन्सान सरलता से झूठी हंँसी हँस तो सकता है, लेकिन बिना बात के बड़े बड़े आंँसुओं के साथ उसके लिए रोना लगभग कठिन सा हो जाता है,अगर आपसे कोई कहे कि अब रोने लगो, तो शायद आपके लिए ऐसा कर प...
मेरी यह कहानी में एक बहन आपने भाई के खातिर अपनी पुरी जिंदगी कुर्बान कर देती है तो शुरू करते हैंएक छोटा सा गांव जिसका नाम है ( सोन पुर ) वही एक घर है जो मिट्टी से बना हुआ था उसी घर...
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