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रामचर्चा By Munshi Premchand

राम चर्चा प्रेमचंद द्वारा लिखी गयी बच्चो की पुस्तक है ये पुस्तक लिखने में उनका मुख्य उदेश्य था कि भगवान राम के गुणों को बच्चों तक पहुचाएँ इसी लिए एक वार्तालाप के रूप में इस पुस्त...

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देह के दायरे By Madhudeep

देह के दायरे

पूजा और उनके पति देव बाबू की एक कहानी !

पूजा को देव बाबूने रात कोई क्या लाने के लिए कहा होगा
कौन मरना चाहता था, और क्यों
ज़हर की शीशी का राज क्या है

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ख़्वाबों की क़ीमत By Khushi Saifi

कभी कभी ख्वाब देखना एक जुर्म बन जाता है, अवनि और सौरभ के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.. उन्हें अपने ख़्वाबों की क्या क़ीमत चुकानी पड़ी, पढ़िए ख़्वाबों की क़ीमत - Khushi Saifi

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पागलपन का इलाज By Pradeep Kumar sah

उनके माताओं को इस बात की जानकारी गाँव के टमाटर मण्डली के जरिये होती थी.दरअसल पूरे गाँव में जो थोड़े युवक थे उनकी अपनी ही ख़ास मंडली थी और उनके विचार-व्यवहार से मेरे विचार के मेल न थे...

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आ क्यू की सच्ची कहानी By Lu Xun

कई बरस से आ क्यू की सच्ची कहानी लिखने की सोच रहा था, किन्तु उसे लिख डालने की इच्छा होते हुए भी मन में दुविधा बनी थी। इससे स्पष्ट हो जाता है कि मैं उन लोगों में नहीं, जो लेखन से गौर...

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रूस के पत्र By Rabindranath Tagore

सोवियत शासन के प्रथम परिचय ने मेरे मन को खास तौर से आकर्षित किया है, यह मैं पहले ही कह चुका हूँ। इसके कई विशेष कारण हैं और वे आलोचना के योग्य हैं।
रूस की जिस तसवीर ने मेरे हृदय मे...

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हाशिया गवाह By Bhagwan Atlani

हाशिया गवाह

कन्हैयालाल जी के इर्दगिर्द घुमती एक कहानी
प्रथम प्रकरण,आपको आगे पढने के लिए मजबूर करेगा

पढ़िए रोचक कहानी - हाशिया गवाह

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देहाती समाज By Sarat Chandra Chattopadhyay

बाबू वेणी घोषाल ने मुखर्जी बाबू के घर में पैर रखा ही था कि उन्हें एक स्त्री दीख पड़ी, पूजा में निमग्न। उसकी आयु थी, यही आधी के करीब। वेणी बाबू ने उन्हें देखते ही विस्मय से कहा, &#3...

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कर्मभूमि By Munshi Premchand

कर्मभूमि प्रेमचन्द का राजनीतिक उपन्यास है जो पहली बार १९३२ में प्रकाशित हुआ।

अमरकांत बनारस के रईस समरकांत के पुत्र हैं। वे विद्यार्थी- जीवन से ही सार्वजनिक जीवन में कार्य करने...

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गोरा By Rabindranath Tagore

वर्षाराज श्रावण मास की सुबह है, बादल बरसकर छँट चुके थे, निखरी चटक धूप से कलकत्ता का आकाश चमक उठा है। सड़कों पर घोड़ा-गाड़ियाँ लगातार दौड़ रही हैं, फेरी वाले रुक-रुककर पुकार रहे हैं...

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रामचर्चा By Munshi Premchand

राम चर्चा प्रेमचंद द्वारा लिखी गयी बच्चो की पुस्तक है ये पुस्तक लिखने में उनका मुख्य उदेश्य था कि भगवान राम के गुणों को बच्चों तक पहुचाएँ इसी लिए एक वार्तालाप के रूप में इस पुस्त...

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कौन मरना चाहता था, और क्यों
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पागलपन का इलाज By Pradeep Kumar sah

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आ क्यू की सच्ची कहानी By Lu Xun

कई बरस से आ क्यू की सच्ची कहानी लिखने की सोच रहा था, किन्तु उसे लिख डालने की इच्छा होते हुए भी मन में दुविधा बनी थी। इससे स्पष्ट हो जाता है कि मैं उन लोगों में नहीं, जो लेखन से गौर...

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रूस के पत्र By Rabindranath Tagore

सोवियत शासन के प्रथम परिचय ने मेरे मन को खास तौर से आकर्षित किया है, यह मैं पहले ही कह चुका हूँ। इसके कई विशेष कारण हैं और वे आलोचना के योग्य हैं।
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हाशिया गवाह

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देहाती समाज By Sarat Chandra Chattopadhyay

बाबू वेणी घोषाल ने मुखर्जी बाबू के घर में पैर रखा ही था कि उन्हें एक स्त्री दीख पड़ी, पूजा में निमग्न। उसकी आयु थी, यही आधी के करीब। वेणी बाबू ने उन्हें देखते ही विस्मय से कहा, &#3...

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कर्मभूमि By Munshi Premchand

कर्मभूमि प्रेमचन्द का राजनीतिक उपन्यास है जो पहली बार १९३२ में प्रकाशित हुआ।

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वर्षाराज श्रावण मास की सुबह है, बादल बरसकर छँट चुके थे, निखरी चटक धूप से कलकत्ता का आकाश चमक उठा है। सड़कों पर घोड़ा-गाड़ियाँ लगातार दौड़ रही हैं, फेरी वाले रुक-रुककर पुकार रहे हैं...

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