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फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे By Makvana Bhavek

मैंने खुद को शीशे में बड़ी कुंठा से निहारा। आग लगे मेरे बालों को ये काबू में ही नहीं आ रहे हैं और भाड़ में जाए कैथरीन कैवेना, जो अचानक बीमार पड़ गई और मुझे मुसीबत में डाल दिया। कहा...

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रहस्य - मौत या मर्डर By Raj Roshan Dash

मुंबई में अर्जुन नाम का एक Detectiv रहता था वह बहुत ही चालाक और निडर था, वह हर केस को easily solve कर देता था, अर्जुन के साथ श्वेता और नेहा भी रहती थी, तीनो साथ मिलकर बड़ी से बड़ी के...

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इरफ़ान ऋषि का अड्डा By Prabodh Kumar Govil

- यार सुन, आज आज रुक जा।
- पर क्यों..?
- मैं कह रहा हूं न कल तेरा काम आधा रह जायेगा।
- वो तो वैसे भी आधा ही रह जायेगा, अगर आज आधा निपटा लेंगे।
- अरे यार, मेरी बात समझ। आज करेंग...

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दास्ताँ ए दर्द ! By Pranava Bharti

दास्ताँ ए दर्द ! 1 रिश्तों के बंधन, कुछ चाहे, कुछ अनचाहे ! कुछ गठरी में बंधे स्मृतियों के बोझ से तो कुछ खुलकर बिखर जाने से महकी सुगंध से ! क्या नाम दिया जा सकता है रिश्तों को ?...

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जुड़ी रहूँ जड़ों से By Sunita Bishnolia

जुड़ी रहूँ जड़ों से
शहर की सबसे आलीशान कोठी में एक तरफ बैडमिंटन कोर्ट है जहाँ अभी भी कुछ लोग काम करे रहे है। इसी के दूसरे छोर पर दो आउट हाऊस भी बने हुए है। दोनों आउट हाऊस हरियाली...

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रॉबर्ट गिल की पारो By Pramila Verma

दिसंबर 1849 में रॉबर्ट गिल को डायरेक्टर आॅफ कोर्ट की मुहर लगा लिफाफा मिला। इतने वर्षों बाद उसे मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया था। वह 1824 में कैडेट के रूप में लंदन में सेना में भर्...

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अचेतन अपराधी By Kishanlal Sharma

"देख सामने पुलिस वाला खड़ा है।तेरी लाइट भी नही है।उतरकर चल।वरना चालान कर देगा।"
अपने दोस्त की बात सुनकर सुदेश भड़क गया।उसने भद्दी सी गाली दी और आगे बढ़ता गया।पुलिस वाले को दे...

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THEY SAID IT By CHHATRA PAL VERMA

रीतिकालीन दरबारी कवि “बिहारी” ने शृंगार रस से ओत-प्रोत सात सौ दोहों की रचना की थी, जिसे “बिहारी सतसई” नाम से जाना जाता है, जिसके बारे में लोकगाथा है-

‘सतसैया के दोहरे, ज्यों नाव...

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तेरी चाहत मैं By Devika Singh

“अपने आप को समझते क्या हो तुम. कितनी देर से हुमारे पीछे पीछे चले आ रहे हो. ज़यादा दिमाग़ खराब हो तो बताओ ? बुलाती हूँ अभी प्रिन्सिपल को.” बड़े ही गुस्से मैं बोली थी रिया।

इतने म...

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सात फेरे हम तेरे By RACHNA ROY

ये कहानी ऐसे दो लोगों की है कि एक एहसास में पुरी आस , प्यार का इज़हार किए बिना भी प्यार निभाना बहुत बड़ी बात है। एक दूसरे को देखे बिना क्या कोई प्यार कर सकता है।। प्यार का नाम बलिद...

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फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे By Makvana Bhavek

मैंने खुद को शीशे में बड़ी कुंठा से निहारा। आग लगे मेरे बालों को ये काबू में ही नहीं आ रहे हैं और भाड़ में जाए कैथरीन कैवेना, जो अचानक बीमार पड़ गई और मुझे मुसीबत में डाल दिया। कहा...

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रहस्य - मौत या मर्डर By Raj Roshan Dash

मुंबई में अर्जुन नाम का एक Detectiv रहता था वह बहुत ही चालाक और निडर था, वह हर केस को easily solve कर देता था, अर्जुन के साथ श्वेता और नेहा भी रहती थी, तीनो साथ मिलकर बड़ी से बड़ी के...

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इरफ़ान ऋषि का अड्डा By Prabodh Kumar Govil

- यार सुन, आज आज रुक जा।
- पर क्यों..?
- मैं कह रहा हूं न कल तेरा काम आधा रह जायेगा।
- वो तो वैसे भी आधा ही रह जायेगा, अगर आज आधा निपटा लेंगे।
- अरे यार, मेरी बात समझ। आज करेंग...

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दास्ताँ ए दर्द ! By Pranava Bharti

दास्ताँ ए दर्द ! 1 रिश्तों के बंधन, कुछ चाहे, कुछ अनचाहे ! कुछ गठरी में बंधे स्मृतियों के बोझ से तो कुछ खुलकर बिखर जाने से महकी सुगंध से ! क्या नाम दिया जा सकता है रिश्तों को ?...

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जुड़ी रहूँ जड़ों से By Sunita Bishnolia

जुड़ी रहूँ जड़ों से
शहर की सबसे आलीशान कोठी में एक तरफ बैडमिंटन कोर्ट है जहाँ अभी भी कुछ लोग काम करे रहे है। इसी के दूसरे छोर पर दो आउट हाऊस भी बने हुए है। दोनों आउट हाऊस हरियाली...

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रॉबर्ट गिल की पारो By Pramila Verma

दिसंबर 1849 में रॉबर्ट गिल को डायरेक्टर आॅफ कोर्ट की मुहर लगा लिफाफा मिला। इतने वर्षों बाद उसे मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया था। वह 1824 में कैडेट के रूप में लंदन में सेना में भर्...

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अचेतन अपराधी By Kishanlal Sharma

"देख सामने पुलिस वाला खड़ा है।तेरी लाइट भी नही है।उतरकर चल।वरना चालान कर देगा।"
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THEY SAID IT By CHHATRA PAL VERMA

रीतिकालीन दरबारी कवि “बिहारी” ने शृंगार रस से ओत-प्रोत सात सौ दोहों की रचना की थी, जिसे “बिहारी सतसई” नाम से जाना जाता है, जिसके बारे में लोकगाथा है-

‘सतसैया के दोहरे, ज्यों नाव...

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तेरी चाहत मैं By Devika Singh

“अपने आप को समझते क्या हो तुम. कितनी देर से हुमारे पीछे पीछे चले आ रहे हो. ज़यादा दिमाग़ खराब हो तो बताओ ? बुलाती हूँ अभी प्रिन्सिपल को.” बड़े ही गुस्से मैं बोली थी रिया।

इतने म...

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सात फेरे हम तेरे By RACHNA ROY

ये कहानी ऐसे दो लोगों की है कि एक एहसास में पुरी आस , प्यार का इज़हार किए बिना भी प्यार निभाना बहुत बड़ी बात है। एक दूसरे को देखे बिना क्या कोई प्यार कर सकता है।। प्यार का नाम बलिद...

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