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इंद्रधनुष सतरंगा by Mohd Arshad Khan in Hindi Novels
हिलमिल मुहल्ले को लोग अजायब घर कहते हैं। इसलिए कि यहाँ जितने घर हैं, उतनी तरह के लोग हैं। अलग पहनावे, अलग खान-पान, अलग स...
इंद्रधनुष सतरंगा by Mohd Arshad Khan in Hindi Novels
जून की रात थी। हवा ठप थी। गर्मी से हाल-बेहाल हो रहा था। मौलाना रहमत अली दरवाजे़ खडे़ पसीना पोंछ रहे थे।
‘‘ओफ्रफोह! आज क...
इंद्रधनुष सतरंगा by Mohd Arshad Khan in Hindi Novels
‘‘अरे मौलाना साहब, कर्तार जी! सब आ जाओ, जल्दी!’’
एक दिन घोष बाबू ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहे थे।
आवाज़ सुनकर जो जिस हालत...
इंद्रधनुष सतरंगा by Mohd Arshad Khan in Hindi Novels
शाम को जब सारे लोग पार्क में टहल रहे थे तो घोष बाबू ने कहा, ‘‘आज कितना सूना-सूना लग रहा है।’’
‘‘हाँ, सचमुच,’’ गायकवाड़...
इंद्रधनुष सतरंगा by Mohd Arshad Khan in Hindi Novels
आधी रात का वक़्त था। सारा मुहल्ला नींद में खोया हुआ था। चारों तरफ सन्नाटा था। अचानक कर्तार जी के दरवाजे़ पर किसी ने दस्त...