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और मैं साहित्यकार बन गया (एक सच्ची कहानी) मुझे जीवन में कुछ नया करने, पढ़ने व...
मुक्त व्हायचंय मला भाग ४मागील भागावरून पुढे…रघूवीर आणि मालतीचं लग्नं होऊन साधारण...
અરેબિયન નાઇટ્સ શ્રેણીમાં અનેક હેરત ભરી વાર્તાઓ છે. એમાં આ એક પરાક્રમની કથાઓની શ્...
જય માતાજી ઈશ્વરીય શક્તિ ઘણા બધા તર્કવિતર્કો. ખંડન મંડન. પુજા પાઠ. વિધી વિધાન. મં...
હુમાયુના મૃત્યુ પછી અકબરને જ્યારે રાજગાદી સોંપવામાં આવી, ત્યારની વાત છે.ત્યારે જ...
चांभार जातीच्या गौरवशाली इतिहासातील कोरी पानं? चांभार समाज...... पु...
Episode 1: Dashing Entrance हर सुबह वही सूरज उगता है, पर उसकी रोशनी हर जगह अलग क...
સિંહાસન સિરીઝ સિદ્ધાર્થ છાયા Disclaimer: સિંહાસન સિરીઝની તમામ કથાઓ તેમાં દર્શાવે...
नौं सौ रसियों की रसभीनी, मन अबनी सरसाई। गौरव बांटत दोनों कर, बनवार शहर पर आई।। अ...
पिछले भाग में हमने देखा कि मोमल और अब्राहम की शादी की पहली रात थी। वह दोनों होटल...
मुक्तेश्वर। छोटी-सी जगह. भरा पूरा कस्बा। ब्रिटिश शासन में किसी अंग्रेज़ गवर्नर का निवास स्थान होने के कारण यहाँ पर अधिकांशतः इमारतें उसी काल की बनी हुई थीं- लाल और मज़बूत पक्की ईं...
" ધૂપ-છાઁવ " પ્રકરણ-1 " જય સદ્દગુરૂ સ્વામી પ્રભુ, જય સદ્દગુરૂ સ્વામી.. સહજાનંદ દયાળુ, સહજાનંદ દયાળુ, બળવંત બહુનામી પ્રભુ, ...
इस घर में आज भी सुबह-सुबह नर्म हवा के झोंके पर्दों को थरथराते हैं । आज भी बरामदे में नीचे के बाईं तरफ़ करे नीचे पेड़ों की टहनियों से छनती धूप अपना अक्स बनाती है। आज भी इस घर में डे...
पोह की कड़कड़ाती ठंड में पसीना बहाती प्रीत प्यासी निगाहों से कमल की ओर ताक रही थी। कमरे में जलती मोमबत्ती भी शर्मा कर अपने आप बुझने लगी थी। कमल का हाथ पकड़ कर प्रीत अभी भी कमल से ब...
"राज बेटा आप दस दिनों से जिस लड़की की पेंटिंग बना रहे थे, वह मेरी बेटी रत्ना नहीं थी, बल्कि रत्ना की बहन माया थी।" रत्ना की विधवा मां बताती है "मैं कुछ समझ नहीं पा रहा...
रात के 12:30 बज रहे थे एक सुनसान पतला सा रास्ता जो कि कब्रस्तान की तरफ जा रहा था उस पर एक नई नवेली सुहाग की चहल कदमी हो रही थी उसके चेहरे पर डर साफ नजर आ रहा था रात का सन्नाटा उसकी...
આ દુનીયા કેટલી સુંદર છે, જેટલી મધુરતા માતાની મમતા માં છે, એટલીજ સુંદર આ દુનીયા છે. આખોને કલાકો સુધી જોવા મજબૂત કરતા કુદરતના અઢળક રંગોની મીઠાશ જ્યાં સુધી માણીએ ત્યાં સુધી ઓછી છે. આજ...
आनन्द और जया मिलने वाले थे, आनंद सुबह से बेचैन अधीर सा यहां वहां घूम रहा था,पता नही क्यों इतनी जल्दी थी उसे ,नाश्ता भी नही किया उसने बस कैसे भी आफिस पहुँचना था उसे ,कितने बाद आज जय...
મારે આ સગાઈ કરવી જ નહોતી..... રહી રહીને આર્યાના મગજમાં આ શબ્દો હથોડાની માફક વાગી રહ્યા હતા. માથું ભમી રહ્યું હતું, માથું જ નહીં જાણે આખી દુનિયા ગોળ ગોળ ફરી રહી હતી. આંખમાંથી આં લીસ...
आजच्या युगात कोण कुणाशी आपल्या फायद्यासाठी कसा संबंध जोडेल ते सांगता येत नाही. अगदी ओढून-ताणून असे नातेसंबंध तयार करतात की, ज्यामुळे आपले काम पार पडेल. अशा ओढून ताणून आणलेल्या संबं...
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