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    (में आप सभी से माफी मांगना चाहती हू ... दरहसल मेने एक कैरेक्टर का नाम गलत दिखाया...

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  • साथिया - 109

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  • My Devil Hubby Rebirth Love - 39

    रूही को जैसे ही रूद्र की बात का मतलब समझ आया उसके गाल बिल्कुल कश्मीरी सेब की तरह...

  • बेखबर इश्क! - भाग 23

    उनकी शादी का सच सिर्फ विवेक को ही पता था,एक वो ही जानता था की उस दिन कनिषा ने वो...

  • इंद्रधनुष उतर आया...... 1

    छत पर उदास सी अपने में खोई खड़ी थी राम्या। शायदअपने को खो देने की कोशिश में बस य...

  • तू है मेरी जिन्दगी

    1.इश्क की गहराइयों में खोकर,दिल की हर धड़कन उसे याद करती है।प्यार की बातों में ग...

  • द्वारावती - 59

    59“मेरे पिताजी कहाँ है?” गुल के इस प्रश्न का उत्तर गुरुकुल में किसी ने नहीं दिया...

  • एक ज़ाहिदा, एक फ़ाहिशा

    "एक ज़ाहिदा, एक फ़ाहिशा"   अध्याय 1: मुलाक़ात जो तक़दीर से थी   ज़िन्दगी कभी-कभी...

लावण्या By Jagruti Joshi

हेलो दोस्तों मैं एक नई कहानी आपके लिए पेश कर रही हूं। अभी उसका टाइटल क्या लिखूं वह मुझे समझ नहीं आया इसलिए लावण्या कर दिया है। स्टोरी के आगे के पार्ट रिड करके सोचकर आप मुझे सजेस्ट...

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द एजेंटस By Shamad Ansari

एक सड़क दुर्घटना होती है गलती इस व्यक्ति की थी जो गाड़ी चला रहा होता है क्योंकि उसने लाल बत्ती पर गाड़ी चालू रखी और वक्त से पहले सड़क पार करने की कोशिश की तो किसी लोरी वाले ने उसे...

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पुस्तकें By Pranava Bharti

ज़िंदगी की उलझनों के दिन-रात, शामें बँट जाती हैं शब्दों में, चुप्पी साधी नहीं जा सकती यदि कोई संवेदनशील हो --कसमसाते हुए दिनों की आहट उसे परेशान करती ही तो रहती है जब तक भावों का पु...

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मैं तो ओढ चुनरिया By Sneh Goswami

कोई भूखा मंदिर इस उम्मीद में जाय कि उसे एक दो लड्डू या बूंदी मिल जाय तो रात आराम से निकल जाएगी और वहाँ से मिले मक्खन मलाई का दोना तो जो हालत उस भूख के मारे बंदे की होगी , बिल्कुल व...

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पश्चाताप. By Ruchi Dixit

"पश्चाताप " यह रचना मैने प्रतिलिपि पर वेवसीरीज के तौर पर लिखी थी जिसे अब बिना परिवर्तित करे मै उपन्यास की रूप मातृभारती पर देने जा रही हूँ | प्रतिलिपि पर मैने इसे दस भागो मे प्रस...

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वो अनकही बातें By RACHNA ROY

सड़क के बीच में तेज बारिश में वो खड़ी हो कर ना जानें किसका इंतज़ार कर रही थी।
बहुत सारे सवाल उठ रहे थे शालू के मन में। मुझे इस पार्टी में शामिल नहीं होना चाहिए था।

तभी तेज रफ़...

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में और मेरे अहसास By Darshita Babubhai Shah

में और मेरे अहसास भाग-१ *** ईश्क में तेरे जोगन बन गई lआज राधा जोगन बन गई ll *** गरघर कीदीवार केकर्णहोतेकोई घरखड़ाना होता ll *** काटे नहीं कटता एक पल यहां lकैसे कटेगी एक उम्र भला यहा...

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साहेब सायराना By Prabodh Kumar Govil

कहते हैं कि अपनी जवानी में हर कोई ख़ूबसूरत होता है। जवानी इंसान की ज़िन्दगी में एक बार आने वाला वो मौसम है जो जिस्म के पोर- पोर को फूल की तरह खिलाकर एक शोख चटक के तड़के से खुशबूदार...

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तक़दीर का खेल By Aarushi Varma

कूंज विला..... मूंबई... सावित्री :- जगदीश, अनिल, भावना, सुरेखा..... सारी तैयारी हो गई ना? (सावित्री खुश होकर पुछती है.) ( इस कुंज विला में रहता है गुजरात से आकर बसा हुआ मेहता परिवा...

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मेरी गर्लफ्रैंड By Jitin Tyagi

23 अगस्त 2018 की सुबह 8:20 वाली मेट्रो नंबर 12427 नोएडा सिटी सेन्टर से द्वारका सेक्टर21 की और बीच में पड़ने वाले हर स्टेशन पर रुकते हुए, बड़ी तेजी से हवा को दो हिस्सों में बाटती हुई...

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