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मैं ग़लत था By Ratna Pandey

भले राम और छोटे लाल एक छोटे से गाँव में रहते थे। दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। वे बचपन से साथ-साथ खेलते कूदते ही बड़े हुए थे। पूरे गाँव में उनकी दोस्ती के चर्चे थे और हों भी क्यों...

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अपना आकाश By Dr. Suryapal Singh

उपन्यास समाज का यथार्थ बिम्ब है विविधता से भरा एवं चुनौतीपूर्ण । उपन्यास लिखना इसीलिए समाज को विश्लेषित करना है। 'कंचनमृग', 'शाकुनपाँखी', ‘कोमल की डायरी' एवं &#...

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सामाजिक भिक By AAShu ______

......... बहोत देर हों गई केशव बाबू , आप की बेटी को बुलवा दीजिए जरा .......
जी बिलकुल , अभी बुलवाता हु..... सुधा जरा अंदर से मीनाक्षी
बेटी को लेकर आओ..... और हां साथ में चाय नाश्...

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मुजाहिदा - ह़क की जंग By Chaya Agarwal

तलाक .....तलाक ......तलाक....... इन तीन अल्फ़ाजों को, बिल्कुल किसी मालिकाना हक की तरह बोल कर, उसका शौहर आरिज़ कमरें से बाहर निकल गया।
जलजले की तरह आये इन लब्जों के मायनों ने उस बैडर...

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हमराही By Kishanlal Sharma

तो तुम चली जाओगी
नाजिया पाकिस्तानी लड़की थी।वह मीडिया के साथ सोशल मीडिया पर भी भारत की उन्नति और प्रगति के बारे में खूब पढ़ती और सुनती रहती थी।
पिछले नौ सालों में जब से मोदी सरकार...

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दुष्चक्र By Kishanlal Sharma

नारंग ने हाथ मे बंधी घड़ी में समय देखा।रात के साढ़े नौ बजे थे।इस स्टेशन से छोटी लाइन की अंतिम ट्रेन कुमायूं एक्सप्रेस जाती थी।इस ट्रेन के छूटने में आधा घण्टा शेष रह गया था। लेकिन किस...

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युगांतर By Dr. Dilbag Singh Virk

हर अन्याय का अंत होता है, ग़लत कार्य करने वालों को सज़ा मिलती है। देर हो सकती है, लेकिन अंधेर नहीं चलता। गलत पर सत्य की जीत ही असली युगांतर होता है। इस उपन्यास में नशाखोरी राजनीति की...

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दो औरते By Kishanlal Sharma

"सुरेश तुम तो एकदम बदल गए,"वह आराम से बैठ भी नही पाया था कि विभा ने बंदूक की गोली की तरह प्रश्न दाग दिया था।
"नही तो।बिल्कुल वैसा ही हूँ।देख लो।कहा से बदला हुआ नजर आ र...

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तलाश By डा.कुसुम जोशी

कविता भारी कदमों से वो बस की और बढ़ी, उसे लगा शमित उसे शायद रोक लेगें.., इसलिये स्टेशन तक छोड़ने आये हों..,कुछ तो कहेगें ..,
बस में चढ़ते कविता ने पीछे मुड़ के देखा ..शमित नही...

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मातृत्व - किराए की कोख By Kishanlal Sharma

"ऐसे नही,"सुशांत ने पत्नी को अपने से सटा या तो नताशा पति से अलग होते हुए बोली,"ऐसे नही।"
"तो कैसे?"
"पहले कंडोम।"
"ओहो नताशा,"पत्नी की बा...

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मैं ग़लत था By Ratna Pandey

भले राम और छोटे लाल एक छोटे से गाँव में रहते थे। दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। वे बचपन से साथ-साथ खेलते कूदते ही बड़े हुए थे। पूरे गाँव में उनकी दोस्ती के चर्चे थे और हों भी क्यों...

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सामाजिक भिक By AAShu ______

......... बहोत देर हों गई केशव बाबू , आप की बेटी को बुलवा दीजिए जरा .......
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मुजाहिदा - ह़क की जंग By Chaya Agarwal

तलाक .....तलाक ......तलाक....... इन तीन अल्फ़ाजों को, बिल्कुल किसी मालिकाना हक की तरह बोल कर, उसका शौहर आरिज़ कमरें से बाहर निकल गया।
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हमराही By Kishanlal Sharma

तो तुम चली जाओगी
नाजिया पाकिस्तानी लड़की थी।वह मीडिया के साथ सोशल मीडिया पर भी भारत की उन्नति और प्रगति के बारे में खूब पढ़ती और सुनती रहती थी।
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दुष्चक्र By Kishanlal Sharma

नारंग ने हाथ मे बंधी घड़ी में समय देखा।रात के साढ़े नौ बजे थे।इस स्टेशन से छोटी लाइन की अंतिम ट्रेन कुमायूं एक्सप्रेस जाती थी।इस ट्रेन के छूटने में आधा घण्टा शेष रह गया था। लेकिन किस...

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युगांतर By Dr. Dilbag Singh Virk

हर अन्याय का अंत होता है, ग़लत कार्य करने वालों को सज़ा मिलती है। देर हो सकती है, लेकिन अंधेर नहीं चलता। गलत पर सत्य की जीत ही असली युगांतर होता है। इस उपन्यास में नशाखोरी राजनीति की...

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"सुरेश तुम तो एकदम बदल गए,"वह आराम से बैठ भी नही पाया था कि विभा ने बंदूक की गोली की तरह प्रश्न दाग दिया था।
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तलाश By डा.कुसुम जोशी

कविता भारी कदमों से वो बस की और बढ़ी, उसे लगा शमित उसे शायद रोक लेगें.., इसलिये स्टेशन तक छोड़ने आये हों..,कुछ तो कहेगें ..,
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मातृत्व - किराए की कोख By Kishanlal Sharma

"ऐसे नही,"सुशांत ने पत्नी को अपने से सटा या तो नताशा पति से अलग होते हुए बोली,"ऐसे नही।"
"तो कैसे?"
"पहले कंडोम।"
"ओहो नताशा,"पत्नी की बा...

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