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मायामृग by Pranava Bharti in Hindi Novels
यूँ तो सब ज़िंदगी की असलियत से परिचित हैं, सब जानते हैं मनुष्य के जन्म के साथ ही उसके जाने का समय भी विधाता ने जन्म के सा...
मायामृग by Pranava Bharti in Hindi Novels
सुधरना इतना आसान होता तो बात ही क्या है ? ” यह फुसफुसाहट उसके मन की भीतरी दीवारों पर सदा से टकराती रही है और वह सोचती रह...
मायामृग by Pranava Bharti in Hindi Novels
उदय के बड़े भाई साहब जब विदेश गए थे तब ऐसा हंगामा उठा मानो विदेश में कहीं राष्ट्रपति बनकर गए हों इतना दिखावा कि बस खीज...
मायामृग by Pranava Bharti in Hindi Novels
बुखार भर से उनका इस प्रकार उठ जाना किसी के लिए भी पचा पाना कठिन था जीवन को बहुत नाप-तोलकर जीने वाले उदय की दूरदृष्टि ब...
मायामृग by Pranava Bharti in Hindi Novels
गांधारी ने तो पति के कारण पट्टी बांधी थी यहाँ तो माँ ने अपनी आँखों पर बेटे के मोह में पट्टी बांधी थी और पिता की आँखों पर...