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एडवेंचर ऑफ़ करुण नायर By Author Pawan Singh

12 जनवरी 1972...जाड़े के दिन थे लीगल ग्राउंड कंपनी का चौकीदार बहादुर सिंह रात के समय धीमी आंच वाली लालटेन लिए कंपनी का मुयआना कर रहा था ...लेमपोश की जलती बुझती लाइट सड़क पर पड़ रही थी...

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लौट आओ दीपशिखा By Santosh Srivastav

गुलमोहर के साये में स्थित वह खूबसूरत बंगला जो ‘गौतम शिखा कुटीर’ के नाम से मशहूर था और जो कभी रौनक से लबरेज़ हुआ करता था आज सन्नाटे की गिरफ़्त में है और उसके भीतरी दरवाज़े और काले स्टी...

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शांतनु By Siddharth Chhaya

शांतनु मातृभारती पर इसी नाम से अत्यंत लोकप्रिय साबित हुए गुजराती उपन्यास का हिन्दी रूपांतरण है इस उपन्यास में एक तरफ़ा प्रेम और दोस्ती की ऊंचाईयों को बड़ी परिपक्वता से दर्शाया गया ह...

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कर्मवीर By vinayak sharma

आज की सुबह महावीर सिंह के लिए सबकुछ बदलने वाली सुबह थी। सबकुछ पहले जैसा ही था। सूरज भी पूरब से ही निकला था, मुर्गे ने भी बांग दिया था। चिड़िया भी उसी तरह चाह्चाती हुई अपने घोंसलों स...

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इश्क एक अधूरे शब्द की कहानी By Author Pawan Singh

यह कहानी आलोक कुमार तिवारी की है जो कि इलाहाबाद का रहने वाला है आलोक कुमार दिल्ली यूनिवर्सिटी में अपनी शिक्षा प्राप्त करने आता है इसी दौरान उससे एक लड़की से प्यार हो जाता है एक बुरे...

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गुनाहों का शहर By Ravi

सालों से चल रहे एक हाई प्रोफाइल चरस स्कैण्डल की जब नव-नियुक्त एस.आई ने जांच पड़ताल शुरू की तो सारे शहर की पुलिस उसके खिलाफ हो गई। लेकिन फिर पुरुषोत्तम अपने कर्तव्य का पालन करता रहा।...

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पी कहाँ? By Ratan Nath Sarshar

पी कहाँ! पी कहाँ! पी कहाँ! पी कहाँ!; मंगल का दिन और अँधेरी रात, बरसात की रात। दो बज के सत्‍ताईस मिनट हो आए थे। तीन का अमल। सब आराम में। सोता संसार, जागता पाक परवरदिगार। सन्‍नाटा पड...

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परती जमीन By Raushan Pathak

परती जमीन एक कहानी है जिसमे इस बात को दर्शाया गया है, की लोभ सिर्फ अहित करता है लोभ से ग्रसित लोग सर्व सपन्न होने के बाद भी जीवन में और ज्यादा के लोभ में अपना और अपने समाज का अह...

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हुश्शू By Ratan Nath Sarshar

बेतुकी हाँक
महुए से कुछ गरज है न हाजत है ताड़ की
साकी को झोंक दूँगा मैं भट्टी में भाड़ की!
हात्‍तेरे पीनेवाले की दुम में पुरानी भट्टी का जंग लगा हुआ भभका! ओ गीदी, हात्‍तेरे शराब...

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पराभव By Madhudeep

"मैं तो अब कुछ ही क्षणों का महेमान हूँ श्रद्धा की माँ!" कहते हुए सुन्दरपाल की आवाज लड़खड़ा गई| "ऐसी बात मुँह से नहीं निकालते श्रद्धा के बापू |" माया कुर्सी से उठकर अप...

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एडवेंचर ऑफ़ करुण नायर By Author Pawan Singh

12 जनवरी 1972...जाड़े के दिन थे लीगल ग्राउंड कंपनी का चौकीदार बहादुर सिंह रात के समय धीमी आंच वाली लालटेन लिए कंपनी का मुयआना कर रहा था ...लेमपोश की जलती बुझती लाइट सड़क पर पड़ रही थी...

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लौट आओ दीपशिखा By Santosh Srivastav

गुलमोहर के साये में स्थित वह खूबसूरत बंगला जो ‘गौतम शिखा कुटीर’ के नाम से मशहूर था और जो कभी रौनक से लबरेज़ हुआ करता था आज सन्नाटे की गिरफ़्त में है और उसके भीतरी दरवाज़े और काले स्टी...

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शांतनु By Siddharth Chhaya

शांतनु मातृभारती पर इसी नाम से अत्यंत लोकप्रिय साबित हुए गुजराती उपन्यास का हिन्दी रूपांतरण है इस उपन्यास में एक तरफ़ा प्रेम और दोस्ती की ऊंचाईयों को बड़ी परिपक्वता से दर्शाया गया ह...

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कर्मवीर By vinayak sharma

आज की सुबह महावीर सिंह के लिए सबकुछ बदलने वाली सुबह थी। सबकुछ पहले जैसा ही था। सूरज भी पूरब से ही निकला था, मुर्गे ने भी बांग दिया था। चिड़िया भी उसी तरह चाह्चाती हुई अपने घोंसलों स...

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इश्क एक अधूरे शब्द की कहानी By Author Pawan Singh

यह कहानी आलोक कुमार तिवारी की है जो कि इलाहाबाद का रहने वाला है आलोक कुमार दिल्ली यूनिवर्सिटी में अपनी शिक्षा प्राप्त करने आता है इसी दौरान उससे एक लड़की से प्यार हो जाता है एक बुरे...

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गुनाहों का शहर By Ravi

सालों से चल रहे एक हाई प्रोफाइल चरस स्कैण्डल की जब नव-नियुक्त एस.आई ने जांच पड़ताल शुरू की तो सारे शहर की पुलिस उसके खिलाफ हो गई। लेकिन फिर पुरुषोत्तम अपने कर्तव्य का पालन करता रहा।...

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पी कहाँ? By Ratan Nath Sarshar

पी कहाँ! पी कहाँ! पी कहाँ! पी कहाँ!; मंगल का दिन और अँधेरी रात, बरसात की रात। दो बज के सत्‍ताईस मिनट हो आए थे। तीन का अमल। सब आराम में। सोता संसार, जागता पाक परवरदिगार। सन्‍नाटा पड...

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परती जमीन By Raushan Pathak

परती जमीन एक कहानी है जिसमे इस बात को दर्शाया गया है, की लोभ सिर्फ अहित करता है लोभ से ग्रसित लोग सर्व सपन्न होने के बाद भी जीवन में और ज्यादा के लोभ में अपना और अपने समाज का अह...

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हुश्शू By Ratan Nath Sarshar

बेतुकी हाँक
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"मैं तो अब कुछ ही क्षणों का महेमान हूँ श्रद्धा की माँ!" कहते हुए सुन्दरपाल की आवाज लड़खड़ा गई| "ऐसी बात मुँह से नहीं निकालते श्रद्धा के बापू |" माया कुर्सी से उठकर अप...

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