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लोभिन by Meena Pathak in Hindi Novels
वह सूनी आँखों से टुकुर-टुकुर पंखे को देख रही थी..आँखें धँस गयीं थीं..शरीर हड्डियों का पिंजर बन गया था..चमड़ी झूल कर लटक ग...
लोभिन by Meena Pathak in Hindi Novels
उस दिन भी सुधा रो रही थी कि तभी गेट खटका उसने जा कर दरवाजा खोला तो देखा उसका जीजा मनोहर खड़ा था उसने भीतर आने के लिए...
लोभिन by Meena Pathak in Hindi Novels
गर्मियों के दिन थे दोनों जेठानियाँ बच्चों के साथ मायके गयीं थीं घर में बस सास-ससुर और नौकर-चाकर थे पति तो रात के अ...