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आख़िर वह कौन था By Ratna Pandey

इस कहानी के पहले सीजन में आपने पढ़ा कि सुशीला एक सोलह वर्ष की गरीब मजदूर की बेटी थी। उसकी माँ एक बिल्डिंग पर काम करते समय, गिर कर स्वर्ग सिधार गई थी। पिता तो पहले ही स्वर्ग सिधार चु...

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तेरे संग यारा By Niharika Shukla

एक बड़े से केबिन में एक शख्स लगातार इधर से उधर चक्कर काट रहा था। देखने में तो वह बड़ा ही एक्साइटेड लग रहा था ।पर कभी-कभी उसके चेहरे एक्सप्रेशंस अचानक से चेंज हो जाते और चिंता में ब...

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નિશિથ્ ને જિયા નું પ્રેમ પ્રકરણ By Shreya Parmar

એક દિવસ ની વાત છે. એક છોકરો જે કોઈ દિવસ ક્યાય ગયો ના હોય એની દુનીયા બસ એનો પરિવાર હોય એ છોકરા ની વાત છે. નિશિથ નામ ના એક છોકરા ની વાત કરું છું. નિશિથ ની દુનીયા એનો પરિવાર હતી. પતિવ...

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फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे By Makvana Bhavek

मैंने खुद को शीशे में बड़ी कुंठा से निहारा। आग लगे मेरे बालों को ये काबू में ही नहीं आ रहे हैं और भाड़ में जाए कैथरीन कैवेना, जो अचानक बीमार पड़ गई और मुझे मुसीबत में डाल दिया। कहा...

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रहस्य - मौत या मर्डर By Raj Roshan Dash

मुंबई में अर्जुन नाम का एक Detectiv रहता था वह बहुत ही चालाक और निडर था, वह हर केस को easily solve कर देता था, अर्जुन के साथ श्वेता और नेहा भी रहती थी, तीनो साथ मिलकर बड़ी से बड़ी के...

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इरफ़ान ऋषि का अड्डा By Prabodh Kumar Govil

- यार सुन, आज आज रुक जा।
- पर क्यों..?
- मैं कह रहा हूं न कल तेरा काम आधा रह जायेगा।
- वो तो वैसे भी आधा ही रह जायेगा, अगर आज आधा निपटा लेंगे।
- अरे यार, मेरी बात समझ। आज करेंग...

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दास्ताँ ए दर्द ! By Pranava Bharti

दास्ताँ ए दर्द ! 1 रिश्तों के बंधन, कुछ चाहे, कुछ अनचाहे ! कुछ गठरी में बंधे स्मृतियों के बोझ से तो कुछ खुलकर बिखर जाने से महकी सुगंध से ! क्या नाम दिया जा सकता है रिश्तों को ?...

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जुड़ी रहूँ जड़ों से By Sunita Bishnolia

जुड़ी रहूँ जड़ों से
शहर की सबसे आलीशान कोठी में एक तरफ बैडमिंटन कोर्ट है जहाँ अभी भी कुछ लोग काम करे रहे है। इसी के दूसरे छोर पर दो आउट हाऊस भी बने हुए है। दोनों आउट हाऊस हरियाली...

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रॉबर्ट गिल की पारो By Pramila Verma

दिसंबर 1849 में रॉबर्ट गिल को डायरेक्टर आॅफ कोर्ट की मुहर लगा लिफाफा मिला। इतने वर्षों बाद उसे मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया था। वह 1824 में कैडेट के रूप में लंदन में सेना में भर्...

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મારી ડાયરી By Dr. Pruthvi Gohel

કેન્સર એટલે કેન્સલ નહિપ્રિય સખી ડાયરી,આજે હું તને મારા જ પરિવારના એક સદસ્યની વાત કરવા ઈચ્છું છું. આ વાત જ એવી છે કે, હું બીજા કોઈ વ્યક્તિને કહી શકતી નથી અને તું તો મારી જન્મોજનમની...

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आख़िर वह कौन था By Ratna Pandey

इस कहानी के पहले सीजन में आपने पढ़ा कि सुशीला एक सोलह वर्ष की गरीब मजदूर की बेटी थी। उसकी माँ एक बिल्डिंग पर काम करते समय, गिर कर स्वर्ग सिधार गई थी। पिता तो पहले ही स्वर्ग सिधार चु...

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तेरे संग यारा By Niharika Shukla

एक बड़े से केबिन में एक शख्स लगातार इधर से उधर चक्कर काट रहा था। देखने में तो वह बड़ा ही एक्साइटेड लग रहा था ।पर कभी-कभी उसके चेहरे एक्सप्रेशंस अचानक से चेंज हो जाते और चिंता में ब...

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નિશિથ્ ને જિયા નું પ્રેમ પ્રકરણ By Shreya Parmar

એક દિવસ ની વાત છે. એક છોકરો જે કોઈ દિવસ ક્યાય ગયો ના હોય એની દુનીયા બસ એનો પરિવાર હોય એ છોકરા ની વાત છે. નિશિથ નામ ના એક છોકરા ની વાત કરું છું. નિશિથ ની દુનીયા એનો પરિવાર હતી. પતિવ...

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फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे By Makvana Bhavek

मैंने खुद को शीशे में बड़ी कुंठा से निहारा। आग लगे मेरे बालों को ये काबू में ही नहीं आ रहे हैं और भाड़ में जाए कैथरीन कैवेना, जो अचानक बीमार पड़ गई और मुझे मुसीबत में डाल दिया। कहा...

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रहस्य - मौत या मर्डर By Raj Roshan Dash

मुंबई में अर्जुन नाम का एक Detectiv रहता था वह बहुत ही चालाक और निडर था, वह हर केस को easily solve कर देता था, अर्जुन के साथ श्वेता और नेहा भी रहती थी, तीनो साथ मिलकर बड़ी से बड़ी के...

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- यार सुन, आज आज रुक जा।
- पर क्यों..?
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दास्ताँ ए दर्द ! By Pranava Bharti

दास्ताँ ए दर्द ! 1 रिश्तों के बंधन, कुछ चाहे, कुछ अनचाहे ! कुछ गठरी में बंधे स्मृतियों के बोझ से तो कुछ खुलकर बिखर जाने से महकी सुगंध से ! क्या नाम दिया जा सकता है रिश्तों को ?...

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दिसंबर 1849 में रॉबर्ट गिल को डायरेक्टर आॅफ कोर्ट की मुहर लगा लिफाफा मिला। इतने वर्षों बाद उसे मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया था। वह 1824 में कैडेट के रूप में लंदन में सेना में भर्...

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