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विवेक अपने ऑफिस में बैठे हुए होता है, तभी टीवी में चल रहे न्यूज देख कर वो एक दम...
आंकड़े और महंगाईअरहर या तूर की दाल 180 रु किलोउडद की दाल 160 रु किलीचने 100 रु कि...
1. गृहलक्ष्मी एक बार मुझे दोस्त के बेटे के विवाह के रिसेप्शन में जाने का मौक...
पटारा मैं अभी तो पूरी एक नोट बुक निकली जिसमे क्रमांनुसार कहानियाँ लिखो हुई थी......
विराट अपने आंखों को तपस्या की आंखों से हटाकर उसके कांप ते होठों पर डाल देता है।...
अध्याय 4 “मैंने तो शुरू में ही बोल दिया… हम किसी भी बात के ल...
आदित्य की बात सुनकर स्वाति इधर उधर देखन लगती हैं.. ओर उसे सोरी सर कहते हुए बैठ ज...
पाँचपुलिस का आखेट महल रोड के पेट्रोल पम्प पर तैनात सिपाही उस रात गौरांबर को कोठी...
72दोनों ने अदृश्य ध्वनि की आज्ञा का पालन किया। जिस बिंदु पर दोनों ने दृष्टि रखी...
दिल्ली, मलहोत्रा हाऊस एक लड़की किचन में बर्तन साफ कर रही थी। उसके हाथों और पीठ पर लगी चोटों के निशान से पता चल रहा था कि उसे कितना मारा गया है। वह दर्द से कराह रही थी, फिर भी का...
"सौरभ विला" मालाबर हिल, बैंड्रा (पश्चिम), मुंबई घर से ये घर है- सौरभ का इसके नाम पर ही इसका नाम रखा जाता है | सौरभ का एक लड़का है, जिसका नाम अनूप है | अनूप कि मा को गुजरे ह...
भारतीय रंगमंच प्रायः सभी भारतीय एवं पाश्चात्य विद्वान संस्कृत नाटक और रंगमंच का धार्मिक भूमि से उदय और विकास मानते हैं । अकेले प्रोफेसर जागीरदार हैं, जिन्होंने कि इन सारे धार्मिक व...
आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के कच्छ सेंटर जहाँ मैं अपने अति उत्साही कार्यकर्ताओं के साथ एक बड़े से हॉल में जमीन पर बिछी लाल- काली धारी वाली दरी पर बैठी हूँ। आने वाले दो दिवसीय। श्री श्री...
आज धूप बहुत तेज़ है, चला भी नहीं जा रहा है। प्रेमलता उसका नहर के किनारे इंतज़ार कर रही होगी। यहीं सब सोचते हुए सुयश मोहन के कदमों की गति बढ़ती गई। जब नहर के पास पहुँचा तो उसने देखा कि...
सीढ़ियों से ऊपर की ओर भागती हुई एक लड़की रोती जा रही थी। ना ही उसे होश था ना ही आँसू रुक रहे थे। कॉरिडोर से होते हुए वोह एक कमरे में जा पहुँची। कमरे में दाखिल होते ही उसने अपने पीछ...
उनके बहुचर्चित उपन्यास ‘हज़ार चौरासी की माँ’ में एक ‘माँ’ सुजाता की मर्मस्पर्शी कहानी के साथ-साथ साथ 1970 के दशक के बंगाल मे नक्सलवाद आंदोलन मे हो रहे हिंसक संघर्ष की कहानी भी समान...
समर गढ़ का असीम साम्राज्य।उसके वजीर शादाफ सींग की हवेली मे आज सुबह से कुछ ज्यादा ही हड़बड मची हुई थी।उसने धीरे से अपनी आंखे खोली, " हे भगवान अभी भी यही फसी हुई हू। पता नहीं कब...
"तुम से वो थी , आज वो है अजनबी है लिखी जा चुकी बात ये है अनकही, दर्द से अलग हुई, खौंफ में दफन हुई, प्यार से रंगी जो थी खून से अलग हुई, बात वो हो चुकी इस जनम उस जनम, लौट कर आ रह...
कहानी में दिखाई देने वाले सभी पात्र काल्पनिक हैं, जीवित या मृत किसी भी वास्तविक व्यक्ति से कोई भी समानता विशुद्ध रूप से संयोग है। राधे राधे || आप लोगो ने कहानी का शीर्षक तो देख ल...
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