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आज काफी देर से लाइट नहीं थी तो अंधेरा होने से पहले ही लालटेन जलानी थी। एनी जैसे...
(4)करन के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था। मि.लाल भी कुछ बताने को तैया...
अनुस्वारअति चचंल उछल कूद करती रहने वाली सीमा जिसे सहेलियों के साथ मस्ती और खाना...
अब आगे,अपनी इकलौती दोस्त खुशी की बात सुन कर कि वो उस के चेंजिंग रूम में अंदर आ ज...
पुराने पटारे से निकली हुई वार्ता ओर कई फोटोग्राफस पुराने समय की याद दिलाती हैँ ओ...
जीवन के कोरे काग़ज़ को पढ़ सको तो पढ़ो l चंद लम्हों की मीठी यादे भर सको तो भरो l...
मुंबई शहर के आलिशान 'Queen Hotel' जो कि बहुत ही खुबसूरत था। enterance पर...
फाइल लेकर आदित्य उसे अपनी कार में रख देता है।। न चाहते हुए भी स्वाति को अब आदित्...
----------------------- अंजाम कुछ भी हो। जानता हु, "शांत लहरें कब तूफान का रुखल...
व्यवस्था जंगल में शेर ने एक फैक्ट्री डाली... उसमें एकमात्र काम करने वाली चींटिया...
ऐमिलियो डोरा को मैं आज भी अपनी पत्नी ही मानता हूं। वह आज भी मेरे हृदय के इतने करीब है, मुझमें इतना समायी हुई है कि मैं उसकी महक को महसूस करता हूं। मुझे अब भी ऐसा लगता है कि जैसे वह...
शिखा की सबसे प्रिय सखी दीपा उसे बार-बार अपनी बहन रिया की शादी के लिए इंदौर चलने का आग्रह कर रही थी । शिखा जानती थी अगर विवाह समारोह भोपाल में होता तो उसकी मां कभी इनकार नहीं करती ल...
ओफ्फ़! कल शाम ही तो वह यहाँ आया है. पर ऐसा लग रहा है मानो हफ़्तों से नज़रबंद है यहाँ. कैसे रह पाते हैं लोग, भला इन छोटे कस्बों में? ठीक है पहले यहाँ एक आदिम बस्ती थी. पर अब तो काफी...
सुबह पढ़ने के लिए पेपर उठाया तो नज़र शहर में एक नए फाइव स्टार होटल के खुलने के विज्ञापन पर ठहर गई। पेपर के पहले पूरे पेज़ पर एक बेहद खूबसूरत युवती की नमस्ते की मुद्रा में बहुत ही प्रभ...
हनुवा धारूहेड़ा, हरियाणा से कई बसों में सफर करने, और काफी पैदल चलने के बाद जब नोएडा सेक्टर पंद्रह घर पहुंची तो करीब ग्यारह बजने वाले थे। मौसम में अच्छी खासी खुनकी का अहसास हो रहा था...
शायद ही कोई ऐसा धंधा करने वाला दुकानदार होगा जिसे लोग कई नामों से पुकारते हों। उसे हेय दृष्टि से देखते हों। नाम सुनकर मुँह बिचका देते हों। लेकिन मेरे धंधे पर ये सब बातें लागू होती...
सविता ने तली हुयी मछली का एक बड़ा सा टुकड़ा मुंह में डाला था. मछली बेह्द स्वाद बनी हुयी थी. वह जल्दी जल्दी खा रही थी. सविता खाना हमेशा बहुत जल्दी में खाती है. जैसे कहीं भागना हो. इसी...
शाम होते ही मुझे घर में अकेलापन खाने को दौड़ता है इसलिए कॉलोनी के पार्क की ओर चल देता हूँ। आज भी शाम से ही पार्क में आ गया दो तीन चक्कर लगाये थक गया तो एक बेंच पर बैठ गया। काफी देर...
चार घंटे देरी से जब ट्रेन लखनऊ रेलवे स्टेशन पर रुकी तो ग्यारह बज चुके थे। जून की गर्मी अपना रंग दिखा रही थी। ग्यारह बजे ही चिल-चिलाती धूप से आंखें चुंधियां रही थीं। ट्रेन की एसी बो...
अमृता इमरोज, प्यार के दो नाम, जिनके बारे में तब जाना ,जब मेरी उम्र सपने बुनने की शुरू हुई थी, और प्यार का वह हल्का एहसास क्या है अभी जाना नहीं था। बहुत याद नहीं आता कि कब किताबें प...
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