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उसका नाम तो मैं नहीं बताऊंगी, पर उसकी तस्वीर मेरे दिल और दिमाग में हमेशा के लिए...
सुबह का समय, राणा जिम, सिद्धांत ने यश के मुंह पर अपना हाथ रख कर कुछ कहा औ...
सुबह के वक़्त था विराज जॉगिंग से रिवान के साथ वापस आया । विराज जल्दी तैयार हो जा...
यश और उसकी मां काफी घबरा जाते हैं। यूवी के इस तरह गायब होने से। तभी यूवी की मां...
आज काफी देर से लाइट नहीं थी तो अंधेरा होने से पहले ही लालटेन जलानी थी। एनी जैसे...
(4)करन के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था। मि.लाल भी कुछ बताने को तैया...
अनुस्वारअति चचंल उछल कूद करती रहने वाली सीमा जिसे सहेलियों के साथ मस्ती और खाना...
अब आगे,अपनी इकलौती दोस्त खुशी की बात सुन कर कि वो उस के चेंजिंग रूम में अंदर आ ज...
पुराने पटारे से निकली हुई वार्ता ओर कई फोटोग्राफस पुराने समय की याद दिलाती हैँ ओ...
जीवन के कोरे काग़ज़ को पढ़ सको तो पढ़ो l चंद लम्हों की मीठी यादे भर सको तो भरो l...
उपरोक्त स्वरचित कविताएँ मेरे जीवन का आधार हैं और इनकी भावनाएँ मेरे लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। मानव अपने जीवन की पहली श्वांस से मृत्यु की अंतिम श्वांस तक संघर्षरत् रहकर अपनी कल्पनाओं...
जनवरीआज का दिन बेहद ठंंडा था।पिछले दो दिनो से शीत लहर चल रही थी।आसमान बादलो से ढका हुआ था।आज भी सूर्य देवता के दर्शन नही हुए थे।कल रात बरसात हुई थी।बरसात की वजह से आज का दिन और ज्य...
----वो दोस्ती ही क्या जिसमें तक़रार न हो----वो दोस्ती ही क्या जिसमें प्यार न हो ,वो सफलता ही क्या जिसमें इन्तजार न हो , दोस्ती तो दो आत्माओं का मिलन है ,पर वो दोस्ती ही क्या जिसमें...
मेरा नाम अश्वनी सिंह है। मैंने 10 साल तक अलग-अलग जगहों पर छोटे-बड़े कई काम किए। इसके बाद मैं कुछ धन एकत्र कर पाया। होटल लाइन, बैंक लाइन, टीचिंग लाइन, फ्रीलान्सिंग आदि में मैं निपुण...
(अब तक आपने देखा स्वप्निल और मीरा दोनों के एक दूसरे के खिलाफ इस तरह मानो किसी धागे के दो अलग-अलग सीरे, दोनों का अलग-अलग स्वभाव होने के कारण दोनों में अब तक काम के अलावा और कोई बात...
"अरे बेटा...दही चीनी तो खा ले, फिर जा क्लिनिक पर" माँ ने सुभाष को रोकते हुए कहा | सुभाष - "क्या माँ..तुम भी ना, दही चीनी से किसी का दिन शुभ नहीं होता, मुझे देर हो रही...
सड़क के बीच में तेज बारिश में वो खड़ी हो कर ना जानें किसका इंतज़ार कर रही थी। बहुत सारे सवाल उठ रहे थे शालू के मन में। मुझे इस पार्टी में शामिल नहीं होना चाहिए था। तभी तेज रफ़...
पायल कार से उतरी और घर के सामने जाकर डोरबेल बजाया। दरवाजा खुला तो सामने विनय थे, सवालिया नजरों से देखते हुए उसने कहा- "आप?"तो विनय ने कहा- "हां, आज ऑफिस में ज्यादा काम...
इंसानी दुनिया से अलग है एक दूसरी दुनिया" पक्षीलोक "यहाँ के लोग दिखते तो आम लोग जैसे ही है पर आम इंसान जैसे है भी नही इनका आधा चेहरा पक्षी जैसा है और बड़े बड़े पंख है ।ये लो...
मैं जब भी आपके बारे में सोचती हूँ तो महात्मा गाँधी की शक्ल सामने आ जाती है। बुढ़ापे में आप लगभग उन्हीं की तरह लगते थे। खल्वाट सिर, लम्बी नासिका, छोटी आँखें, पतले होंठ और लम्बा दुबला...
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