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(11)इंस्पेक्टर आकाश ने फौरन सब इंस्पेक्टर राशिद को फोन किया। सब इंस्पेक्...
अनुच्छेद-दो मेरा ऊपर जाने का समय अभी कहाँ हुआ है? मेडिकल कालेज में दूस...
"આજ ફિર જીનેકી તમન્ના હૈ ,આજ ફિર મરનેકા ઇરાદા હૈ "ખબર નહી કેમ આજે સવારે જ...
کائنات کے دلوں سے نفرتیں مٹاتے رہیں۔ آؤ محبت کے شعلے جلاتے رہیں۔ ہر ایک ک...
अब तक : शिविका भी उसके पीछे बाहर आ गई । मोनिका नीचे हॉल में ही गुस्से में यहां स...
1. बाल कहानी - साइकिलतीन मित्र थे, राजू, सोनू और पप्पू। तीनों में बड़ी गहरी मित्...
केस की शुरुआत हो चुकी थी और अक्षत की तरफ से केस नील ने लड़ा। जहां पर अक्षत उ...
स्वाति क्लास में आ जाति है! ओर माया भी तभी वो दोनो देखती हैं। सभी बच्चे तो आज बह...
ભાગવત રહસ્ય-૧૧૯ વીરભદ્ર દક્ષના યજ્ઞ સ્થાને આવ્યો છે. મોટો સંહાર કર્યો છે. દક્ષ...
बॉयज के साथ बातचीत ट्यूशन की सबसे बड़ी खासियत थी - फ्रीडम रूल्स से। ह...
टेढी पगडंडियाँ “ चाची ! ओ चाची ! तुझे भापा बुला रहा है खेत में ट्यूवैल पे । जल्दी जा “ - नाइयों का बिल्लू दहलीज पर खङा मुस्कियों हँसता हुआ पुकार रहा था । किरणा ने छाबे में रखी र...
वैसे तो आज हम इक्कीस वी सदी में जी रहे है और खुद को सभ्य और मॉर्डन बता रहे है। हम पिछली उन सब बुराइयों से दूर है जिन्हे पहले लोग अपनी शानो शौकत मानते थे। जैसे जाति में भेद भाव ऊंच...
મીરા – રાધા – ક્રૃષ્ણ ફરીથી આજે એક ઊંડો વિચાર ઘર કરી ગયો. “મીરાં થઈને હું જીવી શકીશ? ફરીયાદ વગરની જીંદગી??” “હા, જીવી તો શકાય જ છે. પણ, શું રાધા થઈને જીવવું એ પણ મીરાં...
दानी अक्सर अपनी तीसरी पीढ़ी के बच्चों को अपने ज़माने की कहानियाँ सुनाती हैं | बच्चों को भी बड़ा मज़ा आता है क्योंकि उनके लिए आज का माहौल ही सब कुछ है | वो कहाँ जानते हैं दानी के ज़माने...
મારૂં નામ મયુર, હું એક મધ્યમ પરિવારમાંથી આવું છું. મારા પિતા સ્કુલ ડ્રાયવર છે અને મારી માતા ઘર કામ કરે છે અને મારી એક મોટી બેન છે. હું આશા રાખું છું કે, તમને મારા જીવન વિશે આપને ખૂ...
"कैसी है तुम्हारी मंगेतर?" राहुल मेरा सहकर्मी है।उसकी सगाई सुुरेेखा सेे हुई थी।दो महीने बाद उसकी शादी थी।कल सुरेखा के पििता का फोन आया था। चाय बनाते समय अचानक सिलें...
ચૌદ વરસની માસૂમ બાળકી, ખૂબ જ રૂપાળી, ડાહી અને ઠરેલી પણ એટલી જ. મમ્મી-પપ્પાની ખૂબજ લાડકી. પપ્પાની એક જ બૂમમાં "હા પપ્પા, આવી પપ્પા " કહેતી અને હાજર થઈ જતી. હસતી-ખેલતી, રમ...
कभी किसी नें कहा था मुझसे कि हर एक अंत एक नई शुरुआत का सूचक होता है मगर ये कितना सच है और कितना झूठ,ये तो मैं स्वयं भी नहीं जानती ! अब आपका अगला सवाल कि आखिर ये मुझसे किसने कहा था...
પરિતા આજે લગભગ પાંચ વર્ષ પછી એ શહેરમાં, એ ઘરે જઈ રહી હતી, જે એનું જન્મસ્થળ હતું, જ્યાં એણે પોતાનું બાળપણ વિતાવ્યું હતું, સ્કૂલ - કોલેજનાં દિવસો પસાર કર્યાં હતાં. રસ્તામાં એ જ સમય...
क्या कहा तुमने ? प्यार ? वो भी किसी अलग मजहब वाले लड़के से ! .... नहीं ऐसा नहीं हो सकता मैं आज ही तुम्हारे अब्बू से कह कर तुम्हारा रिश्ता पक्का करवाती हूं। गुस्से में माही की अम्म...
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