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ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन Kaynat Sarthak के क...
हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो तुम अपने ससुराल में च...
अध्याय 6 “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच’ सच बोलो, यह...
छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसका तो मानो दूसरा जन्म...
तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब भी सहदेव के ज़हन मे...
बिछुड़े बारी बारीकाफी पुराना गाना है।आपने जरूर सुना होगा।हो सकता है बहुत से कहे न...
पिछले भाग में हम ने देखा कि अमावस की पहली रात में फीलिक्स को एक मैदान में पिंजरे...
"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -२३)डॉक्टर शुभम युक्ति के भाई रवि के साथ ब...
(-----11------)जितना सोचा था, कही उनसे जेयादा लहरों का उ...
जानवी की भी अब उठ कर वहां से जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी,,, क्योंकि आज अंश ने...
आकाश अहुजा , newspaper. Read कर रहे थे , अचानक उनकी नजर एक खबर पर आकर रुक गई । वह एक business news थी। उसमें कहा गया है कि excess inspection office ने आज एक नया मुकाम हा...
भाग 1 - यह कहानी सिंगल पेरेंटिंग की कहानी है जिसमें दिखाने की कोशिश की गयी है कि पत्नी के जाने के बाद एक अकेला पुरुष किस तरह अपनी बेटी को पालपोस कर बड़ा करता है ........
कहानी - मासूम की बद्दुआ Part 1 “ शिखा , कहाँ हो ? “ “ आ रही हूँ , दो मिनट और लगेगा विक्रम .मूसलाधार ब...
भाग - 1 कहानी - प्रतिशोध प्लस टू की बोर्ड परीक्षा समाप्त हो चुकी थी . रूपाली अपने क्लास की कुछ लड़कियों के साथ जबलपुर के भे...
ख़ुशियों का एहसास शनिवार होने के कारण दफ़्तर में छुट्टी थी. घर में था, पर तनाव बेहद ज़्यादा था. कुछ परेशानियाँ दफ़्तर की थीं, कुछ घर की. ज़िन्दगी जैसे एक बहुत बड़ी मुसीबत लगने लगी थी...
सन्देशा अरे सुनती हो कितना समय हो गया है उठ भी जाओ अब धूप सर पे चढने को है और महारानी अभी तक सो रही है। बगल के घर से - अम्मा आप ही ने चढ़ा रखा है सर पे वरना हम भी तो है घर का सारा क...
तुम और मैं — बचपन के कुछ किस्सों और कहानियों से निकाली गई एक छोटी सी लेखनी है। मैं Rahul Pandey ( poetpahadi ) आशा करता हूँ की आपको यह कोशिश ज़रूर पंसद आयेगी। और साथ ही साथ विनती क...
शाम होने को आयी थी | दोपहर से कभी तेज तो कभी हलकी हो रही बारिश अब थम चुकी थी | विनायक बाबू सुहानी शाम का मजा लेने बारिश थमते ही तुरंत अपने बिल्डिंग की छत पर पहुँच गए | आसमान अब साफ़...
सूरज धीरे धीरे ढल रहा था,पंछी अपने घौंसले की तरह बढ़ रहे थे फाल्गुन महीने के कारण वातावरण मे ज्यादा ठंडी या गर्मी नहीं थी और मौसम एकदम खुशनुमा था, ठंडी हवाएं धीरे-धीरे चल रही थी। स...
कहानी - हवा हवाई - भाग 1 फ्रांस की राजधानी पेरिस के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा चार्ल्स द...
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