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पिछले भाग में हम ने देखा कि अब्राहम और मोमल ने फीलिक्स के लिए ढेर सारी शॉपिंग की...
अब आगे सिया कैंटीन में बैठी अपनी किताबों में खोई हुई थी। अचानक उसके कानों में एक...
मुंबई शहर : संयम का प्राइवेट जेट लैंड हुआ तो संयम और शिविका नीचे उतर गए । शिविका...
77 प्लान अब वे लोग बाहर आने लगे तो नन्हें और नंदन जल्दी से वहॉं से निकल गएI उस...
(5)सोनम से बात करने के इरादे से कबीर रीसेस के समय स्कूल के जूनियर सेक्शन...
प्रकरण - ५४मुझे एवॉर्ड मिलने की खुशी में मेरे परिवारने मुझे एक सर्प्राइज पार्टी...
शालू और सांझ आराम से बिस्तर पर लेटी अपनी-अपनी मेहंदी देख रही थी। "कितनी अच्छी फ...
अब आगे रूही अपने रूम में आई तो उसने देखा रूद्र सॉ...
जिंदगी एक तरफा नहीं दो तरफा और कभी ब्रेक डाउन तो कभी अप लग जाता है। जो सोचते है...
इस संसार में जब से हम आते तभी पैदा होने के साथ ही एक तरह की प्रतिस्पर्धा शुरू हो...
सूचना - ये एक काल्पनिक कहानी है और इसका जीवित यां मृत किसी व्यक्ति से कोई लेनादेना नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो ये महज़ एक संयोग है। इस कहानी को केवल पाठकों के मनोरंजन हेतु लिखा गया ह...
नाम सुनते ही आप सोचने लगेे होंगे । केसरिया वस्त्र , बड़ी बड़ी जटा, हाथ मे कमंडल और चिमटा या किसी नंग धड़ंग शरीर पर भभूत लगाए या किसी इसी तरह के बाबा के बारे में आपको बताने जा र...
भोला सत्रह साल का एक ग्रामीण युवक था । अपने नाम के अनुरूप ही सीधा सादा और भोला या यूँ भी कह सकते हैं नाम से भी ज्यादा भोला । उसके पिताजी बचपन में ही गुजर गए थे । शोषित जाति का होन...
सब्जीपुर के युवराज ‘ आलू चंद ‘ की विवाह योग्य उम्र होते ही राज्य के सभी मंत्री , दरबारी उनके लिए सुयोग्य नायिका की खोज में लग गए ।सब्जी पुर की कई यौवनाएँ मन ही मन आलूचन्द के सपने...
चच्चा खीस से एकमुस्त लाल-पीला हो भुनभुनाए जा रहे थे मगर बोल कुछ भी नहीं रहे थे। मतलब एकदम चुप्प! बहुत देर तक उनका भ्रमर गान सुनने के बाद जब मेरे अन्दर का कीड़ा कुलबुलाने लगा। अन्त म...
इस कहानी का मुख्य पात्र अक्षिता नाम की लड़की हैं, वह १२ वीं कक्षा में पढ़ती हैं।इस कहानी का शीर्षक आपको थोड़ा सा अजीब लगा होगा! यह कहानी वैसे तो थोड़ी सी न...
इस बार महाशिवरात्री और वेलेन्टाइन-डे लगभग साथ-साथ आ गये। युवा लोगों ने वेलेन्टाइन-डे मनाया। कुछ लड़कियों ने मनाने वालों की धज्जियां उड़ा दी और बुजुर्गों व घरेलू महिलाओं ने शिवरात्री...
प्रस्तावना : 20वीं सदी की शुरुआत में हमारे जीवन का एक नया अध्याय शुरू हुआ। हॉस्टल लाइफ का अनुभव मेरे जीवन में नया था और मैं इसे लेकर बहुत उत्साहित था। मैंने Graduation किया और Post...
हम सब बहोत आम है बेहद आम दरअसल कहा जाए तो हम आम जनता हैकभी कभी तो आम खाने के भी लाले पड़ जाते हैं अरे बात बजट की आ जाती है और कभी कभी बिन बुलाए मेहमान भी आ जाते हैं जिसके चलते अपने...
"अरे नंदू… उठ के जरा देख घड़ी में कितना टाइम हो गया है " मिश्राइन ने चिल्ला कर कहा| "अरे मम्मी सोने भी नहीं देती सोने दो ना" नंदू अपनी दोनों बाहें और मुंह फैलाते हु...
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