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पहली बातचीत जब वे बातें कर रहे थे, आदित्य ने जाना कि स्नेहा एक डिज़ाइनर है औ...
प्रकरण - ४७मैंने जैसे ही रईश से बात खत्म कर के फोन रखा ही था की तभी फातिमा का ना...
सांझ गहरी नींद में थी और अक्षत बस उसके पास बैठा उसे बस देख रहा था।"अक्षत भाई ड...
सिर्फ एक रात का मौका दे दे. . . कहानी / शरोवन *** चार साल और छः माह के पश्चात फि...
दूसरे दिन ..... 9 बजे .......आदित्य अंडर आता है ! उसके आते ही सभी लोग खड़े हो जा...
1. कबूतरों का झुण्डकबूतरों का झुण्ड भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था। वहीं दू...
अब तक हम ने पढ़ा की लूसी के पड़ोस में एक पायल नाम की बच्ची पर कोई छोटी सी भूत बच...
एपिसोड 1: पहली मुलाकातकिरनपुर, एक छोटा सा और शांत सा शहर, जहां हर सुबह की ठंडी ह...
सुबह का समय, फातिमा हॉस्पिटल, मिस्टर ठाकुर ने सबको बाहर जाने को बोला तो स...
ये दुख बरसों पुराना था। ये न मेरा था और न तेरा। ये सबका था। हर दिन का था। हर गांव का था। हर शहर का था। नहीं- नहीं, ग़लती हो गई। शायद गांव का नहीं था, केवल शहर का था। जितना बड़ा शह...
कजरी झोपड़पट्टी में रहने वाली बहुत ही मासूम, सुंदर-सी कमसिन एक बंजारन थी। बचपन से अब वह नाता तोड़ कर जवानी से रिश्ता जोड़ रही थी। पन्द्रहवाँ साल पूरा होने ही वाला था। उसके बाद नारी...
समाज ने स्त्रियों के लिए कुछ ढांचे बना रखे हैं उनमें फिट न होने वाली स्त्रियों को बागी स्त्रियाँ कह दिया जाता है।ऐसी स्त्रियों को पारंपरिक समाज एक खतरे की तरह देखता है और उन्हें तो...
कहते है की सच्ची मोहब्बत किसी के रंग -रूप, वर्ग-धर्म, देखकर नही होती है। सच्ची मोहब्बत तो सीरत से होती है। इश्क़ इबादत होता है अगर एकबार हो जाये तो भूलना ना मुमकिन सा हो जाता है। च...
ये बात २००५ की तब हम लखनऊ इसी आलमबाग रेलवे क्वार्टर में रहते थे। हमारा परिवार तीसरे माले में रहता था। एक रात सोटे हुए अचानक मेरी आंख खुल गई। में बाथरूम की तरफ से बड़ा तो मुझे किसी...
"पश्चाताप " यह रचना मैने प्रतिलिपि पर वेवसीरीज के तौर पर लिखी थी जिसे अब बिना परिवर्तित करे मै उपन्यास की रूप मातृभारती पर देने जा रही हूँ | प्रतिलिपि पर मैने इसे दस भागो मे प्रस...
यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है इसका किसी भी गांव या व्यक्ति से कोई संबंध नही है। एक गांव था जिसका नाम सुंदर नगर था। ये गांव भी और गांव की तरह ही था। मगर यहां के नियम थोड़े अजी...
वैसे तो आज हम इक्कीस वी सदी में जी रहे है और खुद को सभ्य और मॉर्डन बता रहे है। हम पिछली उन सब बुराइयों से दूर है जिन्हे पहले लोग अपनी शानो शौकत मानते थे। जैसे जाति में भेद भाव ऊंच...
क्या कहा तुमने ? प्यार ? वो भी किसी अलग मजहब वाले लड़के से ! .... नहीं ऐसा नहीं हो सकता मैं आज ही तुम्हारे अब्बू से कह कर तुम्हारा रिश्ता पक्का करवाती हूं। गुस्से में माही की अम्म...
रूपेश ट्रेन में अपने बर्थ पर आकर बैठा ही था, तभी जीन्स और टी-शर्ट पहने 25–26 साल की एक लड़की सामने आकर खड़ी हो गयी और सीट छोडने का इशारा करती हुई अपना भारी-भरकम बैग रूपेश के बर्थ पर...
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