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अब तक :" ना मुन्ना ना.. झूठ नही बोलते.. । मुझे तो ये तक लग रहा है कि तू मुझसे भी...
विक्की सुबह जल्दी उठकर तैयार हो कर नीचे पहुंच गए और फिर संजू को खोजने लगा।संजना...
1.मेरी रूह तरसती हैतेरी खुसबू के लिए कहीं और जो महकोतो बुरा लगता है 2.फूल रस्मों...
हिन्दी का इतिहास और विकासहिन्दी भाषा की जड़ें बहुत गहरी हैं। इसका इतिहास वैदिक क...
मैत्री की बनायी रंगोली देखकर जहां एक तरफ बबिता और विजय बेहद खुश थे ये सोचकर कि म...
इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें । .................
बातों बातों में रात के तीन बज गए थे। घना अंधेरा छाया हुआ था। पास के जंगलों और खे...
"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -१६)घर की जान होती हैं बेटियाँपिता का गुमा...
और वहीं दूसरी तरफ विवेक तैयार होते हुए ,,,,,,विधि आज तो तुम्हें ,,,,पीछे हटना ही...
अब आगे,नितिन ने कहा, "हाँ " और उसे देख कर हसने लगा ।"वैसे आपको हसीं बहुत आती है,...
प्यार करना मतलब कुछ नहीं है, प्यार करने लायक बनना थोडा बहोत अच्छा है लेकिन प्यार करने और साथ में करने लायक बनना, ये सब कुछ है. प्यार को कभी किसी का दिया हुआ अनुदान समझकर स्वीकार ना...
आस्था एक 21साल की खूबसूरत लड़की है, जो इलाहाबाद (प्रयागराज) से English (Hons) करके अपने पापा के कहने पर सरकारी नौकरी के लिए पेपर दे रही है, उसके पापा श्री विजय कुमार सक्सेना जी चाह...
समर्पित – ‘सुशीला’ की शीलवती प्रकृति और ‘सरला’ की सरलता को अपनी दो माँ सी ननदों को जो एक ही माह में इस दुनिया को छोड़कर परम तत्व में विलीन हो गईं |&nbs...
विनोद की माँ हरिमती महेंद्र की माँ राजलक्ष्मी के पास जा कर धरना देने लगी। दोनों एक ही गाँव की थीं, छुटपन में साथ खेली थीं। राजलक्ष्मी महेंद्र के पीछे पड़ गईं - बेटा महेंद्र, इस...
बात होली की हो और कविता, शेरो-शायरी की चर्चा न हो, यह कैसे संभव हैं ? होली का अपना अंदाज है, और कवियों ने उसे अपने रंग में ढाला है। जाने माने शायर नजीर अकबराबादी कहते हैं: जब...
“बंद खिड़कियां" सदियों से चले आ रहे पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों के अहं और दंभ के कारण स्त्रियों के प्रति दुर्व्यवहार और अत्याचार तथा स्त्री के विरोध की कहानी है । यह कहानी एक...
"भैया ! कितनी देर करोगे चलने मैं "आया अदिति !"भैया ! आपको अजीब नही लगता नाम सुनने में ..पैहरगढ़"लगता तो है पर क्या करे मां ने बुलाया है जाना तो पड़ेगा न चल अब "...
“ अरे जवान लड़के पर इस तरह कोई हाथ उठाता है क्या ? . “ माँ सीता देवी ने अपने बड़े बेटे डॉक्टर सोनी से कहा . सोनी को अपने छोटे भाई हीरा के गाल पर जोरदार तमाचा लगाते देख...
देखने में अच्छा ही लगता था। चेहरे पे प्रतिक्रिया कम ही रहती थी जैसे पता नहीं क्या सोचता रहता था हरवक्त, परन्तु आँखें बोलती थी उसकी। कुल मिलाकर एक सीधा सादा भोला भाला लड़का लगता था।...
खेत में सुबह सुबह नित्य क्रिया के लिए गया बिरजू अभी बैठा ही था की उसे जोर की बदबू आई। उसने सोचा अभी तक तो गांव से इतनी दूर कोई नही आता था। साफ जगह खोजने के चक्कर में दूर तक निकल आत...
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